APPLICATIONS OF OPERATIONAL AMPLIFIER in hindi op amp के अनुप्रयोग क्या है
OP AMP के अनुप्रयोग (APPLICATIONS OF OPERATIONAL AMPLIFIER in hindi)
(i) एकांक लब्धि बफर (Unity gain buffer) OP AMP का सर्वाधिक सरल अनुप्रयोग एकांक लब्धि बफर परिपथ है। इसका परिपथ चित्र (9.7-1) में दर्शाया गया है। पिछले अनुच्छेद (9.4) में प्रदर्शित अ-प्रतिलोमी प्रवर्धक के परिपथ में Zf = 0 या Z1 = 0 कर दें तो परिपथ की वोल्टता लब्धि ( अनुच्छेद (9.4) के समीकरण ( 10 ) से) एकांक हो जाती है। चूंकि OP AMP का निवेश प्रतिरोध अत्यधिक तथा निर्गम प्रतिरोध अत्यल्प होता है अतः इस प्रकार के परिपथ को उच्च प्रतिबाधा वाले स्रोत तथा अल्प प्रतिरोध के लोड (load) के बीच प्रतिबाधा सुमेलन (impedance matching) के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसके अतिरिक्त किसी परिपथ को लोड से विलगित ( isolate) करने के लिये यह उपयुक्त होता है।
(ii) योजक (Adder)—– OPAMP का योजक के रूप में उपयोग चित्र (9.7-2) में दर्शाया गया है। अपने भारण गुणक (weighting factor) के साथ विभिन्न निवेशी वोल्टताओं का OPAMP में योग प्राप्त किया जा सकता है। विभिन्न वोल्टताओं VA VB, VN को प्रतिरोध RA RB Rs के द्वारा प्रवर्धक के एक निवेशी टर्मिनल (चित्र में ऋणात्मक टर्मिनल) पर आरोपित किया जाता है। पुनर्निवेश एक उपयुक्त प्रतिरोध R के द्वारा सम्पन्न होता है।
अतः निर्गम वोल्टता V. आंकिक रूप से सभी निवेश वोल्टताओं के योग के बराबर होती है इसलिए इस परिपथ को योजक (adder) कहते हैं।
यदि निवेशी वोल्टतायें हैं तो RA = RB = … RN = nRf लेने पर
इस अवस्था में परिपथ निविष्ट संकेत वोल्टताओं का औसत मान प्रदान करेगा।
(iii) व्यवकलित्र (Subtractor) – चित्र (9.7-3) में दर्शाये गये OPAMP के परिपथ में किन्हीं दो वोल्टताओं को निवेशित करने पर निर्गम टर्मिनल पर वोल्टता उनके अन्तर के अनुक्रमानुपाती होती है। इस प्रकार परिपथ व्यवकलित्र (subtractor) की भांति उपयोग में लाया जा सकता है।
माना भूपृष्ठ के सापेक्ष दो निवेश वोल्टताओं V1 तथा V2 को समान प्रतिरोध R द्वारा OPAMP के ऋण व धन टर्मिनलों पर निवेशित किया जाता है। पुनर्निवेशी पथ में प्रतिबाधा Zf = Rf का मान Z1 = R1 के सापेक्ष अत्यधिक लिया जाता है (Zf>> Z1) जिससे प्रतिलोमी व अप्रतिलोमी विधाओं में लब्धि परिमाण
यदि ऋण-टर्मिनल पर निवेश V1 के कारण निर्गत वोल्टता Vo1 तथा धन टर्मिनल पर निवेश V2 के कारण निर्गत वोल्टता Vo2 है तो परिणामी निर्गत वोल्टता
(iv) समाकलक (Integrator)– यदि प्रतिलोमी प्रवर्धक के परिपथ चित्र (9.7-2) में पुनर्निवेश प्रतिबाधा (feed back impedance ) के लिये धारिता C का एक संधारित्र संयोजित कर दें तो निर्गम वोल्टता Vo निवेश वोल्टता Vi के समय के सापेक्ष समाकलन के अनुक्रमानुपाती होता है, इसलिये इस परिपथ को समाकलक (integrator) कहते हैं। इसका परिपथ चित्र (9.74) में दर्शाया गया है।
जैसा कि हम जानते हैं कि OP AMP का निवेश प्रतिरोध अत्यधिक होने के कारण बिन्दु G को आभासी रूप से भूसम्पर्कित मान सकते हैं, इसलिए किसी समय पर प्रतिरोध R में से प्रवाहित धारा का मान
स्पष्टतः उपरोक्त परिपथ में किसी समय निर्गम वोल्टता ऑकिक रूप से निवेश वोल्टता के समय के सापेक्ष समाकलन के बराबर होती है। उदाहरणस्वरूप वर्गाकार तरंग के लिए V: (1) व V. (1) का प्रारूप चित्र (9.7-5) में प्रदर्शि किया गया है।
