क्रॉसिंग ओवर क्या है सचित्र वर्णन कीजिये , क्रियाविधि , परिभाषा , crossing over definition in hindi
crossing over definition in hindi क्रॉसिंग ओवर क्या है सचित्र वर्णन कीजिये , क्रियाविधि , परिभाषा ?
क्रासिंग ओवर (Crossing Over)
“किसी समजात गुणसूत्र युग्म (homologus chromosome pair ) में दो विषमजनक क्रोमेटिडो (non sister chromatid) तन्तुओं के बीच क्रोमेटिड खण्डों (Chromatid sgements) के आदान-प्रदान (interchange) की प्रक्रिया या क्रोमेटिड खण्डों के रूप में उपस्थित जीन्स समूहों (group genes) के आदान-प्रदान की प्रक्रिया को क्रासिंग ओवर (Crossing over) कहते हैं ।” दूसरे शब्दों में, विभिन्न सहलग्न समूहों में उपस्थित जीन्स के आनुवंशिक पदार्थ का आपस में आदान-प्रदान या जीन विनिमय क्रासिंग ओवर (Crossing over) कहलाता है ।
क्रॉसिंग ओवर की क्रियाविधि (Mechanism of crossing over)—
जैव रासायनिक प्रारूप (Biochemically) के अनुसार क्रॉसिंग ओवर की प्रक्रिया अर्धसूत्री विभाजन प्रथम (Meiosis I) की प्रोफेज अवस्था (Prophase) की पेकाईटीन प्रक्रिया (Pachytene stage) में प्रारम्भ होती है, लेकिन यह डिप्लोटीन प्रावस्था (Diplotene stage) में दिखाई पड़ती है (visible)। इस अवस्था तक दो समजात गुणसूत्रों में युग्मन (pairing) की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है। प्रत्येक समजात गुणसूत्र के दो क्रोमेटिड्स पृथक हो जाते हैं, परन्तु सेन्ट्रीमियर बिन्दु (centromere) द्वारा एक बिन्दु पर आपस में संलग्न रहते हैं । उपरोक्त दो असमजन (non sister) क्रोमेटिड्स के बीच कियाज्मा (Chaismata) का निर्माण हो जाता है । कियाज्मा के बिन्दु अथवा क्षेत्र होते हैं जिन पर दो विपरीत क्रोमेटिड खण्डों की टूटन तथा जुड़ाव (breakage and rejoining of opposite chromatids) की प्रक्रिया सम्पन्न होती है तथा जहाँ क्रॉसिंग ओवर या आनुवंशिक पदार्थों का विनिमय सम्पन्न होता है। इस प्रक्रिया में क्रोमेटिड खण्डों को किसी प्रकार की जीन्स का नुकसान या फायदा नहीं होता क्योंकि दो क्रोमेटिड सूत्रों में पूर्णतया बराबर के खण्डों (exactly equivalent segments) का विनिमय सम्पन्न होता है (चित्र 4.11)।
चित्र 4.11 : जीन विनिमय के समय गुणसूत्र खण्डों का विनिमय
क्रॉसिंग ओवर के प्रकार (Types of crossing over ) — क्रॉसिंग ओवर प्रक्रिया में भाग लेने वाले क्रोमेटिड सूत्रों की संख्या एवं यह प्रक्रिया जितने स्थानों पर सम्पन्न होती है, उन बिन्दुओं या स्थानों (regions) की संख्या के आधार पर क्रॉसिंग ओवर निम्न प्रकार के हो सकते हैं (चित्र 4.12 ) –
- द्विसूत्री एकलबिन्दु क्रॉसिंग ओवर (Two stranded, single point crossing over)—इस प्रकार के क्रॉसिंग ओवर में, दो क्रोमेटिड सूत्र केवल एक ही स्थान या बिन्दु ( point) पर कियाज्मा (Chiasma) का निर्माण करते हैं जहाँ पर आनुवंशिक पदार्थों के विनिमय (exchange of genetic material) की प्रक्रिया सम्पन्न होती है।
(2) दोसूत्री द्विबिन्दु क्रॉसिंग ओवर (Two stranded No Points crossing over जिस क्रॉसिंग ओवर प्रक्रिया में दो क्रोमेटिड सूत्रों के बीच दो बिन्दुओं (two points) पर कियाज्मेटा (Chiasmata) का निर्माण होता है ।
