केल्विन चक्र क्या है विस्तार से लिखिए पाया जाता है , C3 Calvin cycle in hindi occurs in which plant
जाने केल्विन चक्र क्या है विस्तार से लिखिए पाया जाता है , C3 Calvin cycle in hindi occurs in which plant ?
अप्रकाशिक अभिक्रिया / C3 केल्विन चक्र (Dark reaction/C3 Calvin cycle)
अनगिनत तकनीकों की सहायता से ही प्रकाश संश्लेषण की अप्रकाशिक अभिक्रिया (dark reaction) अथवा कार्बन स्थिरीकरण (carbon fixation) का सफल प्रेक्षण हो पाया है। इनमें से एक तकनीक रेडियोधर्मी कार्बन का प्रयोग है। इसमें कार्बन स्रोत हेतु Cl4O2 के रूप में उपयोग किया जाता है जो इस प्रक्रिया में कार्बनिक पदार्थों में समायोजित हो जाता है। दूसरी तकनीक पेपर क्रोमेटोग्राफी है जिसकी सहायता से मात्र एक सैकंड के उद्भसन के बाद बहुत अल्प मात्रा में बने उत्पाद को भी विलग कर पहचाना जा सकता है।
कार्बन स्थिरीकरण हरितलवक के स्ट्रोमा में एन्जाइमों द्वारा नियंत्रित अभिक्रियाओं द्वारा होता है। इस क्रिया में 3 CO2 अणु, तीन राइब्यूलोज 1, 5 बाई फास्फेट (ribulose 1, 5 bi phosphate, RuBP) अणुओं से संयुक्त हो जाते हैं। RuBP एक कार्बन युक्त शर्करा है जिससे दो फास्फेट समूह जुड़े होते हैं। इसे पहले राइब्यूलोज डाई फास्फेट (ribulose di phosphate, RuDP) कहते थे। यह पेन्टोज फास्फेट की CO2 ग्राही के रूप में खोज, प्रकाश संश्लेषण की अप्रकाशिक अभिक्रिया के बारे में महत्वपूर्ण खोज थी ।
सम्पूर्ण अप्रकाशिक अभिक्रिया का अध्ययन अमरीकी वैज्ञानिक मेल्विन केल्विन, जेम्स, बेसह एवं एन्ड्रयू बेनसन (Melvin Calvin, James Bassham and Andrew Benson, 1946-53) ने किया था। वे प्रकाश संश्लेषण के बहुत से मध्यस्थ उत्पादों (intermediate
products) को रेडियोधर्मी कार्बन (C14) पेपर क्रोमेटोग्राफी तथा ऑटोरेडियोग्राफी जैसी चित्र- 12 : मेल्विन केल्विन तकनीकों के प्रयोग से खोज पाने में सफल रहे। उन्होंने हरे शैवाल क्लोरेला (Chlorella)
(Melvin Ellis Calvin)
एवं सैनेडेस्मस (Scenedesmus) को अपने प्रयोगों में प्रयुक्त किया। इन अभिक्रियाओं को विभिन्न नामों जैसे CO2 स्थिरीकरण (CO2 fixation), C3 चक्र (C3 cycle), केल्विन चक्र (Calvin cycle) अथवा केल्विन-बेनसन बेसहम चक्र (Calvin-Benson- Bassham cycle) से भी जानते हैं। केल्विन को इस कार्य के लिए 1961 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था । अप्रकाशिक अभिक्रिया के निम्न चरण होते हैं:
- CO2 स्थिरीकरण (CO2 fixation)
सर्वप्रथम राइब्यूलोज मोनोफास्फेट (Ribulose monophosphate RuMP) जोकि एक 5 C युक्त यौगिक है ATP से क्रिया करके RuBP बनाता है।
RuMP+6ATP काइनेज (Kinase) → 6 RuBP + ADP
