संबंध एवं फलन गणित प्रश्नावली 1.1 उदाहरण सहित समझाइये कक्षा 12 मैथ्स relation and function in hindi

हल सहित relation and function in hindi 12th class प्रश्न संबंध एवं फलन गणित प्रश्नावली 1.1 उदाहरण सहित समझाइये कक्षा 12 मैथ्स हिंदी में बोर्ड फुल नंबर
साधित उदाहरण
उदाहरण 1. किसी समुच्चय 4 के अवयवों में ‘बराबर का सम्बन्ध’ तुल्यता का सम्बन्ध है अर्थात् aRb में यदि ab, तो R तुल्यता का सम्बन्ध है।
टिप्पणी: यदि a, b, c), तो
(i) समुच्चय A में सबसे छोटा तुल्यता सम्बन्ध बराबर (=) का है। जैसे IA ((a, a), (b, b), (c, c)).
(ii) समुच्चय A में सबसे बड़ा तुल्यता सम्बन्ध A× A है। जैसे
A × A = {(a, a), (a, b), (a, c), (b, a), (b, b), ( b, c ), (c, a), (c, b), (c, c)}.
उदाहरण 2. किसी समतल में स्थित सरल रेखाओं के समुच्चय में ‘समान्तर’ का सम्बन्ध तुल्यता सम्बन्ध है। इसको इस प्रकार भी कहा जा सकता है:
यदि L किसी समतल में स्थित सरल रेखाओं का समुच्चय है जिसमें सम्बन्ध । इस प्रकार परिभाषित है कि xRY = x || x,y ,x ,e, L तो R तुल्यता का सम्बन्ध है।
उदाहरण 3. पूर्णांकों के समुच्चय पर कोई सम्बन्ध R इस प्रकार परिभाषित है कि xRY = x, y 5 से विभाजित है, जहाँ x, y ∈ Z तो R तुल्यता सम्बन्ध है ।
अर्थात् x – x, 5 से विभाजित है।
अत: xRx ( स्वतुल्य ) ।
(ii) माना xRy सत्य है। अतः
xy= x -y 5 से विभाजित है
= y- x. 5 से विभाजित है
[ ( – x) – (x – y)]
= yRx (सममित )
(iii) माना xRy तथा y Rz सत्य हैं। अतः
xRy और yR= (x y) तथा (2) दोनों 5 से विभाजित हैं।
⇒ (x – y) + (y – 2) भी 5 से विभाजित हैं।
= x – z,5 से विभाजित है।
→ xRz (संक्रमक)
अतः दिया हुआ सम्बन्ध तुल्यता सम्बन्ध है।
[यदि दो संख्याएँ 5 से विभाजित होती हैं, तो उनका योग भी 5 से विभाजित होगा ।)
उदाहरण 4. यदि N धन पूर्णांकों का समुच्चय है। तथा कोई सम्बन्ध R, N N पर इस प्रकार परिभाषित है कि (a, b) R (c, d) ⇒ a + d = b + c; (a, b), (c, d) e Nx N, तो R तुल्यता सम्बन्ध है।
हल: (i) हम जानते हैं कि
a+b=b+a
अतः (a, b) R (a, b) (स्वतुल्य) ।
(ii) (a, b) R (c, d)
⇒ a + d = b + c
= b + c= a + d ( क्रम-विनिमेय से )
= c + b = d + a (क्रम-विनिमेय से )
⇒ (c, d) R (a, b) (सममित )
(iii) (a, b) R (c, d) और (c, d) R (e, f)
= a + d= b + c तथा c + f = d + c
⇒ a + d + c + f = b + c + e + d
= a + f + c + d = b + e + c + d
⇒ a + f= b + e
⇒(a, b) R (e, f) (संक्रमक)
अतः दिया हुआ सम्बन्ध तुल्यता सम्बन्ध है।
उदाहरण 5. समुच्चय A में कोई सम्बन्ध कब-
(i) स्वतुल्य नहीं होता ?
(ii) सममित नहीं होता ?
(iii) संक्रमक नहीं होता ?
