उत्तर : द्वितीय क्रियाकलाप : ऐसे क्रियाकलाप जो कच्चे माल या पदार्थ को प्राप्त कर उसमे परिवर्तन या संशोधन कर उसके मूल्य में बढ़ोतरी कर देना ही द्वितीय क्रियाकलाप कहलाता है।
उदाहरण :
- प्रसंस्करण
- विनिर्माण
- उद्योग
- ऊर्जा उत्पादन
1. प्रसंस्करण : इसमें खेत से गेहूं लाकर उन्हें पिसाना पीसा कर उसे आटे की रोटी बनाने की प्रक्रिया को ही प्रसंस्करण कहलाता है।
2. विनिर्माण : विनिर्माण उद्योगों का वर्गीकरण उनके आकार , कच्चे माल , उत्पाद व स्वामित्व के आधार पर किये जाते है।
3. उद्योग : उद्योगों की स्थापना केवल उन्ही स्थानों पर हो सकती है जहाँ उनके विकास के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएं उपलब्ध है।
4. ऊर्जा उत्पादन :
शक्ति के साधन का सुचारू एवं सुगम रूप में मिलना उद्योगों के केन्द्रीयकरण एवं विकास के लिए आवश्यक है।
द्वितीय क्रियाकलाप
उद्योगों का वर्गीकरण :
- आकार
- कच्चे माल
- उत्पाद
- स्वामित्व
आकार : वृहत , मध्यम , लघु , कुटीर
कच्चे माल : कृषि ,
खनिज , रसायन , वन , पशु
स्वच्छ उद्योग : किसी विशेष प्रकार के कच्चे पदार्थ की आवश्यकता नहीं होती है और यह नहर के अन्दर किसी भी जगह स्थापित किया जा सकता है।
कृषि आधारित उद्योग :
- खाद्ययान्त – बेकरी उद्योग – गेहूं , चावल
- मोटा – बाजरा , मक्का , जो , ज्वार
- तिलहन – सरसों , तिल , राई – तेल घाणी उद्योग
- दलहन
- औषधियाँ – ईसबगोल – सफ़ेद मुस्ली
- भगदी / बागाती – गन्ना – चीनी , रबर , चाय उद्योग
- कपास – कपड़ो / वस्त्र उद्योग – रेशेदार व जुट उद्योग
खनिज आधारित उद्योग : धात्विक खनिज , अधात्विक खनिज।
धात्विक खनिज – लौह – लोहा , मैगनीज , निकल
अलौह – सीसा-जस्ता , ताम्बा , टंग्स्टन , सोना-चांदी , एल्युमिनियम
प्रश्न : उद्योग किसे कहते है ? उद्योगों का वर्गीकरण किन-किन आधार पर किया जाता है , किन्ही दो का विस्तृत वर्णन कीजिये।
उत्तर : उद्योग (industry in hindi) : परिवार की आय एवं जीव उत्पादन के लिए जो व्यवसाय किया जाता है उसे ही उद्योग कहते है।
उद्योगों का वर्गीकरण :
1. आकार के आधार पर
2. कच्चे माल के आधार पर
1. आकार के आधार पर : किसी उद्योग का आकार उसमे निवेशित पूंजी , कार्यरत श्रमिको की संख्या एवं उत्पादन की मात्रा पर निर्भर करता है।
आकार के आधार पर उद्योगों को तीन भागो में बांटा जा सकता है –
अ. कुटीर उद्योग
ब. छोटा उद्योग
स. बड़े पैमाने के उद्योग
अ. कुटीर उद्योग : यह निर्माण की सबसे छोटी इकाई है , इसमें दस्तकार स्थानीय कच्चे माल का उपयोग करते है , वह कम पूंजी तथा दक्षता से साधारण औजारों के द्वारा परिवार के साथ मिलकर घरो में ही अपने दैनिक जीवन के उपयोग की वस्तुओ का उत्पादन करते है , निजी उपभोग के बाद शेष बचे तैयार माल को स्थानीय बाजार में विक्रय कर देते है।
ब. छोटा उद्योग : इन्हें छोटे पैमाने के उद्योग कहते है , इनमे स्थानीय कच्चे माल का उपयोग होता है , इसमें अर्द्ध कुटीर श्रमिको व शक्ति के साधनों से चलने वाले यंत्रो का प्रयोग किया जाता है।
स. बड़े पैमाने के उद्योग : बड़े पैमाने के उद्योगों के लिए विभिन्न प्रकार का कच्चा माल , शक्ति के साधन विशाल बाजार , कुशल श्रमिक , उच्च प्रोद्योगिको व अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है।
2. कच्चे माल के आधार पर
कच्चे माल पर आधार उद्योगों की पाँच वर्गों में बांटा जा सकता है।
अ. कृषि
ब. खनिज
स. रसायन
द. वन
य. पशु
अ. कृषि उद्योग : कृषि उपजो को विभिन्न प्रक्रियाओ द्वारा तैयार माल की ग्रामीण व नगरीय बाजरो में विक्रय हेतु भेजा जाता है। वस्त्र (सूती , रेशमी , जुट) पेय पदार्थ (चाय , कहवा , कोको) , भोजन प्रसंस्करण , वनस्पति घी , रबड़ आदि उद्योग इसके उदाहरण है।
ब. खनिज उद्योग : इन उद्योगों में खनिजो का कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है , कुछ उद्योग लोह अंश वाले धात्विक खनिजो का उपयोग करते है , लोह-इस्पात उद्योग , मशीन व औजार , रेल इंजन , कृषि औजार इसके प्रमुख उदाहरण है , कुछ उद्योग अलोह धात्विक खनिजो का उपयोग करते है जैसे
एल्युमिनियम या ताम्बा उद्योग।
स. रसायन उद्योग : इस प्रकार के उद्योगों में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रासायनिक खनिजो का उपयोग होता है , पेट्रो-रसायन उद्योग में खनिज तेल का उद्योग होता है , रासायनिक उर्वरक पेंट , वर्निश , प्लास्टिक , औषधि आदि पेट्रो-केमिकल उद्योग के प्रमुख उदाहरण है।
द. वन उद्योग : इन उद्योगों में वनों से प्राप्त उत्पादों का प्रयोग होता है , कागज व लुग्दी उद्योग , फर्नीचर उद्योग व दिलाई सलाई उद्योग लाख उद्योग इसके उदाहरण है , कागज उद्योग के लिए लकड़ी , बांस एव घास , फर्नीचर उद्योग के लिए , इमारती लकड़ी तथा लाख उद्योग के लिए लाख वनों से ही प्राप्त होती है।
य. पशु उद्योग : चमडा व ऊन पशुओ से प्राप्त प्रमुख कच्चा माल है। चमडा उद्योग के लिए चमडा व ऊनी वस्त्र उद्योग के लिए ऊन पशुओ से ही प्राप्त होती है।