RuBP, CO2 से क्रिया कर एक अस्थायी 6C युक्त यौगिक बनाता है। यह यौगिक जल से क्रिया कर 3C युक्त यौगिक फास्फोग्लिसरिक अम्ल (Phosphoglyceric acid, PGA) बनाता है। PGA, C3 चक्र का प्रथम स्थायी उत्पाद होता है। RuBP कार्बोक्सीलेज
6 RuBP + 6CO2 + H2O (RuBP carboxylase ) Mg + + 12 PGA (3-C)
PGA उपचयी (anabolic) एवं अपचयी (catabolic) अभिक्रियाओं का मध्यस्थ उत्पाद होता है। इस क्रिया को कार्बोक्सीलिकरण (carboxylation) कहते हैं।
- PGA का अपचयन (Reduction of PGA) यह दो चरणों में सम्पन्न होता है-
(i) फास्फोराइलेशन (phosphorylation) (ii) अपचयन (reduction)
(i) 12 PGA + 12 ATP काइनेज /(Kinase) 12 Di PGA
(ii) 12 Di PGA + 12 NADPH2 ‘डीहाइड्रोजीनेज/(dehydrogenase) → 12PGAL फास्फोग्लिसरएल्डीहाइड (Phosphoglyceraldehyde
- Di HAP का निर्माण (Formation of DiHAD)
PGA के 5 अणु उसके समावयव (isomer) डाई हाइड्रोक्सीएसीटोन फास्फेट (dihydroxyacetone phosphate, D HAP) के रूपान्तरित हो जाते हैं।
5 PGA आइसोमरेज 15 DIHAP
- ग्लूकोज इत्यादि का निर्माण (Formation of glucose etc)
यह निम्न चरणों में सम्पन्न होता है-
(i) 3 PGA + 3Di HAP एल्डोलेज (aldolase) 3 फ्रक्टोज 1, 6 डाइ फास्फेट (3 Fructose 1, 6, DiP)
(ii) फ्रक्टोज 1, 6 डाई फास्फेट के एक अणु से एक फास्फेट (P) पृथक होकर फ्रक्टोज 6 फास्फेट (fructose 6 P) बनता है।
फ्रक्टोज 1, 6 डाई P+ H2O (fructose 1, 6 DiP) /फास्फेटेज (Phosphatase) फ्रक्टोज 6-P (Fructose 6-P)
-P
(iii) फ्रक्टोज 6-P म्यूटेज एन्जाइम की उपस्थिति में फ्रक्टोज 1-P (fructose 1-P) में परिवर्तित हो जाता है।
फ्रक्टोज 6-P (Fructose 6-P) म्यूटेज/ (Mutase) → फ्रक्टोज 1-P (Fructose 1-P)
(iv) फ्रक्टोज 1P आइसोमरेज (isomerase) की उपस्थिति में ग्लूकोज 1-P (glucose 1-P) में परिवर्तित हो जाता है।
फ्रक्टोज 1-P आइसोमरेज (Isomerase) → ग्लूकोज 1-P
सूक्रोज (sucrose) के निर्माण के लिए फ्रक्टोज 1-P का तथा ADP / UDP ग्लूकोज का फास्फेटेज एन्जाइम की उपस्थिति में संघनन होता है। सूक्रोज प्रकाश संश्लेषण की क्रिया की प्रथम स्थायी शर्करा होती है स्टार्च जो ADP ग्लूकोज अथवा UDP- ग्लूकोज के संघनन के बनता है। स्टार्च पादपों का सबसे अधिक प्रचलित संग्रहित भोज्य पदार्थ है। ATP एवं UTP अणु फास्फोराइलेज (phosphorylase) की उपस्थिति में ग्लूकोज 1-P से क्रिया कर ADP ग्लूकोज अथवा UDP- ग्लूकोज बनाते हैं। ग्लूकोज के निर्माण के लिए ग्लूकोज – P से फास्फेटेज की उपस्थिति में फास्फेट अलग हो जाता है।
- राइब्यूलोज 5-P की पुर्नप्राप्ति [ Regeneration of Ribulose 5-P (RuMP)]
यह निम्न क्रम में सम्पन्न होता है:-
(i) 2 फ्रक्टोज (2Fructose) 6P + 2PGAL ट्रान्सकीटोलेज/ (Transketolase) 2 एल्डोलेज Re-4P (2 erythrose-4P) 2 जायल्यूलोज – SP (2xylulose -SP)
