प्रजामंडल आंदोलन prajamandal andolan of rajasthan in hindi , प्रजामण्डल आन्दोलन के कारण , महत्व
prajamandal andolan of rajasthan in hindi , movement , प्रजामंडल आंदोलन क्या है ? प्रजामण्डल आन्दोलन के कारण , महत्व , मेवाड़ प्रजामंडल का संस्थापक कौन था ? गठन , अध्यक्ष |
प्रजामण्डल आंदोलन :
प्रजा मंडल को स्थापित करने के कारण :-
- रियासतों में कुशासन व्यवस्था होना।
- रियासतों में व्याप्त बुराइयाँ।
- नागरिको के मौलिक अधिकारों का अभाव
- निरंकुश , वंशानुगत शासन प्रणाली।
प्रजामण्डल आन्दोलन के उद्देश्य :-
- उत्तरदायी शासन प्रणाली की स्थापना करना।
- नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करना।
- संविधान की मांग
- रियासतों में कुशासन व्यवस्था और इसमें व्याप्त बुराइयों को दूर करना।
उत्तरदायी शासन प्रणाली : शासक का जनता के प्रति प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी होना।
अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद : इसकी स्थापना बोम्बे में 1927 को की गयी थी।
अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद के अध्यक्ष “दीवान राय चन्द्र राव” थे और इसके उपाध्यक्ष “विजय सिंह पथिक” थे।
इसमें “राम नारायण चौधरी” को ‘राजपुताना तथा मध्य भारत’ का सचिव नियुक्त किया गया।
इसके फलस्वरूप राम नारायण चौधरी के नेतृत्व में 1928 को “राजपूताना देशी राज्य लोक परिषद्” की स्थापना की गयी जिसका प्रथम अधिवेशन 1931 में अजमेर में हुआ जिसके अध्यक्ष “राम नारायण चौधरी” थे।
1931 ई. : जयपुर प्रजामंडल और बूंदी प्रजामंडल 1931 ई. को बने |
1934 ई. : मारवाड़ प्रजामंडल और हाडौती प्रजामंडल बने |
1936 ई. : बीकानेर प्रजामण्डल और धौलपुर प्रजामण्डल की स्थापना हुई |
1938 ई. : मेवाड़ , शाहपुरा , अलवर , भरतपुर और करौली प्रजामंडलों की स्थापना हुई , इस वर्ष राजस्थान में सर्वाधिक प्रजामंडलों की स्थापना हुई , इसका कारण कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन 1938 को माना जाता है |
1939 ई. : कोटा , किशनगढ़ तथा सिरोही प्रजामंडलो की स्थापना हुई |
1942 ई. : कुशलगढ़ प्रजामण्डल की स्थापना हुई |
1943 ई. : बांसवाडा प्रजामण्डल स्थापित हुआ |
1944 ई. : डूंगरपुर प्रजामंडल की स्थापना हुई |
1945 ई. : जैसलमेर व प्रतापगढ़ प्रजामण्डलों की स्थापना हुई |
1946 ई. : झालावाड़ प्रजामंडल की स्थापना हुई |
हिरापुर अधिवेशन : यह अधिवेशन 1938 में सुभाष चन्द्र बोस की अध्यक्षता में किया गया था | इस कांग्रेस के हीरापुरा अधिवेशन में कांग्रेस ने प्रजामण्डल आंदोलनों को अपना समर्थन दिया जिससे ये प्रजामंडल आन्दोलन अधिक प्रभावशाली और शक्तिशाली हो गए |
हरिपुरा अधिवेशन के अध्यक्ष – सुभाष चन्द्र बोस |
1. जयपुर प्रजामंडल : जयपुर प्रजामण्डल की स्थापना 1931 ई. में की गयी तथा इसके संस्थापक कर्पूरचंद पाटनी थे |
