WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

मृग मरीचिका किसे कहते हैं , मृग मरीचिका किसका उदाहरण है क्या है ? अर्थ हिंदी में , mirage desert in hindi

mirage desert in hindi , मृग मरीचिका किसे कहते हैं , मृग मरीचिका किसका उदाहरण है क्या है ? अर्थ हिंदी में :-

प्रकाश का पूर्ण आन्तरिक परावर्तन : जब कोई प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम की ओर प्रवेश करती हुई अपवर्तक पृष्ठ पर क्रांतिक कोण से अधिक कोण पर आपतित होती है तो प्रकाश किरण का अपवर्तन के स्थान पर परावर्तन हो जाता है तो प्रकाश किरण की इस घटना को ही पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते है।

 क्रांतिक कोण (ic)

सघन माध्यम से विरल माध्यम की ओर गति करती हुई प्रकाश किरण का अपवर्तनांक पृष्ठ पर वह आपतन कोण जिस पर अपवर्तित किरण , अपवर्तक पृष्ठ के समान्तर हो जाती है अर्थात अपवर्तक कोण का मान 90 डिग्री हो जाता है तो उस आपतन कोण को ही क्रान्तिक कोण कहते है।

पूर्ण आन्तरिक परावर्तन की शर्ते

  1. प्रकाश किरण सदैव सघन माध्यम से विरल माध्यम की ओर प्रवेश करनी चाहिए।
  2. आपतन कोण का मान सदेव क्रांतिक कोण से अधिक होना चाहिए।

पूर्ण आन्तरिक परावर्तन से सम्बंधित कुछ प्राकृतिक घटनाएँ

(i) हीरे का चमकना : प्रकाश किरणों के पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के कारण हीरा चमकता हुआ दिखाई देता है , हीरे का अपवर्तनांक 2.42 तथा क्रांतिक कोण 24.41 डिग्री होता है। हीरे को बनाने वाला कारीगर इसके फलको को इस प्रकार से घिसता है कि जब प्रकाश किरण इसके अन्दर फलक पर आपतित हो तो उसका आपतन कोण क्रांतिक कोण से अधिक होता है। जिसके कारण इस प्रकाश किरण का हीरे के अन्दर बार बार पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है जिसके कारण हिरा चमकता हुआ दिखाई देता है।

(ii) मृग मरीचिका : मृग मरिचिका की घटना पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण होती है। आँखों के भ्रम को ही मरीचिका कहते है। गर्मियों के दिनों में पृथ्वी का धरातल अधिक गर्म होने के कारण पृथ्वी के पास वाली वायु बहुत विरल होती है। पृथ्वी के धरातल से जैसे जैसे ऊपर जाते है वैसे वैसे वायु की सघनता बढती जाती है। जिसके कारण किसी पेड़ के शीर्ष से आने वाली प्रकाश किरणें सघन माध्यम से विरल माध्यम की ओर प्रवेश करती हुई क्रांतिक कोण से अधिक कोण पर धरातल पर आपतित होती है तो पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के कारण यह किरणें प्रेक्षक की आँखों में जाती है तो उसे ऐसा प्रतीत होता है कि किसी पेड़ की परछाई किसी जलाशय के कारण उल्टी दिखाई देती है , ठीक इसी प्रकार की घटना गर्मियों के दिनों में रेगिस्तान में दौड़ते हुए मृग (हिरण) के साथ भी होती है। मृग के इस आँखों के भ्रम को ही मृग मरीचिका कहते है।

(iii) प्रकाशिकी तन्तु : प्रकाशिकी तंतु या केवल पूर्ण आंतरिक घटना पर आधारित एक ऐसा यंत्र है जिसकी सहायता से श्रव्य या ध्वनि संकेतो को एक स्थान से दूर स्थित दुसरे स्थान तक भेजा जाता है।

प्रकाशिकी तन्तु के क्रोड़ का अपवर्तनांक 1.7 तथा अधिपट्टन का अपवर्तनांक 1.5 होता है अर्थात प्रकाशिकी तन्तु का क्रोड़ अधिपट्टन की तुलना में अधिक सघन होता है। जब कोई श्रव्य संकेत चित्रानुसार क्रोड में आपतित किया जाता है तो इस संकेत का सघन से विरल में जाने के कारण बार बार पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है (क्रोड़ में) जिसके कारण यह संकेत एक स्थान से दुसरे स्थान तक आसानी से चला जाता है।

गोलीय अपवर्तक पृष्ठ द्वारा अपवर्तन सूत्र

माना गोलीय अपवर्तक पृष्ठ (उत्तलाकार) m1 m2 जिसके एक ओर विरल माध्यम जिसका अपवर्तनांक u1 तथा दूसरी ओर सघन माध्यम जिसका अपवर्तनांक u1 (u2>u1) है | मुख्य अक्ष के बिंदु O पर स्थित बिम्ब से निकलने वाली प्रकाश किरण OM अपवर्तक पृष्ठ m1 m2 के बिंदु M पर आपतित होती है जो अपवर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के बिन्दु I पर अपवर्तित किरण MI के रूप में आपतित होती है जहाँ इसका प्रतिबिम्ब प्राप्त होता है तो अपवर्तन सूत्र की गणना के लिए –

स्नेल के नियम से –

u21 = sin i/sin r

u2/u1 = sin i/sin r

u1sin i = u2sin r

अल्प कोण के लिए sin i = i तथा sin r = r है |

इसलिए

u1 i = u2 r समीकरण-1

त्रिभुज ΔOMC से –

i = ά + ß  समीकरण-2  (बहिर्कोण )

त्रिभुज ΔMCI से –

ß = r + y  (बहिर्कोण )

r = ß – y  समीकरण-3

समीकरण-2 व समीकरण-3 का मान समीकरण-1 रखने पर –

u2(ß – v) = u1( ά + ß)  समीकरण-4

समकोण ΔOMN से –

tanά = MN/ON  {tanʘ = L/A}

अल्पकोण के लिए ON = OP तथा tanα

अत: α = MN/OP = MN/-u   समीकरण-5

समकोण ΔCMN से –

tanβ = MN/CN

अल्प कोण के लिए CN = CP तथा tanβ = β होगा |

अत: β = MN/CP = MN/+R   समीकरण-6

समकोण ΔIMN से –

tanv = MN/IN

अत्यल्प कोण के लिए IN = IP तथा tanv = v होगा –

अत:

v = MN/IP = MN/+v  समीकरण-7

समीकरण-5 , 6 व 7 का मान समीकरण-4 में रखने पर –

μ2(MN/+R  – MN/+v) = μ1(MN/-u + MN/+R)

μ2/R – μ2/v = -μ1/u + μ1/R

पक्षांतरण करने पर –

μ1/u  – μ2/v =  μ1/R – μ2/R

चिन्ह परिवर्तन करने पर –

– μ1/u  + μ2/v =  -μ1/R + μ2/R

– μ1/u  + μ2/v =  ( μ -μ)/R

यही अपवर्तन सूत्र है |