Cyclic photophosphorylation in hindi | Non cyclic photophosphorylation in hindi difference
पढ़िए Cyclic photophosphorylation in hindi | Non cyclic photophosphorylation in hindi difference ?
- चक्रिक प्रकाश फास्फोरिलीकरण (Cyclic photophosphorylation)
इसमें PSI प्रयुक्त होता है। चक्रिक फास्फोरिलीकरण तब होता है जब CO2 का स्वांगीकरण कम हो जाता है तथा NADPH+H+ एकत्रित हो जाते हैं तथा अन्य उपापचयी क्रियाओं के लिए ATP की आवश्यकता होती है। 700 nm के लाल प्रकाश के अवशोषण से PSI क्लोरोफिल एवं सहायक वर्णक प्रकाश अवशोषित कर उसे अभिक्रिया केन्द्र अर्थात chl-2700 व स्थानांतरित कर देते हैं। इससे PS-I का वर्णक अणु P700 उत्तेजित हो जाता है। इससे ऊर्जा युक्त इलेक्ट्रॉन अपनी कक्षा से बाहर निकल जाता है P700 आक्सीकृत हो जाता है। इस इलेक्ट्रॉन को PS-I तंत्र का chl a अथवा A, अणु ग्रहण कर लेता है तथा इससे इसका स्थानांतरण A2 को होता है जो एक Fe-S प्रोटीन होती है। इस से इलेक्ट्रॉन A3 अथवा P430 द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है तथा यह अपचयित हो जाता है।
अपचयित A3 से इलेक्ट्रॉन का स्थानांतरण फैरेडॉक्सिन अपचयनकारी पदार्थ ( ferredoxin reducing substance) के माध् यम से फैरेडॉक्सिन (Fd) को हो जाता है।
A3(P430) FRS Fd
Reduced (Ferredoxin)
उपापचयी परिस्थितियों (NADPH + H+ की अधिकता के कारण) अपचयित Fd, NADP + को अपचयित नहीं कर पाता इसलिए इससे इलेक्ट्रॉन सायटोक्रोम (cyto b563) को स्थानांतरित हो जाते हैं। इस दौरान एक ATP बनता है।
Fd+ Cyt b 6 ADP + Pi ATP → Fd + Cyto b6
(red.) (oxi) (red.) (oxi.)
सायटोक्रोम b6 से इलेक्ट्रॉन हाइड्रोजन वाहक प्लास्टोक्वीनोन (PQ) के द्वारा ग्रहण किये जाते हैं साथ ही थायलेकॉइड की झिल्ली की बाहरी ओर से प्रोटॉन (H+) भी इससे जुड जाते हैं तथा यह प्लास्टोहाइड्रोक्यूनोन में परिवर्तित हो जाता है।
Cyt b6 + PQ 2H+ → PQH2 + Cyt b6
(red.) (oxi.) (red.) (oxi.)
अब PQH2 से इलेक्ट्रॉन सायटोक्रोम f (cyt f) को स्थानान्तरित होते हैं जबकि प्रोटॉन (H+) मुक्त होकर थायलेकॉइड झिल्ली के दूसरी ओर अर्थात भीतर की ओर चले जाते हैं। इस दौरान एक ATP का संश्लेषण होता है।
PQH2 + Cyt f ADP + Pi PQH2 + Cytf
(red.) (oxid.) (oxi.) (red.)
अपचयित सायटोंक्रोम से इलेक्ट्रॉन पहले प्लास्टोसायनिन तथा उससे वापस आक्सीकृत P700 को चले जाते हैं तथा यह पुनः सामान्य अवस्था में लौट आता है।
Cyt f → PC P700
इस प्रक्रिया में 2ATP अणु बनते हैं।
- अचक्रिक प्रकाश फास्फोरिलीकरण (Non-cyclic photophosphorylation)
अचक्रिक प्रकाश फास्फोरिलीकरण में PS-I एवं PS-II दोनों प्रयुक्त होते हैं। PS-II (P680) प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण करते हैं तथा Chl aggo अणु प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण कर उत्तेजित अवस्था में आ जाता है। P680 से निकला इलेक्ट्रॉन फीयोफाइटीन (Phaeophytin) नामक मध्यवर्ती ग्राही यौगिक (pheo) को स्थानांतरित हो जाते हैं एवं यह अपचयित हो जाता है। अब इससे इलैक्ट्रॉन ग्राही क्वीनोन (पहले Q तथा इससे Qg) से होते हुए सायटोक्राम bo – f संकुल (Cytbg-fcomplex) पहुँचते हैं।
Cyt b6 – f संकुल में Qg से इलेक्ट्रॉन हाइड्रोजन वाहक प्लास्टोक्वीनोन की स्थानांतरित होते हैं साथ ही माध्यम से प्रोटॉन (H+) भी इससे जुड़ जाते हैं तथा PQH2 बन जाता है। PQH2 से इलेक्ट्रॉन Cyt b6 -f संकुल के Cyt f को चले जाते हैं जबकि प्रोटॉन बाहर माध्यम में चले जाते हैं। यहां पर ATP ऐज संकुल की सहायता से ATP संश्लेषण भी होता है। Cyt
