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Distribution of Free Paths in hindi मुक्त पथों का वितरण क्या है , माध्य – मुक्त – पथ (Mean – Free – Path)

मुक्त पथों का वितरण क्या है Distribution of Free Paths in hindi ?

माध्य – मुक्त – पथ (Mean – Free – Path)

गैसों के गत्यात्मक प्रतिरूप के अनुसार गैस के अणु विविध चालों से भिन्न-भिन्न दिशाओं में गतिशील होते हैं। साधारणतः अणुओं के मध्य किसी प्रकार का बल नहीं लगता है अतः ये नियत चाल से सरल रेखीय पथों पर गति करते हैं, परन्तु जब दो अणु एक दूसरे के अत्यन्त निकट आ जाते हैं तो उनके मध्य प्रतिकर्षण बल कार्य करने लगता है जिससे उनकी चाल एवं गति की दिशा

बदल जाती है। फलस्वरूप अणु नये सरल रेखीय पथ पर गति शुरू करता है । इस घटना को दो अणुओं के मध्य टक्कर संघट्ट (collision) कहते हैं। यदि किसी एक अणु के पथ को देख सकें तो वह छोटे-छोटे, टेढ़े-मेढ़े (zig zag) सरल रेखीय पथों में गति करता हुआ दिखाई देगा। इस प्रकार के अणु की गति को ब्राउनियन गति कहते हैं, चित्र (5.9-1 ) । गति के दौरान किन्हीं दो क्रमागत टक्करों के मध्य गैस के अणु के सरल रेखीय पथ को मुक्त पथ (free path) कहते हैं। एक ही अणु के लिए ये मुक्त पथ भिन्न-भिन्न लम्बाइयों के होते हैं या एक ही समय भिन्न-भिन्न अणुओं के मुक्त पथ भिन्न-भिन्न लम्बाइयों के होते हैं। किसी लम्बे समयान्तराल में किसी अणु के मुक्त पथों का औसत माध्य मुक्त पथ (mean free path) कहलाता है। इसे λ से निरूपित किया जाता है। यदि कोई अणु N टक्करों के पश्चात कुल दूरी L तय करता है तो

माध्य मुक्त पथ λ = L/N माध्य मुक्त पथ का व्यंजक ज्ञात करने के लिए, माना किसी क्षण केवल एक अणु को छोड़ अन्य सभी अणु स्थिर हैं और यह अणु दूसरे अणुओं के मध्य औसत चाल से गति करता रहता है। माना अणुओं का प्रभावी व्यास d है। अतः संघट्टन के क्षण टक्कर करते हुए अणुओं के मध्य एक के केन्द्र से दूसरे केन्द्र की दूरी भी d होगी, जैसा कि चित्र (5.9-2 ) में दर्शाया गया है। कोई भी टक्कर तब होती है जब गतिशील कण का केन्द्र स्थिर कण के केन्द्र के चारों ओर खींचे गये त्रिज्या d के गोलाकार प्रभाव क्षेत्र में आता है। चित्र अतः गतिशील अणु का प्रभावी काट क्षेत्र σ = πd^2, जिसे संघट्ट परिक्षेत्र (collision cross section) भी कहते हैं। समय अन्तराल τ में गतिमान अणु एक अनियमित टेढ़े-मेढ़े पथ में vt दूरी तय करता है और vt लम्बाई तथा σ अनुप्रस्थ काट के एक बेलनाकार आयतन ( σVT) का प्रसर्पण करता है। यह अणु इस समय t में उन सब अणुओं से प्रभावी रूप से संघट्टन करता है जिनके केन्द्र इस आयतन में होते हैं । यदि पात्र में प्रति एकांक आयतन n अणु हैं तो उन अणुओं की संख्या, जो समय t में गतिमान अणु से टक्कर करते हैं, σvtn होती है।

उपर्युक्त सूत्र को व्युत्पन्न करते समय यह माना था कि केवल एक अणु गतिमान होता है और शेष अणु स्थिर होते हैं जबकि मैक्सवेली वितरण के अनुसार सभी अणु भिन्न-भिन्न वेगों से गतिमान होते हैं। मैक्सवेली वितरण का उपयोग करते हुए माध्य मुक्त पथ का निम्न सूत्र प्राप्त होता है:

माध्य मुक्त पथ की घनत्व पर निर्भरता यदि एक अणु का द्रव्यमान m है तो n अणुओं का द्रव्यमान mn होगा।

.: गैस के प्रति एकांक आयतन का द्रव्यमान या घनत्व p = mn

समीकरण ( 3 ) से n का मान रखने पर

अर्थात् किसी पात्र में गैस के अणुओं का माध्य मुक्त पथ उसके घनत्व के व्युत्क्रमानुपाती होता है। माध्य मुक्त पथ की ताप T तथा दाब p पर निर्भरता आदर्श गैस के अवस्था समीकरण से एकांक आयतन के लिये

p = nk T

जहाँ गैस का दाब व ताप क्रमश: p व T है, k बोल्ट्जमान नियतांक तथा प्रति एकांक आयतन अणुओं की संख्या n हैं |

n का मान समीकरण (3) में रखने पर

अत: λ ∝ T तथा λ ∝ 1/p अर्थात् माध्य मुक्त पथ गैस के ताप के अनुक्रमानुपाती तथा दाब के व्युत्क्रमानुपाती होता

मुक्त पथों का वितरण (Distribution of Free Paths)

माना किसी पात्र में गैस के N अणु बिना टकराये x दूरी तय करते हैं तथा उनमें से dN अणु x तथा x + dx दूरी के बीच टक्कर करते हैं। प्रायिकता के सिद्धान्त से x दूरी तय करने के पश्चात् dx दूरी में टकराने वाले अणुओं की संख्या dN दूरी dx तथा अणुओं की संख्या N के अनुक्रमानुपाती होती है,

जहाँ Ps आनुपातिक नियतांक है चिन्ह यह बताता है कि बिना टकराये समाकलन करने पर तथा इसे संघट्ट प्रायिकता ( collision probability) कहते हैं। ऋणात्मक तय की गई दूरी x में वृद्धि से N का मान घटता है।

चूंकि x दूरी तय करने के पश्चात् N अणु बिना टकराये हैं अतः अणु द्वारा बिना टकराये दूरी x तय करने की प्रायिकता

नियतांक Pc का मान माध्य-मुक्त पथ द्वारा ज्ञात किया जा सकता है। चूंकि dN अणुओं के मुक्त पथ की लम्बाई X थी अतः

चित्र में किसी अणु द्वारा बिना संघट्टन किये x दूरी तय करने की प्रायिकता की दूरी x के सापेक्ष आलेख प्रदर्शित किया गया है। स्पष्ट है कि दूरी x बढ़ने से यह प्रायिकता P चरघातांकी रूप से घटती है। मुक्त पथ, λ या इससे अधिक होने की अधिकतम प्रायिकता e-1 = 0.37 या 37% है तथा मुक्त पथ की लम्बाई λ से कम होने की प्रायिकता 63% होती है।
अभिगमन परिघटनाऐं (Transport Phenomena)
इस खण्ड में हम निकायों की असाम्य (nonequilibrium) परन्तु स्थाई अवस्थाओं (steady state) पर विचार करेंगे तथा उनके असाम्य गुणों (nonequilibrium properties) के लाक्षणिक गुणांकों (coefficients) का आण्विक दृष्टिकोण से परिकलन करेंगे। किसी निकाय में स्थाई असाम्य अवस्था प्राप्त करने के लिये उसमें किसी

