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four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential)

हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष नियत वेग से गतिशील दूसरे निर्देश तंत्र में चुम्बकीय क्षेत्र प्रतीत होता है। अतः चुम्बकीय सदिश विभव Ā तथा विद्युत विभव ) को मिलाकर विद्युतचुम्बकीय चतुर्विम विभव (electromagnetic four-potential) के रूप में जाना जा सकता है यदि विभव आकाश (potential space) को निम्न तरीके से चतुर्विम आकाश (four-dimensional space) के रूप में मान लें।

समीकरण ( 11 ) लॉरेन्ज प्रतिबन्ध का सह परिवर्त रूप कहलाता है।

इसी प्रकार समीकरण (9) व (10) को लिखा जा सकता है,

इन दोनों समीकरणों को संयुक्त रूप से एक निम्न समीकरण के रूप में लिखा जा सकता है।

डी एलमबर्ट संकारक (D’Alembert Operator) कहलाता है। समीकरण ( 13 ) को डीएलमबर्ट 1ehd j.kd grsg&;g lehd j.keBlog lehdj. kd klgi fjor Z(covariant) रूप होता है।

चतुर्विम विभव का लॉरेंज रूपान्तरण (LORENTZ TRANSFORMATION OF FOUR-POTENTIAL) चतुर्विम विभव के लॉरेंज रूपान्तरण समीकरणों को ज्ञात करने के लिए निम्न डीएलमबर्ट समीकरण का उपयोग करते हैं।

(i) डीएलमबर्ट संकारक की निश्चरता (Invariance of D’Alembert operator)

माना एक निर्देश तंत्र S’ स्थिर निर्देश तंत्र S के सापेक्ष + X अक्ष के अनुदिश नियत वेग से गतिशील है। स्थिर निर्देश तंत्र S में डीएलमबर्ट संकारक,

इसी प्रकार निर्देश तंत्र S’ में डीएलमबर्ट संकारक

हम जानते हैं. कि निर्देशांकों का प्रतिलोम लॉरेंज रूपान्तरण होता है,

जहाँ लॉरेंज रूपान्तरण सारणिक है

अतः डीएलमबर्ट संकारक सभी जड़त्वीय निर्देश तंत्रों में निश्चर रहता है।

(ii) चतुर्विम विभव की निश्चरता (In variance of four-potential)

एलबर्ट संकारक 02 तथा चतुर्विम धारा घनत्व  Ju लॉरेंज निश्चर है। अतः समीकरण,(1) से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि विभव सदिश A भी लॉरेंज निश्चर होगा। इस कारण से विभव A ́ को चतुर्विम विभव सदिश (four potential) कहते हैं।

(iii) चतुर्विम विभव के लॉरेंज रूपान्तरण समीकरण (Lorentz transformation equations for four-potential)

चूँकि चतुर्विम विभव चतुर्विम सदिश की भांति लॉरेंज निश्चर सदिश है इसलिये इसका रूपान्तरण समीकरण द्वारा व्यक्त किया जा सकता है।

………………………….(1)

जहाँ लॉरेंज रूपान्तरण सारणिक है,

समीकरण (7) को घटकों के रूप में लिखने पर,

समीकरण (8a) व (8d) अदिश विभव के रूप में लिखने पर,

समीकरण (9), (8b), (8c) व (10) एक जड़त्वीय निर्देश तंत्र से दूसरे जड़त्वीय निर्देश तंत्र में विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों के अदिश एवं सदिश विभवों के रूपान्तरण समीकरण कहलाते हैं।

विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र प्रदिश (ELECTROMAGNETIC FIELD TENSOR)

पिछले खण्ड में, विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों E व B को सदिश एवं अदिश विभवों Āव द्वारा निम्म समीकरणों से व्यक्त किया था।

यद्यपि विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र E व B चतुर्विम सदिश नहीं है तथापि इनके छः घटकों Ex, Ey,  Ez,  Bx,By, Bz द्वितीय कोटि के प्रति सममित प्रदिश रूप में लिख कर चतुर्विम विभव Au से सम्बन्ध स्थापित किया जा सकता है। इस प्रदिश को विद्युत चुम्बकीय प्रदिश कहते हैं। समीकरण (1) व (2) को घटकों के रूप में लिखने पर,

निर्देशांकों तथा विभवों को चतुर्विम संकेत पद्धति में लिखने पर,

इनको समीकरण (3) व (4) में रखने पर,

उपरोक्त छः समीकरणों को संयुक्त रूप से केवल एक निम्न समीकरण के रूप में लिखा जा सकता है।