(ii) 2 इरिथ्रोज (2 Erythrose) 4P + 2 DiHAP एल्डोलेज/(Aldolase) → 2 सूडोहेप्टयूलोज 1-7 डाई P
(2 Pseudohaptulose 1-7 di P)
फास्फेटेज -2P
(Phosphatase)
2 सूडोहेप्टयूलोज – 7P ( 2 Pseudohaptulose – 7P)
(iii) 2 सूडोहेप्टयूलोज 7-P+PGAL ट्रान्सकीटोलेज/ (Transketolase) 2 राइव्यूलोज SP (2 Ribose 5P)
(2 Pseudohaptulose 7-P) 2 जायल्यूलोज 5P (2 Xylulose 5P)
(iv) 2 राइबोज SP आइसोमरेज/ (Isomerase) 2 राइबोज 5P
(2 Ribose 5P) (2 Ribose 5P)
(v) 4 जायल्यूलोज़ एपिमरेज → 4 राइब्यूलोज SP
(4 Xylulose -5P) (4 Ribulose 5P)
कभी-कभी PGAL को प्रकाश संश्लेषण का अन्तिम उत्पाद माना जाता है परन्तु PGA के बाद होने वाली अभिक्रियाऐं अन्य जीवों (जिनमें प्रकाश संश्लेषण नहीं पाया जाता) में भी पायी गयी हैं।
उपरोक्त क्रिया में एक ग्लूकोज अणु के बनने में 18 ATP तथा 12 NADP. H2 अणु प्रयुक्त होते हैं।
6CO2 + 18 ATP + 12NADPH2 C6H12O6 + 6H2O + 12NADP + 18ADP + 12 iP
यदि अन्तिम अभिक्रियाओं में प्रकाश अभिक्रियाओं को भी जोड़ दिया जाये तो सम्पूर्ण अभिक्रिया निम्न प्रकार से लिखी जा सकती हैं-
12 NADP + 12H2O Chi* 12NaDP.H2 + 6O2
18 ADP + 18 Ip Chl* 18 ATP
PSI एवं PSII के चक्रिक एवं अचक्रिक फोटोफास्फोराइलेशन में ।
पर्णहरित
(chlorophyll)
6CO2 + 12 H2O सूर्य का प्रकाश → C6H12O6 + 6H2O + 6O2
(Sunlight)
18 ATP में 12 x 7.2 KCal = 87.6 KCal तथा 12 NADPH2 में 12 x 52.6K Cal = 631.2K Cal (कुल = 718.8 KCal) ऊर्जा होती है जो CO2 एवं HO से ग्लूकोज के निर्माण के लिए 686 K Cal ऊर्जा प्रदान करने में सक्षम होते हैं।
तालिका : प्रकाशिक एवं अप्रकाशिक अभिक्रियाओं में अन्तर
पेरामीटर(Parameters)
|
प्रकाशिक अभिक्रिया (Light reactions) | अप्रकाशिक अभिक्रिया (Dark reactions) |
1. अभिक्रिया का नाम
2. अभिक्रिया का स्थान 3. प्रकाश की आवश्यकता 4. कुल अभिक्रिया
6. सम्पूर्ण अभिक्रिया
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हिल अभिक्रिया
यह थायलेकॉइड में सम्पन्न होती है। प्रकाश की आवश्यकता होती है। प्रकाश ऊर्जा रसायनिक ऊर्जा में बदल जाती है। ATP, O2 तथा NADPH उत्पन्न होते हैं। शर्करा नहीं बनती।
2H2O + 2NADP + 4 ADP ⇒ O2 + 2NADPH + 4ATP
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केल्विन अभिक्रिया
यह पर्णहरित के स्ट्रोमा में सम्पन्न होती है। प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती। यहां CO2 के स्थिरीकरण के लिए ATP एवं NADPH2 प्रयुक्त होते हैं। शर्करा का निर्माण होता है।
18 ATP 18 ADP 6CO2 + 6H2O C6H12O6+12H2O
12 NADPH2 12 NADP
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