(acanthaceae family in hindi) एकेन्थेसी – कुल पादप क्या है लक्षण गुण पौधे का नाम पुष्प सूत्र उदाहरण ?
एकेन्थेसी – कुल (acanthaceae family) :
(ऐकेन्थस कुल : ग्रीक ऐकेन्थोस = काँटे अथवा थ्रोन। इसे बारलेरिया अथवा वज्रदंती कुल भी कहा जाता है। )
वर्गीकृत स्थिति : बेन्थम और हुकर के अनुसार –
प्रभाग – एंजियोस्पर्मी
उपप्रभाग – डाइकोटीलिडनी
वर्ग – गेमोपेटेली
श्रृंखला – बाइकार्पेलेटी
गण – पर्सोनेल्स
कुल – ऐकेन्थेसी
कुल ऐकेन्थेसी के विशिष्ट लक्षण (salient features of acanthaceae)
- अधिकांश सदस्य शाक और झाड़ियों के रूप में , वृक्ष विरल।
- स्तम्भ सामान्यतया चतुष्कोणीय अथवा धारीदार।
- पर्ण सम्मुख और क्रॉसित , आंतरिक संरचना में सिस्टोलिथ उपस्थित।
- पुष्पक्रम प्राय: ससीमाक्षी अथवा असीम कणिश।
- पुष्प उभयलिंगी , पंचतयी , अधोजायांगी और एकव्याससममित।
- दलपुंज सामान्यतया द्विओष्ठी या दीवटाकार अथवा कीपाकार , विन्यास व्यावर्तित या कोरछादी।
- पुंकेसर सामान्यत: 4 , द्विदीर्घी या 2 , दललग्न।
- जायांग द्विअंडपी , युक्तांडपी , अंडाशय उच्चवर्ती।
- फल केप्सूल , बीज भ्रूणपोषी और हुक अथवा उत्क्षेपक युक्त।
प्राप्ति स्थान और वितरण (occurrence and distribution)
इस द्विबीजपत्री कुल में लगभग 256 वंश और 2780 पादप प्रजातियाँ सम्मिलित है जो अधिकांशत: उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है। ब्राजील और मध्य अमेरिका , अफ्रीका और इंडो मलाया क्षेत्रों में इस कुल के सदस्य बहुतायत से पाए जाते है। भारत में इस कुल का प्रतिनिधित्व लगभग 65 वंश और 337 प्रजातियों द्वारा होता है। हमारे देश में इस कुल के सदस्य मुख्यतः पश्चिमी और दक्षिण भारत के पहाड़ी क्षेत्रों और हिमालय के तिराई वाले इलाकों में मिलते है।
कायिक लक्षणों का विस्तार (range of vegetative characters)
स्वभाव और आवास : इस कुल के अधिकांश सदस्य एकवर्षीय या बहुवर्षीय शाक अथवा क्षुप होते है।
रुएलिया ट्यूबरोसा और रुन्गिया रेपेन्स आदि एकवर्षीय शाक , डिप्टेराकेन्थस पेटुलस और लेपिडागेथिस हेमिल्टोनियाना आदि बहुवर्षीय शाक , बारलेरिया प्रायोनाइटिस और एढाटोडा जिलेनिका आदि क्षुप होते है , थनबरजिया लेविस एक आरोही पौधा है।
इस कुल के सदस्य जैसे – हाइग्रोफिला आरीकुलेटा और हेमीऐडेल्फिस पोलीस्पर्मा दलदली आवासों में पाए जाते है जबकि एकेन्थस इलीसिफोलियस एक लवणोद्भिद पौधा है।
बारलेरिया , ब्लिफेरिस और लेपिडागेथिस की अनेक प्रजातियाँ शुष्क परिस्थितियों में पाई जाती है।
मूल : सामान्यतया शाखित मूसला जड पायी जाती है लेकिन समुद्र तटों और सुन्दरवन के दलदली और खारे इलाकों में पाए जाने वाले लवणोद्भिद एकेन्थस में मूसला जड़ के अतिरिक्त विशेष प्रकार की श्वसन मूल भी पायी जाती है।
स्तम्भ : शाकीय या काष्ठीय , बेलनाकार अथवा धारीदार , कभी कभी आरोही जैसे थनबर्जिया में। इस कुल की आरोही प्रजातियों के स्तम्भ में असंगत द्वितीयक वृद्धि पायी जाती है। स्तम्भ और पत्तियों की बाह्य त्वचा में सिस्टोलिथ की उपस्थिति इस कुल के सदस्यों की लाक्षणिक विशेषता है।
पर्ण : सम्मुख और क्रॉसित , अननुपर्णी जैसे – ऐढाटोडा और पेरीस्ट्रोफी में अथवा अनुपर्णी , जैसे – जस्टीसिया में और सरल और अच्छिन्नकोर होती है , शिराविन्यास एकशिरीय जालिकावत होता है। मरुद्भिदीय सदस्यों में पर्ण फलक छोटे होते है और पत्तियाँ कभी कभी शूल में रूपान्तरित हो जाती हिया।
पुष्पीय लक्षणों का विस्तार (range of floral characters)
पुष्पक्रम : सामान्यतया द्विशाखी ससीमाक्षी होता है , जो अन्तस्थ शाखाओं में एकशाखी ससीमाक्ष में परिवर्तित हो जाता है , ससीमाक्षी कक्षीय गुच्छ जैसे – हाइग्रोफिला में और यौगिक ससीमाक्षी मुंडक स्ट्रोबाइलेन्थस में थनबर्जिया में एकल कक्षस्थ जबकि एढाटोडा में पुष्प असीमाक्षी कणिश में व्यवस्थित होते है।
पुष्प : सवृन्त अथवा लगभग अवृन्त , सहपत्री , सहपत्रिकायुक्त , एकव्यास सममित , उभयलिंगी और अधोजायांगी , पूर्ण , पंचतयी और चक्रिक होते है। इस कुल में पुष्प सामान्यतया बड़े , आकर्षक और रंगीन होते है , थनबर्जिया और कुछ अन्य प्रजातियों में सहपत्र पुष्प के चारों तरफ एक परिचक्र बनाते है।
बाह्यदलपुंज : बाह्यदल-5 , सामान्यतया संयुक्त लेकिन पेरीस्ट्राफी में पृथक बाह्यदली , विन्यास कोरछादी। थनबरजिया में बाह्यदल समानीत होकर छोटे हो जाते है जबकि ब्लिफेरिस में ये कंटकमय होते है।
दलपुंज : दलपत्र-5 , संयुक्त , सामान्यत: सभी दलपत्र मिल कर दलपुंज नलिका बनाते है। थनबर्जिया और रुएलिया आदि में पाँचों दल पत्र समान होते है लेकिन अनेक प्रजातियों जैसे एढाटोडा में दलपुंज द्विओष्ठी (bilabiate 2/3) या एकओष्ठी (जैसे एकेन्थस में) होता है। द्विओष्ठी दलपुंज वाली अवस्था में ऊपरी ओष्ठ सामान्यतया सीधा और द्विशाखित और निचला ओष्ठ आडा और त्रिशाखित होता है। बारलेरिया में कीपाकार और क्रोसेन्ड्रा में दीवटाकार दलपुंज पाया जाता है। दलपुंज नलिका के कंठ के निकट रोम पाए जाते है। विन्यास व्यावर्तित जैसे बारलेरिया में अथवा कोरछादी जैसे ऐढाटोडा में होता है।
पुमंग : पुंकेसर सामान्यत: 4 अथवा दो जैसे – एढाटोडा में , पृथक , दललग्न और द्विदीर्घी होते है , लेकिन ब्लिफेरिस और जस्टीसिया में केवल 2 जननक्षम पुंकेसर होते है और शेष 2 बन्ध्य स्टेमिनोडस द्वारा निरुपित होते है। पेन्टास्टीमोनेकेन्थस में 5 जननक्षम पुंकेसर पाए जाते है। परागकोष द्विकोष्ठी और अंतर्मुखी होते है।
जायांग : द्विअंडपी युक्तांडपी , अंडाशय उच्चवर्ती , द्विकोष्ठीय , बीजाण्डन्यास स्तम्भीय होता है। वर्तिका लम्बी और वर्तिकाग्र द्विकोष्ठी होता है।
फल और बीज : फल सामान्यत: कोष्ठ विदारक केप्सूल और बीज अंडाकार अथवा चपटे और अभ्रूणपोषी (लेकिन नेल्सोनिया में भ्रूणपोषी ) होते है।
परागण और प्रकीर्णन : इस कुल के पौधों में सामान्यत: कीट परागण होता है। पुष्प की संरचना भी इसके लिए अनुकूल होती है।
बीजों का प्रकीर्णन कैप्सूल की विस्फोटी प्रक्रिया से होता है , जैसे – रुऐलिया में या बीज की सतह पर उपस्थित मुड़ें हुए शुलों अथवा जेक्यूलेटर के द्वारा बीज जन्तुओं अथवा पक्षियों के शरीर पर चिपक जाते है , जिससे इनका प्रकीर्णन हो जाता है। एकेन्थस की विभिन्न प्रजातियों में बीजों का प्रकीर्णन जल के द्वारा होता है।
पुष्प सूत्र :
बन्धुता और जातिवृतीय सम्बन्ध : कुल एकेन्थेसी , अनेक लक्षणों में स्क्रोफुलेरियेसी और बिग्नोनियेसी से समानता दर्शाता है लेकिन पुष्पों में सहपत्र और सहपत्रिकाओं की उपस्थिति और उत्क्षेपक युक्त बीजों के निर्माण के कारण इसे उपरोक्त दोनों कुलों से अलग पहचाना जा सकता है। इसके अतिरिक्त लेबियेटी से भी इसकी कुछ साम्यता निरुपित होती है।
आर्थिक महत्व (economic importance)
I. औषधीय पादप :
