Biological Clock in hindi in plants , जैविक घड़ी किसे कहते है पादपों में , जैविक घड़ी की कार्यिकी (Physiology of biological clock)
जानेंगे Biological Clock in hindi in plants , जैविक घड़ी किसे कहते है पादपों में , जैविक घड़ी की कार्यिकी (Physiology of biological clock) ?
जैविक घड़ी (The Biological Clock)
परिचय (Introduction)
विभिन्न पादपों में अनेक क्रियायें ऐसी होती हैं जो निश्चित अंतराल से होती है अर्थात वे आवर्ती (rhythmic) होती हैं। इन आवर्ती क्रियाओं का समय अंतराल भिन्न-भिन्न अर्थात 24 घंटे, 1 सप्ताह, 15 दिन, । महीना, अथवा 1 वर्ष भी हो सकता है। उदाहरण के तौर पर फेसियोलस (Phaseolus ) की पत्तियों में होने वाली निशानुकुंची (nyctinastic) गति में 24 घंटे का अंतराल होता है जबकि पादपों में पुष्पन प्रतिवर्ष लगभग एक निश्चित मौसम में होता है जैसे गुलदाऊदी (Chrysanthemum) में पुष्पन। पादपों में इस प्रकार की क्रियाएं पर्यावरण की आवर्तिता (rhythm) से प्रभावित होती है तथा पादप नैज आवर्तिता (plant rhythm) कहलाती है।
इस आवर्तिता को पहली बार एंड्रोस्थनस (Androsthens, 400 BC) ने कुछ पादपों में नैश गति (sleeping movement) के रूप में देखा था। इनमें पत्तियाँ दिन में क्षैतिज (horizontal), फैली हुई तथा अर्धरात्रि में बिलकुल लटकी हुई होती है। डी मैरियन (De- Marian, 1929) ने छुई-मुई में प्रयोग द्वारा देखा कि आवर्ती क्रियाएं पादप को उस वातावरण से हटा देने पर सतत उसी प्रकार चलती रहती हैं। इसके आधार पर उन्होंने कहा संभवतया पादपों में समय को मापने के लिए आंतरिक तंत्र होता है। फैफर (Pfeffer, 1875-1915) ने फेसियोलस वल्गैरिस (Phaseolus vulgaris) में प्रयोग किए एवं उन्होंने पादपों में अंदर ही “जैविक घड़ी” की अवधारणा दी।
नैज आवर्तिता के प्रकार (Types of rhythms)
पर्यावरणी आवर्तिता ( environmental periodicity) से नियंत्रित होने वाली पादपों की नैज आवर्तिता को बहिर्जात नैज आवर्तिता (exogenous rhythms) कहते हैं। यदि यह आवर्तिता बाद में बाह्य उतार चढ़ाव की अनुपस्थिति में भी बनी रहती है तो उसे अंतर्जात नैज आवर्तिता (endogenous rhythms) कहते हैं । प्रकाश संश्लेषण रंध्रों की गति इत्यादि बर्हिजात नैज आवर्तिता के उदाहरण हैं ।
वनस्पतिज्ञों का अधिक ध्यान अंतर्जात नैज आवर्तिता पर केन्द्रित है तथा पादप में उपस्थित उस विशिष्ट “जैविक घड़ी (biological clock)” के बारे में उत्सुकता है जिसके कारण बाहरी उद्दीपन (stimulus) के हटा दिये जाने पर भी पादप को समय का पूरा ज्ञान रहता है।
पादप नैज आवर्तिता को इनके अवधिकाल (period) के आधार पर भी विभाजित किया जा सकता है-
(i) चांद नैज आवर्तिता (Lunar rhythms)
अनेक पादपों में चंद्रमा द्वारा पृथ्वी की परिक्रमा की अवधि (271⁄2 दिन) के अनुसार आवर्तिता पाई गई है इन्हें चांद नैज आवर्तिता कहते हैं। एक शैवाल डिक्टियोटा (Dicyota) में बीजाणुओं का विमोचन (release) इसी प्रकार का उदाहरण है। (ii) वार्षिक नैज आवर्तिता (Annual rhythms)
