प्रश्न 28 : डॉ. बीरबल साहनी के अनुसंधान किन क्षेत्रों में उपयोगी सिद्ध हुए ?
उत्तर : भारतीय वैज्ञानिक डॉक्टर
बीरबल साहनी एक ” पुरा वनस्पति ” वैज्ञानिक या शास्त्री थे , ” पुरा वनस्पति ” शास्त्री को अंग्रेजी में ‘पेलियो बोटेनिस्ट’ वैज्ञानिक कहते है।
वे प्राचीन युग की वनस्पति का अध्ययन करते थे , उस समय
विज्ञान की शाखा लोगो के नयी थी इसलिए अधिकतर लोग इसके बारे में कुछ जानते नहीं थे।
दरअसल वे प्राचीन समय की वनस्पति जैसे प्राचीन पौधों आदि के बारे में अध्ययन करते थे जैसे उसकी संरचना , पहचान आदि करना।
बीरबल साहनी का सबसे महत्वपूर्ण योगदान भारत के जीवाश्म पौधों के बारे में अध्ययन करना था और इसके साथ साथ उन्होंने भारत में पौधों के विकास आदि के बारे में भी काफी
कार्य किया और अध्ययन करके इसमें भी अपना योगदान दिया।
भारत देश में विज्ञान की शिक्षा की स्थापना करने में भी इन्होने अपना योगदान दिया और वे भारत के “राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी” के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य कर चुके थे।
डॉ. साहनी ने एक नए समूह के जीवाश्म पौधों की खोज की थी और ये जिम्नोस्पर्म्स (नग्न बीजी) थे।
अत: यह साहनी की ही मेहनत और उनके अनुसन्धान है जिनके कारण हम लाखो करोडो साल पुरानी वनस्पति के बारे में जानकारी और उनके गुण , संरचना , रचना आदि के बारे में जान पाए और अब भी हम ऐसी वनस्पति का अध्ययन कर पाते है तो यह श्रेय भी साहनी को ही जाता है।
पुराने समय से वनस्पति अर्थात पौधों आदि में विकास की यात्रा किस गति से चली और यह विकास किस प्रकार संपन्न हुआ इसका ज्ञान हमें पुरा वनस्पति शाखा से चलता है , किसी वनस्पति की लाखो साल पहले संरचना कैसी थी और इसमें समय के साथ कैसे कैसे विकास हुआ आदि ऐसी कई चीजो का ज्ञान हमें विज्ञान की इसी शाखा से प्राप्त होता है और भारत में इस शाखा को शुरू करने वाले वैज्ञानिक डॉ. बीरबल साहनी है इसलिए हम कह सकते है कि इनको उस समय में इस क्षेत्र में किये गए अनुसंधान आज भारत के पूरा वनस्पति क्षेत्र में काफी मददगार है। और यही कारण है कि डॉ. बीरबल साहनी को भारतीय ‘पुरा वनस्पति विज्ञान’ का जनक कहते है अर्थात ये भारत में पेलियो बॉटनी के जनक माने जाते है क्यूंकि भारत में इसकी शुरुआत इन्होने ही की थी।
साहनी ने भारत में पायी जाने वाली पौधों के जीवाश्म और पौधों की उत्पत्ति के बारे में काफी अनुसन्धान और अध्ययन किया , हड़प्पा और मोहनजोदड़ो आदि में मिले जीवाश्म का अध्ययन और इनके विकास आदि के अनुसन्धान आदि के लिए भी साहनी को श्रेय दिया जाता है और उनके अध्ययन और अनुसन्धान से जो परिणाम प्राप्त हुए वे काफी रोचक थे और काफी काबिल-ए-तारीफ़ थे।
यह भारतीय वैज्ञानिक डॉ. साहनी के अध्ययन और उनके द्वारा किये गए अनुसंधान का ही नतीजा था कि भारत की वनस्पति के बारे में समझने के लिए बड़े बड़े वैज्ञानिक बाहर से आते थे और साहनी उन्हें भारतीय वनस्पति के बारे में विस्तार पूर्वक बताते थे साथ ही उन्होंने अपने अध्ययन और अनुसन्धान पर आधारित कर किताबे भी लिखी जो विभिन्न रूपों में प्रकाशित हुई |
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