(3) त्रिसूत्री, द्विबिन्दु क्रोसिंग ओवर (Three stranded two points crossing over – इस प्रक्रिया के अन्तर्गत समजात गुणसूत्र युग्म (homologus pair) के तीन क्रोमेटिड सूत्र क्रॉसिंग ओवर प्रक्रिया में सहभागिता निभाते हैं तथा कियाज्मेटा (Chiasmata) का निर्माण दो बिन्दुओं पर होता है। ( 4 ) चारसूत्री द्विबन्दि क्रॉसिंग ओवर (Four stranded two points crossing over जब समजात गुणसूत्र युग्म (homologus pair) के सभी चार क्रोमेटिड तन्तु, दो बिन्दुओं पर कियाज्मेटा (Chiasmata) के निर्माण में सहभागिता करते हैं ( चित्र 4.12 ) ।
कायिक क्रॉसिंग ओवर (Somatic crossing over ) –
कुछ सजीवों की कायिक कोशिकाओं में गुणसूत्रों के युग्मन (pairing of chromosomes) के पश्चात् क्रॉसिंग ओवर (crossing over ) की प्रक्रिया भी होती है, इसे कायिक क्रॉसिंग ओवा (Somatic crossing over) कहते हैं क्योंकि यह सजीव की जनन कशिकाओं में न होकर सामान्य कायिक कोशिकाओं में सम्पन्न होती है । यह प्रक्रिया कुछ वैज्ञानिकों, जैसे- स्टर्न (Stern) द्वारा ड्रोसोफिला मक्खी में एवं पोन्टेकारवो तथा सहयोगों द्वारा एस्परजीलस कवक में देखी गई थी।
क्रॉसिंग ओवर प्रक्रिया के सन्दर्भ में अवधारणाएँ (Theories regarding crossing over)—क्रॉसिंग ओवर की प्रक्रिया को समझाने के लिए अनेक प्रकार के आण्विक मॉडल प्रस्तुत किये हैं । वस्तुतः क्रॉसिंग ओवर एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न सजीवों में जीन पुनर्संयोजन (Genetic recombinations), जैसे महत्त्वपूर्ण जीवन चक्र सोपान सम्पादित होते हैं। इस प्रक्रिया को समझाने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण अवधारणाएँ एवं माडल्स निम्न प्रकार से हैं-
(I) प्रतिलिपि चयन मॉडल (Copy choice model ) – इस अवधारणा के अनुसार क्रॉसिंग ओवर प्रक्रिया के अन्तर्गत नये जीन्स का निर्माण ( संश्लेषण) होता है। क्रॉसिंग ओवर की प्रक्रिया को भली-भांति समझाने के लिए प्रतिलिपि चयन मॉडल (Copy choice model) की यह अवधारणा लेडरबर्ग (Lederberg, 1995 ) द्वारा प्रस्तुत की गई थी। उन्होंने बताया कि क्रॉसिंग ओवर की प्रक्रिया के दौरान युग्मों में उपस्थित क्रोमेटिड तन्तु (paired chromatids ) नये जीन्स का संश्लेषण (DNA) करते हैं एवं इसके परिणामस्वरूप इनका द्विगुणन (Duplication) हो जाता है। इसके बाद इन नवनिर्मित जीन्स के बीच नये सम्बन्ध (new connection) या जुड़ाव विकसित हो जाते हैं। इस प्रकार नवनिर्मित या संश्लेषित जीन्स से DNA प्रतिलिपिकरण (DNA replication) की परम्परागत संरक्षी प्रक्रिया (conservative mode) द्वारा पुर्नसंयोजियों (recombinants) अथवा संकरों (hybrids) का निर्माण होता है। लेकिन इस मॉडल को निम्न कमियाँ पाये जाने के कारण अस्वीकृत ( reject) कर दिया गया-
पुर्नसंयोजियों (recombinants) का निर्माण होता देखा गया है।
(1) DNA प्रतिलिपिकरण (DNA replication) की प्रक्रिया सम्पन्न नहीं होने के बावजूद भी
(2) विभिन्न प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध किया जा चुका है कि DNA प्रतिलिपिकरण (DNA replication) एक अर्ध संरक्षी प्रक्रिया (semi conservative process) है, यह संरक्षी (conservative प्रक्रिया नहीं है (चित्र 4.13 ) ।