1. एढाटोडा जिलेनिका – अडूसा अथवा वासा , इसकी जड़ों और पत्तियों का उपयोग , दमा , खाँसी और फेंफड़ो की नलियों की सूजन के उपचार के लिए किया जाता है।
2. हाइग्रोफिला ऑरीकुलेटा – नीली कटेली अथवा ताल मखाना का उपयोग , पीलिया और गठिया के उपचार हेतु करते है।
3. बारलेरिया क्रिस्टाटा : वज्रदन्ती की जड़ और पत्तियों का रस खाँसी और दमा के उपचार में प्रयुक्त होता है , इसके बीज सर्पदंश प्रतिकारक के रूप में उपयोगी है।
4. बारलेरिया प्रायोनाइटिस : वज्रदंती की पत्तियों और जड़ का रस दमा के उपचार में प्रयुक्त होता है और इसकी टहनियों से दातुन की जाती है।
5. रुएलिया प्रोस्ट्राटा : की पत्तियों और जड़ का रस कान के दर्द में काम आता है।
II. शोभाकारी पौधे :
- थनबर्जिया की विभिन्न प्रजातियाँ।
- जस्टीशिया जेंडारुसा।
- इरेन्थेमम रेटिकुलम।
- बारलेरिया मोन्टाना।
- क्रोसेन्ड्रा इन्फ़न्डिबुलिफोर्मिस।
- फिट्टोनिया जाइजेन्टिया।
- एन्ड्रोग्राफिस पेनीकुलाटा।
- रूएलिया ट्यूबरोसा।
कुल एकेन्थेसी के प्रारूपिक पादप का वानस्पतिक वर्णन (botanical description of typical plant from acanthaceae)
ऐढाटोडा जिलेनिका मेडिक (adhatoda zeylanica medic) :
स्थानीय नाम : अडूसा , वासा , वसक।
प्रकृति और स्वभाव : सदाहरित , पथरीली भूमि में पाई जाने वाली जंगली क्षुप।
मूल : शाखित मूसला जड़।
स्तम्भ : ऊपरी सिरे पर शाकीय , नीचे भाग में काष्ठीय , उधर्व , शाखित , शाखाएँ पर्वसंधियों पर फूली हुई ठोस , बेलनाकार।
पर्ण : सरल , अननुपर्णी , सम्मुख और क्रॉसित , सवृन्त , वृंत छोटी , भालाकार अथवा अंडाकार , अच्छिन्न कोर , लम्बाग्र शिराविन्यास एकशिरी जालिकावत।
पुष्पक्रम : अन्तस्थ कणिश।
पुष्प : सहपत्री , सहपत्रकी , सहपत्रिका – 2 और पाशर्वीय , , पूर्ण , एकव्यास सममित , उभयलिंगी , पंचतयी , चक्रिक और अधोजायांगी।
बाह्यदलपुंज : बाह्यदल-5 , संयुक्त , कोरछादी पंचक।
दलपुंज : दलपत्र-5 , संयुक्तदली , द्विओष्ठी अथवा मुंहबंद , अग्रओष्ठ – 2 और पश्च ओष्ठ-3 दलों का बना हुआ , दलपुंज सफेद , गुलाबी अथवा बैंगनी धारियों से युक्त , विन्यास कोरछादी।
पुमंग : पुंकेसर-2 , दललग्न , पृथकपुंकेसरी , 3 बंध्य पुंकेसर छोटे स्टेमिनोडस के रूप में , एकान्तरदलीय , परागकोष द्विकोष्ठी , आधारलग्न , पराग पालियां असमान ऊँचाई पर , नीचे की पालि सतह पर उपांग उपस्थित। जायांग : द्विअंडपी , युक्तांडपी , अंडप मध्यवर्ती , अंडाशय उच्चवर्ती , द्विकोष्ठीय , बीजांडन्यास स्तम्भीय , वर्तिका लम्बी और मुड़ी हुई वर्तिकाग्र समुंड अथवा मुग्दराकार।
फल : कैप्सूल।
पुष्पसूत्र :
प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1 : ऐकेन्थेसी कुल की विशेषता है –
(अ) बीज जेक्यूलेटर युक्त
(ब) पंचतयी पुष्प
(स) जायांग युक्तांडपी
(द) पुष्प एक व्यास सममित
उत्तर : (अ) बीज जेक्यूलेटर युक्त
प्रश्न 2 : ऐकेन्थेसी कुल का औषधीय पादप है –
(अ) पेरीस्ट्रोफी
(ब) बारलेरिया
(स) जस्टीसिया
(द) रुन्गिया
उत्तर : (ब) बारलेरिया
प्रश्न 3 : ऐकेन्थेसी का शोभाकारी पादप है –
(अ) रुन्गिया
(ब) हाइग्रोफिला
(स) थनबर्जिया
(द) लेपिडागेथिस
उत्तर : (स) थनबर्जिया
प्रश्न 4 : बारलेरिया में पुंकेसरों की संख्या है –
(अ) 4
(ब) 5
(स) असंख्य
(द) 2
उत्तर : (द) 2
प्रश्न 5 : खाँसी की दवा प्राप्त होती है –
(अ) एढाटोडा से
(ब) एन्ड्रोग्राफिस
(स) जस्टिशिया
(द) बारलेरिया में
उत्तर : (अ) एढाटोडा से