(v) अवकलक (Differentiator)– यदि समाकलक के परिपथ चित्र (9.7-4) में प्रतिरोध R तथा संधारित्र C परस्पर बदल दें तो यह अवकलक का परिपथ बन जाता है । अवकलक के परिपथ की चित्र (9.7-6) में दर्शाया गया है। इसमें भी बिन्दु G पर विभव V=0 मानते हुए संधारित्र C पर समय t पर विभवान्तर
अतः उपरोक्त परिपथ से निर्गम वोल्टता निवेश वोल्टता के समय के सापेक्ष अवकलन के बराबर होती है। इस कारण से यह परिपथ अवकलक कहलाता है।
(vi) तुलनित्र (Comparator)– OP AMP द्वारा किसी निर्देश वोल्टता ( reference voltage) के सापेक्ष संकेत वोल्टता की तुलना भी की जा सकती है। इसके लिये प्रयुक्त परिपथ को तुलनित्र (comparator) कहते हैं। इसका मूल परिपथ चित्र (9.7-7) में दर्शाया गया है।
उपरोक्त परिपथ ( 9.7-7 ) में निर्गम वोल्टता
Vo = – A(V1 – VR)
OP AMP की वोल्टता लब्धि A अत्यधिक (A ~ 104) होती है इसलिए जब संकेत वोल्टता V; का मान निर्देश वोल्टता VR (ज्ञात वोल्टता) से कुछ मिलीवोल्ट (mV) ही अधिक होता है निर्गम वोल्टता का मान ऋणात्मक संतृप्त मान (दिष्ट वोल्टता ~ 10V) के बराबर हो जाता है और जब संकेत वोल्टता का मान निर्देश वोल्टता से कुछ मिली वोल्ट ही कम होता है निर्गम वोल्टता का मान धनात्मक संतृप्त मान (दिष्ट वोल्टता + 10V)) के बराबर हो जाता है। परिपथ के इस अभिलाक्षणिक गुण को चित्र (9.7-8) में दर्शाया गया है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि संकेत वोल्टता V; निर्देश वोल्टता VR से कुछ मिली वोल्ट से अधिक या कम होती है तो निर्गम वोल्टता का मान – 10V से +10V शीघ्र परिवर्तित हो जाता है।
उपरोक्त तुलनित्र के सिद्धान्त के द्वारा परिपथ को तरंग रूप जनित्र (wave form generator) के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं। यदि एक ज्या तरंग वोल्टता (sine wave voltage) V; जिसका औसत मान निर्देश वोल्टता VR के बराबर होता है, को OPAMP के ऋणात्मक टर्मिनल पर निवेशित करें तो जिस क्षण V का मान VR से अधिक होता है निर्गम वोल्टता V. ऋणात्मक संतृप्त मान – 10V पर पहुँच जाता है और यह मान तब तक रहता है जब तक V; का मान Vp से अधिक रहता है लेकिन जैसे ही V; का मान VR से कम होता है निर्गम वोल्टता का मान धनात्मक संतृप्त मान +10V के बराबर हो जाता है और तब तक +10V रहता है जब तक V < Vp रहे, जैसा कि चित्र (9.7-9) में दर्शाया गया है। इस प्रकार निवेश टर्मिनल पर ज्या तरंग (sine wave) निवेशित करने पर निर्गम वोल्टता आयताकार या वर्ग तरंग (square wave) के रूप में प्राप्त होती है।
(vii) वोल्टता नियामक (Voltage regulator)- फिल्टर सहित दिष्टकारी परिपथों (rectifier) में भी प्राचलों
की ताप पर निर्भरता में तथा लोड धारा (load current) में परिवर्तन होने से निर्गत दिष्ट वोल्टता स्थिर नहीं रह पाती
हैं अधिकांश प्रयोगों में ऐसे शक्ति प्रदायक (power supply) की आवश्यकता होती है जिससे नियत दिष्ट वोल्टता प्राप्त हो। अतः निर्गत वोल्टता के स्थायीकरण के लिये फिल्टर सहित दिष्टकारी परिपथ के निर्गम पर एक ऐसे परिपथ को संयोजित करते हैं जो प्राप्त निर्गम वोल्टता को नियत रख सके। इस अतिरिक्त परिपथ को वोल्टता नियामक कहते हैं। वोल्टता नियामक की क्रिया विधि लोड वोल्टता की एक मानक वोल्टता से तुलना पर निर्भर होती है। सामान्यतः मानक वोल्टता जेनर डायोड का उपयोग कर प्राप्त की जाती है। लोड वोल्टता व मानक वोल्टता का अन्तर अर्थात् त्रुटि संकेत (error signal) भेद प्रवर्धक द्वारा प्रवर्धित हो कर एक क्षयक (क्षय अवयव ( loss element)) का अवरोध परिवर्तित कर देता है। ट्रॉजिस्टर इस प्रकार के क्षय अवयव के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है। वोल्टता नियामक के दो मूल प्रारूपों, पार्श्वपथ व श्रेणी पथ संबंधन, का हम संक्षेप में वर्णन करेंगे।
