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C++ : How to write a program in hindi , how to start c++ programming language in hindi

how to start c++ programming language in hindi , C++ : How to write a program in hindi :-
जब किसी c++ code को किसी पुराने कंप्यूटर सिस्टम के लिए बनाया जाता है लेकिन जब इस code को दुसरे कंप्यूटर सिस्टम मे run करते है तब इस code को modify करना होता है |लेकिन अगर प्रोग्राम को सभी सिस्टम के लिए सही होता है तब इस प्रोग्राम को portable कहते है |
लेकिन प्रोग्राम की probability को बहुत सारे factors effect करता है |
1.Device : अगर कोई प्रोग्राम किसी Device  के लिए  बनाया जाता है तब इस प्रोग्राम को portable कहते है |उदाहरण के लिए , अगर प्रोग्रम IBM के लिए बनाया जाता है तो इसे windows मे run करना मुश्किल होता है |
2.language difference : अगर दो दो अलग areas पर दो अलग अलग भाषा चलती है तब इन दोनों areas मे बने प्रोग्राम भी अलग अलग होगा |उदाहरण के लिए , date की class का format ,Indian और Australia format के लिए अलग अलग होता है |इस प्रॉब्लम का solution के लिए एक committee ANSI को बनाया गया है जो की c++ के लिए standard को decide करता है |उसके बाद ISO भी इस committee मे ज्वाइन हो गयी |इसका नाम ANSI/ISO हो गया |
3.वर्ष 1990 मे , ANSI/ISO ने C++ के लिए standard बनाने के लिए कार्य को शुरू किया |वर्ष 1995 मे , ANSI/ISO से पहले C++ पर papers को release किया |बाद मे 1996 मे , दुसरे papers (CD2) को introduce किया गया था |
4.Paper (CD2) मे , c++ के features, exception,template , real time type identification आदि को भी discuss किया गया था |
5.वर्ष 1998 मे , C++ के papers को ISO ने adopt किया गया है |
6.वर्ष 2003 , C++ का नया version publish किया गया जिसमे concept का technical wise elebarate किया गया था जो की C++ के पहले papers से बहुत सरल था |
7.ANSI/ISO ने ANSI C को develop किया क्योकि C++ के साथ C के concept को भी modify करना बहुत जरुरी था |
8.ANSI C मे , C language के सभी syntax , function, और header file को include किया गया that जिससे प्रोग्रामर को C आसानी से समाज मे आ सके |
9.अभी वतर्मान C99 पचलन है जिसका discuss हम C language कोर्स मे कर दिया था |अतः आप इस C99 को उस सेक्शन मे जाकर पढ़ सकते हो |
10.अब तक C++ के दो version declare किये गया है जैसे 2.0,3.0 आदि |

C++ Programming  Model

किसी C++ प्रोग्राम को निन्म procedure से develop किया जा सकता है |
1.सबसे पहले किसी Text editor मे , प्रोग्राम को लिख लेते है जिसे file मे store कर लेते है | ये file C++ के source code को hold करता है |
2.इसके बाद file को compile करते है |Compiler , high level प्रोग्राम को low level language मे convert कर देते है |low level language का use कंप्यूटर को control करने मे किया जाता है |computer मे दूसरी file generate हो जाती है जिसे object file कहते है |
3.source code file और object file को लिंक करते है | उदहारण के लिए , प्रोग्राम मे library use होती है |ये library ,c++ के function को hold करता है |जी की किसी विशेष task को परफोर्म करने के लिए किया जाता है | जब ये दोनों file लिंक हो जाती है तब executable file बनती है जो की प्रोग्राम को run होती है |

                       C++ Programming  Model


Source File Creating

इस सेक्शन मे , C++ के लिए source file किस प्रकार बनायेगे को explain करेगा ? इसके लिए इस सेक्शन को जरुर पढ़े |
इससे पहले के article मे , C++: Basic मे हमने अलग अलग C++ development kit को डिस्कस किया गया है |window की लिए Microsoft visual c++ सबसे ज्यादा उचित tool है |ये tool c++ प्रोग्राम को develop करने के लिए सभी necessary step को include करता  है |जो की कुछ C++ प्रोग्राम के उदाहरन को explain करता है |जिसमे मॉडिफिकेशन हो सकता है |
इसके अलावा LINUX और UNIX के लिए AT&T C++ और GNU C++ free tool है | जो की प्रोग्राम के creating और linking procedure को बनता है |
इसके अलावा text editor ( note pad 8+) को भी प्रोग्राम को लिखने के लिए use किया जाता है | UNIX system के लिए vi , ed or  ex को भी use कर सकते है|
Source file के नामकरण के लिए , एक proper suffix को use किया जा सकता है |जो की complier को type of system को भी define करता है |
नीचे दी गयी table मे अलग अलग system के लिए use किये जाने वाले file extension को include किया गया है :-
S.no
System
Extension
1.
UNIX
C, c, Cxx, cc
2.
Microsoft Visual C++
Cpp, cxx, cc
3.
Watcon
cpp
4.
Digital mars
Cpp
5.
Borland C++
cpp
6.
Metrowerks Code
Cpp , cp , cc , cxx ,c++
7.
GNU C++
C , c ,cxx .c++ , cpp
इस कोर्स मे , निन्म प्रकार की code style को use किया जायेगा |
-code line, command, variable और  file name को कंप्यूटर के type face मे लिखा जायेगा |
-input और output को bold मे लिखा जायेगा |
-किसी नए syntax को भी bold मे लिखा जायेगा | और उसके आगे comment मे description भी होगा |
उदाहरण के लिए :
#include<iostream>
Void main()
{
cout<< Good Morning !;   // cout : console output function 
cout<< It is my first Program.;
getch();
}
आउटपुट होगा :
Good Morning ! It is my first Program.
इससे से आगे के article मे , C++ : Compile Program मे ,C++ के प्रोग्राम को अलग अलग कंप्यूटर सिस्टम मे चलने की steps को discuss किया जायेगा |