सन 1936 में सेठ जमनालाल बजाज ने , श्री हीरालाल शास्त्री के सहयोग से जयपुर प्रजामण्डल का पुनर्गठन किया |
सन 1938 में जमनालाल बजाज को जयपुर राज्य प्रजामंडल के अध्यक्ष निर्वाचित किये गए |
जेंटलमैन एग्रीमेंट : यह एग्रीमेन्ट 17 सितम्बर 1942 को किया गया था | यह समझौता जयपुर प्रजामंडल के तत्कालीन अध्यक्ष श्री हीरालाल शास्त्री तथा जयपुर रियासत के प्रधानमंत्री “सर मिर्जा इस्माल” के मध्य हुआ था |
जेंटलमैन एग्रीमेंट की शर्ते :- जेंटलमैन एग्रीमेन्ट की निम्नलिखित शर्ते थी –
- जयपुर रियासत में उत्तरदायी सरकार की स्थापना की जाएगी |
- जयपुर प्रजामण्डल शांतिपूर्वक धरना , प्रदर्शन , रैली , जुलुस आदि कर सकता है , इसमें जयपुर रियासत हस्तक्षेप नही करेगा |
- जयपुर रियासत अंग्रेजो की किसी भी प्रकार से मदद नहीं करेगा |
- ब्रिटिश भारत के विद्रोहियों को जयपुर प्रजामण्डल शरण दे सकेगा और जयपुर रियासत उन विद्रोहियों को गिरफ्तार नहीं करेगा |
- जयपुर प्रजामंडल “भारत छोडो आन्दोलन” में भाग नहीं लेगा |
जेन्टलमैन एग्रीमेंट की शर्त के अनुसार जयपुर प्रजामंडल ने भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग नहीं लिया |
लेकिन इस एग्रीमेंट से कुछ नेता असंतुष्ट थे जो भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेना चाहते थे , इन्होने “आजाद मोर्चा ” का संगठन किया
आजाद मोर्चा : 1942 में बाबा हरिश्चन्द्र शास्त्री के नेतृत्व में आजाद मोर्चे का गठन किया गया | आजाद मोर्चे के अन्य नेता रामकरण जोशी , दौलत मल भंडारी तथा गुलाब चन्द्र कासलीवाल थे | आजाद मोर्चा संगठन “जेंटलमैन एग्रीमेंट” से असंतुष्ट था तथा इस संगठन ने “भारत छोडो आंदोलन” में भाग लिया था |
जवाहर लाल नेहरु की प्रेरणा से सन 1945 में आजाद मोर्चे का विलय जयपुर प्रजामंडल में कर दिया गया |
2. बूंदी प्रजामण्डल
इस प्रजामंडल का गठन 1931 ई. में कांतिलाल , नित्यानन्द तथा ऋषिदत्त मेहता द्वारा किया गया | बूंदी प्रजामंडल के प्रथम अध्यक्ष कांतिलाल थे |
ऋषिदत्त मेहता का अन्य संगठन “बूंदी देशी राज्य लोक परिषद” था |
इसके अतिरिक्त ऋषि दत्त मेहता का “राजस्थान” नामक समाचार पत्र प्रकाशित होता था | यह राजस्थान नामक समाचार पत्र एक साप्ताहिक समाचार पत्र था |
यह समाचार पत्र 1923 ई. में ब्यावर से प्रकाशित होता था तथा इस समाचार पत्र में मुख्यतः “हाडौती क्षेत्र” की खबरे छपती थी |
3. मारवाड़ प्रजामण्डल
इस प्रजामंडल का गठन 1934 ई. में जयनारायण व्यास , भँवर लाल सर्राफ , आनन्द मल सुराणा , अभयमल जैन और अचलेश्वर प्रसाद शर्मा द्वारा किया गया था |
मारवाड़ सेवा संघ : 1920 ई. में जयनारायण व्यास द्वारा इस संस्था की स्थापना की गयी थी | मारवाड सेवा संघ द्वारा तौल आन्दोलन संचालित किया गया |