एक वर्ष की अवधि वाली नैज आवर्तिता वार्षिक नैज आवर्तिता कहलाती है। पर्णपाती वृक्षों से पत्तियों का झड़ना, बीजों का विशिष्ट मौसम में अंकुरण, पुष्पन व फलन इत्यादि इस के कुछ उदाहरण हैं।
(iii) परादैनिक नैज़ आवर्तिता (Ultradian rhythms)
इस के अतिरिक्त कुछ में अवधिकाल बहुत ही छोटा लगभग 1 मिनट से 2 घंटे तक का होता है। इन्हें परादैनिक अथवा अल्ट्राडियन (ultradian) आवर्तिता कहा जाता है। जीवद्रव्य प्रवाहिता (cytoplasmic streaming) इस प्रकार का उदाहरण है। (iv) ज्वारीय नैज़ आवर्तिता (Tidal rhythms)
समुद्र में पाये जाने वाले अनेक जीवों में ज्वारीय नैज आवर्तिता (tidal rhythm) पाई जाती है जिनकी आवर्तिता ज्वार भाटे के अनुसार होती है।
(v) दैनिक नैज आवर्तिता अथवा सरकार्डियन रिद्म (Circadian rhythm)
स्वचालित अवधि नैज आवर्तिता का अवधि काल लगभग | दिन होता है इसीलिए इन्हें ‘सरकार्डियन रिदम’ (circa = लगभग = diem दिन) कहते हैं तथा लगभग सभी प्राणियों में पाई जाती हैं। पत्तियों की गति, पुष्प में दल पुंज की गति कोशिका विभाजन तथा पुष्प में से विशिष्ट गंध की विमुक्ति सभी इसी के उदाहरण है। संभवतः पुष्पन दैनिक गतियों इत्यादि में सर्वाधि क दैनिक आवर्तिता से संबंधित है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि अंतर्जात नैज आवर्तिता संभवत पादपों में उपस्थिति जैविक घड़ी अथवा अंतर्जात समय नि रण के लिए अवश्य ही कोई प्रक्रिया अथवा तंत्र होता है।
बनिंग एवं स्टर्न (Bunning and Stern, 1932 ) ने जैन्थीयम पादप की पत्तियों में गति एवं कैलेन्को (Kalanchoe) के पुष्पदल का प्रेक्षण किया तथा बाद में उन्हें पूर्ण अंधकार व स्थिर तापमान में रखने पर भी उनकी गति उसी लय में होती पायी गयी। इसी आधार पर यह माना गया कि पादपों में अंतर्जात समय सुनिश्चित करने के लिए कुछ प्रक्रिया होती है। यह इतनी सक्षम है कि जैन्थीयम का क्रान्तिक प्रदीप्तकाल ( critical photoperiod) 15 घंटे 40 मिनट का होता है। यदि उसे 16 घंटे के लिए प्रकाश दिया जाये तो उनमें पुष्पन नहीं होता अर्थात् 15-20 मिनट का फेरबदल भी पुष्पन प्रेरण को रोक देता है। पुष्पन के लिए क्रांतिक प्रदीप्तकाल को महत्वपूर्ण माना जाता है परन्तु अनुसंधान से ज्ञात होता है कि इस की अपेक्षा रात अथवा अंधकार की अवधि पुष्पन के लिए अधिक महत्वपूर्ण है । जई की नवोद्भिद (seedling) में वृद्धि दर, ब्रायोफिलम (Bryophyllum) में CO2 उपापचय इत्यादि के अध्ययन, आंतरिक जैविक घड़ी अथवा दोलक ( oscillator) की उपस्थिति की ओर इंगित करते हैं। बनिंग (Bunning, 1967 ) ने सुझाया कि पादपों में प्रकाश संवेदी तथा अंधकार संवेदी सक्रियता के एकान्तर चक्र होते हैं जो लगभग 12 घंटे के होते हैं तथा कुल 24 घंटे के होते हैं। यह जैविक आंतरिक दोलक प्रकाश संश्लेषण, पत्तियों की गति अथवा उपापचयी क्रिया से जुड़े रहते हैं तथा आवर्तिता को बरकरार रखते हैं। इसमें विशेष रूप से प्रकाश से अंध कार’ तथा ‘अंधकार से प्रकाश का परिवर्तन काल (transition) के समय का उद्दीपन महत्वपूर्ण होता है।
