WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

इंडोनेशिया में राष्ट्रीय चेतना के उदय के कारण क्या थे , Reasons for the rise of national consciousness in Indonesia in hindi in hindi

पढ़िए इंडोनेशिया में राष्ट्रीय चेतना के उदय के कारण क्या थे , Reasons for the rise of national consciousness in Indonesia in hindi in hindi ?

प्रश्नः इंडोनेशिया में राष्ट्रीय चेतना के उदय के कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर: इंडोनेशिया में राष्ट्रीय चेतना (जागृति) का प्रभाव देर से पड़ा। इसका प्रमुख कारण, सांस्कृतिक विषमता, स्थानीय राजाओं की उदासीनता व अशिक्षा थी। परन्तु 19वीं व 20वीं शताब्दी में एशिया और अफ्रीका की घटनाओं का इंडोनेशिया पर भी प्रभाव पड़ा। हिन्द-एशिया में राष्ट्रीय चेतना के प्रमुख कारण थे –
(1) फ्रांस की क्रांति का प्रभाव रू फ्रांस की क्रांति ने समानता, स्वतंत्रता एवं बंधुत्व के सिद्धांतो का नारा दिया। नेपोलियन के समय फ्रांस ने हॉलैण्ड पर अधिकार किया। इसके परिणामस्वरूप हॉलैण्ड के प्रशासन को इन सिद्धांतों पर आधारित रखा गया। हॉलैण्ड का शासन इन सिद्धांतों पर जारी रहा परंतु हॉलैण्ड की सरकार ने इन सिद्धांतों को इंडोनेशिया में लागू नहीं किया। इस प्रकार फ्रांस की क्रांति का अप्रत्यक्ष रूप से हिन्द एशिया में जन चेतना (जागृति) में सहायक सिद्ध हुआ।
(2) डच सरकार की दमनकारी नीति रू डच सरकार ने जावा, सुमात्रा, बोर्निया सेलिबीज, बाली आदि द्वीपों में डच विरोधी आंदोलनों का दमनकारी नीति अपनाकर कुचल दिया।
(3) आर्थिक शोषण रू डच सरकार ने कल्चर सिस्टम व एथिकल पॉलिसी लागू की जिसका इण्डोनेशियाईयों ने सामूहिक विरोध किया। जिससे राष्ट्रवाद की भावना पनपी।
(4) प्रथम विश्वयुद्ध का प्रभाव रू प्रथम विश्वयुद्ध के समय हॉलैण्ड ने मित्र राष्ट्रों को सहयोग दिया। युद्ध समाप्त होने के पश्चात् मित्र राष्ट्रों ने प्रजातंत्र और आत्मनिर्णय के सिद्धांतों पर बल दिया। परन्तु हॉलैण्ड ने इस सिद्धांतों को इण्डोनेशिया में लागू नहीं किया। जिसका सभी इण्डानेशियाईयों ने विरोध किया।
(5) 19वीं व 20वीं शताब्दी की एशिया और अफ्रीका की घटनाओं का प्रभाव रू 19वीं व 20वीं शताब्दी में भारत, चीन, मिस्र, सूडान, टर्की आदि राष्ट्रों में राष्ट्रीय आंदोलन हुए। इन घटनाओं का इण्डोनेशिया के बुद्धिजीवी वर्ग पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा।
(6) द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव रू द्वितीय विश्व युद्ध में भी हॉलैण्ड ने मित्र राष्ट्रों को सहयोग दिया। युद्ध समाप्त होने के पश्चात् प्रजातंत्र व आत्मनिर्णय पर बल दिया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जर्मनी ने हॉलैण्ड पर अधिकार कर लिया। इसका लाभ उठाकर जापान ने इण्डोनेशिया पर अधिकार कर लिया। 1945 में जापान द्वितीय विश्वयुद्ध में पराजित हो गया और उसे इण्डोनेशिया से हटना पड़ा। युद्ध समाप्त होने के पश्चात् हॉलैण्ड ने इण्डोनेशिया पर पुनः दावा किया परन्तु इण्डोनेशिया ने इसका कड़ा विरोध किया।
(7) इण्डोनेशिया में राजनैतिक पार्टियों का उदय रू इण्डोनेशिया में कई राजनैतिक पार्टियां स्थापित हुई। जैसे – 1908 में बदी ओटोमो (Budi Otomo) नामक पार्टी बनी जिसका उद्देश्य सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक परिवतन (विकास) था। 1912 में सरेकात इस्लाम (Sarekat-Islam) नामक पार्टी का गठन हुआ। इसका उद्देश्य इस्लामिक राज्य स्थापित करना था। 1919 में कम्यूनिस्ट पार्टी का गठन हुआ। 1927 में इण्डोनेशियन राष्ट्रीय पार्टी (Indonesianalist Party) बनी। डॉ. अहमद सुकार्नो और मोहम्मद हट्टा इसके प्रमुख नेता थे। इस पार्टी के सदस्य शिक्षिा व बद्धिजीवी थे। इन्होंने विदेशो में शिक्षा प्राप्त की ओर इण्डोनेशिया में राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व किया।

प्रश्न: लिंगजात समझौता क्या था?
