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menopause in hindi , रजोनिवृत्ति किसे कहते हैं , रजोनिवृत्ति के परिणाम क्या है परिभाषा

जाने menopause in hindi , रजोनिवृत्ति किसे कहते हैं , रजोनिवृत्ति के परिणाम क्या है परिभाषा ?

दुग्ध स्रवण में अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के प्रभाव को संक्षेप में निम्न प्रकार से समझाया जा सकता

(i) स्तन ग्रन्थियों का विकास या परिवर्धन युवावस्था के आरम्भ में वृद्धि हार्मोन STH, एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टिरॉन के प्रभाव से होता है।

चित्र 9.16 : स्तन ग्रन्थि का दृश्य (आरेखीय)

(ii) गर्भकाल के दौरान अण्डाशय एवं अपरा या प्लैसेन्टा से स्रवित एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टिरॉन स्तन ग्रन्थि के विवर्धन (enlargement) कूपिकाओं की कोशिकाओं के स्रवण हेतु सक्रिय करने व वसा संग्रह, लेक्टेसधर नलिकाओं के शाखित वृद्धि में सहायक होते हैं।

(iii) एडिनोहाइपोफाइसिस द्वारा स्रवित LTH व TSH दुग्ध संश्लेषण व स्त्रवण में सहायक होते हैं। अधिवृक्क ग्रन्थि से स्रवित स्टिरॉइड हार्मोन, इन्सुलिन पेराथोरमोन भी इस प्रकार की क्रियाओं में संकर्मी प्रभाव उत्पन्न करते हैं।

(iv) शिशु के द्वारा स्तनपान के समय स्तनाग्र को मुख में लेने से उत्पन्न अभिवाही तन्त्रिका तन्त्रिका आवेग के फलस्वरूप हाइपोथैलेमस द्वारा मोचक कारक मुक्त होकर LTH व आक्सिटोसिन का स्रवण होने पर स्तनाग्र से दुग्ध का निष्कासन होता है।

चित्र 9.17 : तन्त्रिका अन्तः रिफ्लेक्स दुग्ध स्रवण व दुग्ध निक्षेप में भाग लेने वाले

दुग्ध स्त्रवण से सम्बन्धित हार्मोन्स का शिशु पर प्रभाव (Effect of hormones related to milk secretion on foetus)

मादा की देह में विकासशील भ्रण नर या मादा की स्तन ग्रन्थियाँ भी माता की तरह सभी हार्मोन प्राप्त करती है अत: इनमें भी विवर्धन, दुग्ध स्रवण की क्रिया होती है। अतः माता के समान इनमें भी एक दो दिन तक हार्मोन्स का प्रभाव रहने तक दुग्ध का स्रवण हो सकता है। इसी प्रकार के कारण से नवजात शिशु में भी प्रसव के एक दो दिन बाद तक रक्त स्राव की क्रिया भी हो सकती है।

चित्र 9.18 : दुग्ध स्रावण का डिम्बोत्सर्ग पर प्रभाव

दुग्ध (milk) : प्रसव के बाद उत्पन्न दुग्ध जो प्रथम बार स्रावित होता है जलीय तरल होता है। यह नवदुग्ध (colostrum) कहलाता है। इसमें माता की देह से प्राप्त प्रतिरक्षियों (antibodies) की अधिक मात्रा होती है। शिशु की आन्त्र से इनका अवशोषण किया जाता है तथा शिशु की देह में स्वयं के प्रतिरक्षी तन्त्र के सक्रिय होने से पूर्व तक 6-8 माह के कालावधि के लिये अक्रिय रोधक क्षमता या प्रतिरक्षा (passive immunity) प्राप्त कर लेता है। इस प्रकार नवजात शिशु अनेक संक्रामक रोगों का शिकार होने के खतरे से सुरक्षित हो जाता है।

माता के दुग्ध में प्रोटीन, वसा, शर्करा, विटामिन्स एवं खनिज लवण जलीय तरल में घुलित अवस्था में उपस्थित होते हैं। यह तरल शिशु को सभी आवश्यक तत्व प्रदान करता है जो सामान्य वृद्धि हेतु आवश्यक होते हैं।

दुग्ध स्रवण का माता पर प्रभाव (Effect of milk secretion on lactating mother)

शिशु के बार-बार दुग्धपान कराते रहने से माता में बार-बार प्रोलैक्टिन का स्रवण होता है जो स्तन ग्रन्थियों से दुग्ध का निष्कासन कराता है । स्तनाग्र के उद्दीपन के फलस्वरूप उत्पन्न प्रतिवर्ती क्रिया के फलस्वरूप सामान्य से लगभग 10 गुना दुग्ध का स्रवण होता है। शिशु को दुग्ध पान यदि लम्बी अवधि तक कराया जावे तो दुग्ध का स्रवण कुछ वर्षों तक हो सकता है। दुग्ध स्रवण के कारण हार्मोन्स के प्रभाव से तथा प्रतिवर्ती क्रियाओं के प्रभाव से हाइपोथैलेमस एन्डोर्फिन का स्रवण करता है। यह कारक FSH-RH एवं LH-RH हार्मोन्स या मोचक कारकों को संदमित करता है जिनके प्रभाव से FSH व LH का स्रवण संदमित रहता है। इसी प्रकार अण्डाशय में पुटिका की वृद्धि व अण्डोत्सर्ग (ovulation) की क्रिया नहीं होती है। यह स्पष्ट है कि शिशुओं को दुग्ध पान कराने वाली माताएँ प्रकृति द्वारा प्रदत्त इस विधि द्वारा कुछ समय तक सन्तानोत्पत्ति से सुरक्षित रहती है। दुग्धपान कराने वाली माताओं को अधिक पोषक पदार्थों की आवश्यकता होती है ताकि वे कमजोरी से स्वयं अपनी व शिशु की रक्षा कर सके। इन माताओं को हानिकारक दवाओं व नशीली वस्तुओं के प्रयोग से परहेज रखना आवश्यक है अन्यथा इनके कारक दुग्ध के साथ शिशु में हानिकारक प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं।

मानव में रजोनिवृत्ति (Menopause In Human)

रूप से विलुप्त होने को रजोनिवृत्ति (menopause) कहते हैं। रजोनिवृत्ति की उम्र स्त्रियों में रजोनिवृत्ति एक प्राकृतिक क्रिया है। स्त्रियों के जीवन से रजचक्र (menstrual cycle) का स्थाई लग-अलग है।मन्त: यह 45 वर्ष से 50 वर्ष के मध्य होती है। रजोनिवृत्ति को परिभाषा से परिभाषित कर सकते हैं “The menopause is defined as the final episode of mesrual bleeding in women”. जब रजोवृित्ति प्रारम होती है तब अण्डाशय की प्रारम्भिक पुटिका पियुष ग्रन्थि (Graffian folliclis) परिवर्धित नहीं होता है। ग्रैफियन पुटिका का परिवर्धन नहीं होने के कारण के स्रावित गोन्डेडोट्रोपिक हार्मोन से उत्प्रेरित नहीं होती है। इसके परिणामस्वरूप, ग्रेफियन पुट्टिकाएं

डिम्बोत्सर्ग (Ovulation) नहीं होता है एवं गर्भावस्था की सम्भावना नहीं रहती है।

रजोनिवृत्ति के दौरान अण्डाशय छोटे हो जाते हैं एवं परिणामस्वरूप एस्ट्रोजन का स्राव कम हो जाता है एवं F.S.H एव LH हार्मोन का स्राव बढ़ जता है। एस्ट्रेडिओल का उत्पादन कम हो जाता है एवं परिणामस्वरूप स्तन एवं योनिम्यूकोसा का हास होने लगता है। रजोवृन्ति के साथ महिलाओं में ओस्टिओपोरोसिस (Osteoporosis) के लक्षण प्रकट होते हैं। रजोनिवृत्ति के प्रारम्भ होने के साथ कई कार्यिकीय परिवर्तन होते हैं। रजोनिवृत्ति के प्रारम्भ होन के साथ कुछ समय तक अनियमित रजचक्र होता है। हार्मोन्स का असन्तुलन शरीर में हो जाता है।.

रजोनिवृत्ति के परिणामस्वरूप स्त्रियों में निम्नलिखित प्रभाव दिखाई देते हैं।

  1. अण्डाशय का छोटा होना एवं योनि मार्ग का सुखना ।

2 बालों का गिरना एवं त्वचा का ड्राई होना ।

  1. अत्यधिक पसीना आना ।
  2. गर्दन व सीने में दर्द रहना।
  3. सिर दर्द करना ।
  4. मानसिक रूप से अवसास का अनुभव करना ।
  5. मैथुन न करने की इच्छा का होना ।
  6. स्वभाव का चिडचिडा होना ।
  7. ओस्टियोपोरोसिस का प्रारम्भ होना ।

निम्नलिखित प्रश्नों के लघु उत्तर दीजिए-

(Questions)

(Write short answers of the following questions) (i) नर जनन में पाये जाने वाली मुख्य रचनायें कौनसी हैं ? (ii) नर लैंगिक हॉर्मोन्स कौन से हैं तथा इनका स्रावण कहां से होता है? (i) नर लैंगिक हॉर्मोन्स की कमी से व्यक्ति में क्या प्रभाव पड़ेगा ? (iv) मद चक्र कौन से जन्तुओं में पाया जाता है ?

(v) मद अवस्था में मादा जन्तु में क्या परिवर्तन होते हैं ?

(1) मद चक्र में कौन सी अवस्थायें पायी जाती है ?

(vi) रज प्रावस्था क्या है ?

(vii) स्त्री में रजोचक्र का कौनसा काल ‘सुरक्षित काल’ के नाम से जाना जाता है ? (ix) आरोपण क्या है तथा इसके लिए कौनसा हार्मोन उत्तरदायी है ?

(x) प्लेसेन्टा का निर्माण कैसे होता है तथा इससे कौन सा हॉर्मोन स्रावित होता है ? (xi) नर में द्वितीयक लैंगिक लक्षण कौन से होते हैं ?.

(xii) रज चक्र कौन से जन्तुओं में पाया जाता है ?

(xiii) अण्डोत्सर्ग की क्रिया कौन से हॉर्मोन्स के द्वारा नियंत्रित रहती है ?

(xiv) रज-चक्र प्रावस्थाओं में स्त्री में तापक्रम एवं हार्मोन सम्बन्धी परिवर्तन बताइये।

(xv) प्रसव क्रिया में कौन से हॉर्मोन काम में आते हैं?

  1. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिये :

(i) रजोदर्शन, (ii) रजोनिवृति, (iii) दुग्ध स्रावण, (iv) रोपण, (v) प्रसव क्रिया, (vi) अण्डोत्सर्ग (vi)ल्यूटियल प्रावस्था, (viii) सुरक्षित काल, (ix) रज चक्र, (x) मद चक्र, (xi) द्वितीय

लक्षण, (xii)दुग्ध स्त्रावण का माता पर प्रभाव, (xiii) प्रत्यारोपण (xiv) वृषण के कार्यों पर हॉर्मोन्स का नियंत्रण,

निम्नलिखित प्रश्नों के विस्तृत उत्तर दीजिये :

(i) एस्ट्रस चक्र का विस्तार से वर्णन कीजिये।

(i) रज चक्र पर एक लेख लिखिये ।

(ii) स्तनि में नर जनन क्रिया पर हॉर्मोन द्वारा नियंत्रण पर विस्तार से लेख लिखिये।

(iv) स्तनि में मादा जनन क्रिया पर हॉर्मोन द्वारा नियंत्रण की व्याख्या कीजिये । (v) स्तनियों में अण्डोत्सर्ग की अन्तःस्रावी क्रिया पर एक लेख लिखिये।

(vi) प्रसव एवं दुग्ध स्रावण क्रियाओं को विस्तार से समझाइये।

(vii) प्रसव क्रिया पर विभिन्न अन्तःस्रावी के हॉमोन्स का नियंत्रण बताइये। (viii) रोपण की क्रिया में प्रयुक्त अन्तःस्रावी स्रावणों के नियंत्रण पर एक लेख लिखिये। (ix) प्राइमेट्स जन्तुओं की मादा में रज चक्र की विभिन्न प्रावस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिये। (x) अण्डोत्सर्ग की क्रिया पर अन्तःस्रावी ग्रन्थियों का नियंत्रण विषय पर एक लेख लिखिये। (xi) एड्रिनल ग्रन्थि की संरचना का विवरण दीजिए एवं इससे स्त्रावित होने वाले हॉर्मोन्स के कार्यों की विवेचना कीजिए।