हल: (i) यदि सम्बन्ध R समुच्चय A में इस प्रकार परिभाषित है कि किसी a E A के लिए (a,a) E R तब संबंध
R स्वतुल्य नहीं होगा। उदाहरणार्थ, यदि A 1, 2, 3, 4} तथा R = {(1, 1), (1, 3), (2, 2), (3, 1), (4, 4) }, तब R स्वतुल्य नहीं होगा क्योंकि 3 ∈ 4 परन्तु (3, 3) ER.
(ii) यदि सम्बन्ध R, समुच्चय A में इस प्रकार परिभाषित है कि a तथा b E A Eके लिए (a, b) E R तथा (b, a) R जहाँ a = b तब सम्बन्ध R सममित नहीं होगा। उदाहरणार्थ, यदि A = {1, 2, 3, 4} तथा R = {(1, 2), (3, 4), (2, 1), (3, 3)), तब R सममित नहीं है क्योंकि 3 E A, 4, 4 e A, (3,4) ER लेकिन (4 ,3) E, R.
(iii) यदि सम्बन्ध R, समुच्चय में इस प्रकार परिभाषित है कि a, b, c EA (जहाँ a, b, c अलग-अलग नहीं भी हो सकते हैं) के लिए (a, b) ER, ( b, c) ER परन्तु (a, c) ≠ R, उदाहरणत: यदि A {1, 2, 3, 4} तथा R {(1, 2), (2, 3), (2, 2), (2, 1), (3, 2)} तब R संक्रमक नहीं होगा क्योंकि ( 3, 2) E R (2,3) E R लेकिन (3.3) R.
उदाहरण 6. समतल में स्थित त्रिभुजों में ‘सर्वांगसम’ सम्बन्ध एक तुल्यता सम्बन्ध है।
हल: माना समुच्चय / समतल में स्थित सभी त्रिभुजों का समुच्चय है, तब
(i) समुच्चय 4 में सम्बन्ध ‘सर्वागसम है’ स्वतुल्य है क्योंकि प्रत्येक त्रिभुज स्वयं के ‘सर्वांगसम’ होता है।
अत: xRx सत्य है (स्वतुल्य),
जहाँ x ∈ A.
(ii) माना x, y ∈ A, तब यदि त्रिभुज x, दूसरे त्रिभुज y के ‘सर्वांगसम’ है, तो भी .x के ‘सर्वांगसम’ अवश्य होगा।
अतः xRy ⇒ yRx (सममित )
(iii) माना x, y, ≈ ∈ 4, अब यदि त्रिभुज x दूसरे त्रिभुज У के ‘सर्वांगसम’ है तथा त्रिभुज y तीसरे त्रिभुज 2 के ‘सर्वांगसम’ है, तो त्रिभुज x त्रिभुज = के सर्वांगसम होगा,
अर्थात् xRy, yR= ⇒ xR2 ( संक्रमक)
अतः दिया हुआ सम्बन्ध तुल्यता सम्बन्ध है, क्योंकि इसमें तीनों सम्बन्ध (स्वतुल्य), सममित तथा संक्रमक हैं।
उदाहरण 7. दिखाइए कि वास्तविक संख्याओं के समुच्चय में सम्बन्ध aRb जो | a | = | b | से परिभाषित है, ‘तुल्यता’ सम्बन्ध है।
हल : माना वास्तविक संख्याओं के समुच्चय में सम्बन्ध
aRb है, तब
|a| = | b |
(i) प्रत्येक वास्तविक संख्या ‘a’ के लिए,
|a | = |a |
aRa (स्वतुल्य)
(ii) वास्तविक संख्याओं a तथा b के लिए, |a | = | b | = | b | = | a |
अर्थात् aRb ⇒ bRa (सममित )
(iii) वास्तविक संख्याओं a, b तथा c के लिए,
|a | = | b | तथा | b |= | c |
| a | = | c |
अर्थात् aRb, bRc , aRc (संक्रमक)
अतः दिया हुआ सम्बन्ध तुल्यता सम्बन्ध है।
उदाहरण 8. यदि R और S समुच्चय X में तुल्यता सम्बन्ध हो, तो सिद्ध कीजिए कि R S, R S भी X में तुल्यता सम्बन्ध है ।
