माइक्रोमोलेक्यूल्स (जैव सूक्ष्म अणु (Biomicromolecules in hindi) , मैक्रोमोलेक्यूल्स (जैव स्थूल अणु (biomacromolecules)
मैक्रोमोलेक्यूल्स (जैव स्थूल अणु (biomacromolecules) क्या है , माइक्रोमोलेक्यूल्स (जैव सूक्ष्म अणु (Biomicromolecules in hindi) , परिभाषा किसे कहते है , उदाहरण |
जैवअणु : जैव रसायन में जीवों के जीवनकाल में होने वाली रासायनिक और दैनिक रासायनिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। सजीवों में पाए जाने वाले रसायनों एवं अणुओं को जैव अणु कहते है।
जैव रसायन शब्द सर्वप्रथम ‘न्यूबर्ग’ ने दिया। यह जीव द्रव्य की रासायनिक प्रकृति से सम्बन्धित होता है , पृथ्वी की परत के नमूने में उपस्थित सभी तत्व जैव उत्तक के नमूने में भी पाए जाते है।
प्रोटोप्लाज्म कार्बनिक और अकार्बनिक यौगिकों का जटिल मिश्रण है , प्रोटोप्लाज्म में उपस्थित अणु को जैव अणु कहते है। विभिन्न कोशिकीय घटकों की संरचना और कार्य उनके संगत रसायनों की संरचनाओं तथा गुणों को प्रदर्शित करते है। लगभग 93% कोशिकीय पदार्थ कार्बन (17.5%) , हाइड्रोजन (9.4%) एवं ऑक्सीजन (66.6%) से बने होते है। ये सभी कोशिकीय पदार्थ पादपों का ढांचा निर्मित करते है। मुख्य धात्विक तत्व जैसे कैल्शियम (2.5%) , सोडियम , पोटेशियम , आयरन एवं मैग्निश्यम लगभग 5% से कम भाग बनाते है। कुछ तत्व जैसे कॉपर , जिंक , कोबाल्ट , मैगनीज , मोलिब्डेनम और क्रोमियम अल्प मात्रा में पाए जाते है।
अधातुएँ जैसे फास्फोरस , नाइट्रोजन , क्लोरिन तथा सल्फर लगभग 2 प्रतिशत भाग बनाते है जबकि फ़्लोरिन , आयोडीन , आयरन और सेलिनियम सूक्ष्म मात्रा में पाए जाते है।
तत्व | पृथ्वी के क्रस्ट भाग में द्रव्यमान (% में) | मानव शरीर में मात्रा |
हाइड्रोजन (H) | 0.14 | 0.5 |
ऑक्सीजन (O) | 46.6 | 65.0 |
कार्बन (C) | 0.03 | 18.5 |
नाइट्रोजन (N) | अल्प मात्रा | 3.3 |
सल्फर (S) | 0.03 | 0.3 |
सोडियम (Na) | 2.8 | 0.2 |
कैल्शियम (Ca) | 3.6 | 1.5 |
मैग्नीशियम (Mg) | 2.1 | 0.1 |
सिलिकन (Si) | 27.7 | नगण्य |
कार्बनिक और अकार्बनिक अणु (विभिन्न तत्वों) के एकत्रित होने से कोशिका में कोशिकीय पूल का निर्माण होता है। ये सभी विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं की संरचना एवं कार्य के लिए आवश्यक पदार्थों को उपलब्ध कराते है।
पूल की स्थिरता विशिष्ट अणुओं के अंतर्ग्रहण और उत्सर्जन के द्वारा बनी रहती है।
प्राथमिक और द्वितीयक उपापचयक (मेटाबॉलाइट)
प्राथमिक उपापचयक : ये वे जैव रसायन होते है जो किसी जीव के सामान्य उपापचय श्रृंखला के मध्यवर्ती उत्पाद के रूप में बनते है। प्राथमिक उपापचयक सभी जीवों में निर्मित होते है। उदाहरण : अमीनोएसिड , शर्करा , न्युक्लियोटाइड , अम्ल पेप्टाइड और वसा आदि प्राथमिक उपापचयक के उदाहरण है।
जन्तु उत्तक में सामान्यतया प्राथमिक उपापचयक पाए जाते है। पादप उत्तक एवं सूक्ष्मजीवों में अतिरिक्त द्वितीयक उपापचयक भी पाए जाते है। द्वितीयक उपापचयक विशेष उत्पाद होते है जो कि सामान्य उपापचय श्रृंखला में परिवर्तन से बनते है और इनके विशेष कार्य होते है। उदाहरण : ऐरोमेटिक मिश्रण , एल्केलॉईड आदि।
द्वितीयक उपापचयक :
वर्णक – किरेटीनॉइडस , एंथोसायनिन आदि।
एल्केलोइड्स – कोडीन , मार्फीन आदि।
टरपिनाइड्स – मोनोटरपिंस , डाइटरपिंस आदि।
आवश्यक ऑइल – लेनोग्रास आयल आदि।
टोक्सिन – एब्रिन , रिसिन
लेक्टीन्स – कोन्कोवालिन A
ड्रग्स – क्यूरक्यूमिन , विक्रिस्टिन , विनब्लास्टिन आदि।
बहुलक उत्पाद – रबर , सेल्युलोज , गोंद आदि।
अणुभार और विलेयता के आधार पर जैव अणुओं को दो भागों में बाँटा जाता है –
(1) माइक्रोमोलेक्यूल्स (जैव सूक्ष्म अणु (Bio micro molecules): ये आकार में छोटे होते है , इनका अणुभार कम होता है , ये साधारण आण्विक संरचना और अंत: कोशिकीय द्रव में अधिक विलेयता वाले होते है। इनमे जल , खनिज , गैस , कार्बोहाइड्रेट लिपिड , अमीनों अम्ल एवं न्युक्लियोटाइड शामिल है।