(So-S4 = states of unknown photo-oxidizing substances, Z = unknown electron donor of PS II, Pheo = pheophytin, Qa and Qb = quinonoid acceptors, PQ = plastoquinone, PQH2 = plastohydroquinone, Cyt. = cytochrome, PC = plastocyanin, A,, A, and A,= first, second and third unknown electron accptors of PS I, Fd = ferredoxin, FNR = ferredoxin NADP reductage)
−f से इलैक्ट्रॉन पहले प्लास्टोसायनिन, फिर PSI के अभिक्रिया केन्द्र को स्थानांतरित हो जाते हैं जो पहले से इलेक्ट्रॉन की कमी के कारण आक्सीकृत अवस्था में होता है।
PS-I मे इलेक्ट्रॉन फास्फोरिलीकरण में उनके स्थानांतरण की भांति फेरिडोक्सिन (ferredoxin) को स्थानांतरित हो जाते हैं। इससे फैरिडॉक्सिन NADP रिडक्टेज (FNR) के माध्यम से इलेक्ट्रॉन NADP तक पहुँचता है। इसके साथ ही माध्यम से दो प्रोटॉन (H+) इससे जुड़ जाते हैं तथा NADPH + H+ बनता है।
P700 P430 फेरिडोक्सिन FNR NADP
जैसा कि ऊपर बताया गया हैं इलेक्ट्रॉन का स्थानांतरण PS-II के P680 से PSI के P700 तथा अन्त में NADP को है अतः P680 आक्सीकृत अवस्था में होता है। जल के प्रकाश अपघटन से उत्पन्न इलेक्ट्रान अज्ञात यौगिक Z (संभवतः क्वीनोनॉइड quinonoid) के माध्यम से P680 को स्थानांतरित होते हैं तथा P680 सामान्य स्थिति में आ जाता है।
(i) जल का प्रकाश अपघटन एवं O2 का उत्पादन (Photolysis of water and evolution of O2) जल का प्रकाश अपघटन जल आक्सीकारी एन्जाइम संकुल की उपस्थिति में होता है जो So से S4 तक पांच अवस्थाओं में रहता है इसके लिए Mn++, Cl की उपस्थिति आवश्यक होती है। एन्जाइम -S, Z, M, Q एवं P680 सभी एक संकुल के रूप में कार्य करते हैं। M अणु O2 की विमुक्ति में सहायता करता है।
4H2O Mn++, Cl → 4(OH) + 4H+ ………………..(1)
4(OH)-……………… 4e →4OH………………………..(ii)
4OH → 2H2O + O2
(ii) NADPH2 का निर्माण (Formation of NADPH2)
जल के प्रकाश अपघटन से उत्पन्न हाइड्रोजन आयन (4H+) NADP द्वारा ग्रहण कर लिए जाते हैं जिससे NADPH2 उत्पन्न होता है।
2NADP + 4H+ + 4e2NADPH2
चक्रिक फोटोफास्फोराइलेशनल में 2 ATP तथा अचक्रिक फोटोफास्फोराइलेशन में 1 ATP, O2 एवं 2 NADPH2 अणु प्राप्त होते हैं। अचक्रिक फोटोफास्फोरालेशन चक्र उच्च पादपों में तथा चक्रिक फोटोफास्फोराइलेशन जीवाणुओं में पाया जाता है। प्रकाश संश्लेषण की अप्रकाशिक अभिक्रिया (dark reaction) में हैक्सोस शर्करा के एक अणु के संश्लेषण के लिये 18 ATP एवं 12 NADPH2 की आवश्यकता होती है (कैल्विन चक्र)। यह ऊर्जा चक्रीय एवं अचक्रीय फॉस्फोरिलीकरण के 6 चक्रों के पूर्ण होने पर प्राप्त होगी ।
तालिका – 3: अचक्रिक तथा चक्रिक फोटोफास्फोराइलेशन में तुलना
चक्रिक फोटोफास्फोराइलेशन (Cyclic photophosphorylation) | अचक्रिक फोटोफास्फोराइलेशन
(Non-cyclic photophosphorylation) |
1. अधिकतर जीवाणुओं में सक्रिय ।
2. इलेक्ट्रॉन का पथ चक्रिक । 3. ऑक्सीजन उत्पन्न नहीं होती। 4. जल का उपभोग नहीं होता है। 5. एक ही प्रकाश प्रग्रहण केन्द्र (PSI) प्रयुक्त है। 6. इलेक्ट्रॉन का स्रोत P700 होता है। 7. अन्तिम इलेक्ट्रॉन ग्राही P700 होता है। 8. मात्र ATP का निर्माण होता है।
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1. अधिकतर हरे पादपों मे सक्रिय।
2. इलेक्ट्रॉन का पथ अचक्रिक । 3. ऑक्सीजन मुक्त होती है। 4. जल का उपभोग होता है। 5. दो प्रकाश प्रग्रहण (trapping) केन्द्र ( PSI एवं PSII) प्रयुक्त होते हैं। 6. इलेक्ट्रॉन का स्रोत जल होता है। 7. अन्तिम इलेक्ट्रॉन ग्राही NADP होता है। 8. ATP, O2, NADPH2 का निर्माण होता है।
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