हल: प्रश्नानुसार
तब सम्बन्ध की परिभाषा के अनुसार, R S भी समुच्चय X में एक सम्बन्ध है तथा RS भी समुच्चय X में एक सम्बन्ध हुआ ।
(i) किसी ae X के लिए, aRa सत्य है,
अर्थात् (a, a) E R
इसी प्रकार, (a, a) ∈ S
अतः (a, a ) E R S
तथा (aa)E R S,
[ R तथा S स्वतुल्य हैं]
अर्थात् R S स्वतुल्य है तथा R S स्वतुल्य है।
(ii) माना
(a, b) ∈R तथा (a, b) E S
(b, a) ∈ R और (b. a) E S
[ R तथा S सममित हैं।
( b, a) E R S
अर्थात् R S सममित है।
पुनः (a, b) E R S
(a, b) E R तथा (a, b) ∈ S
(b. a) ∈R तथा ( b, a) ∈ S
[ R तथा S सममित हैं]
(b, a) ∈R S
अर्थात् R S भी सममित है ।
(iii) माना (a, b) R s (b.c) E R S
= [ (a, b) E R और (a, b) E S]
तथा [(b, c) ∈ R और (b, c) ∈S]
((a, b) e R. (h, c) ∈R]
और ((a, b) e S, (b. c) e S]
(a, c) ∈ R और (a, c) E S
[ R तथा S दोनों संक्रमक हैं।
(a.c) E R S
अत: R S संक्रमक है।
पुन: माना (a, b) E R S (b, c) R S
⇒ [ (a, b) ∈R या (a, b) ES],
[(b. c) ER तथा (b. c) ∈ S]
⇒ [ (a, b) ∈R, (b. c) ∈R]
या [ (a, b) ES, (b, c) e S]
(a, c) ER या (a, c) ES
[R तथा S दोनों संक्रमक हैं।
(a, c) ∈ R S
अतः R S संक्रमक है।
.: R S, R S भी X में तुल्यता सम्बन्ध है।
उदाहरण 9. सम्मिश्र संख्याओं के समुच्चय में (शून्य के अतिरिक्त) सम्बन्ध R इस प्रकार परिभाषित है कि
वास्तविक संख्या है। सिद्ध कीजिए तुल्यता सम्बन्ध है ।
| दिए गए समुच्चय में शून्य पर विचार नहीं किया गया है, क्योंकि का अस्तित्व नहीं है ।
हल: माना शून्य के अतिरिक्त शेष सभी सम्मिश्र संख्याओं
का समुच्चय Co है।
(i) किसी भी z E Cu के लिए सम्बन्ध R की परिभाषा के अनुसार,
जहाँ 0 एक वास्तविक संख्या है। अतः सम्बन्ध स्वतुल्य है।
(ii) किन्हीं Z1, Z2 ∈ C0 के लिए R की परिभाषा के अनुसार,
वास्तविक संख्या है
वास्तविक संख्या है।
[ वास्तविक संख्या का योगात्मक विलोम ]
वास्तविक संख्या है।
अतः Z1 Rz2 ⇒ Z2Rz1 अर्थात् R सममित है।
(iii) माना Z1, Z2, Z3 ∈ Co तथा Z1 RZ2 और Z2 Rz3 सत्य हैं।
पुन: यदि Z1 = x1 + iy1, Z2 = x2 + iy2, Z3 = x3 + iy3,
स्पष्टतः समुच्चय Co पर सम्बन्ध स्वतुल्य, सममित तथा संक्रमक है।
अतः सम्बन्ध R तुल्यता सम्बन्ध है ।
उदाहरण 10. दिखाइए कि समतल में स्थित सभी बिन्दुओं का समुच्चय सम्बन्ध ‘मूलबिन्दु से उतनी दूरी पर है जितना कि बिन्दु x तुल्यता सम्बन्ध है ।
हल : माना समतल में सभी बिन्दुओं का समुच्चय A तथा सम्बन्ध R ‘मूलबिन्दु से उतनी दूरी पर है जितना कि बिन्दु’ समुच्चय 1 पर है।
यदि y, z मूलबिन्दु से उतनी ही दूरी पर हैं जितनी कि बिन्दु X तब
(i) किसी बिन्दु के लिए.
