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कार्बन की परिभाषा क्या है , कार्बन का अपरूप है what is carbon in hindi carbon किसे कहते है ?

what is carbon in hindi , कार्बन की परिभाषा क्या है , कार्बन का अपरूप है , carbon किसे कहते है ? संयोजकता कितनी होती है ? :-
इस अध्याय में हम कार्बन से जुड़े सभी गुणों का अध्ययन करेंगे
कार्बन = C (प्रतीक)
परमाणु क्रमांक= 6
कार्बन के परमाणु में इलेक्ट्रान का वितरण 2,4 तरीके से होता है |
कार्बन के नाभिक में
2 इलेक्ट्रान और बाहरी कोश में 4 इलेक्ट्रान होते है
| कार्बन संतुलित होने के लिए 4 इलेक्ट्रान
या तो किसी और परमाणु से लेंगा  या फिर 4
इलेक्ट्रान किसी और परमाणु को दे देंगा
|लेकिन 6 इलेक्ट्रान वाले परमाणु के लिए 4
इलेक्ट्रान लेकर 10 इलेक्ट्रान रखना कठिन होता है और 4 इलेक्ट्रान देकर 2
इलेक्ट्रान रखना भी आसान नहीं होता क्योकि इसके लिए बहुत ऊर्जा की जरूरत होती है
|
कार्बन अन्य तत्व के
परमाणु के साथ या फिर अपने अन्य परमाणु के साथ इलेक्ट्रान की साझेदारी कर अणुओ का
निर्माण करते है
|
कार्बन यौगिक विधुत के कुचालक होते है और इनका गलनाक भी कम होता है |
सह्सयोजी आबंध= 2  परमाणुओं के
बीच इलेक्ट्रान की साझेदारी से बनने वाले बंध को सह्सयोजी आबंध कहते है 
|
इलेक्ट्रान की साझेदारी के अनुसार इसे 3 प्रकार में बांटा गया है |
1.एकल आबंध = 2 परमाणुओं के बीच 1-1 इलेक्ट्रान की साझेदारी से बनने
वाले बंध को  एकल आबंध कहते है
| ex
H2 ,Cl2 etc.
Oval: H हाइड्रोजन के बाहरी कोश में 1 इलेक्ट्रान
होता है और उसे संतुलित होने के लिए 1 इलेक्ट्रान की जरूरत होती है  इ्सलिये हाइड्रोजन परमाणु का एक इलेक्ट्रान
दुसरे हाइड्रोजन  परमाणु के एक इलेक्ट्रान
से बंध बनाकर अपना अष्टक सम्पुर्ण कर लेता है
|
                              H
   H-H
2.द्रिआबंध=2 परमाणुओं के बीच 2 इलेक्ट्रान की साझेदारी से बनने वाले
बंध को द्रिआबंध कहते है
| ex O2 etc .
ऑक्सीजन के बाहरी कोश में 6 इलेक्ट्रान होते है
और ऑक्सीजन को अपना अष्टक  पुर्ण करने के 2
इलेक्ट्रान की ज़रुरत होती है और ऑक्सीजन अपने अन्य ऑक्सीजन के साथ 2 इलेक्ट्रान की
साझेदारी कर द्रिआबंध का निर्माण करता है
|
                              

 

   O=O
3.त्रिआबंध=2 परमाणुओं के बीच 3 इलेक्ट्रान की साझेदारी से बनने वाले
बंध को त्रिआबंध कहते है
| EX N2 etc.
नाइट्रोजन के बाहरी कोश में 5 इलेक्ट्रान होते है और एक नाइट्रोजन
दुसरे नाइट्रोजन के तीन इलेक्ट्रान के साथ बंध बनाकर दोनों नाइट्रोजन परमाणु अपना
अष्टक पूर्ण कर लेते  है
|
                       
कार्बन के अपररूप=
किसी तत्व के अलग-अलग रूप जिनकी भौतिक गुण तो अलग-अलग होते है परन्तु
रासायनिक गुणधर्म सामान होते है वे उस तत्व के अपररूप कहलाते है
|
अपररूप प्रकार के होते है
1.हीरा
2.ग्रेफाइट
3.फुलरीन
1.हीरा

हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु , अन्य चार कार्बन परमाणुओं के साथ बंधित
होकर ठोस त्रिआयामी चतुश्फल्कीय संरचना बनाता है
| ये कार्बन का सबसे कढोर रूप है इसलिए इस
अपररूप का use ग्लास को काटने के लिए किया जाता है | दो
 Cबंध के मध्य दुरी 1.54 एंग्सट्राम होती है| ये विधुत के कुचालक
है क्योकि प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य चार कार्बन परमाणु से बंधित होने से बाहरी कोश
में कोई इलेक्ट्रान मुक्त नहीं होते है
|ये अति चमकीला अपररूप है |                           

ग्रेफाइट

ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु , अन्य 3 कार्बन परमाणु के साथ एक ही तल में बंध बनाते हुए ष्टकोणीय वलय परत संरचना बनाता है|ग्रेफाइट की परतो के मध्य दुर्बल बंध होने तथा दुरी अधिक होने के कारण एक परत , दूसरी परत पर फिसल सकती हैइसीलिए ग्रेफाइट को शुष्क स्नेहक के रूप में उपयोग में लेते है | प्रत्येक कार्बन परमाणु , अन्य 3 कार्बन परमाणु से बंधा होने के कारण मुक्त इलेक्ट्रान उपस्थित होते है तथा ग्रेफाइट की परतो के मध्य स्थान होने से विधुत का सुचालक होता है|ये काले धूसर रंग का मुलायम पदार्थ है|इसका उपयोग पेंसिल , शुष्क स्नेहक , इलेक्ट्रोड बनाने में , लोहे कीवस्तुओ पर पोलिश करने में होता है |पंकिल मे काले rand का प्रदाथ , काले रंग की ग्रीस और सेल मे काले रंग के रोड ग्रेफाइट का उदाहरन है | in सभी को आपने ने कभी कभी देखा होगा |  
फुलरीन
1.फुलरीन की आकार फुटबॉल की तरह होती है इसलिए इसे बकीबॉल भी कहते है|
2. अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार बकमिन्स्टर फुलर के नाम पर फुलरीन का नाम रखा गया | क्योकि इस अपररूप की खोज बकमिन्स्टर फुलर ने की थी |
3.फुलरीन के एक अणु में 60 , 70 या अधिक कार्बन परमाणु पाए जाते है | जो की आपस मे चतुकोनीय सरचना बनता है |
4. C60 सबसे अधिक स्थायी फुलरीन है इसे बकमिन्स्टर फुलर भी कहते है|
5. C60 की संरचना में 32 फलक होते है , जिसमे 20 फलक ष्टकोणीय तथा 12 फलक पंचकोणीय होते है|
6. C60 विधुत का कुचालक है क्योकि इसमें कार्बन के कोई भी इलेक्ट्रान free नहीं होता है |  इसमें Cबंध लम्बाई 1.40 एंग्सट्राम होती है|
फुलरीन का उपयोग
प्राकृतिक गैस के शुद्धिकरण में,आणविक बेअरिंग में आदि में होता है |
श्रृंखलन
कार्बन के द्वारा कार्बन के ही दूसरे परमाणुओं के साथ सहसंयोजी बंध
बनाकर श्रृंखला का निर्माण श्रृंखलन
कहलाता है। कार्बन में कार्बन के परमाणु
के साथ ही श्रृंखला बनाने की क्षमता है
, इस क्षमता के कारण कार्बन के परमाणु दूसरे कार्बन
के परमाणु के साथ बंध बनाकर सीधी लम्बी श्रृंखला के अलावा विभिन्न शाखाओं वाली
श्रृंखला तथा वलय के आकार में श्रृंखला का निर्माण करता है। कार्बन के परमाणुओं के
साथ साथ दूसरे तत्वों के परमाणुओं के साथ भी बंध बनाकर यौगिक का निर्माण करता है।कार्बन
की इस गुण के कारन ही कार्बन के योगिक का use सबसे ज्यादा होता है |
हाइड्रोकार्बन को दो प्रकार में  बाँटा गया है
संतृप्त हाइड्रोकार्बन
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
संतृप्त हाइड्रोकार्बन
ऐसे कार्बन के यौगिक जिसमें कार्बन कार्बन की श्रृंखला में केवल एकल
बंध होते हैं संतृप्त हाईड्रोकार्बन कहलाते हैं। EX मिथेन [
(CH4)], इथेन [(C2H6)] etc
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
ऐसे कार्बन के यौगिक जिसमें कार्बन कार्बन की श्रृंखला में द्रिबंध या
त्रिबंध होते हैं असंतृप्त हाईड्रोकार्बन कहलाते हैं। ex एथीन [(
C2H4)], etc