उत्तर: डचों ने सुकाणों के साथ 25 मार्च 1947 को लिंगजात (सिंगापत) समझौता किया। इसके तहत नीदरलेण्ड एवं – इण्डोनेशिया के संघ बनाये जाने की योजना रखी। लेकिन सफल नहीं हुई।
प्रश्न: इंडोनेशिया में कल्चर सिस्टम क्या था?
उत्तर: डच सरकार के द्वारा इण्डोनेशिया पर पनः अधिकार करने के पश्चात आय का स्रोत बढ़ाने के उद्देश्य से नई आर्थिक नीति लागू की गई। जिसे कल्चर सिस्टम (Culture System) कहते हैं।
प्रश्न: दक्षिण-पूर्वी एशिया (इंडोनेशिया) में औपनिवेशिक संघर्ष का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर: दक्षिण-पूर्वी एशिया में मुख्यतः डचो का उपनिवेशी शासन था। इस क्षेत्र के मुख्य भाग इंडोनेशिया में 1908 में इस्लामिक कट्टरवादियों ने राजनीतिक सुधारों के लिए सिरकत-ए-इस्लाम नामक दल का गठन किया। 1927 में सुकाणों के नेतृत्व में श्इण्डोनेशिया राष्ट्रवादी पार्टीश् का गठन हुआ। द्वितीय महायुद्ध के बाद जापान द्वारा दक्षिण-पूर्वी एशिया पर अधिकार करने के कारण यह संघर्ष त्रिपक्षीय हो गया। जापान के पतन के उपरान्त सुका) एवं डचों के बीच संघ बनाये जाने पर मार्च, 1947 में लिंगायत जाति समझौता हुआ। किन्तु यह समझौता राष्ट्रवादियों को मान्य नहीं हुआ। इस कारण राष्ट्रवादियों ने पुनः संघर्ष प्रारम्भ कर दिया। पण्डित नेहरू के नई दिल्ली के प्रस्ताव के आधार पर यू.एन.ओ. में इंडोनेशिया की स्वतंत्रता पर विचार हुआ एवं हेग समझौते के आधार पर 27 दिसंबर, 1949 को इण्डोनेशिया स्वतंत्र घोषित कर दिया गया।
प्रश्न: इंडोनेशिया में हालैण्ड ने अपना उपनिवेश किस प्रकार स्थापित किया ?
उत्तर: द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् स्वतंत्र होने वाले राज्यों में इण्डोनेशिया या हिन्द-एशिया का प्रमुख स्थान है। द्वितीय विश्वयुद्ध से पूर्व इंडोनेशिया को ईस्ट-इंडीज कहा जाता था। यह 3000 द्वीपों का समूह है। इसमें प्रमुख द्वीप जावा, सुमात्रा, बोर्नियो, सेलिबीज, बाली आदि हैं। इसका क्षेत्रफल 5 लाख वर्ग किमी. है तथा लगभग 250 बोलियां है। इसकी राजधानी जकार्ता जावा में स्थित है। आधुनिक समय में इंडोनेशिया में 90% इस्लाम के समर्थक (मुस्लिम) हैं।
सर्वप्रथम इंडोनेशिया या ईस्ट इंडीज पहुंचने वाले पुर्तगाली थे। 1511 में पुर्तगालियों ने मलक्का पर अधिकार किया। यह एक अंतरर्राष्ट्रीय बंदरगाह था। इसके पश्चात् हालैण्डवासी (डच) इंडोनेशिया पहुंचे। 1605 में हॉलैण्ड ने एम्बोयन (Amboyna) द्वीप पर अधिकार किया। डच प्रारम्भ से ही इस क्षेत्र में सक्रिय रहे और उपनिवेशवादी नीति का अनुसरण किया। 1641 में हॉलैण्ड ने पुर्तगालियों के साथ संघर्ष किया व उन्हें पराजित कर मलक्का पर अधिकार कर लिया। 17वीं शताब्दी के अंत तक हॉलैण्ड ने संपूर्ण ईस्ट इंडीज पर राजनैतिक प्रभुत्व स्थापित कर उसे अपना उपनिवेश बना लिया। 