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प्रसार कार्य (work of expansion) , ऊष्मा धारिता , स्थिर आयतन , दाब पर ऊष्मा धारिता , ऊष्मा या एन्थैल्पी मापन ,

(work of expansion) प्रसार कार्य : ठोस तथा द्रव में प्रसार कार्य गैसों की अपेक्षा बहुत कम होता है , अत: प्रसार कार्य की गणना सामान्यतया गैसों के लिए की जाती है।

गैसीय तंत्र के प्रसार से उसके आयतन में वृद्धि होती है जिससे तंत्र को दाब के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है  परिवेश में उत्पन्न इस कार्य को प्रसार कार्य कहते है।
प्रसार कार्य में दाब के विरुद्ध आयतन में वृद्धि होती है अत: प्रसार कार्य को दाब आयतन कार्य भी कहते है।
प्रसार कार्य की गणना के लिए एक भारहीन , घर्षणहीन पिस्टन लगा सिलेंडर लिया जाता है जिसमें एक आदर्श गैस की निश्चित मात्रा , दाब P पर भरी जाती है।
गैस दाब P के कारण पिस्टन ऊपर की ओर सरकता है , पिस्टन को संतुलित करने के लिए माना उस पर बाह्य बल F लगाया जाता है।
यदि पिस्टन की अनुप्रस्थ काट A हो तो बाह्य बल F = P x A
इस अवस्था में प्रतिरोधी दाब गैस के दाब के बराबर है।
माना की प्रतिरोधी दाब में अनंत सूक्ष्ममात्र dp की कमी कर दी जाती है तो पिस्टन अनंत सूक्ष्म दूरी dl ऊपर की ओर सरकता है अर्थात गैसीय तंत्र को अपने परिवेश पर अनन्त सूक्ष्म कार्य dw करना पड़ता है।
कार्य = बल x विस्थापन (दूरी)
कार्य = प्रतिरोधी दाब x क्षेत्रफल x विस्थापन (दूरी)
कार्य = (P – dp) x A x dl
चूँकि क्षेत्रफल x दूरी = आयतन
अर्थात A x dl = dV
अत:
कार्य = (P – dp) x dV
dW = PdV – dP.dV
dP तथा dV अनंत सूक्ष्म दाब परिवर्तन तथा आयतन परिवर्तन है अत: dP.dV के गुणनफल को अत्यंत सूक्ष्म मानते हुए उपेक्षा कर दी जाती है अर्थात इस मान को छोड़ा जा सकता है –
अत: dW = PdV
यदि प्रसार पहले गैस का आयतन V1 तथा प्रसार के बाद आयतन V2 हो तो गैस का सम्पूर्ण प्रसार कार्य
माना सिलेंडर में आदर्श गैस के n मोल उपस्थित है अत:
PV = nRT
अत:
यह मान समीकरण 1 में रखकर हल करने पर
 1 मोल आदर्श गैस के लिए
PV = स्थिरांक
P1V1 = P2V2
P1/P2 = V2/ V1
समीकरण में V2/ V1 का मान रखने पर

ऊष्मा धारिता (C)

किसी तंत्र द्वारा ग्रहण की गयी ऊष्मा उसके ताप में वृद्धि के रूप में परिलक्षित होती है तथा ताप में वृद्धि उस तंत्र में ग्रहण की गयी ऊष्मा के समानुपाती होती है।
ऊष्माधारिता को ‘C’ से व्यक्त करते है।
q  ∝ △T
q = C.△T
ऊष्मा धारिता दो प्रकार की होती है –
1. स्थिर आयतन पर ऊष्माधारिता (Cv) : स्थिर आयतन पर ताप के साथ आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन की दर को स्थिर आयतन पर तंत्र की ऊष्मा गतिकी कहते है।
2. स्थिर दाब पर ऊष्मा धारिता (Cp) : स्थिर दाब पर ताप के साथ एंट्रोपी में परिवर्तन की दर को स्थिर दाब पर तंत्र की ऊष्मागतिकी कहते है।
स्थिर आयतन पर ऊष्माधारिता (Cv) और स्थिर दाब पर ऊष्मा धारिता (Cp) में सम्बन्ध  निम्न है –
R = Cp – Cv

△E (△U) तथा △H का मापन

रासायनिक तथा भौतिक प्रक्रमों से सम्बन्धित ऊर्जा परिवर्तन को जिस प्रायोगिक तकनिकी द्वारा ज्ञात किया जाता है उसे उसे कैलोरीमीती कहते है।
कैलोरीमिति प्रक्रम एक पात्र में किया जाता है उसे कैलोरीमीटर कहते है।

