वेंटुरी मापी या द्रव प्रवाह मापी , वेंचुरी , venturi meter is used to measure , गति उत्थापक , लिफ्ट बल
गति उत्थापक , लिफ्ट बल , वेंटुरी मापी या द्रव प्रवाह मापी की परिभाषा क्या है ? , वेंचुरी , venturi meter is used to measure in hindi :-
वेंटुरी मापी या द्रव प्रवाह मापी : वेंटुरी मापी का उपयोग प्रवाहित होने वाले द्रव का वेग ज्ञात करने के लिए किया जाता है। वेंटुरीमापी में एक नली होती है जो कि मध्य में से कुछ पिचकी होती है जो कि संकीर्णित होता है। नली के चौड़े मुँह का क्षेत्रफल A1 , दाब P1 तथा V1 वेग है जबकि संकीर्णित पर क्षेत्रफल A2 , दाब P2 तथा V2 वेग है। बिंदु A व B के मध्य U आकार का एक मैनोमीटर लगा दिया जाता है जो कि दाबान्तर ज्ञात करने के काम आता है।
अत: बर्नूली के सिद्धांत से –
P1 + dV12/2 + dgh1 = P2 + dV22/2 + dgh2
चूँकि h1 = h2 = h
P1 + dV12/2 + dgh = P2 + dV22/2 + dgh
P1 + dV12/2 = P2 + dV22/2
P1 – P2 = dV22/2 – dV12/2
P1 – P2 = d(V22 – V12)/2 समीकरण-1
सांतत्य समीकरण से –
A1V1 = A2V2
V2 = A1V1/A2 समीकरण-2
समीकरण-2 का मान समीकरण-1 में रखने पर –
P1 – P2 = d(A12V12/A22 – V12)/2
P1 – P2 = dV12(A12/A22 – 1)/2
2(P1 – P2) = dV12(A12/A22 – 1)
2(P1 – P2)/d = V12(A12/A22 – 1)
2(P1 – P2)/d(A12/A22 – 1) = V12
चूँकि P1 – P2 = dgh
V12 = 2(dgh)/d(A12/A22 – 1)
V12 = 2gh/(A12/A22 – 1)
V1 = √[2gh/(A12/A22 – 1)]
रक्त प्रवाह या हार्ट अटैक (दिल का दौरा)
ह्रदय रक्त धमनियों में प्रवाहित करता है लेकिन धमनियों में प्लाक में जमा होने के कारण रक्त का वेग अधिक हो जाता है जिसके कारण धमनियों की आंतरिक भित्ति का दाब कम हो जाता है। बाहरी दाब का मान अधिक होने के कारण धमनियाँ पिचक जाती है जिसके कारण ह्र्दय को अधिक शक्ति लगानी पडती है अत: ह्रदय रक्त को धक्का देकर धमनी वापस अपनी स्थिति में लाता है लेकिन रक्त का वेग बढ़ने के कारण धमनी पुनः पिचक जाती है इसे ही हार्ट अटैक कहते है।
गति उत्थापक (लिफ्ट) : जब किसी वस्तु पर लगने वाले वेग का मान कम होता है तो उस पर लगने वाले दाब का मान बढ़ जाता है। जिसके कारण वस्तु ऊपर की ओर गति करते है लगती है , इसे गति उत्थापक कहते है।
(i) तरल में घुमती हुई गेंद की चाल : जब कोई गेंद तरल में घुमती हुई पृथ्वी के सतह के सम्पर्क में आती है तो सम्पर्क सतह पर वेग का मान कम होता है जिससे वहां का दाब बढ़ जाता है जबकि गेंद की ऊपर वाली सतह का वेग अधिक होने के कारण दाब का मान कम हो जाता है अत: गेंद उच्च दाब से निम्न दाब की ओर गति करती है और गेंद वायु में घुमती है इसे मेग्नस प्रभाव कहते है।
(ii) बिना घुमती हुई गेंद की चाल : जब गेंद बिना घुमे गति करती है तो गेंद की निचली वाली सतह व ऊपर वाली सतह का वेग समान होता है जिसके कारण निचे वाली सतह व ऊपर वाली सतह का दाब भी समान होता है। अत: दाबांतर शून्य होने के कारण गेंद सीधी गति करती है।
(iii) हवाई जहाज के पंख एरोफाइल आकृति के क्यों बनाये जाते है ?
उत्तर : हवाई जहाज के पंखो के निचे का वेग कम होने के कारण दाब का मान अधिक हो जाता है जबकि हवाई जहाज के पंखो के ऊपर का वेग अधिक होने के कारण वहाँ का दाब कम हो जाता है। इस दाबान्तर के कारण हवाई जहाज ऊपर की ओर उड़ने लगता है।
(iv) आँधी और तूफ़ान में टिन के छप्पर क्यों उड़ जाते है ?
उत्तर : आंधी तथा तूफ़ान आने पर टीन के नीचे का वेग कम होने के कारण वहां का दाब अधिक हो जाता है जबकि टिन के ऊपर का वेग अधिक होने के कारण वहां का दाब कम हो जाता है। अत: टिन उच्च दाब से निम्न दाब की ओर गति करती है।
श्यानता : बहते हुए द्रव की परतों के मध्य एक विरोधी बल लगता है जो कि द्रव के बहने का विरोध करता है। बहते हुए द्रव की परतो के मध्य लगने वाले इस विरोधी बल को श्यान घर्षण बल कहते है तथा द्रव के इस गुण को श्यानता कहते है।
अलग अलग द्रवों की परतो के मध्य लगने वाले श्यान बल का मान भी अलग अलग होता है अर्थात प्रत्येक द्रव की श्यानता अलग अलग होती है।
बहते हुए द्रव की परतो के मध्य श्यान बल का मान –
(i) श्यान बल का मान द्रव की परतो के क्षेत्रफल के समानुपाती होता है –
F ∝ A ……समीकरण-1
(ii) श्यान बल का मान वेग प्रवणता के समानुपाती होता है –
F ∝ dv/dx . . . . समीकरण-2
समीकरण-1 और समीकरण-2 से –
F ∝ Adv/dx
F = -nAdv/dx
यहाँ n (इंटा) एक नियतांक है जिसे श्यानता गुणांक कहते है।
चिन्ह गति की विपरीत दिशा को इंगित करता है।
n = -F/(Adv/dx)
यदि A = 1 m2 हो तथा dv/dx = 1 Sec-1
तो n = -F
एकांक क्षेत्रफल व एकांक वेग प्रवणता वाली द्रव की परतो की परतो के मध्य लगने वाला श्यान बल श्यानता गुणांक कहलाता है।
विशेष : ताप बढाने पर द्रवों की श्यानता घटती है , जबकी गैसों की श्यानता बढती है।
श्यानता गुणांक का मात्रक : n = N x sec/m2
श्यानता गुणांक की विमा : n = M1L-1T-1
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