हाइड्रोजन (hydrogen in hindi) , आवर्त सारणी में हाइड्रोजन की स्थिति , क्षार धातु से भिन्नता , समस्थानिक
लेवोशिएर ने 1783 में इस गैस का नाम हाइड्रोजन रखा। हाइड्रोजन एक ग्रीक शब्द है –
अर्थात हाइड्रा = जल
जन = उत्पन्न करने वाली
अर्थात जल उत्पन्न करने वाली गैस।
हाइड्रोजन को प्रोटियम भी कहते है जिसका अर्थ है प्रथम। अर्थात हाइड्रोजन आवर्त सारणी का प्रथम तत्व है।
आवर्त सारणी में हाइड्रोजन की स्थिति
Na → Na+ + e–
H2 + Cl2 → 2HCl
F + e– → F– (Ne के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास)
(iv) संयोजकता : हैलोजन के समान हाइड्रोजन की संयोजकता भी 1 होती है।
(v) धातु व अधातु से क्रिया : हैलोजन के समान हाइड्रोजन भी विभिन्न धातु व अधातु से अभिक्रिया कर रस-समीकरणमिती यौगिक बनाता है।
(vi) अधात्विक लक्षण : हैलोजन के समान हाइड्रोजन भी एक अधातु है।
(vii) परमाणुकता : हैलोजन के समान हाइड्रोजन भी द्विपरमाणुक अणु है।
(viii) आयनन एन्थैल्पी : हाइड्रोजन की आयनन एन्थैल्पी भी हैलोजन के समान उच्च होती है।
(ix) एनोड पर मुक्त होना : जब हाइड्रोजन व हैलोजन के क्षार धातुओं से बने लवण का विद्युत अपघटन कराया जाता है तो दोनों ही एनोड पर मुक्त होती है।
[IV] हाइड्रोजन की हैलोजन के साथ असमानता या भिन्नता :
(i) हैलोजन आसानी से हैलाइड आयन बनाता है जबकि हाइड्रोजन केवल क्षार धातुओं व क्षार मृदा धातुओं के साथ बने यौगिकों में ही हाइड्राइड बनाता है।
(ii) हाइड्रोजन की ऑक्सीकरण अवस्था केवल +1 व -1 होती है जबकि हैलोजन की ऑक्सीकरण अवस्था (F के अतिरिक्त) -1 से +7 तक होती है।
(iii) आण्विक अवस्था में हाइड्रोजन पर कोई एकाकी इलेक्ट्रान युग्म नहीं होता है जबकि हैलोजन में तीन एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होते है।
(iv) हैलोजन के ऑक्साइड सामान्यतया अम्लीय होते है जबकि हाइड्रोजन के ऑक्साइड उदासीन होते है।
(v) हाइड्रोजन के बाह्यतम कोश में एक इलेक्ट्रॉन होता है जबकि हैलोजन के बाह्यतम कोश में 7 इलेक्ट्रॉन होते है।
हाइड्रोजन का आवर्त सारणी में विशिष्ट स्थान : आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का स्थान विवादस्पद है क्योंकि हाइड्रोजन की क्षार धातु व हैलोजन से समानता व विभिन्नता के आधार पर आवर्त सारणी में इसे एक निश्चित स्थान देना बहुत कठिन है अत: इसे आवर्त सारणी में अलग से रखा गया है।
हाइड्रोजन के समस्थानिक : हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक है –
प्रोटियम , ड्यूटीरियम , ट्राइटियम।
इनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में समानता के कारण इनकी रासायनिक अभिक्रिया समान होती है लेकिन द्रव्यमानों में अंतर के कारण इनके भौतिक गुण व अभिक्रिया की दर अलग अलग होती है।
ड्यूटीरियम भारी H2 के रूप में जाना जाता है तथा ट्राइटियम रेडियो सक्रीय होते है।
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