तौल आंदोलन : मारवाड़ के तत्कालीन राजा ने 1 सेर में 100 तौले के स्थान पर 80 तौले कर दिये थे , जिसका विरोध मारवाड़ सेवा संघ द्वारा किया गया , इसे तौल आन्दोलन नाम दिया गया |
मारवाड़ यूथ लीग : जयनारायण व्यास द्वारा 10 मई 1931 को इस संगठन की स्थापना की गयी थी |
मारवाड़ हितकारिणी सभा : इसका गठन 1912 ई. में चाँदमल सुराणा द्वारा किया गया था |
मारवाड़ देशी राज्य लोक परिषद : इसकी स्थापना 1929 ई. में जय नारायण व्यास द्वरा की गयी थी | इसका प्रथम अधिवेशन 1931 ई. में पुष्कर में हुआ जिसके अध्यक्ष चाँदकरण शारदा थे |
इस सम्मलेन में महात्मा गाँधी की धर्मपत्नी कस्तूरबा गांधी तथा काका कालेरकर ने भाग लिया था |
1932 ई. में “छगन राज चौपासनी वाला” ने जोधपुर में भारत का झंडा फहराया था।
मारवाड़ लोक परिषद : 16 मई 1938 को इसकी स्थापना की गयी तथा इसके प्रथम अध्यक्ष रणछोड दास गट्टानी थे। इस मारवाड़ लोक परिषद् द्वारा 28 मार्च 1941 को मारवाड़ में उत्तरदायी शासन दिवस मनाया गया।
मारवाड़ लोक परिषद के कार्यकर्ता “बाल मुकुन्द बिस्सा” को पुलिस ने जेल में यातना दी जिसके कारण 19 जून 1942 को बिस्सा की जेल में मृत्यु हो गयी।
बाल मुकुंद बिस्सा ने जोधपुर में “जवाहर खादी भण्डार ” की स्थापना की थी।
मारवाड़ लोक परिषद ने 14 नवम्बर 1947 को विधान सभा विरोध दिवस मनाया।
जय नारायण व्यास की पुस्तके निम्नलिखित है –
(i) मारवाड़ की अवस्था
(ii) पोपा बाई की पोल
पुस्तिकाएँ –
(i) उत्तरदायी शासन के लिए संघर्ष
(ii) मार्च से संघर्ष क्यों
1936 ई. में अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद का अधिवेशन कराची में हुआ था तथा इसके महामंत्री जय नारायण व्यास थे।
इनके चलते जोधपुर रियासत ने जयनारायण व्यास के प्रवेश पर भी पाबंदी लगा दी थी इसलिए बीकानेर के राजा गंगा सिंह ने तत्कालीन जोधपुर के प्रधानमंत्री “डोनाल्ड फील्ड” को पत्र लिखा तथा जयनारायण व्यास पर लगी पाबन्दी को हटवाया।
भारत छोडो आन्दोलन के दौरान जय नारायण व्यास को “सिवाणा” किले में तथा मारवाड़ प्रजामंडल के अन्य नेताओं को जालौर के किले में नजरबन्द कर दिया गया था।
चंडावल किसान आन्दोलन : यह आंदोलन 1942-45 तक चल रहा था तथा इस आन्दोलन का नेतृत्व मारवाड़ प्रजामंडल द्वारा किया जा रहा था।
डाबडा कांड : 13 मार्च 1947 ई. को डीडवाना के सामंत ने किसानों तथा प्रजामंडल की एक सभा पर लाठी चार्ज करवा दिया जिसके कारण मोतीलाल , चुन्नीलाल आदि कई किसान शहीद हो गए।
इस डाबडा काण्ड में लाठी चार्ज के दौरान मारवाड़ प्रजामंडल के बड़े नेता “मथुरा दास माथुर” भी घायल हो गए थे।
जयनारायण व्यास के समाचार पत्र :- जय नारायण व्यास के निम्नलिखित समाचार पत्र थे –
(i) पीप (peep) : यह अंग्रेजी भाषा में दिल्ली से प्रकाशित होता था।
(ii) अखंड भारत : यह हिंदी भाषा में बोम्बे से प्रकाशित होता था।
