(intestine meaning in hindi) आंत्र या आंत क्या है ? आंत्र के भाग , संरचना , ग्रंथियां , कहाँ पायी जाती है ? किसे कहते है परिभाषा | :
इसमें निम्नलिखित भाग होते है –
1. ग्रहणी : “C” आकृति , सबसे छोटी और छोटी आंत्र का सबसे चौड़ा भाग है। ब्रूनर ग्रंथि केवल ग्रहणी में ही पायी जाती है।
2. शेषान्त्र : मोटी भित्ति , सवहनीय , प्लाइका सरकुलेर अधिक विकसित।
3. इलियम : सबसे पतला और लम्बा भाग जो कि सुविकसित villi , पेयर्स पैचेस और लीबरकुहन की दरारों से बना होता है। ये succus entericus स्त्रावित करती है। मानव में छोटी आंत्र की लम्बाई 12 फीट होती है और ऑटोप्सी परिक्षण में 24 फिट तक खिंची जा सकती है।
4. Sacculus rotundus : यह इलियम का अंतिम भाग है जो कि शिथिलित होता है। खरगोश में यह इलियम , सीकम , कोलोन के संधिस्थल पर तीन वलनीय कपाट के साथ पाया जाता है।
5. सीकम : यह diverted भाग है। इसमें कुछ सहजीवी जीवों की सहायता से सेल्युलोज का पाचन होता है।
6. कृमिरूपी अवशेषिका : यह सीकम की अवशेषिका है। यह लसिका उत्तक है। रेटिकुलर संयोजी उत्तक से बना होता है। यह लिम्फोसाइट और एन्टीबॉडी उत्पन्न करता है। मानव में यह अवशेषी है। यह जुगाली करने वाले जंतुओं में कार्यशील होती है। कृमिरुपी परिशेषिका में Vompyrella जैसे सेल्युलोज पाचन करने वाले जीवाणु उपस्थित होते है।
7. कोलोन (वृहदांत्र) कोलोन : कोलोन में sac like होस्ट्रा और बैंड like टिनी पाए जाते है। यह लम्बे आकार की थैलेनुमा संरचना है। जो कि चार भागों में विभेदित होती है : बढ़ते क्रम में कोलोन दायीं तरफ यकृत तक फैली होती है। Transverse कोलोन अग्नाशय के नीचे उदर गुहा को क्रॉस करती है। घटते क्रम कोलोन (Descending colon) बायीं तरफ स्थित होती है और Sigmoid या pelvic colon , S आकार की होती है। पेल्विस में प्रवेश करती है और मलाशय से जुड़ जाती है। यह जल , सोडियम तथा अन्य लवणों के संतुलन और मल निर्माण से सम्बंधित है।
8. मलाशय : यह हल्का सा शिथिलित भाग होता है। यह लगभग 13 सेंटीमीटर लम्बा होता है और मल का अस्थायी संग्रह करता है। आन्तरिक भित्ति अनुदैधर्य वलनों युक्त होती है जो इसको संग्रहण के दौरान dilate करती है। यह गुदानाल (3-8 सेंटीमीटर लम्बी) में खुलती है जो कि ट्रंक के आधार पर उपस्थित गुदा द्वारा खुलती है और दो पेशीय कपाटों द्वारा रक्षित होती है। गुदिय शिराओं की आकार में वृद्धि दर्दकारक स्थिति उत्पन्न करती है , जिसे हीमोरोइड (piles) कहते है। यह कब्ज की स्थिति में अधिक पाई जाती है।
(i) गुदा : यह बड़ी आंत्र की पश्च ओपनिंग है , इसमें चिकनी पेशियों से बना अंत गुदा कपाट और रेखित पेशियों से बना बाह्य गुदा कपाट पाया जाता है।
आंत्र की ग्रंथियां
1. Paneth cells : यह आंत्रीय ग्रंथियों के आधारीय भाग में पायी जाती है जो कि लाइसोजाइम और कुछ पोलीपेप्टाइड उत्पन्न करती है।
2. ब्रुनर ग्रन्थि : केवल ग्रहणी में पायी जाती है , ये श्लेष्मा उत्पन्न करती है।
3. लिबरकुहन की दरारें : इन्हें आंत्रिय ग्रंथि कहा जाता है। ये केवल आंत्रीय रस उत्पन्न करती है। ये लेमिना प्रोप्रिआ के वलनीकरण द्वारा बनती है।
4. पेयर्स पैचेज : ये लिम्फ नोड्युल है। इलियम की श्लेष्मा परत में उपस्थित होती है। ये लिम्फोसाइट उत्पन्न करती है।
आहारनाल की औतिकी
आहारनाल तीन आधारीय परतों से बनी होती है। बाहरी सतह से lumen तक अन्दर तक की परत निम्न है –
1. विसरल पैरिटोनियम ( सीरम झिल्ली या सीरोसा) : यह सबसे बाहरी परत है। स्कवेमस एपिथिलियम से बनी होती है। यह mesentery के साथ नियमित होती है।
2. पेशीय कोट : यह बाहरी अनुदैधर्य और अन्त: वृत्ताकार पेशीय उत्तकों से बना होता है। आमाशय में तिर्यक पेशियों की अतिरिक्त परत वृत्ताकार पेशीय उत्तकों के अन्दर पायी जाती है। ये पेशियाँ चिकनी होती है। अनुदैधर्य और वृत्ताकार पेशीय उत्तको के बीच तंत्रिका कोशिका और परानुकम्पी तंत्रिका तंतुओं का नेटवर्क पाया जाता है। जिसे Auerbach’s plexus (= myenteric plexus) कहते है। यह चालक चाप है और आहारनाल में क्रमाकुंचन गतियों पर नियंत्रण करता है।
3. सबम्यूकोसा : यह ढीले संयोजी उत्तकों से बनी होती है , यह रक्त और लसिका वाहिनियों से और कुछ क्षेत्रो में ग्रंथियों से आपूर्ति प्राप्त करती है। तंत्रिका कोशिका और अनुकम्पी तन्त्रिका तंतुओं का दूसरा नेटवर्क जिसे Meissner’s plexus (= submucosal plexus) कहते है। म्युकोसा और पेशीय आवरण के मध्य पाया जाता है। यह plexus आहारनाल के विभिन्न स्त्रावणों को नियंत्रित करता है।
4. म्यूकोसा (= श्लेष्मा झिल्ली) : इसका यह नाम इसलिए है क्योंकि यह gut की inner linning (आंतरिक लाइनिंग) को नम बनाये रखने के लिए श्लेष्मा स्त्रावित करती है। यह तीन परतों से बनी होती है –
(i) पतली पेशीय म्युकोसा , सबम्यूकोसा के आगे पायी जाती है। यह बाहरी अनुदैधर्य और आंतरिक वृत्ताकार पेशीय तंतुओं से बनी होती है , दोनों ही चिकनी पेशी होती है।
(ii) लेमिना प्रोप्रिया म्यूकोसा की मध्य परत , यह ढीले संयोजी उत्तकों , रक्त वाहिनियों ग्रन्थियों और लसिका उत्तकों युक्त होती है।
(iii) आंतरिक परत एपीथीलियम है जो कि आमाशय में जठर ग्रंथि और छोटी आंत्र में आंत्रीय ग्रंथि और विलाई (villi) बनाती है। ग्रासनाल के ऊपरी 1/3 भाग में Auerbach और Meissner’s plexuses अनुपस्थित होते है इसलिए यह भाग प्रकृति में एच्छिक होता है।