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अमरनाथ कहाँ स्थित है , अमरनाथ कितने किलोमीटर है , अमरनाथ यात्रा की चढ़ाई कितनी है

जाने अमरनाथ कहाँ स्थित है , अमरनाथ कितने किलोमीटर है , अमरनाथ यात्रा की चढ़ाई कितनी है ?
अमरनाथः जम्मू-कश्मीर स्थित अमरनाथ एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। हर वर्ष जुलाई-अगस्त में लगभग 25,000 श्रद्धालु अमरनाथ गुफा के दर्शन करते हैं। यहां स्थित बर्फ के शिवलिंग का आकार मौसम के अनुसार बदलता जाता है। अमरनाथ गुफा के माग्र में स्थित शेषनाग में 3,573 मीटर की ऊंचाई पर हिम झील है। अमरनाथ गुफा के माग्र में स्थित अन्य दर्शनीय स्थल है चंदनवाड़ी, पंचतरणी तथा वावजाग।
स्वर्ण मंदिर (अमृतसर)ः अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर सिखों की सबसे प्रसिद्ध धर्मस्थली है। इसकी नींव सिक्खों के चैथे गुरु रामदास ने सन् 1577 में डाली थी। 1577 में यहां स्थित जलाशय में स्नान से जब एक अपंग ठीक हो गया तो इस सरोवर को अमृत सरोवर का नाम दे दिया गया। मुगल सम्राट अकबर अमृत सरोवर के विस्तार के लिए भूमि दान करने के लिए इच्छुक थे, परंतु भविष्य में कोई विवाद न हो इसलिए रामदास ने स्थानीय जाटों को पूर्ण राशि का भुगतान कर दिया। रामदास के पुत्र अर्जन देव ने सरोवर का विस्तार करवाया तथा जलाशय के मध्य में स्वर्ण मंदिर (1589-1601) का निर्माण करवाया।
स्वर्ण मंदिर में प्रवेश से पूर्ण सिक्ख धर्म की मान्यताओं के अनुसार जूते, चप्पल, छड़ियां तथा छाते आदि बाहर ही छोड़ने पड़ते हैं। परिसर में प्रवेश से पूर्व पांव धोने चाहिए तथा सर ढका हुआ होना चाहिए। मंदिर परिसर का मुख्य प्रवेश द्वार हर मंदिर कहलाता है। सभी भक्त सरोवर का चक्कर दक्षिणावत्र्त में लगाते हैं। सरोवर क्षेत्र 8 मीटर चैड़े पैदल माग्र से घिरा हुआ है। यहां लगाये गये सफेद संगमरमर काले एवं भूरे जयपुरी संगमरमर से युक्त हैं।
स्वर्ण मंदिर परिसर में प्रवेश द्वार के बांयी ओर तथा सरोवर के पूर्वी भाग में स्नान घाट स्थित हैं। परिसर के पूर्वी भाग में ही हिंदुओं के 68 पवित्र स्थल तथा ग्रंथ साहिब की प्रतिलिपी भी रखी गई है। ग्रंथ साहिब का पाठ स्वर्ण मंदिर के ज्ञानी द्वारा ही किया जाता है तथा संपूर्ण पाठ की अवधि सामान्यतः तीन घंटे होती है। हालांकि ग्रंथ-साहिब के पूर्ण पाठ में 48 घंटे का समय लगता है। परिसर के पूर्वी भाग में स्थित जूबी वृक्ष (450 वर्ष) में आज भी लोग अपंग लोगों को उपचार के लिए लाते हैं।
स्वर्ण मंदिर स्थित गुरु रामदास लंगर में लंगर छका जा सकता है तथा गुरु नानक निवास एवं गुरु राम दास सराय में यात्री ठहर (अधिकतम 3 दिन) सकते हैं। स्वर्ण मंदिर स्थित लंगर में एक दिन में 10,000 लोगों को लंगर छकाया जाता है। परिसर के दक्षिणी भाग में लंगर बाबा दीप सिंह की समाधि है। बाबा दीप सिंह द्वारा 1758 में अहमद शाह दुर्रानी के साथ किए गए युद्ध को यहां चित्रों में दर्शाया गया है।
परिसर के पश्चिमी भाग में गुरु गोविंद सिंह की समाधि तथा अकाल तख्त हैं। सरोवर के मध्य में स्थित हरमंदिर सिक्खों की सबसे पवित्र स्थली है। मंदिर में प्रवेश से पूर्व भक्त प्रसाद (कड़ा) प्राप्त करते हैं। हरमंदिर को जागे वाला 60 मीटर लंबा माग्र प्रायः भक्तों की कतार से भरा रहता है। इस 60 मीटर लंबे माग्र तथा प्रथम तल के निर्माण में सफेद संगमरमर का प्रयेाग किया गया है, जबकि शेष मंदिर पर ताम्र परतें चढ़ाई गई हैं। तीन-मंजिले मंदिर के निचले तल में गुरु ग्रंथ साहिब रखा गया है। प्रथम तल की बालकोनी पर तीन सिक्ख सदैव अखण्ड पाठ का गान करते रहते हैं।

अजमेरः अजमेर या अजयमेरू राजस्थान की तराई में स्थित एक जिला नगर है। इसकी स्थापना सातवीं शताब्दी में अजयपाल चैहान द्वारा की गई थी। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। अजमेर स्थित ढाई दिन का झोपड़ा हिन्दू वास्तुकला का प्राचीनतम और सर्वोत्कृष्ट नमूना है। अजमेर से 11 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में हिंदुओं का पावन तीर्थ पुष्कर है। ब्रह्माजी एवं सावित्री के मंदिर संपूर्ण भारत में केवल पुष्कर में ही स्थित है पुश्कर सरोवर के अतिरिक्त रमा बैकुण्ठ, ब्रह्म्रह्माजी का मंंिदर, गायत्री एवं सावित्री मंदिर आदि भी दर्शनीय हैं। अजमेर स्थित अन्य प्रसिद्ध पर्यअन स्थल हंै आनासागर, सोनीजी की नसियां, तथा तारागढ़ दुग्र आदि।
