ओनिकोफोरा का तंत्रिका तंत्र onychophorans nervous system in hindi , प्रजनन तन्त्र (Reproductive System)
जाने ओनिकोफोरा का तंत्रिका तंत्र onychophorans nervous system in hindi , प्रजनन तन्त्र (Reproductive System) ?
तंत्रिका तन्त्र (Nervous system):
पेरीपेटस का तंत्रिका तन्त्र आदिम (primitive) प्रकार का होता है। यह निम्नलिखित संचना से मिलकर बना होता है
- एक जोडी अधि ग्रसनीय गुच्छक या मस्तिष्क (supra pharyngeal ganglia or brain (ii) दो परिग्रसनीय संयोजनियाँ (circum pharyngeal connectives) (iii) एक जोड़ी पार्श्व लम्बवत तंत्रिका रज्जू जो आपस में अनुप्रस्थ संधायियों (transverse commissure) द्वारा जुड़ी रहती है।
अधिग्रसनीय गुच्छक या मस्तिष्क सिर में ग्रसनी के ऊपर स्थित होता है तथा इससे तंत्रिका निकल कर शृगिकाओं, नेत्रों तथा मुखीय क्षेत्र को जाती है।
एक जोड़ी परिग्रसनी संयोजनियाँ ग्रसनी को घेरते हुए मस्तिष्क को अधर तंत्रिका रज्जू से जोडती __ है। अधर तंत्रिका रज्जू, दो एक दूसरे से पृथक लम्बवत् धागे नुमा तंत्रिका रज्जूओं की बनी होती __ है। दोनों रज्जू अधर सतह से हट कर पार्श्व की ओर स्थित होती है तथा एक-दूसरे के समानान्तर
चलते हुए शरीर के अन्तिम सिरे तक पहुँचती है। गुदाद्वार के पीछे दोनों तंत्रिका रज्जू एक-दूसरे से __ जुड़ जाती है। दोनों तंत्रिका रज्जू अनेक अनुप्रस्थ संधायियों द्वारा एक-दूसरे से जुड़ी रहती है एवं
एक सीढ़ीनुमा संरचना बनाती है। प्रत्येक खण्ड में अधर तंत्रिका रज्जू में एक गुच्छक समान संरचना पायी जाती है जिससे कई युग्मित तंत्रिकाएँ निकल कर टांगों व देहभित्ति को जाती है।
संवेदी अंग (Sense organs):
पेरीपेटस में निम्न संवेदी अंग पाये जाते हैं एक जोड़ी नेत्र, संवेदी अंकुरक, शृंगिकाएँ, मुखगुहा में उपस्थित संवेदी कोशिकाएँ।
नेत्र (Eve): पेरीपेटस में एक जोड़ी नेत्र पाये जाते हैं जो सिर पर शूगिकाओं के अधर भाग में स्थित होते हैं। पेरीपेटस के नेत्र सरल होते हैं। प्रत्येक नेत्र 0.2 से 0.3 मि.मी. व्यास की प्याले समान संरचना होती है। प्रत्येक नेत्र पर बाहर की ओर क्यूटिकल का बना कॉर्निया व एक मोटा क्रिस्टलीय लेन्स पाया जाता है। आन्तरिक स्तर में शलाका कोशिकाएँ पायी जाती है जो रेटिना या दृष्टिपटल का निर्माण करती है। इन शलाका कोशिकाओं का बाहरी सिरा लेन्स की ओर उन्मुख होता है तथा दूसरा सिरा दृष्टि तंत्रिकाओं की शाखाओं से जुड़ा रहता हैं। नेत्रों में प्रतिबिम्ब साफ नहीं बनता है। नेत्र अन्धेरे व उजाले का अनुभव कराती है। जिससे जन्तु प्रकाश से दूर अन्धेरे की तरफ जाता
अंगिकाओं (antennae) पर उपस्थित संवेदी कोशिकाएँ स्पर्श ज्ञान द्वारा गमन के समय रास्ते का अनुमान लगाती है। सम्पूर्ण शरीर पर अनेक संवेदी अंकुरक (sensory papillae) पायी जाती है जो एक शक व संवेदी कोशिकाओं के एक समूह की बनी होती है। ये अंकरक स्पर्शग्राही होते हैं व साथ ही वायु प्रवाह का भी ज्ञान कराती है।
मुख गुहा में भी कई संवेदी कोशिकाएँ पायी जाती है जो मुखगुहा को आस्तरित करती है ये संवेदी कोशिकाएँ भोजन के स्वाद का ज्ञान कराती है।
प्रजनन तन्त्र (Reproductive System):
पेरीपेटस में नर व मादा पृथक-पृथक होते हैं। जननांगों की गुहा वास्तविक गुहा (coelome) को निरूपित करती है। नर हमेशा मादा से छोटे होते हैं।
नर जनन तंत्र (Male reproductive organs): .