एकपक्षीय प्रकार के पुर्नसंयोजनों को दर्शाता चित्र
(II) विच्छेद-सम्मिलन मॉडल (Breakage-fusion model) — इस मॉडल के अनुसार समजात अ) गुणसूत्रों के युग्म (pair ) के दो क्रोमेटिड एक-दूसरे के समानान्तर पार्श्व दिशा में जुड़ते हैं तथा एक
समान बिन्दु (Identical loci ) पर टूट जाते हैं, इन दोनों क्रोमेटिड्स के टूटे हुए सिरे इसके बाद आपस
में जुड़ जाते हैं। इस प्रकार DNA खण्डों की टूटन एवं जुड़ाव की पुनर्निर्माण प्रक्रिया के परिणाम से मतः नये पुनर्योजन स्थापित होते हैं ।
रोबिन होलिडे (Robin Holiday, 1964) ने भी इस मॉडल का समर्थन किया तथा इसके बारे में विस्तृत एवं सुव्यवस्थित रूप से जानकारी दी। उसने क्रोमेटिड तन्तुओं के मध्य द्विपक्षी या उभयपक्षीय (reciprocal) एवं एकपक्षीय (non reciprocal) प्रकार के पुर्नसंयोजनों (recombination) को प्रस्तावित किया (चित्र 4.13 ) ।
क्रॉसिंग ओवर को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting crossing over)— हालांकि दो जीन्स के बीच होनेवाली क्रॉसिंग ओवर प्रक्रिया की प्रतिशतता (percentage) उन जीनों के मध्य आपसी दूरी (distance) पर निर्भर करती है, लेकिन फिर भी कुछ कारकों, जैसे- तापक्रम (temperature), एक्स-रे (X-rays), उत्परिवर्तन रसायन (mutation chemicals), संगठन एवं लिंग (sex) इत्यादि के द्वारा भी क्रॉसिंग ओवर की प्रक्रिया प्रभावित होती है ।
क्रॉसिंग ओवर की महत्ता (Significance of crossing over ) – नवीन जीन पुर्नसंयोजनों (genetic recombinations) को विकसित करने के लिए क्रॉसिंग ओवर एक प्रभावी प्रक्रिया है।
वैज्ञानिकों ने इस प्रकार के पुनर्गठन का प्रयोग अत्यन्त उपयोगी एवं आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण उत्पादों के निर्माण हेतु किया है । क्रॉसिंग ओवर के उपयोग से पौधों एवं जन्तुओं में अनेक उपयोगी – किस्में (useful varieties) विकसित की गई हैं तथा इस प्रक्रिया द्वारा विकसित भिन्नताओं (variations) की वजह से नई प्रजातियों (evolution of species) का विकास भी सम्भव हुआ है।
गुणसूत्र मानचित्रण (Chromosome mapping ) — विभिन्न जीन्स का व्यवस्थाक्रम या अनुक्रम तथा इनके बीच सापेक्षिक दूरी (relative distance) को निर्धारित करने की प्रक्रिया या विधि को गुणसूत्र मानचित्रण (chromosome mapping) कहते हैं । किसी एक क्रोमोसोम पर उपस्थित दो जीन्स के बीच होने वाले क्रॉसिंग ओवर की सघनता या प्रतिशतता, इनके बीच की सापेक्षिकदूरी पर निर्भर करती है। इस प्रकार विभिन्न जीन्स के बीच होने वाले क्रॉसिंग ओवर की प्रतिशतता के तुलनात्मक अध्ययन के द्वारा इन जीन्स के सही अनुक्रमण एवं उनकी सही स्थिति की जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर 3 जीन्स a, b एवं c एक क्रोमोसोम पर उपस्थित हैं, जीन क्रास ओवर बिन्दु चित्र 4.14 के द्वारा प्रदर्शित किये गये हैं ।
उपरोक्त a, b, c जीन्स के प्रभावी एलील्स को वन्य प्रकार (wild types) कहा जाता ह * क्रोमोसोम (homologus chromosome) के एक ही बिन्दु (Loci) पर उपस्थित होते हैं। यदि
