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ALU क्या है , arithmetic logic unit in hindi , एएलयू , ए एल यू का फुल फॉर्म , alu full form in computer

alu full form in computer ALU क्या है , arithmetic logic unit in hindi , एएलयू , ए एल यू का फुल फॉर्म
ALU (alu full form in computer) : ALU एक डिजिटल सर्किट है जिसके द्वारा कंप्यूटर में AIRTHMATIC OR LOGICAL OPERATION पेर्फ्रोम होते है | कंप्यूटर का पॉवर हाउस ALU होता है |ALU जितना POWERFUL होगा ,कंप्यूटर भी उतना पावरफुल  होगा |
इंजीनियर ने ALU को गणनाए करने के लिए बनाया था |गणनाए जितनी जटिल होगी , ALU की सरचना उतनी ही जटिल होगी | ALU का मूल्य और साइज़ भी बढता जायेगा | ALU से ज्यादा HEAT निकलेगी|
ALU को INTEGER यूनिट भी कहते है| ALU के कार्य नीचे है-:
1.LOGICAL OPERATIONS
ALU का मुख्य काम लॉजिकल ऑपरेशन करना है | लॉजिकल ऑपरेशन मुख्यत तीन होते है |
1.i AND LOGIC
AND LOGIC बहुत सरल लॉजिक है | इसमें आउटपुट TRUE तभी आएगा जब दोनों इनपुट TRUE हो |AND लॉजिक का SYMBOL , TRUTH TABLE और लॉजिकल अभिवक्ति नीचे है |

 यह दो इनपुट्स A और B है ,तब लॉजिकल अभिवक्ति Y =A*B

 1.ii OR LOGIC
OR लॉजिक इस तरह से काम करता है की कोई एक इनपुट TRUE होने पर आउटपुट  TRUE होगा | OR लॉजिक का SYMBOL , TRUTH TABLE और लॉजिकल अभिवक्ति नीचे है |
 

यह दो इनपुट्स A और B है ,तब लॉजिकल अभिवक्ति Y =A+B

1.iii NOT LOGIC

NOT LOGIC को INVERTOR LOGIC भी कहते है क्योकि आउटपुट हमेशा इनपुट का INVERT होगा | मतलब अगर इनपुट TRUE होगा तो आउटपुट FALSE होगा | और इनपुट FALSE होने पर आउटपुट TRUE होगा| NOT लॉजिक का SYMBOL , TRUTH TABLE और लॉजिकल अभिवक्ति नीचे है |

2.AIRTHMATIC OPERATION
 
ALU कई सारे AIRTHMATICAL OPERATION करता है |उन सबका मूल दो AIRTHMATIC OPERATION होते है |
 
2.i ADDITION (जोड़ना) :
BINARY ADDITION मई हमेशा दो आउटपुट होते है (i) CARRY (ii)SUM .ALU में CARRY आउटपुट के अलग से पिन होता है झा से CARRY पिन पर आने वाले OUTPUT को लिया जा सका |
दो बिट के ADDITION के TRUTH टेबल निचे है |
 
2.ii SUBTRACTION (घटाना)
 
BINARY ADDITION की तरह SUBTRACTION में भी दो आउटपुट होते है (i) BORROW (ii) DIFFERENCE , ALU की CARRY पिन ही BORROW के लिए काम ली जा सकती है |
 
3 BIT SHIFTING OPERATION
 
BIT SHIFTING OPERATION में ALU BITS को अपने ADDRESS पर पहुचना करता था | अगर इसे MULTIPLICATION खा जाये तो गलत नहीं होगा|

ALU की डिजाईन

 
ALU की डिजाईन TRANSITOR पर निर्भर करती है | TRANSITOR के ON और OFF होने से कंप्यूटर में TRUE और FALSE STATE होती है | सभी ट्रांजिस्टर आपस में कनेक्ट होते है|
1. OR GATE :
OR GATE को दो ट्रांजिस्टर को PARALLEL में कनेक्ट करके बनाया जाता है | जैसे की डायग्राम में दिखया गया है की A और B इनपुट को दो अलग -अलग ट्रांजिस्टर को दिया गया है |दोनों ट्रांजिस्टर के COLLECTOR आपस मई कनेक्ट है | अगर किसी एक कलेक्टर पर TRUE आता है तब आउटपुट पर TRUE मिलता है |जो की OR गेट का LOGIC है |
2. AND GATE

AND गेट को दो ट्रांजिस्टर को SERIAL में जोडकर बनाया जता है | जब  इनपुट A पर TRUE होगा ,तब ट्रांजिस्टर A ON  होगा और तब ट्रांजिस्टर B के EMITER पर HIGH VOLATAGE ( TRUE ) मिलेगा | और वो TRUE STATE OUTPUT पर भी मिलेगी| अगर किसी एक ट्रांजिस्टर पर FALSE  मिलने पर ,उससे जुड़ा ट्रांजिस्टर OFF हो जायेगा | आउटपुट FALSE मिलेगा |

3.NOT GATE

NOT गेट को केवल एक ट्रांजिस्टर से डिजाईन किया जा सकता है |नोट गेट के लिए आउटपुट को COLLECTOR से नहीं ,EMITTER से लिया जता है |


4. ADDER

ट्रांजिस्टर से, ADDER को डिजाईन करना जटिल है | इसलिए ADDER को ALU में हेमेशा, LOGIC गेट से बनाया जता है|

ADDER में SUM का आउटपुट NOR GATE के पैटर्न को FOLLOW करता है |इसलिए SUM सर्किट का डिजाईन OR गेट और NOT GATE को PARALL में कनेक्ट करकें बनाया जता है |और CARRY OUTPUT AND GATE के PATTERN को FOLLOW करता है| इसलिए CARRY CIRCUIT AND GATE से डिजाईन किया जता है|
6. OR GATE

OR GATE के DIFFERENCE OUTPUT X-OR गेट के पैटर्न को फॉलो करता है और BORROW OUTPUT के लिए कीसी एक इनपुट को इन्वर्ट करके दुसरे इनपुट के साथ AND GATE में भेजा जता है |
इस तरह हम अलग-अलग BASIC LOGIC गेट से COMPLEX OPERATION के CIRCUIT को DESIGN करते है|ALU में भी इस तरह के कई सर्किट डिजाईन होते है जो AIRTHMATIC और LOGICAL OPERATION करते है |