प्रकाश का अपवर्तन , refraction of light class 10 notes in hindi , प्रकाश के अपवर्तन के नियम
प्रकाश का अपवर्तन
जब कोई प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो प्रकाश की किरण अभिलम्ब (normal) की ओर मुड़ जाती है तथा सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करने पर अभिलम्ब (normal) से दूर जाती है इस प्रकार की प्रक्रिया को प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of light) कहते हैं।
जब प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सधन माध्यम में जाती है तो अभिलम्ब (normal) की ओर मुड़ जाती है तथा जब कोई प्रकाश की किरण सधन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है तो अभिलम्ब (normal) से दूर मुड़ जाती है। प्रकाश की किरण का इस विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाने पर अभिलम्ब की ओर तथा सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाने पर अभिलम्ब से दूर मुड़ जाने की प्रक्रिया को प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light) कहते हैं।
उदाहरण: जब एक सिक्के को पानी से भरे टब में रखा जाता है, तो सिक्का टब की तलहट्ठी से थोड़ा उपर दिखाई देता है। यह प्रकाश के अपवर्तन के कारण ही होता है। जब एक पेंसिल को पानी से भरे ग्लास में रखा जाता है, तो यह पानी के अन्तरापस्थ पर टेढ़ी दिखाई देती है। ऐसा प्रकाश के अपवर्तन के कारण होता है।
प्रकाश के अपवर्तन के नियम
1.किसी भी माध्यम पर आपतित होने वाली आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा दो अलग अलग माध्यमों को पृथक करने वाले पृष्ठ के आपतन बिन्दु पर खीचा गया अभिलम्ब (normal) सभी एक ही तल में होते हैं।
2. प्रकाश के किसी निश्चित रंग तथा निश्चित माध्यमों के युग्म के लिये आपतित किरण का अभिलम्ब के साथ बनाया गया आपतन कोण की ज्या (sine) तथा अपवर्तित किरण का अभिलम्ब के साथ बनाया गया अपवर्तन कोण की ज्या (sine) का अनुपात स्थिर होता है। इस नियम को स्नेल का नियम भी कहा जाता हैं।
आपतित किरण का अभिलम्ब के साथ बनाया गया आपतन कोण i हो तथा अपवर्तित किरण का अभिलम्ब के साथ बनाया गया अपवर्तित कोण r हो तब
Sini / sinr = स्थिरांक
इस स्थिरांक मान को दूसरे माध्यम का पहले माध्यम के सापेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं।
अपवर्तनांक
जब प्रकाश की किरण किसी एक माध्यम से दुसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो वह अपने मूल मार्ग से विचलित हो जाती है इस विचलन को अपवर्तनांक के रूप में व्यक्त किया जाता है। प्रकाश की किरणों का किन्हीं दो अलग माध्यमों के युग्म के लिए होने वाले दिशा परिवर्तन के विस्तार को अपवर्तनांक के रूप में व्यक्त किया जाता है।
अभिलम्ब के साथ बनाया गया आपतन कोण की ज्या (sine) तथा अपवर्तित किरण का अभिलम्ब के साथ बनाया गया अपवर्तन कोण की ज्या (sine) का अनुपात स्थिर होता है। इस स्थिर मान को ही अपवर्तनांक कहते है।
अपवर्तनांक तथा प्रकाश की गति
जब प्रकाश की किरण अलग अलग में प्रवेश करती है तो इनकी गति अलग अलग माध्यम में अलग अलग होती है। किन्ही दो अलग अलग माध्यम के लिए प्रकाश की सापेक्ष गति को अपवर्तनांक के रूप दिखाया जाता है। निर्वात अर्थात खाली स्थान में प्रकाश की गति 3×108 m/s होती है जो की सबसे ज्यादा होती है तथा हवा में प्रकाश की गति निर्वात में प्रकाश की गति से थोड़ी कम होती है। सघन माध्यम में प्रकाश की गति विरल माध्यम की तुलना में कम होती है।
किसी एक माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम में प्रकाश का अपवर्तनांक
माना कि प्रकाश किसी विरल माध्यम 1 से दूसरे सधन माध्यम 2 में प्रवेश करता है।
माना कि विरल माध्यम हवा से 1 में प्रकाश की गति, v1 है और सधन माध्यम glass 2 में प्रकाश की गति, v2 है। माध्यम 1 में प्रकाश की गति तथा माध्यम 2 में प्रकाश की गति के अनुपात के रूप में माध्यम 2 का माध्यम 1 के सापेक्ष अपवर्तनांक को व्यक्त किया जाता है। अपवर्तनांक को n21 द्वारा व्यक्त किया जाता है।
n21 = v1 / v2
माध्यम 1 का माध्यम 2 के सापेक्ष अपवर्तनांक
माना कि प्रकाश की किरण माध्यम 2 से माध्यम 1 में जाता है। माध्यम 1 में प्रकाश की गति, v1 है तथा माध्यम 2 में प्रकाश की गति, v2 है। माध्यम 2 में प्रकाश की गति तथा माध्यम 1 में प्रकाश की गति के अनुपात को माध्यम 1 का माध्यम 2 की अपेक्षा अपवर्तनांक को दर्शाया जाता है। इसे प्राय: n12 से दर्शाया जाता है।
n12 = v2 / v1
अपवर्तनांक- जब एक माध्यम निर्वात हो:
किसी माध्यम का निर्वात के सापेक्ष अपवर्तनांक को निरपेक्ष अपवर्तनांक कहा जाता है। इसी के साथ ही इसे निर्वात में प्रकाश की गति तथा माध्यम में प्रकाश की गति के अनुपात को निरपेक्ष अपवर्तनांक कहा जाता है। उदाहरण:
मान कि माध्यम 1 निर्वात है तथा माध्यम 2 कोई अन्य माध्यम है। इस स्थिति में,
दिये गये माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक,
mn = c / v
जहा c = प्रकाश की निर्वात में गति ( 3 * 10^8)
v= प्रकाश की माध्यम में गति
उदाहरण: हवा का अपवर्तनांक 1.0003 होता है। बर्फ का अपवर्तनांक 1.31 होता है। पानी का अपवर्तनांक 1.33 होता है, आदि।
प्रकाशिक घनत्व
किसी माध्यम के दवारा प्रकाश को अपवर्तित करने की क्षमता को प्रकाशिक घनत्व कहा जाता है। द्रव्यमान प्रकाशिक घनत्व के समान नहीं होता है। सघन माध्यम को प्रकाशिक सधन माध्यम भी कहा जा सकता है तथा विरल माध्यम को प्रकाशिक विरल माध्यम भी कहा जाता है।
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