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ट्रिप्सिन एंजाइम का क्या कार्य है , रेनिन एंजाइम का कार्य , पेप्सिन एंजाइम के कार्य work of trypsin , renin , pepsin enzyme in hindi

work of trypsin , renin , pepsin enzyme in hindi , ट्रिप्सिन एंजाइम का क्या कार्य है , रेनिन एंजाइम का कार्य , पेप्सिन एंजाइम के कार्य :-

एंजाइम : एन्जाइम शब्द सर्वप्रथम विली नामक वैज्ञानिक ने सन 1878 में दिया था। एंजाइम शब्द का शाब्दिक अर्थ निम्न होता है –

Enzyme → En + Zymase → In Zymase → Inzymase → obtained from zymase

अब तक तीन हजार एंजाइम खोजे जा चुके है।

अब तक 300 का औधोगिक उत्पादन किया जा चूका है।

परिभाषा : हमारे शरीर में जैव रासायनिक अभिक्रियाओ को पूर्ण करने वाले जैव उत्प्रेरक एंजाइम कहलाते है।

उदाहरण : C12H22O11 + H2O → C6H12O6 + C6H12O6

एन्जाइमो का नामकरण : इनके नामकरण में शर्करा के अंत में O-ase शब्द प्रयुक्त किया जाता है।

उदाहरण : माल्टोस (शर्करा)

माल्टेस (एंजाइम)

एंजाइम का वर्गीकरण :

Class of enzyme
1.       Oxido reductase ये शरीर में ऑक्सीकरण व अपचयन का कार्य करते है |
2.       Transferase’s ये स्थानान्तरण में सहायक है |

AB + CD → AC + BD

3.       Hydrolase’s ये जल अपघटन में सहायक है |

AB + H2O → A(OH) + HB

4.       Lyase’s ये अपघटन में सहायक है |

AB → A + B

5.       Isomerase’s ये समावयवीकरण में सहायक है |
6.       Ligase’s ये ATP को कार्य स्थल तक पहुंचाते है |

एन्जाइम के भौतिक गुण

यह रंगीन क्रिस्टलीय ठोस होते है।

यह अम्ल , क्षार , लवण में अविलेय होते है।

यह जल में अविलेय होते है।

यह कोलाइडी प्रकृति के होते है।

यह उच्च अणुभार युक्त होते है।

यह विशिष्ट होते है [एक एंजाइम = एक अभिक्रिया]

यह शरीर के अनुकूलतम ताप 310 केल्विन पर प्रभावी कार्य करते है।

यह शरीर की pH 6 से 8 पर प्रभावी कार्य करते है।

यह अभिक्रिया के वेग को 1020 गुना तक बढ़ा देते है।

कुछ महत्वपूर्ण एंजाइम व उनके कार्य :

  1. मुंह की लार में टायलीन की उपस्थिति में : पोली पेप्टाइड→डेक्स्टॉस
  2. अग्नाशय रस में Amylopsin : पोलीपेप्टाइड → माल्टोस
  3. उदर जठर रस में पेप्सिन की उपस्थिति में : प्रोटीन → पोली पेप्टाइड
  4. अग्नाशय रस में ट्रिप्सिन की उपस्थिति में : एमीनो अम्ल
  5. जठर रस में lypase की उपस्थिति में : fat → fatty अम्ल / ग्लिस्रोल
  6. आंत्र रस में पाया जाने वाला माल्टेस की उपस्थिति : माल्टोस → ग्लूकोज
  7. आंत्र अग्नाशय रस में डीओक्सी ribo nuclease की उपस्थिति में : DNA/RNA → mono/oligo nucleoxide
  8. दूध → cheese

प्रश्न : एंजाइम की क्रियाविधि को समझाइये ?

या

एन्जाइम उत्प्रेरण की क्रियाविधि को समझाइये ?

उत्तर : सर्वप्रथम माइकेलिस व मेंटेन ने सन 1925 में यह क्रियाविधि दी।

यह क्रियाविधि निम्न पदों में संपन्न होती है –

पद-I  : इसमें एंजाइम , substrate के साथ क्रिया कर एंजाइम substrate जटिल बनाता है।

E + S → [ES]

पद-II  : यह एंजाइम , सब्सट्रेट जटिल , एंजाइम मध्यम जटिल में बदलता है।

[ES] पद-I  → [EI]

पद-III  : यह एंजाइम मध्यम जटिल , एंजाइम उत्पाद जटिल में बदलता है।

[EI] → [EP]

पद-IV : यह एंजाइम उत्पाद जटिल उच्च ऊर्जा युक्त होने के कारण ये एंजाइम व उत्पाद में बदलता है।

[EP] → E + P

इसी क्रियाविधि को सन 1898 में फिशर ने ताला-चाबी सिद्धांत द्वारा समझाया।

एंजाइम के उपयोग

  • यह शरीर की जैव रासायनिक अभिक्रियाओ को पूर्ण करते है।
  • ट्राईसिनेज एंजाइम द्वारा एल्बुनिजप रोग के निदान में सहायक होता है।
  • स्ट्रेप्टोकाइनेज के कारण रक्त तरल होता है जिससे हार्ट अटैक नहीं आता है।
  • रेनिन एंजाइम द्वारा दूध से पनीर बनाया जाता है।