(electromagnetic spectrum in hindi) विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम : विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम क्या है , इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम : हम यहाँ पहले पढेंगे की विद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम क्या होता है और कौन कौनसे स्पेक्ट्रम बनते है , इसके बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे।
विद्युतचुंबकीय स्पेक्ट्रम : विद्युत चुम्बकीय विकिरणों को उनकी
आवृत्ति या तरंगदैर्ध्य के आधार पर वितरित करना अर्थात बाँट देना विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम कहलाता है , अर्थात आवृत्ति या
तरंग दैर्ध्य के आधार पर विद्युत चुम्बकीय विकिरणों को अलग अलग हिस्सों में बाँट देने से आवृत्ति या तरंगदैर्ध्य के आधार पर विद्युत चुम्बकीय विकिरणों की पट्टियाँ बन जाती है जिन्हें विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम कहते है।
विभिन्न विद्युत चुम्बकीय तरंगों का विद्युत स्पेक्ट्रम यहाँ निचे चित्र में दर्शाया गया है , जिसमें बाएं से दायें तरंग दैर्ध्य के बढ़ते क्रम में रखा गया है।
सभी विद्युत चुम्बकीय तरंगे प्रकाश के
वेग से
गति करते है इसलिए इन तरंगों में विभिन्न प्रकार की आवृत्तियों, तरंग दैर्ध्य, और
फोटॉन ऊर्जा की विस्तृत श्रृंखला के रूप में पायी जाती है। इसलिए विद्युत चुम्बकीय तरंगों या विकिरणों को अलग अलग आवृत्तियों, तरंग दैर्ध्य, और फोटॉन
ऊर्जा के आधार पर अलग अलग रखा जाता है जिससे अलग अलग आवृत्तियों, तरंग दैर्ध्य, और फोटॉन ऊर्जा के आधार पर पट्टियाँ बन जाती है जो एक विशेष आवृत्तियों, तरंग दैर्ध्य, और फोटॉन ऊर्जा को प्रदर्शित करती है इन्हें ही विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम कहते है जैसे ऊपर चित्र में गामा किरणों , x किरणों , पराबैंगनी किरणों , दृश्य विकिरणों आदि के रूप में अलग अलग पट्टियों के रूप में उनकी तरंग दैर्ध्य के आधार पर विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम में बांटा हुआ दिखाया गया है। याद रखे हमने चित्र में अलग अलग तरंगों के मध्य लाइन अपनी सुविधा के लिए खिंची है , वास्तविकता में ऐसी कोई लाइन देखने को नहीं मिलती है।
अब हम यहाँ विभिन्न प्रकार की विद्युत चुम्बकीय तरंगों का अध्ययन करते है –
1. रेडियो तरंगें (radio waves) : रेडियो तरंगों का आविष्कार सन 1895 में मार्कोनी नामक वैज्ञानिक द्वारा किया गया था , इन तरंगों का उपयोग टेलीविजन तथा रेडियो के संचरण के लिए किया जाता है अर्थात टीवी और रेडियो के लिए जो तरंगें काम में ली जाती है वे रेडियो तरंगें होती है , रेडियो तरंगों की तरंग दैर्ध्य 105 मीटर से 0.1 मीटर तक होती है।
2. सूक्ष्म या माइक्रो तरंगें (micro waves) : इन तरंगों की खोज सन 1888 में हर्ट्ज़ नामक वैज्ञानिक द्वारा की गयी थी। माइक्रो तरंगों की तरंग दैर्ध्य कम होती है , इन तरंगों की तरंग दैर्ध्य लगभग 1 मीटर से
10-4 मीटर तक होती है। चूँकि इन तरंगों की तरंग दैर्ध्य कम होती है इसलिए इन तरंगों का उपयोग अधिक दूरी पर स्थित संचार व्यवस्था के लिए किया जाता है क्यूंकि अधिक
दूरी तक तार संचार संभव नहीं है , इसलिए उपग्रहों से संचार के लिए भी इन्ही तरंगों का उपयोग किया जाता है।
3. अवरक्त या ऊष्मीय तरंगें (infrared or heat waves) : इन तरंगों की खोज सन 1800 में हरशैल नामक वैज्ञानिक द्वारा की गयी थी। ये वे तरंगें होती है जो पदार्थों द्वारा अवशोषित कर ली जाती है और जब पदार्थ इन तरंगों को अवशोषित करता है तो पदार्थों का
ताप बढ़ जाता है और इसलिए ही इन्हें ऊष्मा तरंगें भी कहते है , इनका उपयोग शरीर के विभिन्न भागों की सिकाई के लिए किया जाता है , दृश्य प्रकाश की सबसे बड़ी तरंग दैर्ध्य अवरक्त या ऊष्मीय तरंगों की होती है। इन तरंगों की
तरंग दैर्ध्य
10–3 मीटर से 7 x
10-7 मीटर तक होती है।
4. दृश्य प्रकाश (visible light) : दृश्य प्रकाश की खोज 1666 में न्यूटन द्वारा किया गया था , वह प्रकाश जिसे मानव द्वारा नेत्रों से देखा जा सकता है उसे दृश्य
प्रकाश कहते है , इसकी तरंग दैर्ध्य 7 x
10-7 मीटर से 4 x
10-7 मीटर तक होती है।
5. पराबैंगनी किरणें (ultravilot rays) : इन किरणों की खोज 1801 में रिटर नामक वैज्ञानिक द्वारा की गयी थी , हमारी पृथ्वी पर पराबैंगनी किरणों का बहुत महत्वपूर्ण स्रोत सूर्य है , लेकिन सूर्य से पृथ्वी तक आते समय अधिकतम पराबैंगनी किरणें ओजोन परत द्वारा अवशोषित कर ली जाती है। इन किरणों का उपयोग अदृश्य लिखावट , नकली दस्तावेजों में , तथा अंगुली के निशान के बारे मे पता लगाने के लिए किया जाता है। पराबैंगनी किरणों की तरंग दैर्ध्य 4 x 10-7 मीटर से 10-9 मीटर तक होती है।
6. X किरणें (x rays) : इन किरणों की खोज 1895 में रोंजन नामक वैज्ञानिक द्वारा की गयी थी , इन किरणों का उपयोग चिकित्सा में बहुत अधिक किया जाता है , इस किरणों द्वारा शरीर के अन्दर हड्डियों अदि के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है। x किरणों की तरंग दैर्ध्य 10-8 मीटर से 10-12 मीटर तक होती है।
7. गामा किरणें (gamma rays) : इन किरणों की खोज 1896 में बैकुरल और क्युरी नामक दो वैज्ञानिकों ने मिलकर की थी , इन किरणों की भेदन क्षमता बहुत अधिक होती है , य किरणें रेडियोएक्टिव पदार्थ के नाभिकों द्वारा उत्सर्जित की जाती है , गामा किरणों की तरंग दैर्ध्य 10-10 मीटर से 10-14 मीटर तक होती है।