पादपों में होने वाली आवर्ती क्रियाओं के पूरे चक्र में लगने वाला समय उस का अवधिकाल (period) कहलाता है एवं एक निश्चित समय में इस प्रकार के कितने चक्र पूरे हो सकते हैं वह आवृत्ति (frequency) कहलाती है। एक आवर्ती (rhythm) में उच्चतम व निम्नतम मान होते हैं जिनके बीच का अन्तर आयाम (amplitude) कहलाता है। सामान्यतः आवर्ती का अवधिकाल (t) समान रहता है परन्तु आयाम बदलता रहता है।
पादपों में नैज आवर्तिता हालांकि सहज ही होती है परन्तु कम से कम एक बार उसे बाह्य उद्दीपन की आवश्यकता होती है। कुछ समय लगातार प्रकाश अथवा अंधकार में रखने के बाद एक बार उद्दीपन देने के बाद पादप को लगातार अंध व प्रकाश में रखने पर भी यह आवर्तिता रहती है परन्तु आयाम कम हो जाता है। उसे फिर से सामान्य स्थिति में लाने के लिए दुबारा उद्दीपन की उपस्थिति आवश्यक होती है। एक समान वातावरण में लगातार रखने से आयाम कम होता है जैविक घड़ी में कोई परिवर्तन नहीं होता, केवल किसी क्रिया विशेष की उस घड़ी (अंतर्जात दोलक) से कपलिंग अथवा जुड़ान कम हो जाता है।
जैविक घड़ी की कार्यिकी (Physiology of biological clock)
बनिंग (Bunning) द्वारा सुझाई गई जैविक घड़ी को आरंभ करने के लिए मात्र एक बार का उद्दीपन (stimulus ) ही पर्याप्त होता है। यह उद्दीपन तापमान, प्रकाश तीव्रता ( light intensity) तथा अन्य पर्यावरण में अचानक परिवर्तन के रूप में हो सकते हैं। जैविक घड़ी को पुनः सेट (set) करने के लिए पादप को परिवर्तित ताप अथवा प्रकाश तीव्रता इत्यादि से उपचारित किया जा सकता है हालांकि यह इस पर भी निर्भर करता है कि यह उद्दीपन चक्र के किस भाग (प्रकाश संवेदी अथवा अंध संवेदी) में दिया जा रहा है।
जैविक घड़ियों को चलाने के लिए उपापचयी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अवायवीय परिस्थिति अथवा बहुत तापमान (लगभग °C) की स्थिति में जैविक घड़ी कार्य करना बन्द कर देती है क्योंकि इन्हें ऊर्जा उपलब्ध नहीं हो पाती है।
रेत घड़ी मॉडल (Hour glass model)
वर्तमान में नवीन जानकारी के अनुसार इस प्रक्रिया में फायटोक्रोम वर्णक की भूमिका होती है जिसमें वर्णक का कम होना अवरोध रहित रात्रिकाल के माध्यम से प्रदीप्तकाल को मापने के लिए “अंधकार अवधि की रेतघड़ी” के समान कार्य करता है। अंधकार में P730- P668 में परिवर्तित हो जाता है जबकि प्रकाश में पुनः Po68 से P730 में बदलता है। यह घड़ी में चाबी भरने के समान है।
जैविक घड़ी की प्रकृति (Nature of biological clock)
जैविक घड़ी की प्रकृति तथा स्थिति दोनों के बारे में वैज्ञानिक अभी तक किसी निर्णय पर नहीं पहुँच सकते हैं। एककोशिकीय जीवों में यह उस कोशिका में ही होती है। ब्रायोफिलम (Bryophyllum) की पत्तियों में पर्णमध्योतक (mesophyll) की प्रत्येक कोशिका का स्वयं का नियंत्रण तंत्र होता है जो CO, उपापचय में आवर्तिता दर्शाती है परन्तु उच्च पादपों में इसकी स्थिति तय नहीं हो पाई है कि यह सभी कोशिकाओं में होता है अथवा विशिष्ट कोशिकाओं में होता है। ऐसिटेबुलेरिया (Acetabularia) नामक कवक से किये गये प्रयोग से यह समझ में आता है कि मुख्य जैविक घड़ी केन्द्रक में स्थित नहीं होती, हालांकि केन्द्रक का इस पर नियंत्रण रहता है।
