clausius clapeyron equation in hindi , क्लासियस क्लेपीरॉन समीकरण क्या है , सूत्र लिखिए derivation
जानिये clausius clapeyron equation in hindi , क्लासियस क्लेपीरॉन समीकरण क्या है , सूत्र लिखिए derivation ?
प्रावस्थाओं में सन्तुलन (Equilibrium between phases)
हम जानते हैं कि अधिकांश पदार्थों की तीन अवस्थाऐं ठोस, द्रव एवं गैस होती है। इन अवस्थाओं को पदार्थ की प्रावस्था (Phases) कहते हैं। पदार्थ की विशेष प्रावस्था उसके ताप T पर निर्भर करती है। प्रत्येक पदार्थ के लिए ताप T एवं दाब p का एक निश्चित परास होता है जिस पर पदार्थ एक प्रावस्था में या उसकी दो प्रावस्थाऐं सन्तुलन अवस्था में रह सकती हैं। इसके अतिरिक्त पदार्थ का अवस्था परिवर्तन ताप एवं दाब के परिवर्तन से सम्भव होता है। ठोस का द्रव में रूपान्तरण गलन (melting), द्रव का गैस में रूपान्तरण वाष्पन (Vapourisation), द्रव का ठोस के रूपान्तरण जमना (freezing) तथा ठोस का सीधे गैस में रूपान्तरण ऊर्ध्वपातन (Sublimation) कहलाता है।
चित्र
विभिन्न प्रावस्थाओं के मध्य साम्यावस्था – प्रतिबन्ध ज्ञात करने के लिए अब निकाय में उपस्थित एक ही पदार्थ की दो प्रावस्थाओं 1 व 2 पर विचार करते हैं जो साम्यावस्था में हैं ( चित्र )। ये प्रावस्थाऐं ठोस व द्रव या द्रव व गैस पृथक (separated) या मिश्रित ( mixed ) हो सकती है। माना यह निकाय एक निश्चित ताप T’ व दाब p’ पर एक ऊष्मा भण्डार (heat reservoir) के सम्पर्क में और साम्यावस्था में है। पिछले खण्ड के अनुसार इस निकाय की साम्यावस्था के लिए आवश्यक होगा कि निकाय का गिब्स ऊर्जा फलन G का मान न्यूनतम हो अर्थात्
G = E – T’S + p’V = न्यूनतम ……..(1)
जहाँ G,E,S तथा V दोनों प्रावस्थाओं (1 व 2 ) के संयुक्त निकाय की क्रमश: गिब्स ऊर्जा फलन, माध्य आन्तरिक ऊर्जा एन्ट्रॉपी एवं आयतन है। अतः
G = G1 +G2
E = E1 + E2
S = S1 + S2 ………..(2)
V = V1 + V2 यदि निकाय में प्रावस्था 1 व 2 में पदार्थ के अणुओं की संख्या क्रमश: N1 व N 2 तथा उनके गिब्स फलन प्रति अणु g1 व हों तो g2 G1 = N1 g1 तथा G2 = N 2 g2 व G = G1 + G2 = N1g1 + N2g2 ………….(3) g1 व g2 ताप T व दाब p पर निर्भर हैं परन्तु अणुओं की संख्या N1 व N2 पर नहीं | यदि सन्तुलन अवस्था पर पदार्थ की दोनों अवस्थाऐं सन्तुलन में सह अस्तित्व ( coexistence ) में हैं तो समीकरण (1) से
समीकरण (5) से स्पष्ट है कि नियत ताप T व दाब p पर दोनों अवस्थाओं के सहअस्तित्व एवं संतुलन के लिए आवश्यक शर्त है कि दोनों अवस्थाओं में गिब्स फलन प्रति अणु g का मान बराबर होना चाहिए, जिससे एक अवस्था से दूसरी में अणु के स्थानांतरण के कारण G का मान अपरिवर्तित (न्यूनतम) रहे।
अब यदि किसी पदार्थ के लिए ताप T व दाब p मध्य आलेख खींचा जाय जब गिब्स फलन प्रति अणु समान रहे (g1 = g2) तो यह आलेख प्रावस्था संतुलन वक्र (phase equilibrium curve) कहलाता है। ऐसा आरेख चित्र 3.8-2 में दर्शाया गया है। ठोस एवं द्रव प्रावस्था के बीच खींचे गये (p,T) संतुलन वक्र को गलन वक्र (melting curve), द्रव एवं गैस प्रावस्था के मध्य संतुलन वक्र को वाष्पन वक्र (vapourisation curve ) तथा ठोस एवं गैस के मध्य संतुलन वक्र को ऊर्ध्वपातन वक्र (sublimation curve) कहते हैं।