अतः R स्वतुल्य है।
(ii) पुन: x, y EA के लिए
x y तो y x
अर्थात् xRy = yRx
अत: R सममित है।
(iii) अब x, y, E4 के लिए, यदि
x = y और y = z तो x =z
अर्थात् xRy, yRz ⇒ xR2
अतः R संक्रमक है क्योंकि इसमें तीनों सम्बन्ध हैं।
R तुल्यता सम्बन्ध है ।
उदाहरण 11. यदि सम्बन्ध R, धनात्मक पूर्ण संख्याओं के समुच्चय N में इस प्रकार परिभाषित है कि किसी x, e N के लिए (x -y), 3 से विभाज्य है, तो सिद्ध कीजिए कि R तुल्यता सम्बन्ध है।
हल चूँकि प्रत्येक प्राकृतिक संख्या स्वयं को विभाजित ] करती है। अतः
(i) किसी x E N के लिए x – x = 0, जो कि 3 से विभाज्य है,
अर्थात् xRx सत्य है।
अतः सम्बन्ध R स्वतुल्य है।
(ii) सम्बन्ध R की परिभाषानुसार,
XRy = x – y, 3 से विभाज्य है।
अत: – ( y – x) भी 3 से विभाज्य होगा।
= y – x भी 3 से विभाज्य है।
xRy = yRx.
सम्बन्ध R सममित है।
(iii) माना x, y, z ∈ N
–
यदि (x – y) तथा (v), 3 से विभाज्य हैं,
तब (x- y) + (y – z) भी 3 से विभाज्य होगा।
[3 से विभाजित होने वाली संख्याओं का योग भी 3 से विभाजित होगा ।]
= x – z भी 3 से विभाज्य होगा।
अर्थात् xRy, yRz ⇒ xR5
सम्बन्ध R संक्रमक है।
अत: R तुल्यता सम्बन्ध है।
उदाहरण 12. यदि सम्बन्ध R, समुच्च्य A पर इस प्रकार परिभाषित है कि R= (a, b): | a b |, एक सम संख्या है, जहाँ A = {1, 2, 3, 4, 5 } तो सिद्ध कीजिए सम्बन्ध R, समुच्चय A पर एक तुल्यता सम्बन्ध है।
हल प्रश्नानुसार,
R = {(a, b): | a- b,| एक सम संख्या है।
जहाँ a, b e A = {1, 2, 3, 4, 5}, तब
(i) किसी aE A के लिए
|a – a| = 0, जो कि एक सम संख्या है।
अतः aRa सत्य है, अर्थात्
v (a,a) ER
. R स्वतुल्य है ।
(ii) माना (a, b) e R अर्थात् aRb सत्य है,
= | a – b | एक सम संख्या है।
= | – (b – a ) , एक सम संख्या है।
= |b – a|, , एक सम संख्या है। तब
⇒ bRa सत्य है।
⇒ (b, a) eR
अतः aRb
तब R सममित हुआ ।
= bRa
(iii) माना (a, b) ∈ R तथा ( b, c ) E R, तब
(a, b) ∈ R और (b. c) ∈ R
→ | a- b | सम संख्या है तथा | b-c | सम संख्या है।
⇒ (a तथा b दोनों या तो सम या विषम हैं) और (b तथा C दोनों या तो सम या विषम हैं।)
अब हम निम्नलिखित दो सम्भावनाओं पर विचार करेंगे :
सम्भावना I. जव b एक सम संख्या है, तब
(a, b) ∈ R और (b, c) ∈ R
⇒ | a – b | सम संख्या है और | b-c | सम संख्या है,
[.: b सम संख्या है]
⇒ सम है तथा c भी सम है।
= |a c | भी सम है।
⇒(a, c) e R.
सम्भावना II. जब b विषम है, तब
(a, b) ∈ R और (b, c) ∈ R
⇒ | a – b | सम है तथा | b – c | भी सम है ।
विषम है तथा c भी विषम है,
[दो विषम संख्याओं का अन्तर एक सम संख्या होती हैं]
= |a – c| सम है।
⇒(a, c) e R.
