पर्यावरण , वायु प्रदूषण (air pollution) , भू मण्डलीय ताप वृद्धि तथा हरित गृह प्रभाव , अम्ल वर्षा
1. क्षोभमण्डल (troposphere)
2. समताप मण्डल (stratosphere)
3. ओजोन मंडल (ozonosphere)
4. आयन मण्डल (mesosphere )
5. मध्य मण्डल
पर्यावरण प्रदुषण
1. वायु प्रदूषण (air pollution)
- प्राथमिक प्रदूषक : वे प्रदूषक जो वातावरण में ज्ञात प्रत्यक्ष श्रोतो से निष्कासित होते है तथा उसी अवस्था में अधिक समय तक स्थिर रहते है , प्राथमिक प्रदूषक कहलाते है। उदाहरण : सल्फर डाईऑक्साइड , हाइड्रोकार्बन आदि।
- द्वितीयक प्रदूषक : वे प्रदूषक जो प्राथमिक प्रदूषको की आंतरिक क्रियाओं से बनते हो या वायुमण्डल के साथ अभिक्रियाओं से निर्मित हो द्वितीयक प्रदूषक कहलाते है।
- सल्फर के ऑक्साइड : जीवाश्म इंधन के दहन के परिणाम स्वरूप सल्फर के ऑक्साइड प्राप्त होते है , इसमें मुख्यतः SO2 है। यह मनुष्य व जंतुओं के लिए विषैली होती है। जब SO2 की क्रिया ऑक्सीजन के साथ की जाती है तो सल्फर ट्राई ऑक्साइड (SO3) प्राप्त होती है।
2SO2 + O2 → 2SO3
SO2 + H2O2
→ H2SO4
- नाट्रोजन ऑक्साइड : उच्च ताप पर नाइट्रोजन व ऑक्सीजन परस्पर क्रिया करके नाइट्रोजन के ऑक्साइड बनाती है।
- कार्बन ऑक्साइड : कार्बन के तीन ऑक्साइड होते है।
- हाइड्रो कार्बन : स्वचलित वाहनों के ईंधन के अपूर्ण दहन से हाइड्रोकार्बन का निर्माण होता है , अधिकतम हाइड्रो कार्बन कैंसर को जन्म देते है।
भू मण्डलीय ताप वृद्धि तथा हरित गृह प्रभाव
हरित गृह प्रभाव (green house effect)
हरित गृह प्रभाव के परिणाम
हरित गृह प्रभाव के संरक्षण के उपाय तंत्र
- वृक्षारोपण अधिक से अधिक किया जाना चाहिए।
- विश्व की जनसंख्या वृद्धि पर रोक होनी चाहिए।
- जीवाश्म ईंधन के स्थान पर सौर ऊर्जा , पवन ऊर्जा आदि का उपयोग होना चाहिए। स्वचालित वाहनों में पेट्रोल , डीजल के स्थान पर CNG व LPG का उपयोग होना चाहिए।
- मोलर व गोबर गैस प्लान को बढ़ावा देना चाहिए।
- अधिक से अधिक पशुपालन होना चाहिए।
- c.t.c. पर प्रतिबन्ध होना चाहिए।
acid rain (अम्ल वर्षा)
H2CO3 → 2H+ + CO32-
4NO2 + O2 + 2H2O → 4HNO3
अम्लीय वर्षा के दुष्प्रभाव
- जलीय प्राणियों की मृत्यु।
- पेड़ पौधों की वृद्धि में गिरावट।
- ताम्बा , सीसा आदि घातक तत्वों का पानी में मिल जाना।
- अम्लीय वर्षा से जमीन की मिटटी में उपस्थित तत्व वर्षा के साथ बह जाते है जिससे मिट्टी की उर्वरक शक्ति में कमी हो जाती है।
- अम्लीय वर्षा से संगमरमर , चूने के पत्थरों से बनी इमारतों व स्मारकों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है क्योंकि H2SO4 व HNO3 दोनों ही चुने के पत्थर से क्रिया कर लेते है।
CaCO3 + 2HNO3 → Ca(NO3)2 + H2SO4
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