WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

ऊर्जा घनत्व संधारित्र का , energy density of capacitor in hindi , वैद्युत स्थितिज ऊर्जा , electric potential energy

energy density of capacitor in hindi , ऊर्जा घनत्व संधारित्र का :-

(electric potential energy of capacitor) संधारित्र की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा (U) : किसी संधारित्र को आवेशित करते समय विभिन्न आवेशों द्वारा किया गया , कुल कार्य संधारित्र की विद्युत स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित रहता है। यदि समान्तर प्लेट संधारित्र को dq आवेश देने में dW कार्य करना पड़े तो संधारित्र की प्लेटो के मध्य विभवान्तर

माना संधारित्र को dq आवेश देने में संपन्न कार्य dw है।

समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटो के मध्य विभवान्तर V = dW/dq

dW = V (dq)

समाकलन करने पर –

∫dW = ∫V(dq)

चूँकि V = q/C

W = V = 0qq/c dq

V = 1/C 0qq dq

U = 1/C [q2/2]0q

U = 1/c [q2/2  – (0)2/2]

U = q2/2C

चूँकि q = CV

U = C2V2/2C

U = CV2/2

चूँकि C = q/V

U = qV/2

एकांक आयतन की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा

यदि C धारिता के संधारित्र की प्लेटो के मध्य विभवान्तर V हो तो –

विद्युत स्थितिज ऊर्जा –

U = CV2/2  समीकरण-1

समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता –

C = Aε0/d  समीकरण-2

यहाँ d = प्लेटो के मध्य की दूरी

A = प्लेटों का क्षेत्रफल

यदि d दूरी पर स्थित प्लेटो के मध्य विभवान्तर V हो तो विद्युत क्षेत्र की तीव्रता

E = V/d

V = E.d   समीकरण-3

समीकरण-2 व समीकरण-3 से मान समीकरण-1 में रखने पर –

U = (1/2)( Aε0/d)(Ed)2

U = ε0E2(A x d)/2

संधारित्र की प्लेटों के मध्य आयतन –

चूँकि (आयतन) V = A x d

अत: U = ε0E2(V)/2

U/V = ε0E2/2

अत: U/V = ऊर्जा घनत्व

ऊर्जा घनत्व :

समान्तर प्लेट संधारित्र के एकांक आयतन में प्लेटो के मध्य संचित होने वाली वैद्युत स्थितिज ऊर्जा को ऊर्जा घनत्व कहते है।

संधारित्र का संयोजन

किसी विद्युत परिपथ में वांछित धारिता को प्राप्त करने के लिए संधारित्रो को दो प्रकार से संयोजित करते है।

  1. श्रेणी क्रम संयोजन
  2. समान्तर क्रम संयोजन
  3. श्रेणी क्रम संयोजन (series combination of capacitor): यदि किसी विद्युत परिपथ में पहले संधारित्र की दूसरी प्लेट को दुसरे दूसरे संधारित्र की पहली प्लेट से व दूसरे संधारित्र की दूसरी प्लेट को तीसरे संधारित्र की पहली प्लेट से संयोजित करे तो इसे श्रेणीक्रम संयोजन कहते है।

दर्शाए गए चित्र में C1 , C2 , C3 धरिताओ के तीन संधारित्र संयोजित है –

परिपथ में कुल विभवान्तर –

V = V1 + V2 + V3

Q/Ctotal  = Q/C1 + Q/C2 + Q/C3

1/Ctotal = 1/C1 + 1/C2 + 1/C3

यहाँ Ctotal = श्रेणीक्रम परिपथ की तुल्य धारिता

  1. समान्तर क्रम संयोजन (parallel combination of capacitor): यदि किसी विद्युत परिपथ में संयोजित किये गए विभिन्न संधारित्रो की पहली प्लेट को बैट्री के धन टर्मिनल से व संधारित्र की दूसरी प्लेटों को बैटरी के ऋण टर्मिनल से संयोजित करे तो इसे संधारित्रों का समान्तर क्रम संयोजन कहते है। दर्शाए गए परिपथ में C1, C2 , C3 धरिताओ के संधारित्रो पर वितरित आवेश भिन्न भिन्न क्रमशः Q1 , Q2 , Q3 उत्पन्न होता है जबकि विभवान्तर V समान रहता है।

परिपथ का कुल आवेश Q =  Q1 + Q2 + Q3

CpV = C1V + C2V + C3V

Cp = C1 + C2 + C3

यहाँ Cp = समान्तर क्रम संयोजन की तुल्य धारिता है।

नोट : अत: स्पष्ट है कि समान्तर क्रम संयोजन की तुल्य धारिता श्रेणी क्रम संयोजन की तुल्य धारिता से अधिक प्राप्त होती है।

गोलीय संधारित्र (spherical capacitor)

दो संकेन्द्रीय गोले जिन पर वितरित आवेश के परिमाण समान एवं प्रकृति विपरीत होती है , गोलीय संधारित्र का निर्माण करते है।  इनमे से एक गोले को भू-सम्पर्कित करते है , दर्शाए गए चित्र में R2 त्रिज्या के किसी धातु के खोखले गोले के अन्दर R1 त्रिज्या का धातु का गोला उपस्थित होता है जिसके पृष्ठ पर Q आवेश उपस्थित है।

विद्युत प्रेरण के कारण R2 त्रिज्या के गोले की त्रिज्या के आंतरिक सतह पर ऋणावेश व बाहरी सतह पर उतना ही धनावेश आ जाता है। जिसकी बाहरी सतह को भू-सम्पर्कित किया गया है।

गोलीय संधारित्र की धारिता C  = = 4π ε0(R1R2/R2 –R1)