इस प्रकार,
(a, b) e R (b, c) e R = (a. c) e R
अत: R संक्रमक है।
स्पष्टतः सम्बन्ध R एक तुल्यता सम्बन्ध है ।
उदाहरण 13. सिद्ध कीजिए कि N x N पर सम्बन्ध R जहाँ (a, b) R (c, d) › ad = be तुल्यता सम्बन्ध है ।
हल: सम्बन्ध R की परिभाषानुसार युग्म (a, b) तथा Ic, d) सम्बन्ध R से तभी सम्बन्धित है, जब
ad = be
अर्थात् पहला अवयव x चौथा अवयव = दूसरा अवयव x तीसरा अवयव
(i) अब दिए हुए प्रतिबन्ध से,
(a, b); R द्वारा (a, b) से तभी से सम्बन्धित होगा, जब
ab = ba
·.· प्रत्येक a, b ∈ N के लिए
ba = ab, सत्य है
(गुणन का क्रम – विनिमेय नियम )
(a, b) R (a, b) ⇒ सम्बन्ध R स्वतुल्य है।
(ii) माना (a, b) R (c, d), तब दिए हुए सम्बन्ध (प्रतिबन्ध) से,
(a, b) R (c, d) ⇒ ad = be
⇒ be = ad
⇒ cb = da
(गुणन के क्रम-विनिमेय नियम से)
(c, d) R (a, b) = (c, d) R (a, b)
(a, b) , (c, d) e N x N
सम्बन्ध R सममित है।
(iii) माना (a, b) R (c, d) तथा (c, d) R (e, f), तब दिए हुए सम्बन्ध की परिभाषानुसार,
(a, b) R (c, cl) तथा (c, d) R (e, f)
ad = be तथा cf = de
(ad) (cf) = (bc) (de)
[दोनों के बायें तथा दायें पक्षों को गुणा करने पर ]
af = be [क्योंकि d = c = 0]
(a, b) R (e, f)
(a, b) R (c, d) तथा (c, d) R (e. f) (a, b) R (e. f)
अतः सम्बन्ध R संक्रमक है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि N x N पर सम्बन्ध R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रमक है जिसके फलस्वरूप सम्बन्ध R ∈ N × N पर तुल्यता सम्बन्ध है ।
उदाहरण 14. यदि X वास्तविक संख्याओं का समुच्चय हो, तो सिद्ध कीजिए कि सम्बन्ध R, जहाँ R = { ( a, b ) : a e X, b e X तथा ( a = b) एक तुल्यता सम्बन्ध है।
हल: माना a, b E X, तब (a, b) E R यदि a = b.
(i) a = a,
अत: (a, a) e R
(सम्बन्ध की परिभाषा के अनुसार)
सम्बन्ध R स्वतुल्य है।
(ii) a, b e X के लिए
a = b⇒ b = a
अतः सम्बन्ध R की परिभाषानुसार,
aRb = bRa
(a, b) E R = (b, a) e R
अतः सम्बन्ध R सममित है।
(iv) पुन: a, b, ce X के लिए
A = b, b = c > a = c
दिए हुए सम्बन्ध से,
(a, b) E R (b, c) E R (a, c) E R
इस प्रकार सम्बन्ध R संक्रमक है।
चूँकि दिया हुआ सम्बन्ध स्वतुल्य, सममित तथा संक्रमक है।
अतः सम्बन्ध R एक तुल्यता सम्बन्ध
तुल्यता सम्बन्ध के कुछ अन्य उदाहरण माना S कोई अरिक्त समुच्चय है तथा तुल्यता सम्बन्ध है
(i) वास्तविक संख्याओं के समुच्चय s में, a ~ b यदि a = b.
(ii) पूर्णांकों के समुच्चय S में a – b यदि a – b सम पूर्णांक है।
(iii) पूर्णांकों के समुच्चय S में a ~ b यदि a + b सम पूर्णांक है।
(iv) पूर्णांकों के समुच्चय S में a ~ b’ यदि a2 = b2
RoR का मान (ii) में प्राप्त किया गया है।
R तथा R1 के संयोजन R-1 oR को निम्न चित्र द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैं।
उदाहरण: यदि I = {0,# 1, # 2, # 3, # 4, } b) : (a-b)/5 = k, पूर्णांक का समुच्चय है तथा R= ( (a, k e I} एक तुल्यता सम्बन्ध (-) है, तो तुल्यता वर्ग ( equivalence class) ज्ञात कीजिए।
हल : दिया है, a ~ b, यदि (a – b)/5 = k
या a~ b, यदि (a – b) 5k
या a~ b, यदि a = 5k + b
अर्थात् उस संख्या b के तुल्य है जो a को 5 से भाग
देने पर शेष बचता है अर्थात् a~ b, जहाँ a ≤ b < 5.