यहाँ Fuv एक 4 × 4 का सारणिक है जिसे विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों के पद में निम्न प्रकार से लिख सकते हैं।

सारणिक (8) से यह प्रेक्षित होता है कि विद्युत चुम्बकीय सारणिक द्वितीय कोटि का प्रति सममित तथा उसके विकर्णत: पद शून्य होते हैं अर्थात्

उदाहरण के तौर पर, माना By को ज्ञात करना चाहते हैं तो इसके लिये समीकरण (7) तथा (8) में = 3 वv = 1 रखते हैं।

यह समीकरण (6) में दिये हुए समीकरण के समान है।

 विद्युत व चुम्बकीय क्षेत्रों के लॉरेंज रूपान्तरण (LORENTZ TRANSFORMATION OF AN ELECTRIC AND MAGNETIC FIELD) पिछले खण्ड यह प्रदर्शित किया था कि विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों E व B के घटकों को चतुर्विम विभव Au से विद्युत चुम्बकीय 4 × 4 का सारणिक Fuv द्वारा निम्न संबंध स्थापित किया जा सकता है।

यहाँ Fuv एक 4 x 4 प्रतिसममित सारणिक है जिसे विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों के पद में निम्न प्रकार से लिख सकते हैं।

माना एक अन्य जड़त्वीय निर्देश तंत्र S’ निर्देश तंत्र S के सापेक्ष + X – अक्ष के अनुदिश नियत वेग से गति कर रहा है। आइंसटीन के आपेक्षिकता के विशिष्ट सिद्धान्त के प्रथम अभिगृहीत के अनुसार समीकरण (1) को निर्देश तंत्र S’ में निम्न प्रकार लिख सकते हैं।

निर्देशांकों तथा विभव सदिशों के लिए एक जड़त्वीय निर्देश तंत्र से दूसरे जड़त्वीय निर्देश तंत्र में लॉरेंज रूपान्तरण समीकरण होता है।

समीकरण (5) का अवकलन करने पर,

इन्हें समीकरण ( 7 ) में रखने पर,

समीकरण (1) का उपयोग करने पर,

चुम्बकीय क्षेत्र का लॉरेंज रूपान्तरण (Lorentz Transformation equation for magnetic field)

समीकरण (8) का उपयोग करके समीकरण (2) व (4) द्वारा दोनों निर्देश तंत्रों में क्षेत्रों के बीच सम्बन्ध

स्थापित किया जा सकता है।

(i) यदि 1 = 2 तथा V = 3 रखें तो

सारणिक a तथा F के घटकों के मान रखने पर,

F’23 = F23,               B’x= Bx

(ii) यदि = 3 तथा v = 1 रखें तो

चुम्बकीय क्षेत्र तथा विद्युत क्षेत्र के क्रमश: समीकरण (9) व ( 10 ) लॉरेंज रूपान्तरण समीकरण कहलाते हैं।

मैक्सवेल समीकरणों का प्रदिश रूप में वर्णन (DESCRIPTION OF MAXWELL EQUATIONS IN TENSOR FORM) मुक्ताकाश में विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों के लिए मैक्सवेल के निम्न चार समीकरण होते हैं।

समीकरण (1) व (3) को घटकों के रूप में लिखने पर

उपरोक्त समीकरणों में निर्देशांकों तथा धारा घनत्वों को चतुर्विम निर्देशांक पद्धति में लिखने पर,

समीकरण (5) तथा (6)

समीकरण (7) के सभी चार समीकरणों को सारणिक रूप में लिखने पर,

समीकरण को प्रदिश संकेतन पद्धति में भी लिखा जा सकता है।

यह समीकरण (9) मैक्सवेल समीकरण (1) व (3) का संयुक्त रूप से लिखा गया प्रदिश रूप है। इसी प्रकार मैक्सवेल समीकरण ( 2 ) तथा (4) को प्रदिश संकेतों में भी लिख सकते हैं।

उपरोक्त चारों समीकरणों ( 11 ) को सारणिक रूप में लिखने पर,

समीकरण (12) को प्रदिश संकेतों में लिखने पर,

यह समीकरण (14) मैक्सवेल समीकरण (2) व (4) का संयुक्त रूप से लिखा गया प्रदिश रूप है। अतः समीकरण (9) व (14) मैक्सेवल समीकरणों के प्रदिश रूप कहलाते हैं।

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