biosynthesis of fatty acids in hindi , वसा अम्लों का जैवसंश्लेषण क्या है वसा अम्लों का माइटोकॉण्ड्रिया के बाहर संश्लेषण (Extra mitochondrial synthesis of fatty acids)
जाने biosynthesis of fatty acids in hindi वसा अम्लों का जैवसंश्लेषण क्या है वसा अम्लों का माइटोकॉण्ड्रिया के बाहर संश्लेषण (Extra mitochondrial synthesis of fatty acids) ?
वसा अम्लों का जैव-संश्लेषण (Bio-synthesis of fatty acids)
भोजन में उपस्थित प्राकृतिक वसा अम्लों में कार्बन परमाणुओं की सम (even) संख्या होती है जो 4 से 24 तक हो सकती है। शरीर में वसा अम्ल या तो भोजन से प्राप्त होते हैं अथवा कार्बोहाइड्रेट्स से संश्लेषित किये जाते हैं। वसा अम्लों की वस्तु इकाई (building unit) एसिटाइल कोएंजाइम – A होते हैं। इस प्रकार कोई भी पदार्थ जो एसिटाइल कोएंजाइम – A देता हो वह वसा अम्लों की श्रृंखला को कार्बन देती है। इस प्रकार वसा अम्लों की लम्बी श्रृंखला का निर्माण पूर्व उपस्थित श्रृंखला में लगातार 2 कार्बन परमाणु वाले एसीटेट के जुड़ते रहने के कारण होता है।
इससे प्राकृतिक वसा अम्लों में सम संख्या के उपस्थित कार्बन परमाणुओं को पता लगता है। एसिटाइल कोएंजाइम-A की प्राप्ति कार्बोहाइड्रेट्स व अमीनों अम्ल उपापचय द्वारा भी होता है। अतः कार्बोहाइड्रेट्स तथा अमीनों अम्ल वसा अम्लों के निर्माण हेतु पूर्वगामी (precursor) पदार्थ देते हैं। इस क्रिया को वसा अम्ल संश्लेषण (fatty acid synthesis) या लिपोनेजेसिस (lipogenesis) कहते हैं। वसा अम्लों के संश्लेषण हेतु अनेक क्रियाऐं प्रस्तुत की गई हैं।
(1) वसा अम्लों का माइटोकॉण्ड्रिया में संश्लेषण (Synthesis of fatty acids in mitochondria)
एक मत के अनुसार यकृत कोशिकाओं (hepatic cells) के माइटोकोण्ड्रिया में वसा अम्लों का संश्लेषण बीटा- ऑक्सीकरण की उल्टी (reverse) क्रियाओं द्वारा होता है। इसमें प्रमुख अपवाद (exception) के रूप में α , β द्वि-बन्ध के संतृप्तीकरण (saturation) हेतु NADPH तथा असंतृप्तीकरण (desaturation) हेतु FAD की आवश्यकता होती है। लम्बी श्रृंखला युक्त वसा अम्ल जैसे पाल्मिटिक अम्ल एवं स्टीयरिक अम्ल इत्यादि का संश्लेषण इसी प्रकार होता है। अपचयन (reduction) पदों (steps) में प्रयुक्त कोएंजाइम NADH+ H+ तथा NADPH + H+ के रूप में होते हैं। B-ऑक्सीकरण में प्रयुक्त सभी एंजाइम (केवल एसाइल कोएंजाइम A डिहाइड्रोजिनेस को छोड़कर) उल्टी दिशा में कार्य कर सकते हैं। क्रिया के प्रारम्भिक पद में एसिटाइल कोएन्जाइस – A तथा एसिटाइल कोएन्जाइम – A के संघनन हेतु पायरडॉक्सल फॉस्फेट (pyridoxal phosphate) की आवश्यकता होती है। वसा अम्लों के संश्लेषण में एक के बाद एक एसिटाइल कोएन्जाइम – A से वसा-अम्लों के संश्लेषण में कई एन्जाइम जैसे थायोलेस, बीटा, हाइड्रोक्सी, एसाइल कोएन्जाइम – A डिहाइड्रोजेनेस तथा इनोल को एन्जाइम, ATP, NADPH, कोएन्जाइम – A, बायोटिन विटामिन, कार्बन डाईऑक्साइड तथा मैग्नीशियम ऑयन की आवश्यकता होती है।