△E (△U) का मापन

रासायनिक अभिक्रिया के लिए स्थिर आयतन पर अवशोषित ऊष्मा का मापन बम कैलोरीमीटर द्वारा किया जाता है।
बम कैलोरी मीटर एक स्टील का पात्र होता है जो जल में डूबा हुआ होता है , स्टील बम में ऑक्सीजन प्रवाहित कर ज्वलनशील पदार्थ को जलाया जाता है जिससे अभिक्रिया में ऊष्मा उत्पन्न होती है तथा यह उत्पन्न ऊष्मा जल में चली जाती है जिससे जल गर्म हो जाता है।  इस गर्म जल का ताप ज्ञात कर लिया जाता है।
बम कैलोरी मीटर पूर्णतया बंद पात्र होता है अत: इसके आयतन में कोई परिवर्तन नहीं होता है तथा कोई कार्य नहीं किया जाता है।
गैसों से सम्बन्धित रासायनिक अभिक्रिया में भी कोई नहीं होता है क्योंकि △U = 0

 

△H का मापन

स्थिर दाब पर ऊष्मा परिवर्तन कैलोरीमीटर द्वारा मापा जाता है।
स्थिर दाब पर उत्सर्जित अथवा अवशोषित ऊष्मा अभिक्रिया ऊष्मा अथवा अभिक्रिया एन्थैल्पी (△H) कहलाती है।
ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया में ऊष्मा मुक्त होती है तथा तंत्र से परिवेश में ऊष्मा का प्रवाह होता है इसलिए अवशोषित ऊष्मा (qp) ऋणात्मक होता है अत: △H भी ऋणात्मक होता है।
ऊष्माशोषी अभिक्रिया में ऊष्मा अवशोषित होती है अत: अवशोषित ऊष्मा व △H धनात्मक होते है।
अभिक्रिया की मानक एन्थैल्पी : किसी रासायनिक अभिक्रिया में मानक एन्थैल्पी वह एन्थैल्पी परिवर्तन है जब अभिक्रिया में भाग लेने वाले सभी पदार्थ अपनी मानक अवस्थाओं में होते है।
मानक विरचन एन्थैल्पी : किसी यौगिक के एक मोल को उसके ही तत्वों में विरचित करने पर होने वाला मानक एन्थैल्पी परिवर्तन उसकी मानक मोलर विरचन एन्थैल्पी कहलाता है।
मानक दहन एन्थैल्पी : दहन अभिक्रियाएँ प्रकृति से ऊष्माक्षेपी होती है , किसी पदार्थ की प्रतिमोल वह एन्थैल्पी जो इसके दहन के फलस्वरूप होता है दहन एन्थैल्पी कहलाता है।
जब समस्त अभिक्रिया कारक एवं उत्पाद एक विशिष्ट ताप पर अपनी मानक अवस्थाओं में होते है तो पदार्थ के प्रतिमोल दहन के फलस्वरूप एन्थैल्पी में होने वाला परिवर्तन मानक दहन एन्थैल्पी कहलाता है।
कणन एंथैल्पी : गैसीय अवस्था में किसी भी पदार्थ के एक मोल में उपस्थित बन्धो को पूर्णतया तोड़कर परमाणुओं में बदल कर होने वाला एन्थैल्पी परिवर्तन कणन एन्थैल्पी कहलाता है।
विलयन एन्थैल्पी : किसी पदार्थ की विलयन एन्थैल्पी वह एंथैल्पी परिवर्तन है जो इसके एक मोल को विलयन की उचित मात्रा में घोलने पर होता है।
विशिष्ट ऊष्मा : वह ऊष्मा जो इकाई द्रव्यमान के किसी पदार्थ या विलयन का ताप 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ाने के लिए आवश्यक होती है , विशिष्ट ऊष्मा या विशिष्ट ऊष्मा धारिता कहलाती है।
बंध वियोजन एन्थैल्पी : किसी गैसीय सहसंयोजक यौगिक के 1 मोल बंध टूटकर गैसीय उत्पाद बनने की प्रक्रिया में होने वाले एंथैल्पी परिवर्तन बंध वियोजन एन्थैल्पी कहलाता है।
उदासीनीकरण एन्थैल्पी : 1 ग्राम तुल्यांक अम्ल को एक ग्राम तुल्यांक क्षार द्वारा उदासीन करने पर उत्सर्जित होने वाली ऊष्मा को उदासीनीकरण ऊष्मा या उदासीनीकरण एन्थैल्पी कहते है।
प्रबल अम्ल और प्रबल क्षार के मध्य उदासीनीकरण ऊष्मा का मान हमेशा नियत रहता है।
ऊर्ध्वपातन एन्थैल्पी : किसी ठोस पदार्थ को सीधे ही वाष्प अवस्था में परिवर्तित करने के लिए दी गयी ऊष्मा ऊर्ध्वपातन उष्मा या ऊर्ध्वपातन एन्थैल्पी कहलाती है।