इन संतुलन वक्रों की विशेषता यह होती है कि वक्र के प्रत्येक बिन्दु पर दोनों प्रावस्थाऐं सन्तुलित होती हैं क्योंकि
चित्र
समीकरण (1) के अनुसार निकाय का कुल गिब्स फलन G का मान न्यूनतम होता है और पदार्थ के प्रावस्था 1 में N1 अणु पदार्थ के प्रावस्था 2 के शेष अणुओं N2 के साथ सह अस्तित्व में रह सकते हैं। यह वक्र सम्पूर्ण (p,T) क्षेत्र को
दो भागों विभाजित करता है। पहले क्षेत्र में g1 < g2 होता है और पदार्थ की केवल पहली प्रावस्था संतुलन में होती है। दूसरे क्षेत्र में g1 > g2 होता है और पदार्थ की केवल दूसरी प्रावस्था संतुलन में होती है। प्रावस्था क्षेत्र 1 में पदार्थ का ताप एवं दाब इस प्रकार होते हैं कि g1 < g2 तो इस स्थिति में G का मान न्यूनतम तब होगा जब कि पदार्थ का सम्पूर्ण द्रव्यमान प्रावस्था । रूपान्तरित हो जाये ताकि G = Ng1, ऐसी स्थिति में प्रावस्था 1 स्थायी होगी। प्रावस्था क्षेत्र 2 में पदार्थ का ताप एवं दाब इस प्रकार होते हैं कि g1 > g2 तो इस स्थिति में G का मान न्यूनतम तब होगा जब पदार्थ का सम्पूर्ण द्रव्यमान पदार्थ 2 में रूपान्तरित हो जायेगा। इस स्थिति में G = Ng2 तथा प्रावस्था 2 स्थायी होगी।
क्लासियस-क्लेपीरॉन समीकरण (Clausius-Clapeyron Equation)
चित्र में दर्शाये गये प्रावस्था सन्तुलन वक्र (phase equilibrium curve ) को अवकलन समीकरण द्वारा भी व्यक्त कर सकते हैं। इस समीकरण को क्लासियस-क्लेपीरॉन समीकरण कहते हैं। माना प्रावस्था संतुलन वक्र पर अल्पांश दूरी पर कोई दो बिन्दु B व C हैं। सन्तुलन अवस्था में बिन्दु B पर ताप T तथा दाब p हों तो
चूंकि प्रावस्था परिवर्तन पर पदार्थ द्वारा ऊष्मा का अवशोषण या उत्सर्जन होता है जिसे गुप्त ऊष्मा (latent heat) कहते हैं अतः यदि प्रावस्था 1 से प्रावस्था 2 में संक्रमण से पदार्थ द्वारा ऊष्मा का अवशोषण प्रति मोल L12 है तो प्रति मोल पदार्थ की एन्ट्रॉपी में परिवर्तन
यह समीकरण (8) क्लासियस – क्लेपीरॉन समीकरण कहलाता है। इस समीकरण द्वारा प्रावस्था परिवर्तन के लिये गलनांक (melting point) तथा क्वथनांक (boiling point ) पर दाब के प्रभाव का अध्ययन कर सकते हैं। (i) क्वथनांक पर दाब का प्रभाव (Effect of pressure on boiling point)
जब किसी द्रव का क्वथनांक T पर द्रव से गैस अवस्था में परिवर्तन होता है तो हमेशा आयतन में वृद्धि होती है।
अत: L, T तथा △V = (V2 – V1 ) तीनों धनात्मक होते हैं। इसलिए क्वथनांक पर (dp/dT)
का मान सदैव धनात्मक रहता
है। अतः क्वथनांक T पर दाब यदि △p धनात्मक है तो △T भी धनात्मक होगा अर्थात् दाब वृद्धि करने से उसके क्वथनांक में वृद्धि होती है तथा घटाने पर क्वथनांक घटता है।
(ii) गलनांक पर दाब का प्रभाव (Effect of pressure on melting point)
जब कोई ठोस द्रव अवस्था में परिवर्तित होता है तो पानी के अतिरिक्त अधिकतर ठोसों के आयतन में वृद्धि होती
