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change of state in adiabatic process in hindi रुद्धोष्म प्रक्रम के अवस्था परिवर्तन क्या है सूत्र लिखिए

रुद्धोष्म प्रक्रम के अवस्था परिवर्तन क्या है सूत्र लिखिए change of state in adiabatic process in hindi ?

रुद्धोष्म प्रक्रमों के अवस्था परिवर्तन (Change of State in Adiabatic Processes) रुद्धोष्म प्रक्रमों में तंत्र एवं परिपाश्विक में ऊष्मा का विनिमय नहीं होता है। ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के व्यंजक के अनुसार

इस प्रकार रूद्धोष्म प्रक्रमों द्वारा किये गये कार्य में तंत्र की आन्तरिक ऊर्जा घटती है, अर्थात् ऊर्जा कार्य में आन्तरिक ऊर्जा व्यय होती है परिणामस्वरूप ताप में कमी होती है। रुद्धोष्ण प्रक्रमों पर यदि कार्य किया जाता है तो तंत्र की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है परिणाम स्वरूप ताप में वृद्धि होती है।

(i) ताप-आयतन संबंध-माना कि n मोल आदर्श गैस का ताप T तथा दाब P पर आयतन Vहै। यदि गैस का उत्क्रमणीय अवस्था में प्रसार होता है तो P प्रतिरोधी दाब होगा। इस दाब के विरूद्ध आयतन के dV परिवर्तन के लिये गैस द्वारा किया गया कार्य

माना कि प्रारम्भिक अवस्था में ताप T1 तथा आयतन V1 है जबकि अन्तिम अवस्था में ताप व आयतन क्रमशः T2 तथा V2 है अतः समीकरण (72) का इन सीमाओं में समाकलन करने पर

उपरोक्त तीनों समीकरण (73), (74) व (75) ताप तथा आयतन में संबंध दर्शाती है।

(ii) दाब आयतन संबंध (Relation between Pressure & Volume) – आदर्श गैस नियमों एवं आदर्श गैस समीकरण का उपयोग करके समीकरण (73) को दाब आयतन संबंध में परिवर्तित किया जा सकता है ।

आदर्श गैस के लिये

यहाँ V1. P1. T1 तथा V2, P2. T2 क्रमशः आयतन दाब, ताप प्रारम्भिक तथा अन्तिम अवस्थाओं में (T2/T1)का मान समीकरण (73) में रखने

(iii) ताप-दाब सम्बन्ध ((Relation between Temperature & Pressure)- निम्नलिखित व्यंजक का फिर से उपयोग करने पर

(V1/V2)  का मान समीकरण ( 77 ) में रखने पर

 रूद्धोष्म उत्क्रमणीय प्रक्रम में प्रसार कार्य (Work of Expansion in Adiabatic Reversibe Processes)

एक आदर्श गैस द्वारा उत्क्रमणीय प्रसार में यदि आयतन में परिवर्तन dV हो तो गैस द्वारा किये कार्य dw का मान

dW=-PdV

यदि गैस का प्रारम्भिक एवं अन्तिम आयतन क्रमशः V1 तथा V2 हों तो सम्पूर्ण प्रसार में किया गया कार्य (w) का मान

कार्य की इस समीकरण को एक अन्य रूप में भी व्यक्त किया जा सकता है।

 आदर्श गैस के समतापी तथा रुद्धोष्म प्रसारों में अन्तर (Difference between Isothermal and Adiabatic Expansions of an Ideal Gas)

एक समतापी प्रक्रम में PV= स्थिरांक होता है, जबकि रूद्धोष्म प्रक्रम में PVस्थिरांक होता है। चूंकि y =Cp/Cv मान हमेशा एक से अधिक होता है अतः दाब को एक निश्चित मात्रा से कम किया जाता है तो रूद्धोष्म प्रक्रम में आयतन में वृद्धि, समतापी प्रक्रम की अपेक्षा कम होगी जो कि चित्र 1.8 से स्पष्ट है।

चित्र में रूद्धोष्म तथा समतापी प्रक्रमों के दाब आयतन वक्र दर्शाये गये हैं। रूद्धोष्म प्रसार में आन्तरिक ऊर्जा घटती है। अतः तंत्र का ताप घटता है और आयतन में कमी होती है, जबकि समतापी प्रसार में ताप स्थिर रहता है, आयतन में इस कारण कोई कमी नहीं होती है। इस प्रकार रुद्धोष्म प्रक्रम का P-V वक्र समतापी प्रक्रम के P-V वक्र से अधिक ढालू होगा। चूंकि P-V वक्र के नीचे का क्षेत्रफल प्रसार कार्य को दर्शाता है। अतः समान दाब परिवर्तन से समतापी प्रसार में गैस द्वारा किया कार्य रूद्धोष्म प्रसार कार्य की अपेक्षा अधिक होगा।

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