पेरीपेटस का नर जनन तन्त्र निम्नलिखित जनन अंगों का बना होता है एक जोड़ी वृषण, एक जोड़ी शुक्राशय, एक जोड़ी शुक्र वाहिकायें, एक स्खलन वाहिका तथा एक नर जनन छिद्र।
वृषण एक जोड़ी होते हैं जो लम्बी नलिकाकार संरचनाएँ होती है। वृषण में शुक्राणु जनन की क्रिया द्वारा शुक्राणुओं का निर्माण होता है। वृषण से संकरी शुक्राणु वाहिकाएँ (vasa effentia) निकलती है जो एक कीपनुमा छिद्र द्वारा शुक्राशय (seminal vesicle) में खुलती है।
शुक्राशय एक फूली हुई संरचना होती है जिसमें शुक्राणुओं का संचय किया जाता है। शुक्राशय के अग्र सिरे में शुक्राणु वाहिकाएँ (vasa efferentia) खुलती है तथा पिछले सिरे से एक लम्बी संकरी कुण्डलित नलिका निकलती है जिसे शुक्रवाहिका (vas deference) कहते हैं। दोनों ओर की शुक्र वाहिकाएँ परस्पर मिलकर एक केन्द्रीय नलिका बनाती है जिसे स्खलन वाहिका (ejaculatory duct) कहते हैं। स्खलन वाहिका का अग्र सिरा ग्रन्थिल होता है जो एक चिपचिपे पदार्थ का स्रावण करता है। यह पदार्थ शुक्राणुओं को परस्पर चिपकाकर शुक्राणुधर (spermetophore) का निर्माण करता है। शुक्राणुधर लगभग 1 मि.मी. लम्बे होते हैं तथा एक काइटिनी खोल में बन्द रहते हैं। स्खलन वाहिका, अधर सतह पर अन्तिम जोड़ी टांगों के मध्य या पीछे बाहर की ओर खुलती है। नर जनन छिद्र मादा की तरह शरीर के पश्च अधर सतह पर स्थित होता है।
मादा जनन तन्त्र (Female reproductive system) :
मादा जनन तन्त्र निम्नलिखित संरचनाओं से मिलकर बना होता है एक जोडी अण्डाशय (ovaries), एक जोड़ी अण्डवाहिकाएँ (oviducts), एक जोड़ी गर्भाशय (uterus) एक योनि तथा एक मादा जनन छिद्र।
एक जोड़ी अण्डाशय शरीर के पश्च भाग में स्थित होते हैं। अण्डाशय लम्बी व नलिकाकार होती हैं। इनके अग्र व पश्च सिरे आपस में जुड़े रहते हैं। प्रत्येक अण्डाशय से एक अण्डवाहिनी निकलती है जो आगे की ओर चल कर मुड जाती है व मुड़ी हुई गर्भाशय (uterus) का निर्माण करती है। गर्भाशय माला के मनकों के समान (beaded) दिखाई देता है (देखें चित्र-7)। दोनों ओर के गर्भाशय परस्पर जुड़ कर मध्यवर्ती योनि (vegina) का निर्माण करते हैं। योनि शरीर के पिछले अधर भाग में स्थित जनन छिद्र द्वारा बाहर खुलती है। पेरीपेटस की कुछ जातियों में मादा जनन छिद्र के समीप अण्डनिक्षेपक (ovipositor) पाये जाते हैं।
परिवर्धन (Development) :
ऑनिकाफोरा वर्ग के जन्तु अण्डप्रजक ( oviparous ), अण्डशिशु प्रजक (Ovoviviparous) तथा शिशुप्रक्षक (viviparous) प्रकार के होते हैं। अधिकांश जातियों में सतत प्रजनन होता रहता है। पेरीपेटस व अण्ड प्रजक जातियाँ केवल ऑस्ट्रेलियाई वंश में ही पायी जाती है। इनके अण्डे बड़े, बहुपीतकी होते हैं व काइटिनी खोल में बन्द होते है। मादाएँ नम स्थानों पर अण्डे देती है। इनमें विदलन सतही होती है।
आस्ट्रेलियाई वंश के अलावा बाकि सब जातियाँ या तो अण्ड शिशुप्रजक या शिशु प्रजक होती है। निषेचन आन्तरिक होता है तथा अण्डों का परिवर्धन गर्भाशय में होता है।
अण्ड शिशु प्रजक व शिशु प्रजक पेरीपेटस की जातियों में अण्डे छोटे व अल्पपीतकी होते हैं। विदलन (cleavage) सतही व पूर्णभंजी (holoblastic) प्रकार की होती है। परिवर्धन गर्भाशय में होता है। गर्भाशयी स्रावण विकसित हो रहे भ्रूण को पोषण प्रदान करता है। यह पोषक पदार्थ भ्रूण द्वारा एक विशेष भ्रूणीय झिल्ली या गर्भाशयी भित्ति से अपरा सम्पर्क (placental connection) द्वारा ग्रहण किया जाता है। परिवर्धन का तरीका अलग-अलग जातियों में अलग-अलग प्रकार का होता है। मादा एक वर्ष में 30 या इससे अधिक शिशुओं को जन्म देती है इसके शिशु वयस्क से मिलते-जुलते होते हैं।
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