है अर्थात् L, T तथा △V तीनों इस स्थिति में भी धनात्मक रहते हैं। ऐसे ठोसों के लिए (dp/dT)
का मान धनात्मक रहता
है। अत: ऐसे पदार्थों के लिए दाब वृद्धि से गलनांक में वृद्धि और घटने से गलनांक में कमी होती है। पानी एक ऐसा द्रव है जिसके ठोस अवस्था (बर्फ) से पिघलने पर आयतन में कमी होती है अर्थात् (V2 -V1) का मान ऋणात्मक आता है। अतः बर्फ के लिए (dp/dT) का मान ऋणात्मक होता है। इसलिए दाब वृद्धि से बर्फ के
गलनांक में कमी तथा दाब में कमी से गलनांक में वृद्धि होती है।
त्रिक बिन्दु (Triple point)
पानी के समान प्रत्येक पदार्थ की तीन अवस्थाएं संभव होती हैं। प्रत्येक पदार्थ के लिए p – V-T संबंध या अवस्था समीकरण होता है। पदार्थ के ताप एवं दाब में परिवर्तन करके उनकी अवस्थाओं को परस्पर परिवर्तित किया जा सकता है। उदाहरणस्वरूप पानी की तीनों अवस्थाओं का अध्ययन
करते हैं। बर्फ का गलनांक (melting point) दाब वृद्धि के साथ कम होता है। गलनांक तथा दाब के मध्य खींचा गया वक्र आरेख चित्र में AB के द्वारा दर्शाया गया है। इस वक्र को बर्फ रेखा (ice line) कहते हैं। इस रेखा के बायीं ओर का क्षेत्र ठोस अवस्था (बर्फ) को तथा दायीं ओर का क्षेत्र द्रव अवस्था (पानी) को प्रदर्शित करता है और इस वक्र के किसी बिन्दु के संगत दोनों अवस्थाऐं ठोस एवं द्रव साम्य में होती हैं।
पिछले परिच्छेद से यदि प्रति अणु दोनों अवस्थाओं में गिब्स ऊर्जा फलन क्रमश gs तथा gl हैं तो साम्यावस्था में
gs = gl
पानी का क्वथनांक (boiling point) दाब वृद्धि के साथ बढ़ता है। इसलिए क्वथनांक तथा दाब के मध्य खींचा गया वक्र DC से चित्र में दर्शाया गया है। इस रेखा को भाप वक्र ( steam line) कहते हैं । इस वक्र के संगत बिन्दु पर पानी की दोनों अवस्थाऐं पानी एवं भाप साम्य अवस्था में होती है। यदि प्रति अणु इन अवस्थाओं में गिब्स ऊर्जा फलन इस वक्र पर 81 एवं Εν हों तो
…..(2)
81 = 8v इसी प्रकार एक अन्य वक्र EF अवस्था सूचक आरेख में बर्फ (ठोस) तथा भाप (वाष्प) की साम्यावस्था को व्यक्त करता है । इस वक्र को वाष्प – हिम वक्र ( hoar frost line) कहते हैं। यदि
साम्यावस्था में दोनों अवस्थाओं में प्रति अणु गिब्स ऊर्जा फलन क्रमश: एवं gs एवं gv हो टन
gs = gv
हो
….(3)
चित्र ( 3.10 -1 ) में दर्शाये गये वक्रों से यह ज्ञात होता है कि तीनों वक्र बर्फ रेखा AB, भाप रेखा CD तथा वाष्प -हिम रेखा EF एक बिन्दु पर आकर मिलते हैं। इस बिन्दु को त्रिक बिन्दु (triple point) कहते हैं। इस बिन्दु पर द्रव्य की तीनों अवस्थाओं ठोस, द्रव व गैस साम्य में होती है। यह बिन्दु अद्वितीय (unique) होता है जिस पर तीनों अवस्थाओं में गिब्स ऊर्जा फलन परस्पर बराबर हो जाती है।
चित्र
gs = gl = gv
पानी का त्रिक बिन्दु 4.58 मिमी पारद स्तम्भ दाब पर 0.0098°C होता है।
ऐसे पदार्थ जिनका गलनांक दाब वृद्धि के साथ बढ़ता है अर्थात् जो हिमीकरण (freezing) पर संकुचित होती
है जैसे CO2 उनका p-T सूचक आरेख चित्र की भांति होता है।
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