low frequency response of bjt amplifier in hindi निम्न आवृत्ति परास निम्न अर्ध शक्ति आवृत्ति (Lower half power frequency)
निम्न आवृत्ति परास निम्न अर्ध शक्ति आवृत्ति (Lower half power frequency) low frequency response of bjt amplifier in hindi ?
निम्न आवृत्ति परास (Low frequency range) – निम्न आवृत्ति परास में युग्मन संधारित्र की प्रतिबाधा का मान पर्याप्त होता है अत: इसकी उपेक्षा (neglect) नहीं की जा सकती है। लेकिन अवांछित धारिता जो लोड को पार्श्वपथित करती है उसकी प्रतिबाधा का मान इस परास में अत्यधिक (लगभग अनंत ) होता है इसलिए इन्हें खुले परिपथ के रूप में माना जा सकता है। उपरोक्त अवस्थाओं में न्यून आवृत्ति परास के लिये R – C युग्मित ट्रॉजिस्टर प्रवर्धक का h – प्राचल तुल्य परिपथ चित्र (4.20-3) में प्रदर्शित किया गया है-
प्रथम चरण की निर्गम प्रतिबाधा का मान समान्तर क्रम में जुड़े RL तथा के तुल्य मान के बराबर होगा। अतः
अतः बिन्दु a तथा b के बीच मध्य विभवान्तर
यदि hie तथा Cc से प्रवाहित धारा का मान i 2है तो
प्रथम चरण के लिये निर्गत वोल्टता V2 का मान hie के सिरों के बीच उत्पन्न विभवान्तर के बराबर होगा,
समी. (14) से यह ज्ञात होता है कि वोल्टता लाभ Avl एक सम्मिश्र राशि (complex quantity) है जिसके परिमाण तथा कलाकोण का मान होगा-
निम्न अर्ध शक्ति आवृत्ति (Lower half power frequency)
वह आवृत्ति जिस पर निम्न आवृत्ति परास में वोल्टता लाभ का मान, मध्य आवृत्ति परास के वोल्टता लाभ केमान का 1 √2 या 0.707 गुना होता है उसे निम्न अर्ध शक्ति आवृत्ति या निम्न अन्तक आवृत्ति कहते हैं। अत: निम्न अर्धशक्ति आवृत्ति पर
समीकरण (18) का मान समीकरण (14) में रखने पर न्यून आवृत्ति परास में वोल्टता लाभ का मान, अर्धशक्ति आवृत्ति के रूप में प्राप्त होगा
यदि परिपथ में उपपथ संधारित्र CE भी उपस्थित हो तो उसके कारण भी Cc की भांति निम्न आवृत्ति अनुक्रिया प्रभावित होती है।
उच्च आवृत्ति परास (High frequency range)— उच्च आवृत्ति परास में संधारित्र Cc का प्रभाव नगण्य होता है तथा इसके कारण प्रतिबाधा को शून्य माना जा सकता है। लेकिन शन्ट धारिता की प्रतिबाधा का प्रभाव काफी महत्वपूर्ण होता जाता है जबकि आवृत्ति, मध्य आवृत्ति परास से बढ़ायी जाती है। उच्च आवृत्ति परास के लिये R-C युग्मित ट्रॉजिस्टर प्रवर्धक के एकल चरण का तुल्य परिपथ चित्र (4.20 -4 ) में प्रदर्शित परिपथ होता है। धारिता द्वितीय चरण के निवेश में मिलर प्रभाव (Miller effect) के कारण प्राप्त होती है और यह प्रतिरोध hie के साथ प्रथम चरण के लोड को पार्श्वपथित करती है। धारिता Ca का मान होता है-
उच्च अर्ध शक्ति आवृत्ति (Upper half power frequency) वह आवृत्ति जिस पर उच्च आवृत्ति परास में वोल्टता लाभ का मान, मध्य आवृत्ति परास के वोल्टता लाभ के मान का 1/√2 या 0.707 गुना होता है उसे उच्च अर्ध शक्ति आवृत्ति कहते हैं। अत: उच्च अर्धशक्ति आवृत्ति यदि f = fh है तो f = fh पर
………..(31)
समीकरण (28) व ( 31 ) के उपयोग से उच्च आवृत्ति परास के वोल्टता लाभ का मान उच्च अर्धशक्ति आन के रूप में लिखा जा सकता है-
अत: जब आवृत्ति का मान बढ़ता है तो उच्च आवृत्ति परास में वोल्टता लाभ तथा कुल कलान्तर का मान घटता जाता है।
वोल्टता लाभ तथा निर्गत व निविष्ट संकेत में कलान्तर की संकेत आवृत्ति पर निर्भरता क्रमशः चित्र (4.20-5) तथा ( 4.20 – 6 ) में प्रदर्शित की गई है।
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