जैविक घड़ी अथवा दोलक की प्रकृति के बारे में कुछ निश्चित नहीं कहा जा सकता हालांकि फायटोक्रोम इससे किसी प्रकार सम्बद्ध माने जाते हैं। हीडे (Hcide, 1977) के अनुसार फायटोक्रोम का आवर्तिता से संबंधित प्रकाश अवधि से गहरा सम्बन्ध है। इनके अनुसार फायटोक्रोम जैविक घड़ी के लिए प्रकाशग्राही (photoreceptor) है। यह संभवतः कला (membrane) पर उपस्थित होता है।
महत्त्वपूर्ण प्रश्न (Important Questions) रिक्त स्थान भरो / सत्य या असत्य लिखो / एक शब्द दें
(Fill in the Blanks / Write True or False / Give One Word)
1.एक प्रजनन चक्र के बाद होने वाली जीर्णता क्या कहलाती है ?
What is the senescence occuring after one reproductive cycle called?
- सेब में प्रकाश अवधि कम करने से ……. होती है।
………….occurs in apple by reducing the photoperiod.
- कौन से हार्मोन जीर्णता को बढ़ावा देते हैं?
Which hormones promote senescence ?
- जीर्णता भी एक प्रकार से परिवर्धन का ही भाग है। (सत्य / असत्य)
Senescence is also a part of development. (True/False)
- फलों के झडने की प्रक्रिया को रोकने के लिए 2,4-D का छिड़काव किया जाता है। (सत्य / असत्य)
Fruit drop can be prevented by spraying with 2. 4-D. (True/False)
- जैन्थियम एक………………. पादप है।
Xanthium is a……………….day plant.
- जैविक घड़ी को चलाने के लिए ……………..की आवश्यकता होती है।
The requirement of……………………. is necessary to maintain the biological clock.
- दैनिक घडी अथवा दोलक की अवधारणा किसने दी ?
Who gave the ideal of biological clock or an oscillator?
9.फायटोक्रोम जैविक घड़ी के लिए प्रकाश ग्राही होता है। (सत्य / असत्य)
Phytochrome is a photoreceptor for biological clock. (True/False)
- जैविक घड़ी को प्रारंभ करने के लिए बारम्बार उद्दीपन देना पडता है। (सत्य / असत्य)
To initiate the biological clock, a continuous stimulus is required. (True/False)
- जैविक घडी पर तापमान का कोई प्रभाव नहीं पड़ता । (सत्य / असत्य)
Temperature does not affect the biological clock. (True/False)
- जीर्णता में किस प्रकार की क्रिया होती है ?
Which types of reactions occur during senescence?
- वाहिका, वाहिनिका एवं रोमों में किस प्रकार की जीर्णता पाई जाती है-
Which type of senescence occurs in vessels, tracheids and hairs?
- जीर्णता काल प्रभावन की……………… अवस्था है।
Senescence is the…………….stge of aging.
उत्तर (Answers)
- एक फलन जीर्णता (Monocarpic senescence) 2. जीर्णता प्रारंभ (Senescence initiation) 3. ABA ईथाइलीन (ABA, ethylene) 4. सत्य (True) 5. सत्य (True) 6. SDP, 7. ऊर्जा, (Energy) 8. बनिंग, (Bunning). 9. सत्य, (True) 10. असत्य, (False) 11. असत्य (False ) 12. अपचयी अनुत्क्रमणीय क्रियाएँ (Catabolic irreversibe reactions) 13. अनुक्रमिक जीर्णता (Sequential senescence) 14. अंतिम (Last ) ।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
- एक फलन एवं बहुफलन जीर्णता में क्या अंतर है?
What is the difference between monocarpic and polycarpic senescence?
