p-n junction diode current equation derivation in hindi p-n संधि डायोड समीकरण क्या है
p-n संधि डायोड समीकरण क्या है p-n junction diode current equation derivation in hindi ?
P-N संधि डायोड समीकरण (P-N JUNCTION DIODE EQUATION)
एक P अर्धचालक की परमाणवीय रूप से N अर्ध चालक से जोड़ते हैं जिससे विद्युत युक्ति (device) P-N संधि डायोड बनती है। इस युक्ति का अभिलाक्षणिक, वोल्ट – ऐम्पियर (V-I) सम्बन्ध, ज्ञात करने के लिए इसकी कार्य विधि का अध्ययन करते हैं।
P-N सन्धि डायोड के एक तरफ मुक्त होल तथा दूसरी तरफ मुक्त इलेक्ट्रॉन बहुसंख्यक आवेश वाहक के रूप में होते हैं जिससे P प्रभाग से N प्रभाग की ओर होल तथा N प्रभाग से P प्रभाग की ओर इलेक्ट्रॉनों का विसरण होता है। इस क्रिया से संधि पर एक पतली परत में मुक्त इलेक्ट्रॉन होलों का प्रग्रहण कर लेते हैं। इस परत में मुक्त आवेश वाहक नहीं होते हैं केवल आयनित परमाणु उपस्थित होते हैं। मुक्त आवेश वाहकों के इस प्रकार क्षय के कारण इस परत को अवक्षय परत (depletion layer) कहते हैं। चित्र (2.15 – 1) में अवक्षय परत की मोटाई ( x 2 – X1 ) ली गई है। इस परत के दोनों ओर विपरीत प्रकृति के मुक्त आवेश होते हैं। मुक्त आवेश वाहकों के अवक्षय परत के द्वारा पृथक् कर देने के फलस्वरूप सन्धि पर विभव रोधिका ( potential barrier) उत्पन्न हो जाती है। P-N डायोड में धारा का प्रवाह सन्धि पर उत्पन्न विभव रोधिका पर निर्भर करता है।
विभव रोधिका की उत्पत्ति ऊर्जा स्तर आरेख से भी स्पष्ट की जा सकती है। चित्र (2.15-3) में P व N अर्धचालकों के, जब वे अलग-अलग हैं, इलेक्ट्रॉन ऊर्जा स्तर प्रदर्शित किये गये है। P– अर्धचालक में फर्मी स्तर संयोजकता बैंड सीमा Exp के निकट हैं व N – अर्धचालक में फर्मी स्तर चालन बैंड सीमा Ecn के निकट हैं। जब P व N पदार्थों की संधि बनाई जाती है, परमाणविक रूप से संधि होने से फर्मी स्तर (जहाँ इलेक्ट्रॉन अध्यावास की प्रायिकता ( 1/2 होती है ) दोनों ओर एक ही स्तर पर होना चाहिये, अर्थात् Eip = Ein |
अतः साम्यावस्था में इलेक्ट्रॉन ऊर्जा स्तर इस प्रकार समायोजित होते हैं कि (P-N) निकाय के लिये फर्मी स्तर एक ही रहें। P-N संधि डायोड के लिये साम्यावस्था में इलेक्ट्रॉन ऊर्जा स्तर आरेख चित्र (2.15-4) में प्रदर्शित हैं।
इस प्रकार मुक्त इलेक्ट्रॉनों के लिये N से P की ओर प्रवाहित होने के लिये ऊर्जा अन्तर (Eop – Eon) के बराबर ऊर्जा की आवश्यकता होगी। यही ऊर्जा अन्तर P से N की ओर होल प्रवाह के लिये होगा। यह ऊर्जा अन्तर एक विभवान्तर द्वारा निरूपित किया जा सकता है जो कि विभव रोधिका की ऊँचाई होगी।
इलेक्ट्रॉन ऊर्जा P भाग में N भाग के सापेक्ष अधिक होगी जबकि विभव, जो एकांक धन आवेश की ऊर्ज निरूपित करता है, N भाग में P भाग के सापेक्ष अधिक होगा। सन्धि के दोनों ओर विपरीत प्रकृति के मुक्त आवेश वाहक होने के कारण उत्पन्न घनत्व प्रवणता सन्धि के आर-पार विसरण उत्पन्न करता है। चूंकि विलगित ( isolated) स्थायी अवस्था में (बाह्य आरोपित विभवान्तर V शुन लेने पर) सन्धि में से कोई धारा प्रवाहित नहीं होती है अर्थात् विभव रोधिका इतनी अपवाह धारा (drift current) विपरीत दिशा में उत्पन्न कर देता है कि यह अपवाह धारा विसरण धारा के प्रभाव को समाप्त कर दे।
P – N सन्धि डायोड के खुले परिपथ में इलेक्ट्रॉन धारा घनत्व का मान Je = 0 होने पर
आइन्सटीन सम्बन्ध से
यहाँ k वोल्ट्जमान नियतांक है।