[भाज्य = भाजक x भाज्यफल + • शेष ]
अतः a, संख्याओं 0, 1, 2, 3, 4 में से स्पष्टतः b का मान 0, 1, 2, 3, 4 में से केवल एक ही संख्या हो सकती है।
] किसी एक संख्या के ही तुल्य होगा। अतः
यदि यह क्रम आगे जारी रखें, तो हमें तुल्यता में निम्न सम्बन्ध प्राप्त वर्गों
[5] = [0], [6] = [1], [7] = [2], [8] = [3], [9] = [4] तथा [10] = [0]
अतः कुल तुल्यता वर्ग [0], [1], [2], [3], [4] हैं जिनकी संख्या 5 है।
तुल्यता वर्गों का समुच्चय
= {[0], [1], [2], [3], [4]}
अर्थात् विभाग समुच्चय (Quotient set)
I/R = {[0], [1], [2], [3], [4]}
इन तुल्यता वर्गों से निम्नलिखित तथ्य स्पष्ट हैं :
(i) I = [0] [1] [2] [3] [4]
(ii) प्रत्येक तुल्यता वर्ग अरिक्त है।
(iii) किन्हीं दो तुल्यता वर्गों के लिए [a] [b] = ¢.
टिप्पणी : यदि तुल्यता सम्बन्ध a ~ b जहाँ (a – b)/6 = K हो, तो कुल तुल्यता वर्ग [0], [1], [2], [3], [4], [5] होंगे तथा इनकी संख्या 6 होगी। व्यापक रूप से, यदि a ~ b जहाँ (a – b)/m = k, तो कुल तुल्यता वर्ग की संख्या m होगी और वे निम्न प्रकार होंगे :
[0], [1], [2], [3], [4],……, [m – 1].
समुच्चय का विभाजन (Partition of a set) :यदि A, B, C, किसी अरिक्त समुच्चय S के अरिक्त उपसमुच्चय हों, तो इन सभी उपसमुच्चयों के समुच्चय को समुच्चय S का विभाजन कहा जाता है, अर्थात्
P = {A, B, C, …….} समुच्चय S का विभाजन
P (Partition) है।
(i) A B C …… = S
(ii) किन्हीं दो उपसमुच्चयों A, B ∈ P के लिए
A ∩ B = ¢.
उदाहरण 1. यदि S = {1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10} और A = {1, 3}, B = {7, 8, 10}, C = {2, 5, 6}, D = {4, 9} हो, तो
(i) A B C D = S
(ii) किन्हीं दो समुच्चयों का प्रतिच्छेद (Intersection) रिक्त है
अतः समुच्चय P = {A, B, C, D } दिए हुए समुच्चय S का विभाजन (partition) हुआ।
उदाहरण 2. यदि I = {0, ≠ 1, ≠ 2, ≠ 3,…..}
या I = {…., -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3,…..}
तब A = {≠ 1,≠ 3, ≠ 5,…..}
B = {≠ 2, ≠ 4, ≠ 6,…..}
C = {0}
हैं तो P = {A, B, C}, समुच्चय / का विभाजन (partition)
उदाहरण 3. यदि-
I= {…., -3, -2, 1, 0, 1, 2, 3, ……} तथा a~b यदि a – b = 5k; a, b, k ∈ I.