वसा अम्लों के संश्लेषण में श्रृंखला के दीर्घीकरण (elongation) को निम्न अभिक्रियाओं द्वारा दर्शाया जा सकता है-
(2) वसा अम्लों का माइटोकॉण्ड्रिया के बाहर संश्लेषण (Extra mitochondrial synthesis of fatty acids)
अधिकांश वसा अम्लों का संश्लेषण माइटोकॉण्ड्रिया के बाहर कोशिका के कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) में कार्बन डाइऑक्साइड के स्थिरीकरण (fixation) द्वारा होता है। इसमें संश्लेषण का प्रारम्भ एटिाइल कोएन्जाइम A द्वारा होता है। एसिटाइल कोएन्जाइम – A का निर्माण मुख्यतया माइटोकॉण्ड्रिया – A में होता है। जहाँ पाइरुविक डिहाइड्रोजेनेस (pyruvic dehyrogenase) एंजाइम पाया जाता है। माइटोकॉण्ड्रिया की झिल्ली एसिटाइल कोएंजाइम – A हेतु अपारगम्य (impermeable) होती है, अत: एसिटाइल कोएंजाइम A ऑक्सेलो एसीटिक अम्ल के साथ मिलकर सिट्रिक अम्ल बना लेता है। माइटोकॉण्ड्रिया झिल्ली द्वारा सिट्रिक अम्ल कोशिकाद्रव्य में आ जाता है जहाँ ATP साइट्रेज लाइऐज (ATP-citrate lyase) एंजाइम की उपस्थिति में यह पुनः एसीटाइल कोएंजाइम – A तथा ऑक्सेलाइसीटिक अम्ल देता है।
साइट्रिक अम्ल + ATP HS – CoA –> एसिटाइल कोएंजाइम – A + ऑक्सेलोएसीटिक अम्ल + ADP + Pi
जीव-संश्लेषण में प्रयुक्त NADH + H+ मेलेट (malete) के ऑक्सीकरण से प्राप्त होते हैं।
जन्तु कार्यिकी पाल्मिटिक अम्ल एक मुख्य संश्लेषित वसा अम्ल है। इसका संश्लेषण निम्न प्रकार से होता है- (i) एसिटाइल कोएंजाइम – A कार्बन डाइऑक्साइड के स्थिरीकरण (कार्बोक्सीकरण) द्वारा मेलोनाइल कोएन्जाइम – A में बदल जाता है। इस क्रिया में CO2 की प्राप्ति बाइकार्बोनेट से होती है। यह क्रिया एसिटाइल कोएन्जाइम – A कार्बोक्सीलेज एन्जाइम, बायोटिन सहकारक तथा ATP द्वारा सम्पन्न होता है।
(ii) मेलोनाइल कोएन्जाइम – A संघनिन एन्जाइम ( condensing enzyme) की उपस्थिति में एसिटाइल कोएन्जाइम – A के साथ क्रिया करके एसिटाइल कोएन्जाइम A का निर्माण करता है।
(iii) इस प्रकार प्राप्त एसिटाइल कोएन्जाइम – A कीटोएसाइल कोएन्जाइम – A रिडक्टेज की उपस्थिति अपचयन द्वारा हाइड्रोक्सी ब्यूटीराइल कोएन्जाइम – A देता है। इस क्रिया में NADH + H+ मिलकर NADP बनाते हैं।
(iv) B- हाइड्रोक्सी ब्यूटीराइल कोएन्जाइम – A का हाइड्रेटेज (hydratase) की उपस्थिति में निर्लजीकरण (dethydration) होता है जिससे a-B असंतृप्त ब्यूटाइरिल कोएन्जाइम – A (क्रोटोलाइल कोएंन्जाइम-A) बनता है।
(v) संश्लेषण के अन्त में α β असंतृप्त ब्यूटीराइल CoA का एसाइल CoA रिक्टेज की उपस्थिति में अपचयन में अपचयन होता है जिससे ब्यूटीराइल कोएन्जाइम – A बनता है।
