कुनैन , सिनकोना (fever bark tree) और हींग (asafoetida in hindi) , वानस्पतिक नाम : Cinchona officinalis
कुनैन , सिनकोना (fever bark tree) :
वानस्पतिक नाम : Cinchona officinalis
कुल : Rubaceac
उपयोगी भाग : स्तम्भ की शुष्क छाल
उत्पत्ति तथा उत्पादक देश
- उपरोक्त पादप की उत्पत्ति दक्षिणी अमेरिका के एंडीस प्रदेश में हुई है।
- भारत जावा तथा इंडोनेशिया को इसका प्रमुख उत्पादक देश माना जाता है।
- भारत में इस पादप के वृक्ष खासी पहाडियों पर तथा दक्षिणी भारत की नील गिरी पर्वत माला पर व मध्य प्रदेश की सतकुडा पर्वत श्रृंखला पर उगाये जाते है।
- भारत में उपरोक्त पादप की कई जातियां पायी जाती है जिनमे से कुछ निम्न है –
(A) Cinchona lejiraya
(B) Co sexiruba
(C) Co Kalisaya
(D) Co Officinalis
पादप की बाह्य आकारिकी
- उपरोक्त पादप का स्तम्भ सीधा तथा सदाबहार होता है।
- पादप मध्य आकार की झाडी नुमा पादप होता है।
- पत्तियां सरल तथा आकार में बड़ी होती है।
- पुष्पक्रम सामान्यत: शीर्ष , रोमील , ससीममाक्षी प्रकार का पाया जाता है।
- इसका फल कैप्सूल प्रकार का होता है तथा पुष्प छोटे पाए जाते है।
- इस पादप से औषधि पादप की स्तम्भ की छाल को सुखाकर प्राप्त की जाती है।
- इसमें मुख्यतः तीस प्रकार के मुख्य एल्केलाइडस पाए जाते है , इनमे से कुछ निम्न प्रकार से है –
(A) Quinine
(B) Quinidine
(C) Cinchonin
(D) Cinchonidine
- प्रमुख एल्केलाइड के अतिरिक्त कुछ अन्य गौण एल्केलोइड भी पाए जाते है , जिनमे से कुछ प्रमुख है –
(A) Hydroquonine
(B) Quinamine
(C) Cinchotine
आर्थिक महत्व
- उपरोक्त पादप से प्राप्त कुनैन औषधि मलेरिया की एक प्रभावी औषधी है क्योंकि इसके द्वारा Plasmodium vivax की schizaont को नष्ट कर दिया जाता है।
- कुनैन को अमीबा पेचिस तथा न्युमोनिया में उपयोग किया जाता है।
- कुनैन एक टॉनिक तथा एंटीप्सोमीक की तरह भी कार्य करता है।
- इस पादप से प्राप्त औषधीय घटिया तथा Ronsilitis में उपयोग किया जाता है।
हानिकारक प्रभाव
- यदि कुनैन को अधिक मात्रा में ग्रहण किया जाए तो इससे बहरापन , सुस्ती , अंधापन , उल्टी तथा गर्भवती स्त्रियों में गर्भ गिरने जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
हींग (asafoetida in hindi)
पादप की आकारिकी
- यह पादप बहुवर्षीय , झाड़ीनुमा पादप होता है।
- इसकी मूल गाजर की आकार की होती है या संकुनुमा होती है , तना सीधा होता है।
- छत्रक प्रकार का पुष्पक्रम पाया जाता है।
- पुष्प एक लिंगी तथा द्विलिंगी होते है।
- सामान्यतया छोटे आकार के होते है।
हींग का रासायनिक संघटन
- व्यवसायिक हींग शुष्क या अर्द्ध शुष्क , हल्की भूरे रंग की या पीले रंग की अकोशिकीय olegoresin होती है।
- इसका स्वाद कडवा तथा लहसुन जैसी तीव्र गंध होती है।
- इसमें किसी प्रकार का एल्केलोइड नहीं पाया जाता है लेकिन रेजिन , गोंद तथा कुछ सगंध तेल पाए जाते है जैसे पाइनिन , अम्बेली फेटिन है।
- हींग का स्वाद Farulic acid के कारण पाया जाता है तथा इसमें पायी जाने वाली तीखी गंध पाईनिन के कारण पायी जाती है।
हींग का औषधीय महत्व
- हिंग कृमीहर , पाचक , मुत्रक , कपोत्तसारक , रेचक , उद्दीपक , वाचीकारक , में उपयोग किया जाता है।
- हिंग को सामान्यत: श्वसन शोध उपरशुल , दांत दर्द , मन्दाग्नि , आफरा , मुर्झा , पेट फूलना , मिर्गी आदि रोगों में उपयोग किया जाता है।
- हींग को प्रमुखत: मसालों के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
- हींग को कुछ आयुर्वेदिक योगो में प्रमुख घटक के रूप में उपयोग किया जाता है , जिसमें से कुछ प्रमुख है – हिगड़ी बटी , योगराज गुग्गलु , हीगवास्टकी चूर्ण।
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