प्रकाशिकी क्या है ? परिभाषा , what is optics in hindi , किरण , तरंग प्रकाशिकी (ray optics) , प्रकाश की प्रकृति
किरण , तरंग प्रकाशिकी (ray optics) , प्रकाश की प्रकृति , प्रकाशिकी क्या है ? परिभाषा , what is optics in hindi :-
प्रकाशिकी : भौतिक विज्ञान की वह शाखा जिसमे प्रकाश का विस्तृत अध्ययन किया जाता है।
प्रकाश को निम्न दो प्रभागों में बाँटा गया है –
- किरण प्रकाशिकी (ray optics)
- तरंग प्रकाशिकी (wave optics)
- किरण प्रकाशिकी (ray optics): प्रकाशिकी की वह शाखा जिसमे प्रकाश का किरणों के रूप में अध्ययन किया जाता है , किरण प्रकाशिकी कहलाती है।
- तरंग प्रकाशिकी (wave optics): प्रकाशिकी की वह शाखा जिसमे प्रकाश का तरंगों के रूप में अध्ययन किया जाता है , तरंग प्रकाशिकी कहलाती है।
तरंग : किसी निश्चित स्थान पर उत्पन्न विक्षोभ अथवा हलचल द्वारा ऊर्जा का संचरण एक स्थान से दूसरे स्थान तक होता है , इस घटना को तरंग कहते है।
तरंग ऊर्जा संचरण की एक विधि होती है।
प्रकाश की प्रकृति (nature of light) : सर्वप्रथम प्रकाश की प्रकृति को समझाने के लिए न्यूटन नामक वैज्ञानिक ने कणिका सिद्धांत प्रदिपादित किया।
कणिका सिद्धांत : इस सिद्धांत के अनुसार प्रकाश छोटे छोटे कणों से मिलकर बना होता है जिन्हें कणिकाएँ कहते है।
इसके आधार पर प्रकाश की ऋजू रेखीय गति व परावर्तन की व्याख्या की जा सकती है किन्तु इस सिद्धांत के आधार पर अपवर्तन , व्यतिकरण , विवर्तन व ध्रुवण की व्याख्या नहीं होगी।
इसके पश्चात् हाइजेन नामक वैज्ञानिक ने प्रकाश की प्रकृति को समझाने के लिए तरंग सिद्धांत दिया।
तरंग सिद्धान्त : इस सिद्धांत के अनुसार प्रकाश तरंग के रूप में गमन करता है। प्रकाश के संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। एवं प्रकाश की प्रकृति अनुदैर्घ्य होती है।
इस सिद्धान्त से व्यतिकरण , विवर्तन , अपवर्तन , परावर्तन की व्याख्या की जा सकती है किन्तु इस सिद्धान्त से ध्रुवण की व्याख्या नहीं की जा सकती है।
इसके पश्चात् फ्रेनल नामक वैज्ञानिक ने प्रकाश की प्रकृति को समझाने के लिए हाइजेन के तरंग सिद्धांत का समर्थन किया था। इसके अनुसार प्रकाश की प्रकृति अनुप्रस्थ होती है , इसके आधार पर ध्रुवण की व्याख्या नहीं की जा सकती है।
इसके पश्चात् मैक्सवेल नामक वैज्ञानिक ने प्रकाश की प्रकृति को समझाने के लिए विद्युत चुम्बकीय तरंग सिद्धांत दिया।
विद्युत चुम्बकीय तरंग सिद्धान्त : इस सिद्धांत के अनुसार प्रकाश के संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है , प्रकाश निर्वात में भी गमन कर सकता है।
इस सिद्धांत के अनुसार प्रकाश में विद्युत सदिश व चुम्बकीय सदिश के कण भी पाए जाते है जो तरंग संचरण के लम्बवत व एक दूसरे के लम्बवत कम्पन्न करते है।
इसके अनुसार प्रकाश की प्रकृति अनुप्रस्थ होती है , इस सिद्धांत से ध्रुवण की व्याख्या भी की जा सकती है।
मैक्सवेल नामक वैज्ञानिक प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या करने में असफल रहा प्रकाश विद्युत प्रभाव को समझाने के लिए मैक्स प्लांक नामक वैज्ञानिक ने क्वान्टम सिद्धांत दिया।
इस सिद्धांत के अनुसार ” प्रकाश से ऊर्जा का उत्सर्जन ” सतत न होकर असतत या पैकेट्स के रूप में होता है , जिसे क्वान्टा या फोटोन कहते है।
यह प्रकाश का एक कण होता है जो ऊर्जा का संचरण करता है , यह द्रव्यमान रहित व आवेश रहित कण होता है , इसकी चक्रण क्वांटम संख्या एक होती है।
फोटोन की ऊर्जा का मान प्रकाश की आवृत्ति v (म्यु) के समानुपाती होती है।
E ∝ v
E = hv यहाँ h = प्लांक नियतांक है | h = 6.62 x 10-34 जुल
अत: स्पष्ट है कि जब प्रकाश के परावर्तन , अपवर्तन , व्यतिकरण व ध्रुवण की व्याख्या करनी होती है तो प्रकाश को तरंग के रूप में लिया जाता है और जब प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या करनी होती है तो प्रकाश को फोटोन के रूप में लिया जाता है।
अत: प्रकाश की प्रकृति द्वैत होती है।
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