तब तुल्यता वर्ग [0], [1], [2], [3], [4]
तो I/R = {[0], [1], [2], [3], [4]}
समुच्चय I का विभाजन (partition ) है।
उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि किसी समुच्चय के उपसमुच्चयों का परिवार दिए हुए समुच्चय का विभाग समुच्चय (partition set) तब कहलाता है जबकि उपसमुच्चयों का सम्मिलन (Union) दिए हुए समुच्चय के बराबर हो ।
विभाग समुच्चय पर कुछ और उदाहरण
उदाहरण 1. यदि A = {1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10} और B = {1, 2, 6}, C = {3, 7, 8}, D = {4, 5}, E = {9, 10}, तो {B, C, D, E}, A का विभाग समुच्चय है।
हल : स्पष्टत: B C D E
= {1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10} = A
B ∩ C = {1, 2, 6} ∩ {3, 7, 8} = ¢
B ∩ D = {1, 2, 6} – {4, 5} = 0, इत्यादि ।
उदाहरण 2. समुच्चय A = { a, b, c } के सभी विभाग समुच्चयों को ज्ञात कीजिए ।
हल: समुच्चय A के उपसमुच्चय () को छोड़कर) {a}, { b}, {c}, {a, b}, {b, c}, {c, a}, { a, b, c}. A के विभाग समुच्चय :
(i) {{a, b, c}}
(ii) {{a}, {b, c}}, {{b}, {a, c}}, {{c}, {a, b}},
(iii) {{a}, {b}, {c}}.
टिप्पणी : किसी समुच्चय का विभाजन अद्वितीय नहीं हो सकता।
सम्बन्धों पर कुछ अन्य प्रमेय
प्रमेय (Theorem) 1. दो तुल्यता सम्बन्धों का संघ (union) तुल्यता सम्बन्ध हो, यह आवश्यक नहीं है। उपपत्ति (Proof) : माना A = {1, 2, 3} तथा R और S समुच्चय A पर दो सम्बन्ध इस प्रकार हैं कि.
तथा
R = {(1, 1), (2, 2), (3, 3), (1, 2), (2, 1)}
S = {(1, 1), (2, 2), (3, 3), (2, 3), (3, 2)}
स्पष्टत: R तथा S दोनों सम्बन्ध समुच्चय A पर तुल्यता सम्बन्ध हैं। पुनः
R S = {(1, 1), (2, 2). (3, 3), (1, 2), (2,1),
(2, 3), (3,2)}
यहाँ R S, संक्रमक नहीं है, क्योंकि (1, 2) E R S तथा (23) E R S, लेकिन (13) R S.
अत: R S, समुच्चय A पर तुल्यता सम्बन्ध नहीं है।
प्रमेय (Theorem) 2. किसी तुल्यता सम्बन्ध का प्रतिलोम सम्बन्ध भी तुल्यता सम्बन्ध होता है।
उपपत्ति (Proof) : माना किसी अरिक्त समुच्चय 4 पर सम्बन्ध R एक तुल्यता सम्बन्ध है।
R < A x A, तब R-1 A x A
अर्थात् R-1 भी समुच्चय A पर एक तुल्यता सम्बन्ध है।
अब हम यह सिद्ध करेंगे कि R-1, समुच्चय A पर एक तुल्यता सम्बन्ध है।
(i) माना a E A
तब (a, a) E R, [क्योंकि R स्वतुल्य है]
⇒ (a,a) ∈R – 1
[R-1 की परिभाषानुसार ]
इसलिए, (a, a ) E R-1 a E A
अतः R – 1 स्वतुल्य है।
(ii) पुन: माना (a, b) E R – 1, तब
(a, b) e R-1 ⇒ (b, a) eR
(R-1 की परिभाषानुसार )
(a, b) ER ( R सममित है )
⇒ (b, a) ∈ R – 1
[R की परिभाषानुसार ]
इस प्रकार,
(a, b) E R – 1 (b,a) E R-1, (a, b) e A ⇒
अत: R – 1 सममित है।
(iii) माना (a, b) ∈R तथा ( b, a) ∈R – 1 तब
(a, b) ER-1 और (b, c) eR-1
(b, a) ∈R तथा (c, b) ER
(R-1 की परिभाषानुसार )
(c, b) ∈R तथा (b, a) ∈R
(c, a) e R, ( R संक्रमक है)
(a, c) ∈ R 1(R – 1 की परिभाषानुसार )
अब (a, b) ER-1, (b, c ) ER-1 (a, c) ER-1
अतः R-1 संक्रमक है।
.: R – 1, समुच्चय A में स्वतुल्य, सममित तथा संक्रमक
R- 1, समुच्चय A पर एक तुल्यता सम्बन्ध है ।
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