(iii) आंगी बाण : यह राजस्थानी भाषा में ब्यावर से प्रकाशित होता था , यह प्रथम राजस्थानी समाचार पत्र था जो 1932 में प्रारंभ किया गया था।
मारवाड़ क्रान्ति संघ : इसकी स्थापना लाल चंद जैन द्वारा की गयी थी।
संविधान सभा में जोधपुर की तरफ से जयनारायण व्यास और सी.एस.वेंकटाचारी को प्रतिनिधि बनाकर भेजा गया था।
हाडौती प्रजामंडल :- इस प्रजामंडल की स्थापना 1934 ई. में पंडित नयनराम शर्मा तथा प्रभुलाल विजय द्वारा की गयी थी।
हाड़ौती प्रजामण्डल द्वारा बेगार विरोधी आन्दोलन चलाया गया था।
बीकानेर प्रजामंडल
बीकानेर प्रजामण्डल की स्थापना 4 अक्टूबर 1936 को मंघाराम वैद्य (मुख्य) , मुक्ता प्रसाद तथा रघवर दयाल गोयल ने कलकत्ता में की।
सर्वहित कारिणी सभा : यह 1907 में चुरू में कन्हैयालाल ढूंढ तथा स्वामी गोपाल दास के नेतृत्व में प्रारंभ हुई। सर्वहित कारिणी सभा ने दलितों हेतु कबीर पाठशाला तथा कन्या पाठशाला का निर्माण करवाया।
स्वामी गोपाल दास एवं चन्दन मल बहड द्वारा 26 जनवरी 1930 ई. को चुरू के धर्म स्तूप पर भारत का झंडा फहराया गया।
बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह 1931 में दुसरे गोलमेज सम्मेलन में देशी राज्यों के प्रतिनिधि के रूप में लन्दन गये थे।
बीकानेर प्रजामंडल के कार्यकर्ताओं ने महाराणा गंगा सिंह के खिलाफ “बीकानेर दिग्दर्शन” नामक पर्चा (ज्ञापन) तैयार करके इन्हें सम्मेलन के सदस्यों में बाँटा गया।
17 दिसंबर 1933 को ‘बीकानेर दिवस’ मनाया गया।
रायसिंग नगर हत्याकांड : रायसिंह नगर में 1 जुलाई 1946 ई. को बीकानेर प्रजामंडल के जुलुस पर पुलिस ने फायरिंग कर दी जिसमे “बीरबल हरिजन ” नामक युवक शहीद हो गया।
बीकानेर रियासत में 17 जुलाई 1946 को बीरबल दिवस के रूप में मानाया।
वर्तमान समय में इंदिरा गाँधी नहर की जैसलमेर शखा को बीरबल शाखा कहते है।
नोट : विजय सिंह मेहता ने “नादिर शाही पुस्तक” लिखी।
बीकानेर षड्यंत्र मुकदमा : यह मुकदमा सन 1932 ई. को बीकानेर प्रजामंडल के चार कार्यकर्ताओं पर चलाया गया। यह मुकदमा गंगा सिंह के खिलाफ लन्दन में “बीकानेर दिग्दर्शन” के कारण हुआ था , यह मुकदमा सत्यनारायण सर्राफ , खूबराम खर्राफ , स्वामी गोपाल दास , चन्दन मल बहड पर चलाया गया था।
धोलपुर प्रजामण्डल
इस प्रजामंडल की स्थापना 1936 ई. में कृष्ण दत्त पालीवाल ज्वाला प्रसाद जिज्ञासु तथा इंदुलाल जौहरी के द्वारा की गयी थी।
धोलपुर प्रजामंडल की स्थापना “स्वामी श्रृद्धा नन्द सरस्वती” की प्रेरणा से हुई थी , स्वामी श्रृद्धानन्द सरस्वती , आर्य समाज के नेता थे। ज्वाला प्रसाद जिज्ञासु “नागरी प्रचारिणी” नामक संगठन के भी संस्थापक थे।
तमीसो काण्ड : 11 अप्रैल 1947 को धौलपुर प्रजामंडल की सभा हो रही थी , इस सभा पर पुलिस द्वारा फायरिंग कर दी गयी , इसमें ” पंचम सिंह” तथा छत्तर सिंह नामक नेता शहीद हो गए थे।
