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परासरण और परासरण दाब क्या है , परिभाषा , उदाहरण , सूत्र , महत्व , परासरण की खोज किसने की (osmosis and osmotic pressure in hindi)

(osmosis and osmotic pressure in hindi) परासरण और परासरण दाब क्या है , परिभाषा , उदाहरण , सूत्र , महत्व , परासरण की खोज किसने की : हमने अर्द्ध पारगम्य झिल्ली के बारे में पढ़ लिया कि यह एक प्रकार की परत या झिल्ली होती है जिसमें अतिसूक्ष्म छिद्र होते है जो केवल चुनिन्दा कणों को इससे होकर गुजरने देते है बाकी को रोक लेते है। अर्द्ध पारगम्य झिल्ली द्वारा विलायक के कण आसानी से गुजर जाते है लेकिन विलेय के कणों को यह रोक लेता है।

परासरण (osmosis) : वह प्रक्रिया जिसमें विलायक के कण , कम सांद्रता से अधिक सांद्रता की तरफ अर्द्ध पारगम्य झिल्ली से होकर स्वत: गति करते है , उसे परासरण कहते है।
एक पात्र में एक तरफ शुद्ध विलायक रखते है और दूसरी तरफ विलयन रखते है , इन दोनों के मध्य अर्द्ध पारगम्य झिल्ली लगा देते है , अब हम देखते है कि विलायक के अणु अर्द्ध पारगम्य झिल्ली से होकर विलयन की तरफ गति करने लगते है , क्यूंकि विलायक की सांद्रता कम होती है और विलयन अधिक सांद्रण होता है।
जब दोनों तरफ की सांद्रता समान हो जाती है तो यह प्रक्रिया रुक जाती है , अर्द्ध पारगम्य झिल्ली से होकर विलायक के अणुओं का कम सांद्रता से अधिक सांद्रता की तरफ गति करना परासरण कहलाता है।
यह प्रक्रिया सान्द्रता में अंतर के कारण होती है।
परासरण की घटना को निम्न उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है –
हम समान आकार के दो अंडे लेते है , याद रखे कि अंडे का बाहरी खोल CaCO3 का बना होता है जब इस अंडे के खोल को तनु HCl के विलयन में डाला जाता है तो यह खोल घुल जाता है , अंडे में इस खोल के अन्दर एक परत होती है जिसे अर्द्ध पारगम्य झिल्ली कहते है।
अब बिना खोल वाले एक अंडे को आसुत जल के विलयन में रख देते है और दुसरे अंडे को नमक के विलयन में रखते है , समान समय तक रखने के बाद हम दोनों का निरिक्षण करते है तो पाते है कि जो अंडा आसुत जल में रखा गया था वह फूल जाता है लेकिन नमक के विलयन में रखा हुआ अंडा नहीं फूलता है।
यह परासरण के कारण होता है , परासरण के कारण आसुत जल के अणु अर्द्ध पारगम्य झिल्ली को पार करके अंडे में चले जाते है जिससे यह फूल जाता है लेकिन नमक के विलयन में विलयन के अणु , अर्द्ध पारगम्य झिल्ली को पार नहीं कर पाते है इसलिए अन्दर प्रवेश नहीं कर पाते।
परासरण दाब (osmotic pressure) : वह अतिरिक्त दाब जो अर्द्ध पारगम्य झिल्ली द्वारा विलायक के प्रवाह को विलायक से विलयन में जाने से रोकता है।
इसे निम्न उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है –
चित्रानुसार एक तरफ आसुत जल भरा हुआ है जिसके ऊपर पिस्टन A लगा हुआ है , दूसरी तरफ सोडियम क्लोराइड का विलयन भरा हुआ है जिसके ऊपर पिस्टन B लगा हुआ है , दोनों के मध्य अर्द्ध पारगम्य झिल्ली लगी हुई है जिसे SPM कहते है।
जब विलायक के कण अर्थात आसुत जल के अणु विलयन में गति करते है तो इस गति क्र कारण विलयन वाले पिस्टन में ऊपर की तरफ दाब लगता है जिससे पिस्टन ऊपर खिसकने लगता है , इस पिस्टन को गति को रोकने के लिए इसके विपरीत दिशा में अर्थात निचे की तरफ दाब लगाया जाता है जिससे पिस्टन न खिसके , अणुओं के इस परासरण के कारण पिस्टन की गति को रोकने के लिए पिस्टन पर लगाया गया दाब परासरण दाब कहलाता है क्यूंकि इस दाब का मान उस दाब के बराबर है जो इस परासरण के कारण उत्पन्न होता है।