इस प्रकार प्राप्त ब्यूरीटाइल कोएन्जाइम – A में क्रिया के प्रारम्भ में प्रयुक्त एसिटाइल कोएंजाइम -A से दो कार्बन परमाणु अधिक होते हैं। यह ब्यूटीराइल कोएन्जाइम – A पुन: दूसरे मेलोनाइल कोएन्जाइम – A के अणु के साथ क्रिया करता है। जिसमें उपरोक्त पदों की पुनरावृत्ति (repetition) होता है जिससे दो कार्बन परमाणु प्रत्येक बार जुड़ते हैं। इस प्रकार 6, 8, 10, 12, 14 और अन्त में 16 कार्बन वाला पाल्मिटिक अम्ल (C15H31 COOH) बन जाता है।
ट्राइग्लीसराइड्स का जैव संश्लेषण (Bio-synthesis of triglycerides)
वसा (fat) या ट्राइग्लीसराइड्स का संश्लेषण वसा अम्लों (fatty acids) एवं ग्लीसरॉल (glycerol) द्वारा होता है। एक ट्राइग्लीसराइड्स अणु में 3 वसा अम्ल तथा 1 ग्लीसरॉल अणु होता है। ये एक दूसरे से तीन एस्टर (ester) बन्ध द्वारा जुड़े रहते हैं। ट्राइग्लीसराइड्स के निर्माण में सर्वप्रथम ग्लीसरॉल तथा ATP की क्रिया से या डाइहाइड्रोक्सी एसीटोन फॉस्फेट के अपचयन (reduction) से सर्वप्रथम ग्लीसरोफॉस्फेट (glycerophosphate) बनता है। इसके बाद ग्लीसरोफॉस्फेट सक्रिय (active) वसा अम्लों के दो अणुओं से क्रिया करके फास्फेटिडिक अम्ल (phosphatidic acid) बनता है। यह एसाइल ट्रांसफेरेज (acyl transferase) की उपस्थिति में एसीटाइल कोएन्जाइम – A से क्रिया करके ट्राइग्लीसराइड बनता है। इसका संश्लेषण मुख्यतया आंत्र म्यूकोसा (intestinal mucosa), एडिपोस ऊत्तक ( adipose tissue) स्तन ग्रन्थियों (mammary glands), वृक्क (kidneys) तथा हृदय (heart) में होता है।
है।
ट्राइग्लीसराइड के संश्लेषण की सम्पूर्ण प्रक्रिया को निम्न अभिक्रियो द्वारा समझाया जा सकता
(i) संश्लेषण के प्रारम्भ में ग्लीसरॉल-ग्लीसरोकाइनेज (glycerokinase) एंजाइम की उपस्थिति में (ATP) के साथ क्रिया करके o के साथ क्रिया करके ग्लिसरोफॉस्फेट बनता है।
(ii) यह α ग्लीसरोफॉस्फे ग्लाइकोलाइसिस की क्रिया में प्राप्त डाइहाड्रोक्सी एसीटोन फॉस्फेट से भी प्राप्त किया जा सकता है। यह क्रिया ग्लीसरोफॉस्फेट डिहाइड्रोजेनेस की उपस्थिति में होती है।
(iii) इन प्रकार α ग्लीसरोफॉस्फेट, ग्लीसरोफॉस्फेट एसाइल ट्रांसफेरेज (glycerophosphate जन्तु कार्यिकी acyl transferase) की उपस्थिति में मोनोग्लीसराइड फॉस्फेट में बदल जाता है।
(iv) α मोनोग्लीसराइड फॉस्फेट पुनः उपरोक्त एंजाइम की उपस्थिति में एसाइल कोएन्जाइम – A के साथ α β डाइग्लीसराइड फॉस्फेट (फोस्फेटिडिक अम्ल) में बदल जाता है।
(v) इस प्रकार प्राप्त डाइग्लीसराइड फॉस्फेट अन्त में पुनः एसाइल कोएन्जाइम – A ट्राइग्लीसराइड
(triglyceride) अणु में बदल जाता है।
वसाओं का जैव संश्लेषण (Bio-synthesis of lipids )
