फ्रेंकेल दोष और शॉटकी दोष में अंतर , schottky दोष और frenkel दोष के बीच का अंतर (schottky and frenkel defects differences in hindi)
1. शॉट्की दोष (schottky defect ): जब किसी क्रिस्टल जालक से धनायन व ऋणायन एक साथ क्रिस्टल को छोड़कर गायब हो जाते है अर्थात अपना निश्चित स्थान छोड़ देते है जिससे क्रिस्टल मे रिक्तिका बन जाती है , चूँकि इसमें एक साथ और समान मात्रा में धन आयन तथा ऋण आयन क्रिस्टल को छोड़ जाते है अर्थात दोनों विपरीत प्रकार के आयन एक साथ क्रिस्टल को छोड़ते है इसलिए रिक्तियों की संख्या हमेशा जोड़ो के रूप में होती है।
चूँकि दोनों विपरीत प्रकार के आयन क्रिस्टल छोड़ते है इसलिए क्रिस्टल की उदासीनता बनी रहती है अर्थात क्रिस्टल पर किसी प्रकार का कोई आवेश नहीं आता है।
आयनों के क्रिस्टल छोड़ने के कारण घनत्व कम हो जाता है , शॉटकी दोष आयनिक क्रिस्टल में पाया जाता है जिनमें धनायन और ऋणायन का आकार लगभग समान होता है।
2. फ्रेंकेल दोष (frenkel defects) : जब कोई आयन अपना निश्चित स्थान छोड़कर अंतराकाशी स्थान मे चले जाता है जिससे इसके निश्चित स्थान पर छिद्र या होल बन जाता है और क्रिस्टल मे उत्पन्न इस दोष को फ्रेंकेल दोष कहते है।
यह दोष अंतराकाशी दोष के रूप में भी देखा जा सकता है , यह दोष उन आयनिक क्रिस्टल में देखा जाता है जिनमें धनायन का आकार ऋणायन से छोटा होता है इसलिए धनायन अपना स्थान छोड़कर अंतराकाशी स्थान में चले जा सकते है। चूँकि क्रिस्टल के आवेश में कोई अंतर नहीं आता है इसलिए विद्युत उदासीनता बनी रहती है।
फ्रेंकेल दोष और शॉटकी दोष में अंतर
फ्रेंकेल दोष (frenkel defects)
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शॉटकी दोष (schottky defect)
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1. यह अन्तराकाशी दोष होता है।
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यह रिक्तिका दोष होता है।
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2. यह दोष उन आयनिक यौगिकों में पाया जाता है जिनमें धनायन का आकार छोटा और ऋण आयन का आकार बड़ा होता है।
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यह दोष उन आयनिक यौगिक में पाया जाता है जिनमें धन आयन और ऋण आयन का आकार लगभग समान होता है।
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3. इसमें क्रिस्टल के घनत्व में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
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इसमें क्रिस्टल का घनत्व कम हो जाता है।
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4. इस दोष में आयन अपना निश्चित स्थान छोड़कर अन्तराकशी स्थान में चले जाते है।
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इस दोष में आयन अपने निश्चित जगह से गायब हो जाते है।
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5. एक दोष के कारण एक रिक्ति बनती है।
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एक शॉट्की दोष के कारण दो रिक्तियां बन जाती है।
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6. इस दोष के कारण परावैद्युतांक का मान बढ़ जाता है।
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इस दोष के कारण परावैधुतांक का मान अपवर्तित रहता है।
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7. यह दोष उन क्रिस्टल में होता है जिनकी समन्वयी संख्या या उपसह्संयोजन संख्या कम होती है।
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यह दोष उन क्रिस्टलों में पाया जाता है जिनकी समन्वयी संख्या या उपसहसंयोजन संख्या अधिक होती है।
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