लिथियम का असंगत व्यवहार , लिथियम का मैग्नीशियम के साथ विकर्ण सम्बन्ध , सोडियम के यौगिक
- लिथियम परमाणु तथा उसके आयन का आकार छोटा होता है।
- लिथियम की उच्च आयनन ऊर्जा तथा सबसे कम विद्युत धनी प्रकृति होती है।
- d कक्षकों की अनुपस्थिति के कारण यह अधिकतम चार संयोजकता प्रदर्शित कर सकता है।
- लिथियम आयन की ध्रुवण क्षमता अधिक होने के कारण इसके यौगिको में सहसंयोजन गुण अधिक पाए जाते है।
लिथियम का मैग्नीशियम के साथ विकर्ण सम्बन्ध
- लिथियम के गलनांक व क्वथनांक अन्य क्षार धातुओं की तुलना में बहुत अधिक होते है लेकिन Mg से लगभग समान होते है।
- अन्य क्षार धातुओं की तुलना में लिथियम अधिक कठोर धातु है तथा mg भी कठोर धातु है।
- Li तथा Mg ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके समान ऑक्साइड बनाता है जबकि अन्य क्षारीय धातुएं परा ऑक्साइड व सुपर ऑक्साइड बनाती है।
- लिथियम हाइड्रोक्साइड , मैग्निशियम हाइड्रोक्साइड की भाँती दुर्बल क्षार जबकि अन्य क्षारीय धातुओं के हाइड्रोक्साइड प्रबल क्षार होते है।
- Li तथा Mg के कार्बोनेट हाइड्रोक्साइड तथा नाइट्रेट अस्थायी होते है तथा गर्म करने पर विघटित होकर ऑक्साइड बनाते है जबकि अन्य क्षारीय धातुओं के संगत लवण ऊष्मा के प्रति स्थायी होते है।
- Li केवल जलीय विलयन में ही लिथियम हाइड्रोजन कार्बोनेट बनाता है। ठोस अवस्था में लिथियम हाइड्रोजन कार्बोनेट तथा मैग्नीशियम हाइड्रोजन कार्बोनेट का कोई अस्तित्व नहीं होता है जबकि अन्य क्षारीय धातुओं के ठोस हाइड्रोजन कार्बोनेट का अस्तित्व होता है।
- अन्य क्षार धातुओं से भिन्न लिथियम तथा मैग्निशियम , नाइट्रोजन से संयोग कर नाइट्राइड बनाती है।
2Na + H2 → 2NaH
- लिथियम तथा मैग्नीशियम के लवण जल में अविलेय होकर या आंशिक विलय होते है जबकि अन्य क्षारीय धातुओं के लवण जल में पूर्ण रूप से विलेय होते है।
उपयोग
- Li-Al मिश्र धातु की उच्च तनन क्षमता होती है अत: यह वायुयान के निर्माण में काम में आता है।
- Li-Mg मिश्र धातु अत्यधिक कठोर तथा जंग रोधक होता है।
- लिथियम का उपयोग प्राथमिक तथा द्वितीयक विद्युत रासायनिक सेलो में किया जाता है।
सोडियम के महत्वपूर्ण यौगिक
NH4HCO3 + NaCl → NH4Cl + NaHCO3
(b) सोडियम बाई कार्बोनेट को 150 डिग्री सेल्सियस ताप पर गर्म करते है तो सोडियम कार्बोनेट प्राप्त होता है।
2NaHCO3 → Na2CO3 + H2O + CO2
कार्बन डाई ऑक्साइड को गर्म करके निकाल दिया जाता है।
ii. NH4Cl की लाइम स्टोन से क्रिया कराते है तो अमोनिया प्राप्त होती है जिसे पुनः प्रयोग में लिया जा सकता है।
Ca(OH)2 + 2NH4Cl → CaCl2 + 2NH3 + 2H2O
इस प्रक्रम में कैल्शियम क्लोराइड (CaCl2) सह उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है।
नोट : इस विधि (साल्वे विधि) के द्वारा पोटेशियम कार्बोनेट (K2CO3) का निर्माण नहीं किया जा सकता क्योंकि पोटेशियम हाइड्रोजन कार्बोनेट (KCl) विलयन में विलेय होता है।
गुण :
- यह श्वेत क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ है तथा जल में अत्यधिक विलय होता है।
- इसे धावन सोडा भी कहते है जो डेका हाइड्रेट के रूप में पाया जाता है।
- ताप का प्रभाव –
Na2CO3.H2O → Na2CO3 + H2O (373K temperature)
- सोडियम कार्बोनेट का जलीय विलयन क्षारीय होता है।
- अम्ल से क्रिया :-
- कास्टिक सोडा (NaOH) ग्लास , साबुन आदि के निर्माण में।
- जल के मृदुकरण में।
- धातु कार्बोनेट बनाने में।
- Na2CO3 + K2CO3 के मिश्रण को गलन मिश्रण कहते है , इस मिश्रण का उपयोग गुणात्मक विश्लेषण में अभिकर्मक के रूप में किया जाता है।
2. सोडियम क्लोराइड (NaCl)
, MgCl2 , Na2SO4 , CaSO4 आदि की अशुद्धियाँ पायी जाती है।
- NaCl श्वेत क्रिस्टलीय ठोस है।
- CaCl2 व MgCl2 की अशुद्धि के कारण यह प्रस्वेद होता है।
- ताप बढाने पर विलेयता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
- साधारण नमक के रूप में।
- साबुन निर्माण में।
- खाद्य पदार्थो के संरक्षण में।
3. सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH)
H2O → H+ + OH–
2Cl → Cl2 + 2e–
Na + Hg → Na-H (सोडियम अम्लगम)
- NaOH सफ़ेद ठोस पदार्थ है।
- यह जल में अत्यधिक विलेय होता है अत: इसका जलीय विलयन क्षारीय होता है।
- यह वायुमंडल से कार्बन डाई ऑक्साइड को अवशोषित करके Na2CO3 बनाता है।
- 1300 डिग्री सेल्सियस ताप पर NaOH अपघटित हो जाता है।
- साबुन कागज़ तथा कई रसायनों के निर्माण में।
- प्रयोशाला में अभिकर्मक के रूप में।
- शुद्ध वसा व तेलों के निर्माण में।
- पेट्रोलियम के परिष्करण में।
4. सोडियम बाई कार्बोनेट (NaHCO3)
- यह अग्निशमन यन्त्र में कार्बन डाई ऑक्साइड उत्पन्न करने के कारण उपयोग में लिया जाता है।
- यह चर्म रोग में मंद पूतिरोधी के रूप में आता है।
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