- अनुक्रमिक जीर्णता क्या है?
What is sequential senescence?
- जीर्णता को प्रेरित करने वाले विभिन्न कारकों के नाम लिखें।
Write down the names of various factors inducing senescence.
- जीर्णता में कौन से विकर सक्रिय होते हैं?
Which enzymes are active during senescence?
- अंतर्जात नैज़ आवर्तिता क्या होती है ?
What is endogenous rhythms ?
- दैनिक नैज आवर्तित के कुछ उदाहरण दीजिये ।
Give a few examples of circadian rhythms.
- बर्हिजात नैज आवर्तिता किसे कहते हैं ?
What are exogenous rhythms?
- परादैनिक नैज आवर्तिता क्या होती है ?
What is ultradian rhythm?
उत्तर (Answers)
- एक फलन जीर्णता में एक बार फलन के पश्चात् जीर्णता आती है बहुफलन जीर्णता में बार-बार फलन होता है। पादप के विभिन्न अंगों में उपयुक्त समय पर जीर्णता आती है।
In monocarpic senescence, fruiting occurs only once in life time of the plant whereas in polycarpic senes- cence, fruiting occurs many times. Various plant parts show senescence at appropriate but diffrent time.
2.पादप के विभिन्न अंग पत्तियाँ, फल पुष्पीय अंग एक निश्चित आयु प्राप्त करने के बाद जीर्णता आती है।
The different plant parts, i.e. leaves, fruits, various floral parts undergo senescence after attaining certain stage.
- जीन, पर्यावरण (प्रकाश, खनिज, तापमान), हार्मोन व कुछ सहसंबंधी कारक
Genes, environment (light, minerals, temperature), hormones and certain correlated factors.
- विभिन्न प्रकार के जल अपघटनी एन्जाइम – प्रोटीएज, राइबोन्यूक्लिएज, ग्लाइकोऑक्सीडेज, RNA एज, कुछ वर्णकों के संश्लेषण सम्बधी एन्जाइम
Different types of hydrolytic enzymes-protease, ribonuclease, glycooxidase, RNAase, enzymes related to synthesis of some pigments.
- ऐसी आवर्तिता जो बाह्य कारकों की अनुपस्थिति में भी बनी रहती है।,
- फैसियोलस की पत्ती में निशानुकुंचन, पुष्प में दलपुंज की गति, पुष्प में विशिष्ट गंध की विमुक्ति इत्यादि ।,
7.पर्यावरणी आवर्तिता से प्रभावित होने वाली पादप नैज आवर्तिता बर्हिजात नैज आवर्तिता होती है।
- ऐसी नैज आवर्तिता जिसका अवधि काल बहुत कम होता है ।
निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
- विभिन्न प्रकार की जीर्णता के बारे में लिखें।
Write about different types of senescence.
- जीर्णता को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में लिखें।
Write about various factors affecting senescence.
- निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें-
(i) विभिन्न प्रकार की जीर्णता
(ii) जीर्णता के वृद्धि सह संबंधी कारक
(iii) जीर्णता के दौरान संरचनात्मक परिवर्तन (iv) जीर्णता की सार्थकता
Write a short note on the following (i) Various types of senescence (ii) Sensescence and growth correlated factors (iii) Structural changes during senescence (iv) Significance of senescence.
4.अन्तर बतायें-
(i) काल प्रभाव एवं जीर्णता
Write down the difference between-
- Aging and senescence.
(ii) प्ररोह जीर्णता एवं अनुक्रमिक जीर्णता
(ii) Shoot senescence and sequential senescence
- जैविक घड़ी की कार्यिकी के बारे में बतायें ।
Write about physiology of biological clock.
- निम्न पर टिप्पणी लिखिए :
(i) फाइटोक्रोम
(ii) जैविक घड़ी की प्रकृति
(ii) Nature of biological clock.
(iii) जीर्णता (Senescence)
Write short notes on –
(i) Phytochrome
- पादप नैज आवर्तिता से आप क्या समझते हैं ?
What do you understand by plant rhythms ?
- विभिन्न प्रकार की नैज आवर्तिता के बारे में लिखें।
Write about various types of rhythms ?
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