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इलेक्ट्रॉन प्रग्रहण (k-capture) , Electron capture in hindi , β-क्षय ,प्रकार , v- क्षय , सुरंगन प्रभाव beta and gamma decay

Electron capture in hindi , इलेक्ट्रॉन प्रग्रहण , β-क्षय ,प्रकार , v- क्षय , सुरंगन प्रभाव beta and gamma decay :-

सुरंगन प्रभाव : जब किसी नाभिक से अल्फा कण उत्सर्जित होता है तो नाभिक के चारों ओर स्थित विभव प्राचीर को पार करने के लिए एल्फा कण नाभिक के अन्दर बार बार कोशिश करके अपनी गतिज ऊर्जा में इतनी वृद्धि कर लेता है कि एल्फा कण विभव प्राचीर को पार करके नाभिक से बाहर आ जाता है तो एल्फा कण द्वारा बार बार कोशिश करके विभव प्राचीर को पार करने की प्रायिकता को ही सुरंजन प्रभाव कहते है।

β-क्षय

β क्षय मुख्यतः तीन प्रकार का होता है –

  1. ऋणात्मक β-क्षय (-1β0: जब किसी नाभिक में न्युट्रोन , प्रोटोन में परिवर्तित होता है तो नाभिक से ऋणात्मक β-कण के साथ साथ एंटीन्यूट्रिनो कण भी उत्सर्जित होता है।

इस प्रक्रिया को ऋणात्मक β-क्षय कहते है।

अर्थात

n → P + -1β + v

जब किसी नाभिक से ऋणात्मक β-कण उत्सर्जित होता है तो नाभिक के परमाणु क्रमांक में एक की वृद्धि होती है जबकि द्रव्यमान संख्या अपरिवर्तित रहती है।

अर्थात

ZXA → Z+1YA + -1β + v

उदाहरण : 6C14 → 7N14 + -1β + v

विघटन ऊर्जा :

Q = [Mx – (My + Me)]C2

Q = [(Mx – ZMe) – {My – (Z+1)Me} + Me ]C2

Q = [Mx – ZMe – My + ZMe]

  1. धनात्मक β-क्षय: जब किसी नाभिक में प्रोटोन , न्युट्रोन में परिवर्तित होता है तो नाभिक से धनात्मक β-कण के साथ साथ न्यूट्रिनो कण भी उत्सर्जित होता है तो इस प्रक्रिया को धनात्मक β-क्षय कहते है।

अर्थात

P  → n  + +1β + v

जब किसी नाभिक से धनात्मक β-कण उत्सर्जन होता है तो नाभिक के परमाणु क्रमांक में एक की कमी होती है जबकि द्रव्यमान संख्या अपरिवर्तित रहती है।

अर्थात

ZXA → Z-1YA + +1β + v

उदाहरण : 11Na23 → 10Ne23 + +1β + v

  विघटन ऊर्जा :  Q = [Mx – (My + Me)]C2

Q = [(Mx – ZMe)  {My – (Z-1)Me+ Me } ]C2

Q = [Mx – ZMe – My ]C2

  1. इलेक्ट्रॉन प्रग्रहण (k-capture) : जब किसी नाभिक से धनात्मक  β-कण का उत्सर्जन होता है तो कभी कभी द्रव्यमान ऊर्जा संरक्षण नियम की पालना नहीं होती है , इस दौरान नाभिक का प्रोटोन K-कक्षा के इलेक्ट्रॉन के साथ प्रग्रहण करके न्युट्रोन में परिवर्तित होता है तथा साथ में न्युट्रीनो कण का उत्सर्जन करता है , इस प्रक्रिया को इलेक्ट्रॉन प्रग्रहण या k-capture कहते है।

अर्थात P + -1e0 → n + v

जब किसी नाभिक का प्रोटोन K कक्षा के इलेक्ट्रॉन के साथ प्रग्रहण करके न्युट्रोन में परिवर्तित होता है तो नाभिक के परमाणु क्रमांक में एक की कमी होती है जबकि द्रव्यमान संख्या अपरिवर्तित रहती है।

अर्थात

ZXA + -1e0 → Z-1YA + v

उदाहरण : 54Xe120 + -1e0 → 53I120 + v

 विघटन ऊर्जा :

Q = [(Mx + Me) – My]C2

Q = [(Mx – ZMe) + Me – {My – (Z-1)Me}]C2

Q = [Mx – ZMe + Me – My + (Z-1)Me]C2

Q = [Mx – ZMe + Me – My + ZMe – Me]C2

Q = [Mx – My]C2

β-कणों की संख्या व गतिज ऊर्जा के मध्य ग्राफ (number of beta particles and kinetic energy) :

v- क्षय (गामा क्षय)

जब किसी नाभिक से α-कण या β-कण उत्सर्जित होता है तो प्राप्त 2 त्रि नाभिक उत्तेजित अवस्था में होती है , जब यह उत्तेजित नाभिक मूल अवस्था में परिवर्तित होता है तो नाभिक से v-विकिरण का उत्सर्जन होता है।

अर्थात जब किसी नाभिक से v-विकिरण का उत्सर्जन होता है तो नाभिक के परमाणु क्रमांक या द्रव्यमान संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होता , इस प्रक्रिया को v-क्षय कहते है।

अर्थात

ZXA → Z+1YA* → Z+1YA + v-विकिरण

उदाहरण : 12Mg27 → 13Al27* → 13Al27 + vविकिरण