1789 में फ्रांस में क्रांति हुई। क्रांति के नायक नेपोलियन ने हॉलैण्ड पर अधिकार किया। उसने अपने छोटे भाई लुई को हॉलैण्ड का शासक नियुक्त किया। इस प्रकार हॉलैण्ड के लिए ईस्ट इंडीज (इंडोनेशिया) पर आधिपत्य कायम रखना कठिन हो गया। इसके परिणामस्वरूप इंग्लैण्ड ने ईस्ट इंडीज पर अपना राजनैतिक प्रभुत्व स्थापित किया। वियना सम्मेलन के वैद्यता के सिद्धांत के आधार पर ईस्ट इंडीज को पुनः हॉलैण्ड को लौटाने का निर्णय किया गया। 1819 में इंग्लैण्ड ने इंडोनेशिया को हॉलैण्ड को सौंप दिया। हॉलैण्ड द्वारा इंडोनेशिया पर पुनः राजनैतिक प्रभुत्व स्थापित करने के पश्चात् यहां दमनकारी नीति का अनुसरण किया। इसके परिणामस्वरूप हिन्द एशिया (इंडोनेशिया) में डच विरोधी आंदोलन हुए। 19वीं शताब्दी के अंत में सुमात्रा में डच विरोधी आंदोलन किये गए। इसी समय बोर्नियो में चीनियों ने डच विरोधी आंदोलन किये। 1908 में बाली में हिन्दुओं ने डच विरोधी आंदोलन किये। 1910 में सेलिबीज में मुसलमानों ने डच विरोधी आंदोलन किये गए। परंतु इस उपनिवेशवादी संघर्ष में हॉलैण्ड की सरकार ने इन सभी आंदोलनों का दमनकारी नीति अपना कर शान्ति स्थापित की।
प्रश्न: इण्डोनेशिया के आर्थिक शोषण के लिए डच सरकार ने कल्चर सिस्टम व एथिकल पॉलिसीश् लाग की जिसका इण्डोनेशिया में ही नहीं वरन् गृह देश में भी विरोध हुआ। विवेचना कीजिए।
उत्तरः कल्चर सिस्टम (Culture System)
डच सरकार के द्वारा इण्डोनेशिया पर पुनः अधिकार करने के पश्चात् आय का स्रोत बढ़ाने के उददेश्य से नई आशिक नीति लाग की गई। जिसे कल्चर सिस्टम (Culture System) कहते हैं। यह नीति 1830 में डच या हॉलैण्ड के गवर्नर जनरल जॉन वेन डेक बॉश (Johannes Ven Dek Bosch) द्वारा लागू की गई। इस नीति के अनुसार किसानों को एक निश्चित भू-भाग पर कॉफी व गन्ने का उत्पादन करना अनिवार्य किया गया। कॉफी व चीनी की पश्चिमी देशों में अधिक मॉग थी। इसकी वसूली डच सरकार राजस्व या मालगुजारी के रूप में करने लगी। परन्तु हिन्द एशिया के किसान चावल पैदा करते थे। दूसरी ओर कॉफी व गन्ने की पैदावार से यहां के किसान अभ्यस्त नहीं थे। इसके अतिरिक्त इसकी पैदावार में अधिक समय लगता था और अधिक खर्चा होता था। हिन्द एशिया के किसानों ने कल्चर सिस्टम का विरोध किया। कई उदार डचो ने भी इन किसानों को समर्थन दिया। इसके परिणामस्वरूप 1870 कल्चर सिस्टम की नीति को समाप्त कर दिया गया। 1870 में डच सरकार ने एक नई आर्थिक नीति लाग की तिर श्नैतिक नीतिश् (Ethical Policy) कहा जाता है। इस नीति का उद्देश्य भी आय का स्रोत बढ़ाना था। इसके तहत
(1) भू-सर्वेक्षण का कार्य किया गया।
(2) खनिज व खनन पर बल दिया गया।
(3) सिंचाई के साधन बढ़ाने का प्रयास किया गया।
(4) शिक्षा के क्षेत्र में सुधार किये गये।
(5) नारियल व रबर की खेती पर अधिक बल दिया गया।
(6) पशुपालन व मछली पालन पर बल दिया गया।
एथिकल नीति के परिणामस्वरूप हिन्द एशिया का आर्थिक विकास हुआ। इस कारण से इंग्लैण्ड, फ्रांस, बेल्जियम, जर्मनी. अमेरिका आदि राष्ट्रों ने भी अपनी पूंजी का निवेश किया। एक अन्य मत के अनुसार एथिकल पॉलिसी का उददेश्य पश्चिमी देशों के द्वारा जापान के आर्थिक साम्राज्यवाद की चुनौती का सामना करना था।