अवक्षय परत के लिए समाकलन करने पर
चित्र (2.15–2) से, (−E) का अवक्षय परत के पृष्ठों के बीच समाकलन विभव रोधिका VB के बराबर होता
………………………….(1)
यह N व P अर्धचालक में मुक्त इलेक्ट्रॉन के संख्या घनत्व के सम्बन्ध को व्यक्त करता है। इसी प्रकार खुले परिपथ में होल धारा घनत्व का मान शून्य के बराबर ले सकते हैं।
……………………………………..(2)
N अर्धचालक मेंn, = ND (दाता इलेक्ट्रॉनों का संख्या घनत्व) तथा
उपरोक्त मान समीकरण (1) में रखने पर
इस सम्बन्ध से P-N संधि डायोड में विभव रोधिका का मान ज्ञात किया जा सकता है। अब माना P-N सन्धि डायोड पर V विभव की बैटरी संयोजित की जाती है जिसका धनात्मक टर्मिनल P अर्ध-चालक से तथा ऋणात्मक टर्मिनल N अर्ध-चालक से जोड़ा जाता है।
इससे डायोड में P से N की ओर धारा प्रवाहित होती है इसे अग्र दिशिक (forward) धारा कहते हैं। V विभव वाले स्रोत से डायोड के अवक्षय परत में आवेश वाहक पहुँचते हैं और N अर्ध चालक में इलेक्ट्रॉन संख्या घनत्व तथा P अर्ध चालक में होल संख्या घनत्व में वृद्धि होती है तथा सन्धि पर विभव रोधिका का मान VB से घट कर (VB – V) हो जाता है। अपक्षय परत में विद्युत क्षेत्र कम हो जाने से संधि पर विसरण में वृद्धि होती है ।
.: यदि V विभव के कारण N अर्ध चालक में होल संख्या घनत्व में वृद्धि pn है तो समीकरण (2) से
समीकरण (2) को घटाने पर
..
इसी प्रकार यदि V विभव के कारण P अर्धचालक में मुक्त इलेक्ट्रॉन संख्या में वृद्धि np है तो समीकरण
माना N अर्धचालक में अल्प संख्यक होल का माध्य वेग (mean velocity) vp है तो N अर्धचालक अन्त:क्षेपण (injection) द्वारा धारा का होल घटक
यहाँ A सन्धि तल का क्षेत्रफल है तथा
एक नियतांक है।
इसी प्रकार P अर्धचालक में अन्तः क्षेपण द्वारा धारा का इलेक्ट्रॉन घटक
सन्धि में से प्रवाहित कुल धारा
समीकरण ( 9 ) P – N संधि डायोड का V-1 समीकरण कहलाता है। इसे चित्र (2.15-7) में आरेख द्वारा दर्शाया गया है। इस आरेख से स्पष्ट है कि जब विभव V को परिपथ चित्र (2.15 – 5) के अनुसार अग्रदिशिक लगाया जाता है तो धारा चरघातांकी रूप से वृद्धि होती है इस धारा को अग्रदिशिक धारा (forward current) तथा विभव को अग्र बायस (forward bias) कहते हैं।
यदि विभव बायस को उत्क्रमित कर दें (चित्र 2.15-6) अर्थात् P अर्धचालक को बैटरी के ऋण टर्मिनल से तथा N अर्धचालक को बैटरी के धन टर्मिनल से जोड़ दें तो समीकरण (9) में चरघातांकी पद exp [-eV/kT] = 0 हो जाता है जिससे
यह धारा Ig उत्क्रमित संतृप्त धारा ( reverse saturation current) कहलाती है। इस स्थिति में विभव रोधिका का मान (VB + V) हो जाता है जो अवक्षय परत की मोटाई में वृद्धि कर देता है और यह परावैद्युत माध्यम का कार्य करता है। सामान्य ताप पर उत्क्रमित संतृप्त धारा का मान अर्ध चालकों में इलेक्ट्रॉन होल युग्म के उत्पादन की दर कम ( होने के कारण अत्यल्प होता है इस कारण से उत्क्रमित बायस (reverse bias) में P-N डायोड में अत्यल्प धारा बहती है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि P-N सन्धि डायोड एक अरेखीय (nonlinear) तथा एक – दिशिक (unindirectional) धारा युक्ति है।
अग्र दिशिक बायस लगाने से विभव रोधिका घट जाती है व पश्च दिशिक बायस की अवस्था में रोधिका की ऊँचाई बढ़ जाती है जैसा कि इलेक्ट्रॉनों ऊर्जा स्वर आरेखों द्वारा चित्र (2.15 – 8) में प्रदर्शित है।
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