अयोध्याः उत्तर प्रदेश स्थित अयोध्या सरयू नदी के किनारे अवस्थित है। अयोध्या हिंदुओं के सात सबसे पवित्र नगरों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम का जन्म यहीं हुआ था। जैन सम्प्रदाय इस स्थल को अपने पहले और चैथे तीर्थंकर की जन्म स्थली मानता है। ऐसी मान्यता भी है कि भगवान बुद्ध ने अपना कुछ समय यहां व्यतीत किया था। अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद स्थल काफी समय से विवाद का विषय रहा है। राम से संबंधित अनेक स्थलों मंे जन्म स्थान, लक्ष्मण घाट एवं हनुमान किला आदि प्रमुख हैं। कला राम एवं कनक भवन यहां के प्रमुख मंदिर हैं।
आगराः उत्तर प्रदेश में यमुना नदी के किनारे स्थित आगरा दिल्ली से 200 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। आगरा मुगलकालीन स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है। आगरे का लाल किला यमुना नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित है, इस किले के मुख्य परिसर के निर्माण का श्रेय अकबर को है। किले की बाहरी दीवारें 20 मीटर से अधिक ऊंची हैं तथा इनका निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है जबकि अंदर की दीवारें 22 मीटर ऊंची हैं। जहांगीरी महल का निर्माण अकबर ने 1570 में किया था। इसके दक्षिण में स्थित जोधाबाई महल का नामकरण जहांगीर की पत्नी के नाम पर किया गया है। शाहजहां महल की इमारतों में मुसामन बुर्ज में सफेद संगमरमर का प्रयोग वातावरण में विशिष्ट सौंदर्यमय प्रकाश का आभास उत्पन्न करता है। अंगूरी बाग, गोल्डन पवेलियन, खास महल, शीश महल, दीवान-ए-खास, मच्छी भवन, दीवान-ए-आम, नगीना मस्जिद तथा मोती मस्जिद आदि अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। एतमद-उद-दौला चिन्नी का रौजा, राम बाग, जौहरा बाग तथा राधास्वामी समाधि आदि अन्य रमणीय केंद्र हैं। आगरा में प्रतिवर्ष 18-27 फरवरी तक ताज महोत्सव का आयोजन किया जाता है। आगरा से 14 किलोमीटर दूर स्थित कैलाश में अगस्त/सितंबर में शिव मंदिर में भी एक उत्सव का आयोजन किया जाता है। आगरा से कुछ दूर स्थित सिकंदराबाद अकबर के मकबरे तथा बुलंद दरवाजे के लिए दर्शनीय है।
आनंदपुर साहिबः पंजाब स्थित आनंदपुर साहिब की स्थापना सिखों के 9वें गुरु तेगबहादुर ने 1664 में की थी। शिवालिक पहाड़ियों की गोद में सतलुज नदी के पूर्वी किनारे पर बसा आनंदपुर साहिब प्रसिद्ध सिख-धर्म स्थल है। आनंदपुर साहिब में बैसाखी के दिन 1699 में सिख पंथ की स्थापना हुई थी। आनंदपुर साहिब गुरुद्वारे के अतिरिक्त यहां स्थित संग्रहालय विशेष रूप से दर्शनीय है।
इलाहाबादः उत्तर प्रदेश स्थित इलाहाबाद अनेक ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। गंगा, यमुना एवं सरस्वती के संगम पर स्थित इलाहाबाद को ‘प्रयाग’ नाम से भी पुकारा जाता है। यहां आयोजित माघ मेला तथा कुंभ मेले में श्रद्धालु बड़ी मात्रा में पहुंचते हैं। मुगल काल में निर्मित किला तथा खुसरो बाग यहां स्थित दर्शनीय स्थल हैं। अंग्रेजों द्वारा निर्मित स्मारकों में आॅल सेंटस कैथेड्रल, मुईर काॅलेज, मायो हाल, मिंटो पार्क आदि प्रमुख हैं। इलाहाबाद संग्रहालय में ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी से लेकर 11वीं शताब्दी तक की पुरातात्विक वस्तुओं का संग्रह है। आनंद भवन में नेहरू परिवार से संबंधित वस्तुओं को संग्रहीत किया गया है।
उज्जैनः मध्य प्रदेश स्थित उज्जैन भारत के प्राचीनतम नगरों में से एक है। उज्जैन हिंदुओं की सात पवित्र नगरियों में से एक है। यहां आयोजित किए जागे वाले कुंभ मेले का विशेष धार्मिक महत्व है। उज्जैन स्थित वेधशाला का निर्माण सवाई राजा जयसिंह ने करवाया था। इस वेधशाला द्वारा ग्रहों की स्थिति बताई जा सकती है। उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक स्थापित है।
उडुपीः कर्नाटक स्थित उडुपी 12वीं शताब्दी के संत माधव की जन्मस्थली है। माधव ने उडुपी में 8 सन्यासी मठों की स्थापना की थी। श्रीकृष्ण मठ तथा श्रीअनंथसाना मंदिर विशेष रूप से दर्शनीय हैं। उडुपी से 5 किलोमीटर दूर स्थित मणीपाल शैक्षिक केंद्र होने के साथ-साथ यक्षगान नृत्य नाट्य के लिए भी प्रसिद्ध है। उडुपी से कुछ दूर स्थित माल्पे एक प्रसिद्ध मत्स्य केंद्र है।