(peanuts in hindi) मूंगफली :
वानस्पतिक नाम : arachis hypogea
कुल : लम्युमीनोसी
उपकुल : poplionatal या फेबेसी
तेल उत्पन्न करने वाला भाग : बिज
उत्पत्ति तथा उत्पादन देश :
(i) प्राचीन स्रोतों के अनुसार मूंगफली की उत्पत्ति ब्राजील (दक्षिणी अमेरिका) से हुई है।
(ii) सामान्यत: मूंगफली की कोई जंगली प्रजाति ज्ञात नहीं है।
(iii) ब्राजील के अतिरिक्त छ: अन्य द्वितीयक तथा तृतीयक उत्पत्ति केंद्र माना गया है।
(iv) मुंगफली को सम्पूर्ण विश्व में शितोषण क्षेत्रो में तथा उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में उगाया जाता है।
(v) मूंगफली का सर्वाधिक उत्पादन भारत के द्वारा किया जाता है वही उत्पादकता के क्षेत्र में चीन दुसरे स्थान पर है।
(vi) सम्पूर्ण विश्व का मूंगफली के सन्दर्भ में सबसे बड़ा निर्यातक देश नाइजीरिया , वही सबसे बड़ा आयातक देश फ़्रांस है।
(vii) भारत में मूंगफली प्रमुखत: गुजरात , आन्ध्र प्रदेश , महाराष्ट्र , तमिलनाडु तथा कर्नाटक आदि में उत्पन्न की जाती है।
मूंगफली के पादप का बाह्य आकारीकी
(i) मूंगफली का तना अर्द्धवायवीय तथा शायान तना होता है।
(ii) पादप का तना मुख्यतः शाखित , शाखीय (हरा तथा एक वर्षीय) होता है।
(iii) उपरोक्त पादपो में मुख्यतः मुसला मूलतंत्र पायी जाती है , जिनमे राइजोबीयम जीवाणु के द्वारा वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थरिकृत किया जाता है।
(iv) मूंगफली के पादप की पत्तियां मुख्यतः संयुक्त पिच्छाकार व विसंयुक्त (चार पर्णफलक पाए जाते है) होती है।
(v) मूंगफली के फल निषेचन के पश्चात् अंत: भुमिक स्थित होते है।
(vi) मूंगफली के फल पादप पर पायी जाने वाली एक विशेष संरचना फलधर या carpophore पर उत्पन्न होती है।
(vii) मूंगफली के बीज में सामान्यतया 43 से 55% प्रोटीन तथा 25 से 28% तेल उपस्थित रहता है।
(viii) मूंगफली में विशेष प्रकार के फल lomentum पाए जाते है।
(ix) मूंगफली सामान्यत: खरीब फसल है जिसे पकने में 100 से 130 दिन लगते है।
(x) प्रति हेक्टर 10 से 15 क्विंटल मूंगफली प्राप्त की जा सकती है।
(xi) एक क्विन्टल में लगभग 70 से 75 किलोग्राम गुलिया प्राप्त होती है।
मूंगफली का तेल
(i) सामान्यतया मूंगफली का तेल अशुष्कन प्रकार का तेल है।
(ii) उपरोक्त तेल सुनहरा पिला तथा रुचिकार गंध युक्त होता है।
(iii) मूंगफली के तेल में विभिन्न प्रकार के वसीय अम्ल पाए जाते है जिनका संघटन निम्न प्रकार है –
(A) ऑलिक अम्ल (oleic acid) : 56%
(B) leuolic acid : 25%
(C) palmetic acid : 6-12%
(iv) वसीय अम्ल के अतिरिक्त मूंगफली के तेल में फास्फोरस तथा विभिन्न प्रकार के विटामिन भी पाये जाते है जो निम्न है –
(A) थायमीन (thiamine)
(B) neocine
(C) riboflavin
(v) मूंगफली के उच्च उत्पादन को प्राप्त करने हेतु कुछ उन्नत प्रकार की फसलो का उपयोग किया जाता है जो निम्न है –
(A) RS-I
(B) RSB-87
(C) AK 12,24
(D) MA-10
(E) गिरनार
(F) चन्द्रा
मूंगफली का आर्थिक महत्व
(i) मूंगफली के बीज अत्यंत पोषक होते है तथा इन्हें खाने से 1 पौंड मूंगफली से 2700 KCal ऊर्जा प्राप्त होता है। (ii) मूंगफली का तेल सामान्यत: खाना पकाने व खाद्य पदार्थो को तलने के लिए किया जाता है।
(iii) मूंगफली के तेल का हाइड्रोजनीकरण करके वनस्पति घी तैयार किया जाता है।
(iv) तेल प्राप्त करने के पश्चात् बचे हुए पदार्थो को खल के रूप में पशुओ हेतु उपयोग किया जाता है , यह पशुओ के लिए अत्यन्त पोषक पदार्थ होता है।
(v) मूंगफली का तेल साबुन उद्योग में सौन्दर्य प्रसादन उद्योग में एक प्रमुख घटक के रूप में उपयोग किया जाता है।
(vi) मूंगफली लग्युमिनैसी कुल का सदस्य है अत: इसकी जडो में राइजोबियम जीवाणु के द्वारा नाइट्रोजन स्थरीकृत किया जाता है अत: भूमि की उर्वरकता को बनाये रखने हेतु इसे अन्य फसल के साथ बोया जाता है। यह प्रक्रम मिश्रित फसल तथा चक्रित फसल के नाम से जाना जाता है।
(vii) मूंगफली में पाए जाने वाले प्रोटीन से एक कृत्रिम रेशा तैयार किया जाता है जिसे ardil के नाम से जाना जाता है।
(viii) अच्छी उन्नत किस्म वाली मूंगफली की खली (खल) को पीसकर मनुष्य हेतु प्रोटीन पूरक तैयार किया जाता है।
(ix) मूंगफली के तेल को कुछ किटनाशी जैसे निकोटिन , rotinone के साथ मिलाकर उनकी विष क्षमता को बढाया जाता है।