पार्श्व-पथ नियामक (shunt regulator) का परिपथ चित्र (9.7-10) में प्रदर्शित किया गया है। इस परिपथ में – बिन्दु X पर वोल्टता निर्गत वोल्टता V. के अनुक्रमानुपाती होती है। बिन्दु X पर वोल्टता की तुलना जेनर वोल्टता Vz . से भेद प्रवर्धक द्वारा की जाती है। Vz का मान Vo कम रखा जाता है। यदि V. का मान बढ़ता है तो X पर वोल्टता में वृद्धि होती है जिससे भेद- प्रवर्धक की निर्गत वोल्टता बढ़ती है जो ट्रॉजिस्टर Q के आधार की धनात्मक वोल्टता में वृद्धि कर उसकी संग्राहक धारा में वृद्धि कर देता है। यह धारा श्रेणी संबंधन में प्रयुक्त प्रतिरोध R से प्रवाहित होती है जिससे उस पर वोल्टता पतन बढ़ जाता है और वोल्टता V. इच्छित स्तर पर आ जाती है।
श्रेणी संबंधन नियामक में क्षय-अवयव, ट्रॉजिस्टर लोड के श्रेणी क्रम में लगाया जाता है, चित्र (9.7-11)। पूर्व वर्णित नियामक की भांति X पर वोल्टता वृद्धि में ट्रॉजिस्टर की आधार धारा ig में वृद्धि होती है जिससे उसका प्रचालन बिन्दु विस्थापित होता है व स्वयं ट्रॉजिस्टर का प्रतिरोध बढ़ जाता है। प्रतिरोध वृद्धि में वोल्टता पतन में वृद्धि होती है जिससे V.अपेक्षित मान तक कम हो जाता है। इस परिपथ में पूर्ण लोड धारा ट्रॉजिस्टर से प्रवाहित होती है। अतः ऊष्मा के रूप में उत्पन्न ऊर्जा का उपयुक्त ढंग से क्षय होना आवश्यक होता है। सिलीकन ट्रॉजिस्टर का उपयोग अथवा समांतर क्रम में एक से अधिक ट्रॉजिस्टर का उपयोग भी किया जा सकता है।
(viii) अनुरूप अभिकलन (Analog Computation ) – सक्रियात्मक प्रवर्धक के विभिन्न अनुप्रयोगों के द्वारा अनुरूप अभिकलन, जैसे अवकल समीकरण का हल ज्ञात करना, आदि भी संभव है। उदाहरणस्वरूप हमें निम्न व्यापक अवकल समीकरण पर विचार करते हैं-
जहाँ राशि x समय का फलन है तथा K1, K2 व a वास्तविक नियत राशियाँ हैं।
अनुरूप अभिकलन से अज्ञात राशि x को वोल्टता के रूप में मानते हैं, समय वास्तविक समय (real time) ले सकते हैं अथवा किसी सोपानी गुणक (scaling factor) से उसे परिवर्तित कर सकते हैं।
समीकरण (1) से
सर्वप्रथम यह कल्पना करते हैं d2x/dt2 कि का मान वोल्टता के रूप में उपलब्ध है, इसके समाकलन से dx/dtके अनुक्रमानुपाती वोल्टता व पुनः समाकलन से वोल्टता x प्राप्त होती है। एक योजक (adder) व भारक गुणकों के
उपयोग में समी. (2) का दांया भाग प्राप्त हो जायेगा। जिसका मान बाँयें भाग अर्थात्d2x/dt2 के तुल्य होना चाहिये । योजक का निर्गत संकेत प्रारम्भिक समाकलक का निवेशी संकेत बना कर एक बन्द पाश की प्राप्ति होगी, जिसके उपयुक्त टर्मिनल से x का मान प्राप्त हो सकता है जिसे कैथोड नलिका के पर्दे पर प्रदर्शित किया जा सकता है। पूर्ण प्रोग्राम fp★(9.7-12) में निरूपित किया गया है। संकेत ( a sin of) बाह्य स्रोत से प्रदान किया जाता है। चित्र में प्रतिरोध 1 का मान 1 मेगा-ओम निरूपित करता है व धारिता 1 का मान 1 F के तुल्य है।
हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics