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Structure of metamorphism rocks in hindi , Texture of metamorphism rocks

Texture of metamorphism rocks :

1. Crystalloblastic texture (कायान्तर क्रिस्टली गठन) : यदि कायान्तरित शैल पुन: क्रिस्टलन के कारण बना हो तथा उसमे खनिजो के क्रिस्टलन का स्पष्ट विकास हो तो इस गठन को कायान्तर क्रिस्टली कहते है।
यदि शैल के खनिज क्रिस्टल के फलक सुविकसित न हो तो इस गठन को परब्लास्टि या परक्रिस्टली (Xehoblastic) कहते है।  सुविकसित क्रिस्टल फलक वाले खनिजो को स्वक्रिस्टली या स्वब्लास्टी (Idioblastic) कहा जाता है।
2. Porphyroblastic texture : कभी कभी कायान्तरित शैल के रूपान्तरित खनिज आग्नेय पार्फीराइटी गठन के अनुरूप विन्यस्त होते है।  ऐसे गठन को पार्फीरोब्लास्टिक गठन कहते है।  इस गठन के बड़े व सुविकसित क्रिस्टल मेटाक्रस्टस कहे जाते है।
3. Granoblastic texture : यदि कायांतरित शैल के खनिज कण रूप में या समदिशिक हो तो ऐसे गठन को ग्रेनोब्लास्टिक गठन कहते है।
4. palimpsest texture : the remnant texture of the parent rock found reserved in the metamorphic rock is called palimpsest texture .

Structure of metamorphism rocks

1. Cataclastic structure (अपदलनी संरचना) : कायान्तरण के उपरित्तम मण्डल में अपरुपक बलों द्वारा होने वाले कायान्तरण से शैल खंडो की अपदलनी संरचना का विकास होता है।  संदलन संकोणाशम (crush breccia ) एवं माइनाईट इस संरचना के प्रारंभिक उदाहरण है।  शैलो का कठोर भाग टुकडो में टूट जाता है जबकि नरम भाग पाउडर बन जाता है।
2. Maculose structure (धब्बेदार संरचना) : प्रबल खनिजो के प्रारम्भिक क्रिस्टलन और कार्बनमय पदार्थ के पृथक्करण से धब्बे उत्पन्न होते है।  इस प्रकार की संरचना को धब्बेदार संरचना कहते है।  मृण्मय शैलों के संस्पर्श कायांतरण पर उत्पन्न शैलो में यह संरचना प्रारूपिक रूप से देखी जा सकती है।
3. Slaty structure : स्लेटी संरचना Flaky मिनरलो के पूर्व की दिशा के समान्तर मुड़ने के कारण बनती है , इसमें मुख्य मिनरल माइक एवं क्लोराइट है।  स्लेटी रॉक पतली शीट्स को शीघ्रता से चीर देती है।  स्लेटी क्लीवेज shale के पुराने bedding प्लेन के किसी भी angle पर हो सकते है जिससे की स्लेटी रॉक विभाजित की जा सके।
4. Gneissose structure (नाइसी संरचना) : शिस्टोशिटी के समान्तर एकान्तर बेंड्स में लाइट एवं डार्क मिनरल उच्च श्रेणी मेटामोर्फिज्म की स्थितियों में पुन: क्रिस्टलित हो सकते है।  इस प्रकार विशाल कणीय कायांतरित शैलो bended अथवा स्ट्रीकइ की उपस्थिति दिखाती है तो में “gneiss” कहलाती है।
और यह संरचना “नाइसी संरचना ” कहलाती है।  लाइट कलर बेंड्स सामान्यत: क्वार्ट्ज व फेल्सपार की होती है जबकि डार्क कलर की बेंड्स फेरोमैग्नेशियन मिनरल रखती है।
5. schistose structure (शिस्टाम संरचना) : अधिकतर कायान्तरित शैलो में खनिज समान्तर लेमरों में व्यवस्थित रहते है।  रीजनल मेटामोर्फिज्म के दौरान पुन: क्रिस्टलन द्वारा प्लेटी अथवा फ्लेकी मिनरलों की समान्तर व्यवस्था बनती है इसे “फोलीऐशन ” कहते है।  एक फोलिएटेड रॉक जिसमे बड़े कोणीय और फ्लेकी और प्लेटी मिनरल पूर्णत: मिले रहते है उसे “schist” कहते है।  शिस्ट का फोलिएशन schistosity कहलाता है।

6. Granulose structure (कणिकामय संरचना) : क्वार्ट्ज।  फेल्सपार , पाइरॉक्सीन , कैल्साइट सदृश समविमीय खनिजों की प्रमुखता से कणिकामय संरचना विकसित होती है।  फ्लेकी मिनरल या तो अनुपस्थित रहते है या बहुत कम मात्रा में उपस्थित होते है।  कणिकामय संरचना मार्बल और क्वार्ट्जाइट जैसी शैलों में पायी जाती है।
कणिकामय शैल एक खुरदरे सतही विदलन में टूटती है क्योंकि वे कणीय संरचना रखती है।