यह मान लिया जावे कि युग्मक ( gamete) निर्माण के समय क्रॉसिंग ओवर की प्रक्रिया सम्पन्न होती है, तो ऐसी स्थिति में तीन प्रकार की सम्भावनाएँ उभर कर सामने आती हैं- (1) a व b जीन्स के बीच. एकल क्रॉसिंग ओवर हो, (2) b एवं c जीन्स के बीच एकल क्रॉसिंग ओवर सम्पन्न हा
- a, b. व तीनों जीन्स के बीच द्विबिन्दु क्रॉसिंग ओवर (double crossing over ) सम्पन्न हो। इसके अतिरिक्त आधे युग्मका (लगभग 50% ) में पैतृक व्यवस्थाक्रम समन्वय (parental combination) की सम्भावना होती है, अर्थात् इनके निर्माण के समय क्रॉसिंग ओवर नहीं होता है। उपरोक्त परिस्थितियों को निम्न सारिणी के अनुसार परिलक्षित किया जा सकता है—
प्रतिशतता (percentage) को एक मानचित्र इकाई के समकक्ष माना जा सकता है, इस प्रकार aa b एवं 23% होती है। गुणसूत्र मानचित्र (chromosome map) तैयार करने के लिए प्रत्येक क्रॉस ओवर उपरोक्त गणना के अनुसार ab व bc जीन्स के बीच क्रॉसिंग ओवर की प्रतिशतता क्रमशः 20% को एक-दूसरे से 20 इकाईयाँ एवं b तथा c को एक दूसरे से 23 इकाइयों की दूरी पर रखा जाता है
(चित्र 4.15 ) ।
अभ्यास-प्रश्न अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न अथवा रिक्त स्थानों की पूर्ति (Very short answer/Fill in the blanks) :
- कोशिका विभाजन की सबसे सक्रिय अवस्था है।
- कोशिकाद्रव्य का विभाजन
- कोशिका विभाजन चक्र की निश्चित ही होता है ।
- कोशिका चक्र की
- तर्क तन्तु कहलाता है।
अवस्था में आने के बाद कोशिका विभाजन
- अर्धसूत्री विभाजन में किस समय विनिमय होता है ?
- क्रोसिंग ओवर शब्द देने वाले वैज्ञानिक का नाम लिखिए ।
- ‘माइटोसिस’ शब्द
- समसूत्री विभाजन होता है
- अर्धसूत्री विभाजन होता है
- केन्द्रक का विभाजन
- सिनेप्टोनिमल कॉम्पलेक्स का अध्ययन सर्वप्रथम 13. टेट्रावैलेन्ट अधिक स्पष्ट दिखाई देते है
लघूत्तरात्मक प्रश्न (short answer questions ) :
- अर्धसूत्री विभाजन को परिभाषित कीजिए ।
- C – माइटोसिस किसे कहते हैं ?
- पिक्नोसिस (Pycnosis) से आप क्या समझते हैं ?
- समजात गुणसूत्र क्या होते हैं ?
- क्रोसिंग ओवर को परिभाषित कीजिए ।
- क्रोसिंग ओवर के प्रकार लिखिए ।
निबन्धात्मक प्रश्न (Essay type of questions ) :
- कोशिका चक्र की विभिन्न प्रावस्थाओं का सचित्र वर्णन कीजिए ।
- समसूत्री विभाजन की क्रियाविधि का विस्तृत वर्णन कीजिए ।
- अर्धसूत्री विभाजन प्रथम (1) की क्रियाविधि का सचित्र वर्णन कीजिए । 4. निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए-
(1) साइटोकाइनेसिस
(1) स्पिन्डल उपकरण
(2) सिनेप्टोनिमल कॉम्पलेक्स अथवा
(2) टर्मिनेलाइजेशन
- समसूत्री विभाजन (Mitosis) व अर्धसूत्री विभाजन का तुलनात्मक वर्णन कीजिए । 6. क्रोसिंग ओवर की क्रियाविधि का वर्णन कीजिए ।
- क्रोसिंग ओवर से सम्बन्धित अवधारणाओं का वर्णन कीजिए । उत्तरमाला (Answers)
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न : 1. इन्टरफेज
- G2, DNA का 8. डब्ल्यू फ्लेमिंग 11. केरियोकाइनेसिस
- साइटोकाइनेसिस
- प्रोटीन के (Tubulin) 9. कायिक कोशिकाओं 12. एम. जे. मोसेज
- S-phase
- पैकिटीन
- जनन कोशिकाओं
- डिप्लोटीन
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