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कोशिका विभाजन किसे कहते है ? cell division in hindi , कोशिका प्रजनन / कोशिका विभाजन क्या है ?

cell division in hindi , कोशिका विभाजन किसे कहते है ? कोशिका प्रजनन / कोशिका विभाजन क्या है ? , परिभाषा , प्रकार ? कोशिका विभाजन की खोज किसने की ?

कोशिका विभाजन

प्रत्येक जीव का जन्म एककोशीय युग्मनज से ही होता है। इनके बार-बार विभाजित होने से शरीर की अनेक कोशिकाएं बनती हैं। एककोशीय युग्मनज का विभाजन हुए बगैर इतने प्रकार के ऊतक और अंग नहीं बन पाते। आमतौर पर कोशिका विभाजन दो प्रकार का होता हैः

कोशिका विभाजन / कोशिका प्रजनन / कोशिका चक्र (cell division / cell reproduction / cell cycle )  : यह वह क्रिया है जिसके द्वारा एक परिपक्व कोशिका विभाजित होकर दो समान पुत्री कोशिकाओं का निर्माण करती है। जो लक्षणों में जनकीय कोशिका (जनक कोशिका) के समान होती है।

एक कोशिकीय जीवों में कोशिका विभाजन का अर्थ प्रजनन से है , जिसके द्वारा मातृ कोशिका दो अथवा दो से अधिक नयी कोशिकाएं उत्पन्न करती है।
बहुकोशिकीय जीवों में भी एकल कोशिका से नए जीव विकसित होते है। सभी कोशिकाओं में कोशिका विभाजन जीवन का केंद्र है। यह किसी जाति की स्थिरता के लिए आवश्यक होता है।
कोशिका विभाजन की खोज : प्रीवोस्ट और ड्यूमास (1824) ने मेंढक के जायगोट के विदलन के दौरान सर्वप्रथम कोशिका विभाजन का अध्ययन किया।
नागेली (1846) ने सर्वप्रथम यह बताया कि पूर्ववर्ती कोशिकाओं के विभाजन से नयी कोशिकाएँ निर्मित होती है।
रुडॉल्फ विर्चो (1859) ने “ओमनिस सैल्युला इ सैल्युला” और “सैल लाइनेज थ्योरी ” को प्रस्तावित किया।
एक कोशिका तब विभाजित होती है , जब उसके आकार में वृद्धि होती है जिससे उसका कैरियोप्लाज्मिक इंडेक्स / न्युक्लियोप्लाज्मिक अनुपात / कर्नप्लाज्म सम्बन्ध असामान्य हो जाता है।
कोशिका चक्र : हॉवार्ड और पेल्क (1953) ने सर्वप्रथम इसका वर्णन किया। इस घटना का वह क्रम जिसके दौरान कोशिका वृद्धि और कोशिका विभाजन होता , उसे सम्मिलित रूप से कोशिका चक्र कहते है। कोशिका चक्र दो चरणों में पूर्ण होता है –
(1) इंटरफेज
(2) M-फेज / विभाजनशील अवस्था
(1) इंटरफेज : यह एक कोशिका विभाजन के समाप्त होने से लेकर अगले कोशिका विभाजन के प्रारंभ होने तक के बीच का समय है। इसे विश्रामी अवस्था अथवा अविभाजित अवस्था भी कहते है , किन्तु वास्तव में यह अधिक उपापचयी सक्रीय अवस्था है। जिसमे कोशिका अपने आप को अगले विभाजन के लिए तैयार करती है। मानव में इंटरफेज की क्रिया 25 घंटे में पूर्ण होती है। इंटरफेज क्रमशः तीन अवस्थाओं में पूर्ण होती है।
G1 अवस्था / पोस्ट माइटोटिक / पूर्व डीएनए संश्लेषित अवस्था / गेप Ist : इसमें निम्नलिखित घटनाएँ होती है –
  • इसमें गहन कोशिकीय संश्लेषण होता है।
  • इसमें rRNA , mRNA , राइबोसोम और प्रोटीन्स का संश्लेषण होता है।
  • इसमें उपापचयी दर अधिक होती है।
  • इसमें कोशिकाएं विभेदित हो जाती है।
  • इसमें एंजाइम का संश्लेषण और ATP का संग्रहण होता है।
  • इसमें कोशिका के आकार में वृद्धि हो जाती है।
  • इसमें कोशिका के विभाजन का निर्णय होता है।
  • G अवस्था के पदार्थ अगली S-अवस्था को उद्दीपित करते है।
  • इसमें NHC प्रोटीन , कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन्स , लिपिड्स का संश्लेषण होता है।
  • यह सबसे लम्बी और भिन्नात्मक अवस्था है।
  • इसमें एंजाइम , अमीनो अम्ल , न्युक्लियोटाइड आदि का संश्लेषण होता है लेकिन यहाँ डीएनए की मात्रा में परिवर्तन नहीं होता है।

