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कोलराउस नियम क्या है , परिभाषा , सूत्र , उदाहरण , कोलराऊश का नियम (kohlrausch’s law in hindi)

(kohlrausch’s law in hindi) , कोलराउस नियम क्या है , कोहलराउंस्क लॉ हिंदी , परिभाषा , सूत्र , उदाहरण , कोलराऊश का नियम : इन्होने बताया कि किसी विद्युत अपघट्य विलयन की मोलर चालकता का मान उन आयनों की प्रकृति पर निर्भर करता है जिनसे मिलकर विद्युत अपघट्य बना हुआ है तथा अन्नत तनुता पर किसी विद्युत अपघट्य विलयन की मोलर चालकता का मान धनायन और ऋणायन दोनों के योगदान के कारण उत्पन्न मोलर चालकता के योग के बराबर होती है अर्थात मोलर चालकता में कुछ योगदान धनायन प्रदान करता है तथा कुछ मोलर चालकता ऋणायन द्वारा प्रदान की जाती है इस प्रकार विद्युत अपघट्य विलयन की कुल मोलर चालकता का मान दोनों के योगदान के योग के बराबर होती है।

कोलराउस के नियम को निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता है –
“अन्नत तनुता पर , किसी विद्युत अपघट्य की मोलर चालकता का मान उस विद्युत अपघट्य के धन आयन तथा ऋण आयन की मोलर आयनिक चालकता या अलग अलग मोलर चालकता के योग के बराबर होती है , यही कोलराउस का नियम है। “
महान वैज्ञानिक कोलराउस ने कुछ प्रयोग किये जिनके आधार पर अपना ये निम्न प्रतिपादित किया उनके ये प्रयोग निम्न है –
1. कोलराउस ने दो विद्युत अपघट्य लिए जिनमें ऋण आयन समान हो , पहले उन्होंने KCl और NaCl लिया , इस युग्म में Cl आयन अर्थात ऋण आयन , दोनों विद्युत अपघट्य में समान है , इस स्थिति में उन्होंने दोनों विद्युत अपघट्य की मोलर चालकता में अंतर 23.41 प्राप्त किया।
इसी प्रकार उन्होंने दूसरा युग्म लिया जिसमें Br आयन समान तथा अर्थात इसमें भी ऋण आयन दोनों विद्युत अपघट्य में समान था , यहाँ भी दोनों विद्युत अपघट्यों की मोलर चालकता में अंतर 23.41 प्राप्त हुआ।
2. दूसरी तरफ उन्होंने फिर से दो विद्युत अपघट्यों का युग्म लिया लेकिन इस बार उन्होंने धन आयन को समान रखा , पहली स्थिति में KBr और KCl लिया , इस विद्युत अपघट्य युग्म में K समान है अर्थात धन आयन समान है , दोनों विद्युत अपघट्य की मोलर चालकता में अंतर ज्ञात करने पर 2.06 प्राप्त होता है।
दूसरी बार में उन्होंने NaBr और NaCl विद्युत अपघट्य का युग्म लिया अर्थात यहाँ भी धन आयन समान थे , इस स्थिति में में भी मोलर चालकता में अंतर 2.06 प्राप्त होता है।
दोनों प्रयोग के आधार पर कोलराउस ने निष्कर्ष निकाला कि –
समान आयन रखने वाले विद्युत अपघट्यो की अन्नत तनुता पर मोलर चालकता का अंतर हमेशा निश्चित रहता है।
इस तरह उन्होंने निष्कर्ष निकाला की –
अन्नत तनुता पर किसी विद्युत अपघट्य के विलयन की कुल मोलर चालकता के मान में प्रत्येक आयन का योगदान होता है और प्रत्येक आयन का यह योगदान निश्चित होता है।
मोलर आयनिक चालकता : किसी विद्युत अपघट्य में प्रत्येक आयन की व्यक्तिगत या स्वयं की मोलर चालकता का वह योगदान जो वह विलयन की कुल मोलर चालकता में प्रदान करता है , उसे मोलर आयनिक चालकता कहते है अर्थात किसी आयन की खुद अकेले की मोलर चालकता का मान जैसे NaCl में Cl की मोलर चालकता को मोलर आयनिक चालकता और इसी प्रकार Na की मोलर चालकता के मान को मोलर आयनिक चालकता कहते है और विद्युत अपघट्य NaCl की कुल मोलर चालकता के मान को मोलर चालकता का मान कहलाता है और इसका मान दोनों आयन की मोलर आयनिक चालकता के योग के बराबर होती है , यही कोलराउस का नियम है।
माना किसी विद्युत अपघट्य विलयन में धन आयन की मोलर आयनिक चालकता का मान λ+ है तथा ऋण आयन की मोलर आयनिक चालकता का मान λ है , तो इस कोलराउस के नियम के अनुसार इस विद्युत अपघट्य विलयन की मोलर चालकता का मान अन्नत तनुता पर , दोनों आयनों की मोलर आयनिक चालकता के योग के बराबर होगी –
λकुल = λ+ + λ
यही कोलराउस का नियम है।
# कोलराउश का नियम क्या है ? इसके दो उपयोग के अनुप्रयोग बताइए ?