(adsorption in hindi) अधिशोषण की परिभाषा क्या है , भौतिक अधिशोषण की व्याख्या , प्रकार , कारण : जब हम किसी ठोस पदार्थ को द्रव या गैस के संपर्क में लाते है तो हम पाते है कि ठोस की सतह पर द्रव या गैस के
अणु या कण चिपके हुए पाए जाते है , इस घटना को
अधिशोषण कहा जाता है।
अत: इसे निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता है –
“वह घटना जिसमें किसी ठोस की सतह पर कुछ कण या अणु निक्षेपित हो जाते है या चिपक जाते है तो इस घटना को अधिशोषण की घटना कहते है। “
जो कण या अणु ठोस की सतह पर चिपकते है या निक्षेपित होते है उन्हें अधिशोष्य (adsorbate) कहते है और ये कण जिस ठोस की सतह पर चिपकते है उस ठोस की सतह को अधिशोषक कहते है।
अर्थात जिस सतह पर अधिशोषण की घटना घटित होती है उसे अधिशोषक कहते है अर्थात वह रासायनिक स्पीसीज या कण या अणु जिसका पृष्ठ पर अधिशोषण होता है उसे अधिशोष्य कहा जाता है।
तथा ठोस की जिस सतह पर अधिशोषण की घटना घटित होती है उसे अधिशोषक कहते है।
अधिशोषण की घटना एक पृष्ठीय घटना है , किसी सतह से अधिशोष्य के अणुओं को हटाने की प्रक्रिया को विशोषण कहते है , अर्थात विशोषण की घटना अधिशोषण की घटना के विपरीत होती है , इसमें किसी घटना पर अधिशोषण के कारण निक्षेपित कणों को हटाया जाता है।
अधिशोषण का कारण
चित्रानुसार हम किसी जल में उपस्थित दो कणों का अध्ययन करते है , इनमें से एक कण पानी की सतह उपस्थित है और दूसरा कण पानी के अन्दर स्थित है , जैसा चित्र में दिखाया गया है –
चित्रानुसार जो कण पानी की सतह के अन्दर उपस्थित है उस पर कोई परिणामी बल कार्य नहीं करता है अर्थात इस पर चारों तरफस से समान बल कार्य करता है लेकिन जो कण पानी की सतह पर उपस्थित है वह अन्दर की तरफ परिणामी बल महसूस करता है जैसा चित्र में दिखाया गया है , इस बल के कारण की यह कण इसकी सतह पर चिपक जाता है और इस प्रकार जो कण इसकी सतह के संपर्क में आते है वो इसी प्रकार अन्दर की तरफ परिणामी बल के कारण सतह से चिपकते जाते है जिससे अधिशोषण की घटना घटित होने लगती है।
इसी तरह ठोस या द्रव की सतह पर गैस या द्रव के कण आकर चिपकने लगते है जिससे अधिशोषण की घटना देखने को मिलती है।
चूँकि यह एक पृष्ठीय घटना है इसलिए जब अधिशोषक चूर्णित अवस्था में होता है तो वह अधिशोष्य को पृष्ठ पर अधिक तेजी के साथ चिपकाता है या अधिशोषण की घटना अधिक तेजी के साथ घटित होती है क्यूंकि चूर्णित अवस्था में अधिशोषक का पृष्ठीय क्षेत्रफल बढ़ जाता है जिससे अधिशोषण की गति भी बढ़ जाती है।
उदाहरण : जब चारकोल चूर्णित अवस्था में होता है तो यह अधिक गैसों को चिपकाता है या चारकोल पर तुलनात्मक रूप से अधिक गैस अधिशोषित हो जाती है।
अधिशोषण के प्रकार
अधिशोषण दो प्रकार का होता है –
1. भौतिक अधिशोषण
2. रासायनिक अधिशोषण
1. भौतिक अधिशोषण :जब अधिशोष्य के अणु , अधिशोषक की सतह पर भौतिक बलों जैसे वांडर वाल बल आदि द्वारा बंधे हुए हो तो ऐसी अधिशोषण को भौतिक अधिशोषण कहते है , इस अधिशोषण की घटना में अधिशोष्य पदार्थ को आसानी से अधिशोषक की पृष्ठ या सतह से हटाया जा सकता है क्यूंकि वान डर वाल्स बल बहुत ही कमजोर
बल होते है , इसलिए थोडा सा
ताप देने पर अधिशोष्य पदार्थ के कण अधिशोषक से हटना शुरू हो जाते है।
2. रासायनिक अधिशोषण : जब अधिशोष्य के कण , अधिशोषक की पृष्ठ या सतह पर रासायनिक बन्धो द्वारा बंधे रहते है तो ऐसी अधिशोषण को रासायनिक अधिशोषण कहते है।
यहाँ अधिशोष्य के कण , अधिशोषक की सतह पर
आयनिक बंध , सहसंयोजक बन्धो द्वारा बंधे रहते है जिन्हें आसानी से अलग नहीं किया जा सकता है अत: यह अधिशोषण तुलनात्मक अधिक स्थायी होता है।