कार्बन एवं उसके यौगिक

 कार्बन एक अधातु है। इसकी परमाणु संख्या 6 है तथा इसे आधुनिक आवर्त सारणी के वर्ग में रखा गया है। इसे संकेत द्वारा सूचित किया जाता है। इसका परमाणु भार (12) है। इसे द्वारा दर्शाया जाता है।

 कार्बन एक अक्रिय तत्व है, जो मुक्तावस्था एवं संयुक्त दोनों में पाया जाता है।

 अपरूपताः ऐसे पदार्थ जिनके रासायनिक गुण समान एवं भौतिक गुण भिन्न हों ‘अपरूप‘ कहलाते हैं और इस घटना को ‘अपरूपता‘ कहते हैं। कार्बन के दो मुख्य अपरूप हैंः (प) हीरा, (पप) ग्रेफाइट।

हीरा

 प्रमुख गुणः यह ताप एवं विद्युत् का कुचालक है। यह विश्व का सबसे कठोर पदार्थ है, यह किसी भी द्रव में नहीं घुलता है। इस पर अम्ल, क्षार आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

 इसके रवे घनाकार होते हैं।

 इसका अपवर्तनांक 2.417 होता है, अतः पूर्ण परावर्तन के कारण यह बहुत चमकता है। रेडियम से निकलने वाली – किरणों के पड़ने पर यह रंग प्रदर्शित करता है।

 कुछ हीरे काले होते हैं, जिन्हें बोर्ट कहते हैं।

ग्रेफाइट

 प्रमुख गुणः यह विद्युत्-सुचालक होता है। इसका आपेक्षिक घनत्व 2.2 होता है। कागज पर रगड से यह उस पर काला निशान बना देता है, अतरू इसे काला शीशा भी कहते हैं। ग्रेफाइट का उपयोग पेन्सिल बनाने में, परमाणु भट्टी में, इलेक्ट्रोड तथा कार्बन आर्क बनाने में किया जाता है।

 हाइड्रोकार्बनः कार्बन एवं हाइड्रोजन के यौगिक को हाइड्रोकार्बन कहते हैं। हाइड्रोकार्बन का एक प्राकृतिक स्रोत पेट्रोलियम (कच्चा तेल) है, जिसे प्रकृति द्वारा पृथ्वी में कुछ विशेष प्रकार के अवसादी चट्टानों के बीच बने भण्डारों में संरक्षित किया गया है। हाइड्रोकार्बन तीन प्रकार के होते हैंः

(i)  संतृप्त हाइड्रोकार्बनः जिस हाइड्रोकार्बन में प्रत्येक कार्बन परमाणु की चारों संयोजकताएं एक सहसंयोजी आबन्धों द्वारा सन्तुष्ट होती हों, उसे संतृप्त हाइड्रोकार्बन या एल्केन कहते हैं। एल्केन श्रेणी को सामान्य सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है, जहां किसी अणु में उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या है। मीथेन, ईथेन, प्रोपेन, ब्यूटेन आदि एल्केन के प्रमुख उदाहरण हैं।

(ii)  असंतृप्त हाइड्रोकार्बनः वे हाइड्रोकार्बन जिनमें कमसे-कम दो निकटस्थ कार्बन परमाणु आपस में द्वि बन्ध अथवा त्रिबन्ध बनाकर अपनी संयोजकता को सन्तुष्ट करते हैं, असंतृप्त हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं।