S अवस्था / संश्लेषित अवस्था

  • इसमें DNA का रेप्लीकेशन होने से इसकी मात्रा दुगुनी (2C-4C) हो जाती है।
  • इसमें हिस्टोन प्रोटीन और NHC (हिस्टोन रहित गुणसूत्रीय प्रोटीन) का संश्लेषण होता है।
  • इसमें यूक्रोमेटिन का रेप्लीकेशन हिटरोक्रोमेटिन की तुलना में शीघ्र  हो जाता है।
  • प्रत्येक गुणसूत्र में 2 क्रोमेटिड्स होते है।

G2-अवस्था / प्री माइटोटिक / संश्लेषण पश्चात् अवस्था / गेप-IInd

  • इसमें माइटोटिक स्पिंडल प्रोटीन (टुब्युलिन) का संश्लेषण प्रारम्भ हो जाता है।
  • इसमें गुणसूत्रीय सनन कारक प्रकट हो जाते है।
  • इसमें तीन प्रकार के RNA , NHC प्रोटीन और ATP अणु का संश्लेषण होता है।
  • इसमें माइटोकोंड्रिया , प्लास्टिडस और अन्य वृहद आण्विक पदार्थो का द्विगुणन होता है।
  • इसमें क्षतिग्रस्त डीएनए की मरम्मत होती है।

(2) M-अवस्था / विभाजित अवस्था / माइटोटिक अवस्था

इसे दो अवस्थाओं में विभाजित किया गया है , कैरियोकाइनेसिस , सायटोकाइनेसिस।
कोशिका चक्र का समय : विशिष्ट वातावरणीय परिस्थितियों में जाति विशेष में G1 , S , G2 और M-अवस्था के लिए समय काल अलग अलग होता है। उदाहरण – बैक्टीरिया कोशिका के लिए 20 मिनट , आंत्रीय एपीथीलियम कोशिका के लिए 8-10 घंटे और प्याज की जड़ कोशिकाएँ 20 घंटे ले सकती है।
G0-अवस्था (लज्था , 1963) : कोशिका जो आगे विभाजन नहीं करती है , G1 के आगे नहीं जाती है और विशिष्ट प्रकार के अंतर्गत विभेदन प्रारंभ करती है। इस प्रकार की कोशिकाओं को G0-अवस्था अवस्था कहते है।

कोशिका विभाजन के प्रकार

इसमें तीन प्रकार है –

1. असूत्री विभाजन

2. समसूत्री विभाजन

3. अर्धसूत्री

1. असूत्री विभाजन (a mitosis division) : amitos = धागा रहित , osis = अवस्था

इसे प्रत्यक्ष कोशिका विभाजन भी कहा जाता है। इसे रॉबर्ट रीमेक (1855) ने चूजे के भ्रूण की आरबीसी में खोजा था। इस विभाजन में गुणसूत्र और स्पिंडल का विभेदीकरण नहीं होता है। इसमें केन्द्रकीय आवरण का विघटन नहीं होता है। इसमें केन्द्रक लम्बा होकर और मध्य में सिकुड़कर दो पुत्री केन्द्रकों का निर्माण करता है। इसके बाद कोशिका द्रव्य के एक सेंट्रीपिटल संकीर्णन से दो पुत्री कोशिकाएं निर्मित होती है।  यह एक प्राचीन प्रकार का विभाजन है जो प्रोकैरियोटस , प्रोटोजोअन्स , यीस्ट , स्तनीयो की फीटल कला और कार्टिलेज , रोगी उत्तकों की विघटित कोशिकाओं और पुराने उत्तकों में पाया जाता है।

प्रोटीन संश्लेषण

कोशिकाओं में नई प्रोटीन को संश्लेषित करने की क्षमता होती है जोकि कोशीय गतिविधियों के मॉडुलेशन और उसे बनाये रखने के लिए आवश्यक होती है। यह प्रक्रिया डीएनए/आरएनए में कूटबद्ध सूचना के आधार पर एमिनो अम्ल के निर्माण खंडों से नये प्रोटीन अणुओं के निर्माण में शामिल होती है। प्रोटीन संश्लेषण में मुख्य रूप से दो प्रमुख चरण सम्मिलित होते हैंः ट्रांसक्रिप्सन और ट्रांसलेशन। डीएनए से आरएनए के संश्लेषण को ट्रांसक्रिप्सन कहते हैं। प्रोटीन बनने की अंतिम क्रिया को ट्रांसलेशन कहते हैं।