वसाएँ जीव द्रव्य की अन्य महत्वपूर्ण घटक है। शर्कराओं की भाँति ये भी C, H एव O अणुओं C एवं O2 का अनुपात 2: 1 से अधिक पाया जाता है। ये कम अणुभार वाले यौगिक हैं। ये झिल्लियों में घटक के रूप में, तंत्रिकाओं पर पर्त के रूप में एवं संयुक्त व्युत्पन्नों के रूप में कोशिका में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाते हैं। ये ऊर्जा संग्रहकों एवं हारमोन्स के रूप में भी क्रियाशीलता बने रहते हैं। इनके संश्लेषण में ग्लीसरॉल व वसीय अम्ल कच्चे माल के रूप में काम में आते हैं जो कि ग्लूकोज व एसिटिक एसिड आदि से उपापचय के दौरान प्राप्त होते हैं। लेहनिनगर (Lehninger; 1965) के अनुसार लेसिथिन या फॉस्फेटिडाइल कोलीन के जैव संश्लेषण के निम्न
पद होते हैं।
- वसीय अम्लों का सक्रियण (Activation of fatty acids)
वसीय अम्ल Co.A व ATP के द्वारा सक्रिय बनाये जाते हैं जिससे ये एसाइल अवस्था में प्राप्त होते हैं।
R’COOH + ATP + COASH→ R’COS.COA+AMP+ PP
2 AMP+2 ATP→ 4 ADP
2_PP + 2H2O 4 Phosphat (P)
पायरोफॉस्फेट
- ग्लिसरॉल एवं कोलीन का सक्रियण (Activation of glycerol and choline) ग्लिसरॉल + ATP फॉस्फोग्लिसरॉल + ADP
कोलीन + ATP → फॉस्फोराइलकोलीन +ADP
फॉस्फेराइलकोलीन + CTP
CDP choline + PP
पायरोफॉस्फेट (OO) = H2O 2. फॉस्फेट
- समुच्चय अभिक्रियाएँ (Assembly reactions)
सक्रियत वसीय अम्ल, ग्लिसरॉल एव कोलीन मिलकर पूर्ण वसीय अणु बनाते हैं। 3 फॉस्फोग्लिसरॉल + R. COSCOA. 1- एसाइल 3- फॉस्फोग्लिसरॉल + CoA SH 1. एसाइल 3 फॉस्फोलिग्लसरॉल + R’COSCoA & फॉस्फेटिडिक अम्ल + CoASH α फॉस्फेटिडिक अम्ल + H20 1,2, डाइग्लिसरॉइड + फॉस्फेट
1, 2, डाइग्लिसरॉड + CDP कोलीन
फॉस्फेटिडाइल कोलीन + CMP
CMP+ ATP→ CDP+ ADP
CDP + ATP → CTP + ADP
अथवा संक्षिप्त में निम्न समीकरण द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
2 वसीय अम्ल + ग्लिसरॉल + कोलीन +8 ATP
फोस्फेटिडाइल कोलीन ( लेसिथिन) +8 ATP + 8P
सम्पूर्ण वसा उपापचय को निम्न द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है-
प्रश्न (Questions)
प्र.1 निम्न पर टिप्पणियाँ लिखिए (Write short notes on the following)-
(i) लिपिड्स का वर्गीकरण
(ii) सरल व संयुक्त लिपिड्स
(v) B-आक्सीडेशन
– (vii) थायोलाइटिक विदलन (ix) कीटोन पिण्ड
(ii) व्युत्पन्न लिपिड्स
(iv) ग्लीसरॉल उपापचय
(vi) ca-आक्सीडेशन
(vii) असंतृप्त वसीय अम्लों का उपापचय (x) वसा अम्लों का संश्लेषण
प्र. 2 निम्न प्रश्नों के विस्तृत उत्तर दीजिए (Answer the following in Detail)-
(i) वसीय अम्ल क्या है? इनकी प्रवृत्ति, उपापचय व उपयोगिता पर लेख लिखिये। (i) वसाएँ व लिपिड्स में क्या अन्तर हैं? इनके वर्गीकरण पर प्रकाश डालिये। (iii) लिपिड उपापचय पर लेख लिखिये।
(iv) वसाओं के पाचय एवं अवशोषण देह में किस विधि से होती है।
(v) कीटोन पिण्डों के निर्माण पर उपापचय को विस्तार से समझाइये।
(vi) वसाओं के संगठन व उपयोग पर प्रकाश डालिये।
(vii) वसीय अम्लों का जैव संश्लेषण प्राणी में किन अंगों में किस प्रकार होता है? (viii) लिपिड्स की संरचना व कार्यों का लेख लिखिये ।
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