 द्विबन्ध वाले असंतृप्त हाइड्रोकार्बन को एल्कीन कहते हैं। ये हाइड्रोकार्बन मुख्यतः पेट्रोलियम से भंजन की प्रक्रिया द्वारा प्राप्त किए। जाते हैं, जैसे – एथीन, प्रोपीन, ब्यूटीन आदि।

 एल्कीन श्रेणी का सामान्य रासायनिक सूत्र है। इस श्रेणी का पहला सदस्य एथिलीन है। त्रिबन्ध वाला अंसतृप्त हाइड्रोकार्बन एल्काइन कहलाता है। एल्काइन का सामान्य रासायनिक सूत्र है। सबसे सरल एल्काइन एसिटिलीन  अथवा है।

ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बनः बेन्जीन सरलतम ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बन है। इसकी संरचना वलयाकार होती है।

 समावयवताः जब दो या दो से अधिक यौगिकों के अणुसूत्र समान होते हैं, परन्तु उनके गुण भिन्न-भिन्न होते हैं, तब इस विशेष गुण को समावयवता कहते हैं और प्राप्त यौगिक एक-दूसरे के समावयवी कहलाते हैं।

ऐल्कोहॉलः वस्तुतः ऐल्कोहॉल समजातीय श्रेणी के सदस्य हैं और इनका सामान्य सूत्र है। सामान्य ऐल्कोहॉल अधिकांशतः द्रव है। ऐल्कोहॉल, सोडियम के साथ अभिक्रिया कर हाइड्रोजन का निर्माण करता है। ऐल्कोहॉल आसानी से जलते हैं तथा विद्युत् के कुचालक हैं।

मेथेनॉलः इसे मिथाइल ऐल्कोहॉल के नाम से भी जाना जाता है। मीथेन में एक हाइड्रोजन परमाणु को हाइड्रॉक्सिल ग्रुप द्वारा प्रतिस्थापित कर मेथेनॉल की प्राप्ति होती है।

 वायु की अनुपस्थिति में काष्ठ को गर्म करने पर मेथेनॉल एक उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है। मेथेनॉल विषाक्त होता है और एथेनॉल में मिलाकर इससे स्पिरिट बनायी जाती है। इसका, उपयोग विलायक, परफ्यूम तथा कृत्रिम रेशा बनाने में होता है।

एथेनॉलः इथेन के एक को हाइड्रोक्सिल द्वारा प्रतिस्थापित कर एथेनॉल बनाया जाता है। सभी प्रकार के एल्कोहलों में एथेनॉल सर्वाधिक उपयोगी है।

 एथेनॉल या इथाइल – ऐल्कोहॉल बीयर, वाइन, ह्विस्की तथा अन्य शराबों का मुख्य घटक है। इसका उपयोग सिरिंजों को रोगाणु-मुक्त करने तथा घावों को सुखाने में होता है। ऐल्कोहॉल तथा जल के मिश्रण का हिमांक जल के हिमांक से बहुत कम होता है।

 कार्बनिक अम्लः कार्बनिक अम्लों का निर्माण ऐल्कोहॉल के ऑक्सीकरण द्वारा किया जा सकता है। कार्बनिक अम्लों में कार्बोक्सिलिक अम्ल ग्रुप- होते हैं।

 ये सभी अम्ल द्रव रूप में पाए जाते हैं, फिर भी अधिक कार्बन परमाणुओं वाले अधिकांश अम्ल ठोस अवस्था में पाए जाते हैं तथा वसा अम्लों के नाम से जाने जाते हैं। कार्बनिक अम्लों का उपयोग औषधियों, खाद्य पदार्थों, हल्के अम्लों, सुगंधित इत्रों तथा साबुन के निर्माण में होता है।

एस्टरः एस्टर ऐसे यौगिक को कहते हैं, जिसमें अभिलक्षकीय समूह    होता है। कार्बनिक अम्ल जब सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में ऐल्कोहॉल के साथ प्रतिक्रिया करते हैं, तब एस्टर का निर्माण होता है। एस्टरों की गंध फलों के समान होती है और इनका उपयोग शीतल पेयों, आइसक्रीम, मिष्ठानों तथा सुगंधित द्रव के निर्माण में होता है।