(2) मैक्रोमोलेक्यूल्स (जैव स्थूल अणु (bio macro molecules) : ये आकार में बड़े होते है , मैक्रोमोलेक्यूल्स का अणुभार अधिक होता है। इनकी संरचना जटिल होती है एवं ये अंत: कोशिकीय द्रव में कम विलेय होते है। मैक्रोमोलेक्यूल्स सामान्यतया सूक्ष्म अणुओं (माइक्रोमोलेक्यूल्स) के बहुलकीकरण से बनते है। इनमे पोलीसैकेराइड्स , न्यूक्लिक अम्ल और प्रोटीन्स आदि सम्मिलित होते है।
इन यौगिकों पर जब जैव विश्लेषक तकनीक उपयोग में ली जाती है तो इनके अणुभार का और संभावित संरचना का पता लगता है। जीवित उत्तकों से प्राप्त होने वाले सभी कार्बन यौगिको को हम जैव अणु कह सकते है। जीवित उत्तक में अकार्बनिक तत्व और यौगिक भी पाए जाते है। उत्तक के पूर्ण दहन पर सभी कार्बन यौगिकों का गैसीय अवस्था (कार्बन डाइ ऑक्साइड , जलवाष्प) में ऑक्सीकरण हो जाता है तथा ये निष्कासित कर दिए जाते है।
शेष बचा हुआ “Ash” कहलाता है।
इस Ash में अकार्बनिक तत्व (कैल्शियम , मग्निशियम) होते है। अम्ल विलेय भाग में अकार्बनिक यौगिक जैसे सल्फेट , फास्फेट आदि भी होते है इसलिए तत्व विश्लेषण से जीवित उत्तक में हाइड्रोजन , ऑक्सीजन , क्लोरिन , कार्बन आदि के रूप में तत्व संगठन पता लगता है जबकि यौगिक के विश्लेषण से जीवित उत्तक में कार्बनिक और अकार्बनिक घटकों का अनुमान मिलता है। रसायनिकी की दृष्टि से इसकी सहायता से क्रियात्मक समूह जैसे एल्डीहाइड , कीटोन , एरोमैटिक यौगिक की पहचान की जा सकती है लेकिन जीव विज्ञान की दृष्टि से ये अमीनो अम्ल , न्युक्लियोटाइड क्षार और वसीय अम्लों आदि में विभाजित किये गये है।
शरीर की कोशिकाओं में कार्बोहाइड्रेट , पोलीसैकेराइड के रूप में संग्रहित किये जाते है क्योंकि ये संग्रहित करने में आसान होते है और ये आसानी से जल अपघटन द्वारा पुनः साधारण कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित किये जा सकते है। ये अधिक संघनित रूप में होते है और इनका अणुभार अधिक होता है। ये प्लाज्मा झिल्ली से पार नहीं हो सकते है।
विश्लेषण : जीवित ऊत्तक में पाए जाने वाले विभिन्न जैव अणुओं के अध्ययन के लिए इन्हें morter और Pestle की सहायता से सादा विलयन बनाने के लिए ट्राइक्लोरोएसिटिक अम्ल (Cl3COOH) में एकत्र करते है। इसे रुई या Cheese cloth या कॉटन में होकर छानते है। यह छनित्र अम्ल विलेय संचय (एसिड soluble pool) कहलाता है , शेष भाग अम्ल अविलेय संचय , दोनों भागों में उपस्थित रसायनों को विभिन्न विश्लेषण तकनीको से आगे अलग करते है।
कोशिका का औसत संगठन :
यौगिक | कुल कोशिका द्रव्यमान में प्रतिशत |
जल | 70-90 |
प्रोटीन | 10-15 |
कार्बोहाइड्रेट | 3 |
लिपिड | 2 |
न्यूक्लिक अम्ल | 5-7 |
आयन | 1 |
अम्ल विलेय संचय में 18-800 डाल्टन आण्विक द्रव्यमान वाले रसायन होते है। ये जैव सूक्ष्म अणु (Bio micro molecules) होते है। अम्ल अविलेय गुटिका में 800 डाल्टन से अधिक आण्विक द्रव्यमान वाले रसायन होते है। ये जैव स्थूल अणु (bio macro molecules) होते है।
जैव स्थूल अणु (biomacromolecules) आकार में बड़े और अधिक आण्विक भार वाले जटिल अणु होते है जो कि जैव सूक्ष्म अणु के संघनन से बनते है। इनका आण्विक द्रव्यमान 10,000 डाल्टन या इससे अधिक होता है।
जैव सूक्ष्म अणु तीन प्रकार के होते है , प्रोटीन , न्यूक्लिक अम्ल एवं पोलीसैकेराइड।
लिपिड (वसा) में जैव सूक्ष्म अणुओं का आण्विक द्रव्यमान 800 D से कम होती है। ये अध्रुवीय प्रकृति के कारण अम्ल विलेय संचय में नहीं दिखते है। लिपिड (वसा) के अलावा स्थूल अणुओं को बहुलक भी कहते है क्योंकि ये बहुलकीकरण से बनते है और जिन सूक्ष्म अणुओं की छोटी उपइकाइयों से ये बनते है , इन्हें एकलक (monomers) कहते है।
जीवित ऊत्तक में अकार्बनिक घटक :
अवयव | सूत्र |
सोडियम | Na+ |
पोटेशियम | K+ |
कैल्शियम | Ca2+ |
मैग्निशियम | Mg2+ |
जल | H2O |
यौगिक | NaCl , CaCO3 , PO43- , SO42- |
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