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इलेक्ट्रॉन की खोज , प्रोटॉन की खोज , न्यूट्रॉन की खोज कब और किसने की थी ? who invented electron , proton , neutron

1. इलेक्ट्रॉन की खोज : इसकी खोज जे जे थोमसन ने 1897 में की थी।

कैथोड किरण नलिका काँच की बनी हुई होती है इसमें धातु के दो पतले टुकड़े होते है जिन्हें इलेक्ट्रोड कहते है , जब इलेक्ट्रोडो पर उच्च वोल्टता लागू की जाती है तो नलिका में कणों की धारा के द्वारा ऋणात्मक इलेक्ट्रोड से धनात्मक इलेक्ट्रोड की ओर विद्युत प्रवाह होता है इसे कैथोड किरण या कैथोड कण कहते है।
कैथोड से एनोड तक विद्युत धारा के प्रभाव को देखने के लिए एनोड में छिद्र अथवा एनोड के पीछे नलिका पर ZnS का लेप किया जाता है।
जब ये किरणें एनोड के छिद्र में से गुजरकर ZnS की परत पर टकराती है तो वहां एक चमकीला चिन्ह बन जाता है।
प्रयोग का परिणाम :
  • एनोड किरणें कैथोड से प्रारंभ होकर एनोड की ओर गमन करती है।
  • ये किरणें स्वयं दिखाई नहीं देती है परन्तु इनके व्यवहार को गैसों तथा कुछ निश्चित प्रकार के पदार्थों की उपस्थिति में देखा जा सकता है।
  • विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में ये किरणें सीधी दिशा में गमन करती है।
  • विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति में कैथोड किरणों का व्यवहार ऋणात्मक कणों के व्यवहार के समान होता है। जिससे सिद्ध होता है कि कैथोड किरणों में ऋणावेशित कण होते है जिन्हें इलेक्ट्रॉन कहते है।
  • कैथोड किरणों के गुण कैथोड किरण नलिका के इलेक्ट्रोडो के पदार्थ पर उपस्थित गैसों की प्रकृति पर निर्भर नहीं करते है।
  • उपरोक्त परिणामों से निष्कर्ष निकलता है कि इलेक्ट्रॉन सभी परमाणुओं के मूलभूल कण होते है।  इनमें इकाई ऋणावेश (1.602×10−19C) होता है और इसका द्रव्यमान 9.109×1031 किलोग्राम  होता है।
  • इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान का 1/1837 गुना होता है।

2. प्रोटॉन की खोज

वैसे तो सबसे पहले गोल्डस्टिन ने सबसे पहले धनात्मक कणों की खोज 1886 कर ली थी लेकिन ठीक से इनकी पहचान आदि की पुष्टि न कर पाए थे लेकिन रदरफोर्ड ने इन धनात्मक कणों की खोज करके इनको प्रोटॉन नाम दिया था इसलिए प्रोटोन के खोज कर्ता रदरफोर्ड को कहा जा सकता है।
एक परमाणु विद्युत उदासीन होता है , विसर्जन नलिका में गैसों के परमाणुओं से ऋणावेशित कणों का उत्सर्जन इस तथ्य को बताता है कि परमाणु में कोई न कोई धनावेशित कण अवश्य ही उपस्थित है , वैज्ञानिक गोल्ड स्टीन ने विसर्जन नलिका को थोडा सा परिवर्तित करके उसमें छिद्रित कैथोड का उपयोग किया।
जब विसर्जन नलिका में दाब कम करके प्रयोग किया गया तो एक नयी प्रकार की किरणें प्रेक्षित हुई , ये किरणें कैथोड के छिद्र से गुजर रही थी और इनकी गति कैथोड किरणों के विपरीत दिशा में थी।
ये किरणें धनावेशित कणों से मिलकर बनी हुई है और ये किरणें एनोड से कैथोड की ओर गमन कर रही थी इसलिए इन्हें धन किरणें या एनोड किरणें नाम दिया गया।
एनोड किरणों की उत्पत्ति एनोड से नहीं होती है , इनकी उत्पत्ति एनोड और कैथोड के मध्य रिक्त स्थान से होती है।
एनोड किरणों के गुण 
  • ये किरणें सीधी रेखा में गमन करती है।
  • इनकी कणीय प्रकृति होती है।
  • ये किरणें विद्युत या चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा विक्षेपित हो जाती है परन्तु यह विक्षेपण कैथोड किरणों के विक्षेपण के विपरीत दिशा में होता है।
  • एनोड किरणों के अवयवी कणों पर धनावेश का मान विसर्जन नलिका में भरी गैस की प्रकृति पर निर्भर करता है।
  • प्रोटोन परमाणु का मूलभूत कण है इसमें इकाई धनावेश (1.602×10−19C)  होता है और इसका द्रव्यमान  1.67262 × 1027 kgहोता है।

न्यूट्रॉन की खोज 

सन 1932 में जेम्स चैड्विक ने बेरेलियम पर अल्फा कणों का प्रहार या बौछार की जिससे प्रोटोन से कुछ भार वाले विद्युत उदासीन कण उत्सर्जित हुए , चेडविक ने इन कणों को न्यूट्रॉन नाम दिया।
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