मेवाड़ प्रजामंडल
शाहपुरा प्रजामण्डल
अलवर प्रजामंडल
भरतपुर प्रजामण्डल
इस प्रजामंडल की स्थापना 1938 में जुगल किशोर चतुर्वेदी , मास्टर आदित्येन्द्र , गोपीलाल यादव तथा किशन लाल जोशी आदि के द्वारा की गयी थी |
भरतपुर प्रजामण्डल के अध्यक्ष गोपीलाल यादव नियुक्त किये गए | भरतपुर प्रजामंडल की स्थापना मार्च 1938 को बताई जाती है लेकिन “राजस्थान थ्रू द एजेज” नामक पुस्तक में इसकी स्थापना तिथि दिसम्बर 1938 बताई गयी है |
25 अक्टूबर 1939 में भरतपुर प्रजामंडल का नाम बदलकर “भरतपुर प्रजा परिषद” कर दिया गया था | मास्टर आदित्येन्द्र को “भरतपुर प्रजा परिषद ” के अध्यक्ष चुने गए |
भरतपुर प्रजामंडल के नेता “जुगल किशोर चतुर्वेदी” को “राजस्थान का जवाहर लाल नेहरु” या दूसरा जवाहर लाल नेहरु कहते है |
भरतपुर प्रजामंडल की स्थापना हरियाणा के ‘रेवाड़ी’ नामक स्थान पर की गयी थी तथा भरतपुर प्रजामंडल एक “वैभव” नामक समाचार पत्र प्रकाशित करता था |
करौली प्रजामण्डल
कोटा प्रजामण्डल
किशनगढ़ प्रजामंडल
सिरोही प्रजामंडल
कुशलगढ़ प्रजामंडल
बाँसवाड़ा प्रजामंडल
डूंगरपुर प्रजामण्डल
जैसलमेर प्रजामंडल
प्रतापगढ़ प्रजामण्डल
झालावाड प्रजामंडल
प्रजामण्डल आंदोलनों का महत्व
- प्रजामंडल आंदोलनों से शिक्षा का प्रचार प्रसार हुआ जिससे लोगो में जागृति आई |
- इससे सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया गया |
- लोगो में गरीबी और अमीरी के आधार पर व्याप्त असमानता को समाप्त करने का प्रयास हुआ।
- समाज में व्याप्त जाति के आधार पर व्याप्त छुआछूत का निवारण किया गया।
- महिलाओं को शिक्षा और अन्य कामो में बराबर भागीदारी का मौका मिला जिससे महिला सशक्तिकरण को बल मिला।
- धर्म के आधार पर व्याप्त असमानता को छोड़ लोगो में एकता पर बल दिया जिसमे मुख्य रूप से हिन्दू मुस्लिम एकता बढ़ी।
- प्रजामण्डल आंदोलनों से उत्तरदायी सरकारों की स्थापना हुई।
- राज्यों में राजतंत्र लगभग समाप्त हो गया या समाप्ति की शुरुआत हो गयी।
- राज्यों में लोकतंत्र शासन स्थापित हो गया।
- लोगो में राजनैतिक चेतना का विकास हुआ।
- राज्य के लोगो में राष्ट्रीय चेतना का विकास हुआ।
- इन आंदोलनों के फलस्वरूप राज्यों या रियासतों का एकीकरण संभव हो पाया।
- इसके फलस्वरूप राष्ट्रीय एकता और अधिक सुदृढ़ और मजबूत हो गयी।
- प्रजामंडलों द्वारा छोटे छोटे कस्बो या स्थानों पर चल रहे किसान आन्दोलनों को समर्थन मिला जिससे उनकी मांग अधिक सुदृढ़ हो सकी।
- प्रजामंडलो आन्दोलनो की माँग के फलस्वरूप ही किसानो को उनकी भूमि पर हक़ दिया गया।
- इनके प्रयासों के फलस्वरूप ही बेगार प्रथा को समाप्त किया गया।
- प्रजामण्डलो द्वारा कुटीर उद्योग धंधो को समर्थन प्राप्त हुआ।
- जागीरदारी उन्मूलन कार्यक्रम चलाया गया।
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