विशेष भौतिक चर की प्रवणता उत्पन्न की जाती है। यह प्रवणता एक परिचालक बल (driving force) का कार्य करती है जिससे सम्बद्ध भौतिक राशि का अभिगमन होता है। उदाहरण के लिये यदि हम निकाय के दो भागों को भिन्न ताप के ऊष्मा भण्डारों के सम्पर्क में रख कर ताप प्रवणता उत्पन्न करें तो इस ताप प्रवणता के रूप में परिचालक बल के कारण ऊष्मा का अभिगमन होता है।
अधिकांश अभिगमन परिघटनाओं में भौतिक राशि का फ्लक्स परिचालक बल के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात भौतिक राशि का फ्लक्स = अभिगमन गुणांक x परिचालक बल …………(1)
उपर्युक्त रैखिक सम्बन्ध अल्प परिचालक बल के लिये यथार्थ होता है।
किसी भी राशि जैसे A का फ्लक्स घनत्व JA एकांक क्षेत्रफल से एकांक समय में A की नेट अभिगमित मात्रा होती है।
जब किसी निकाय में किसी आणविक जाति की सांद्रण- प्रवणता (concentration gradient) होती है अर्थात् किसी पृष्ठ के एक ओर प्रति एकांक आयतन अणुओं की संख्या दूसरी ओर की संख्या से भिन्न होती है तो इस सांद्रण-प्रवणता के कारण द्रव्य (अणुओं) का अभिगमन होता है। इस परिघटना को विसरण ( diffusion) कहते हैं। यदि n किसी आणविक जाति के अणुओं का संख्या घनत्व है तो सांद्रण- प्रवणता grad n होगी और किसी पृष्ठ के एकांक क्षेत्रफल से एकांक समय में अभिगमित अणुओं की संख्या फ्लक्स घनत्व Jn निरूपित करेगी अतः
Jn = – D grad n …………(2)
जहाँ D विसरण गुणांक ( diffusion coefficient ) कहलाता है उपर्युक्त संबंध फिक (Fick) का नियम कहलाता है। ऋण चिन्ह यह प्रकट करता है कि भौतिक राशि का अभिगमन प्रवणता की दिशा के विपरीत होता है। यदि संख्या घनत्व 11 केवल एक दिशा -x में परिवर्तित होता है तो

जब किसी गैस या द्रव (तरल पदार्थ) में वेग प्रवणता उत्पन्न की जाती है तो कणों के द्वारा संवेग ( nomentum) का अभिगमन होता है। इस परिघटना को श्यानता (viscosity) कहते हैं। अभिगमित संवेग प्रवाह वेग के अनुदिश परन्तु वेग प्रवणता के लम्बवत् होता है । उदाहरण के लिये यदि कोई गैस में प्रवाह वेग x दिशा में है और वेग प्रवणता 2 दिशा में तो 2- दिशा में लम्बवत् अर्थात् x y तल में एकांक क्षेत्रफल से एकांक समय में अभिगमित x-दिशीय संवेग (JP)x अर्थात् x-दिशा में कार्यरत एकांक क्षेत्रफल पर बल (न्यूटन के दूसरे नियम से )


गुणांक n श्यानता गुणांक ( cofficient of viscosity) कहलाता हैं उपर्युक्त नियम न्यूटन के द्वारा दिया गया था। वेग प्रवणता एकांक होने पर वेग प्रवणता के लम्बवत् तल पर प्रति एकांक क्षेत्रफल कार्यरत बल (dragging

force) श्यानता गुणांक η के तुल्य होता है। n का से.ग्रा.से. मात्रक डाइन- से/सेमी.^2 या पॉइज है तथा मी. कि.से. मात्रक न्यूटन से / मी. ^2 है। उपर्युक्त अभिगमन घटनाओं के समान जब किसी माध्यम में ताप प्रवणता grad T होती है तो समतापी पृष्ठों के लम्बवत् ऊष्मीय ऊर्जा का अभिगमन होता है। यदि ऊर्जा फ्लक्स घनत्व (एकांक क्षेत्रफल से एकांक समय में अभिगमित ऊर्जा) Ju है तो

J =- K grad T …(5)

जहाँ गुणांक K ऊष्मा चालकता गुणांक (coefficeint of thermal conductivity) कहलाता है। यह अभिगमन परिघटना ऊष्मा चालन (thermal conduction) कहलाती है तथा उपर्युक्त नियम, समीकरण (5), फूरिये (Fourier) का नियम कहलाता है। यदि ताप प्रवणता x दिशा में, अर्थात् dT/dx है तो ताप प्रवणता के लम्बवत् एकांक क्षेत्रफल से एकांक समय में अभिगमित ऊष्मीय ऊर्जा अर्थात् ऊर्जा फ्लक्स घनत्व या

जहाँ Q क्षेत्रफल A से प्रति एकांक समय प्रवाहित होने वाली ऊष्मा की मात्रा हैं इस प्रकार एकांक ताप प्रवणता होने पर ताप प्रवणता के लम्बवत् तल ( समतापी पृष्ठ) के एकांक क्षेत्रफल से एकांक समय में अभिगमित ऊष्मीय ऊर्जा – चालकता K के तुल्य होती है। K के मात्रक कैलोरी / (मी-से-डिग्री), अर्ग / (सेमी-से- डिग्री) तथा जूल / (मी-से- डिग्री) हैं।