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एंजाइम के गुण (properties of enzymes) , एंजाइम उत्प्रेरण की क्रियाविधि , आकार वर्णात्मक उत्प्रेरण (जिओलाइट उत्प्रेरण)

एन्जाइम उत्प्रेरण : ऐसे नाइट्रोजन युक्त जटिल कार्बनिक पदार्थ जो जीवो के शरीर में होने वाली जैव रासायनिक अभिक्रिया में उत्प्रेरक का कार्य करते है , एंजाइम कहलाते है तथा एंजाइम की उपस्थिति में होने वाली क्रिया को एंजाइम उत्प्रेरण कहलाती है।
या
प्रोटीन प्रकृति के ऐसे कार्बनिक पदार्थ जो जीवित कोशिकाओ में जैव उत्प्रेरक का कार्य करते है , एंजाइम उत्प्रेरक कहलाते है।  (जीव विज्ञान)
एंजाइम उच्च अणुभार वाले प्रोटीन होते है।
यह कोलाइडी प्रकृति के होते है , इनका व्यास 10 नैनोमीटर से 10 nm के मध्य होता है।
उदाहरण : सुक्रोज (इक्षु शर्करा) का जल अपघटन।
स्टार्च का जल अपघटन।
माल्टोस का जल अपघटन
ग्लूकोज का अपघटन।
एथिल एल्कोहल का ऑक्सीकरण
यूरिया का जल अपघटन।
NH2CONH2 + H2O → 2NH3 + CO2
सोयाबीन में यूरिएज एन्जाइम पाया जाता है , ये एंजाइम यूरिया को जल में अपघटित करके NH3 व CO2 बनाता है।

एंजाइम के गुण (properties of enzymes)

1. सक्रियता : एंजाइम बहुत अधिक सक्रीय होते है , इसकी उपस्थिति में अभिक्रिया का वेग लगभग 10 लाख गुना तक बढ़ जाता है।
2. सूक्ष्म मात्रा : एन्जाइम की बहुत सूक्ष्म मात्रा भी अभिकारको की अधिक मात्रा को उत्प्रेरित कर सकती है।  एंजाइम के एक मोल का 1/106 भाग भी अभिक्रिया वेग को 103 से 106 गुना तक बढ़ा देता है।
3. क्रियाविशिष्टता : एंजाइम क्रियाविशिष्ट होते है अर्थात एक विशेष प्रकार का एंजाइम एक विशेष प्रकार की अभिक्रिया को ही उत्प्रेरित करता है जैसे – यूरिया के जल अपघटन के लिए यूरिएज एन्जाइम की आवश्यकता पड़ती है।
4. कोलाइडी प्रकृति : एंजाइम कोलाइडी प्रकृति के होते है अत: विद्युत अपघट्यो की उपस्थिति में इसका स्कंदन हो जाता है।
5. अनुकूलतम ताप व अनुकूलतम pH : वह ताप एवं pH जिस पर एंजाइम की क्रियाशीलता अधिक होती है , वह अनुकूलतम ताप व अनुकुलतम Ph कहलाता है।
एंजाइमो के लिए अनुकूलतम ताप 25 डिग्री सेल्सियस से 37 डिग्री सेल्सियस व अनुकूलतम pH लगभग 7 होती है।
6. एंजाइम वर्धक : एन्जाइम वर्धक की उपस्थिति में एंजाइमो की क्रियाशीलता बढ़ जाती है।
उदाहरण : Na+ , CO2+ , Mn2+ , Fe3+ , Zn2+ , Cu2+ आदि।
7. एंजाइम विष : एन्जाइम विष की उपस्थिति में एंजाइमो की क्रियाशीलता घट जाती है।
उदाहरण : HCN , CS2 आदि।
एंजाइम उत्प्रेरण की क्रियाविधि : एंजाइम उत्प्रेरण की क्रियाविधि को ताला चाबी परिकल्पना (enzyme lock and key model) के आधार पर समझ सकते है।
जिस प्रकार एक विशेष ताले में एक विशेष चाबी लगती है उसी प्रकार एक विशेष प्रकार का एन्जाइम एक विशेष अभिक्रिया को उत्प्रेरित करता है।
एंजाइम उत्प्रेरण की क्रियाविधि को निम्न चरणों द्वारा समझ सकते है –

इस क्रिया विधि के अनुसार एंजाइम में विशेष आकृति के कोटर (छिद्र या खाचे) होते है , इनमे सक्रीय समूह जैसे COOH , SO3H आदि जुड़े होते है तथा अभिकारको में एंजाइम के परिपूर्क आकृति के कोटर होते है।
इस क्रियाविधि में एंजाइम , अभिकारक से मिलकर / जुड़कर एंजाइम अभिकारक संकुल का निर्माण करते है।  यह संकुल , एंजाइम उत्पाद संकुल में बदल जाता है तथा यह संकुल आगे चलकर उत्पाद का निर्माण करता है तथा एंजाइम उसी मात्रा में वापस प्राप्त हो जाता है।

आकार वर्णात्मक उत्प्रेरण (जिओलाइट उत्प्रेरण)

ऐसा उत्प्रेरण जो उत्प्रेरक की रंग संरचना तथा अभिकारक एवं उत्पाद अणुओं के आकार पर निर्भर करता है , आकार वर्णात्मक उत्प्रेरण कहलाता है।
उदाहरण : जिओलाइट।
जिओलाइट एक आकार वर्णात्मक उत्प्रेरक है इसकी संरचना मधुमक्खी के छत्ते के समान होती है।  इसमें बहुत सारे छेद एवं गुहिकाएं पायी जाती है।  इन छेद और गुहिकाओ का आकार 260 pm से 740 pm तक होता है।
इसे एल्युमिनो सिलिकेट भी कहते है क्योंकि इसकी si-o-si इकाइयों में से कुछ सिलिकन परमाणु एल्युमिनियम द्वारा प्रतिस्थापित होकर Al-o-Si ढांचा बनाती है।
जिओलाइट को उत्प्रेरक के रूप में काम में लेने से पहले इसे निर्वात में गर्म करते है इससे छिद्रों में उपस्थित जल के अणु नष्ट हो जाते है तथा सरन्ध्र जिओलाइट प्राप्त होता है।
जब अभिकारक अणु जिओलाइट की सतह पर उत्प्रेरित होने के लिए आते है तो वे अभिकारक अणु जो इसके छिद्रों में समा जाते है , वे उत्प्रेरित हो जाते है लेकिन जो जिओलाइट के छिद्रों में नहीं समा पाते वे उत्प्रेरित नहीं हो पाते है।
अत: एक विशेष आकार के अभिकारक अणुओं का उत्प्रेरण करने के कारण इसे आकार वर्णात्मक उत्प्रेरक कहते है।
जिओलाइट का सामान्य सूत्र –

जिओलाइट के उपयोग

  • कठोर जल को मृदु जल में बदल देना।
  • पेट्रोरसायन उद्योग में हाइड्रोकार्बन के भंजन एवं समावयवन में।
  • ZSM-5 जिओलाइट का उपयोग एल्कोहल को निर्जलीकरण द्वारा पेट्रोल (गैसोलीन) में बदलने में किया जाता है।