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मधुमक्खी का वर्गीकरण क्या है , वैज्ञानिक नाम , संघ , वर्ग कौनसा है honey bee classification in hindi

honey bee classification in hindi मधुमक्खी का वर्गीकरण क्या है , वैज्ञानिक नाम , संघ , वर्ग कौनसा है ?

अध्याय  – मधुमक्खी (Honey bee) या एपिस (Apis)

वर्गीकरण (Classification)

संघ (Phylum) – आर्थोपोड़ा (Arthropoda) ।

द्विपार्श्व सममित, त्रिस्तरीय, खण्डयुक्त शरीर, देहगुहीय, शारीरिक गठन ऊत्तक अंग स्तर तक का होता है। संधियुक्त उपांग पाये जाते हैं। काइटिनी क्यूटिकल का बना बाह्य कंकाल पाया जाता है। परिसंचरण तन्त्र खले प्रकार का होता है। उत्सर्जन मैल्पिघियन नलिकाओं या ग्रीन ग्रन्थियों द्वारा।

वर्ग (Class) : इन्सेक्टा (Insecta)

. शरीर तीन भागों में विभेदित सिर, वक्ष एवं उदर। वक्ष पर तीन जोड़ी टाँगें व दो जोडी पंख पाये जाते हैं। कुछ में पंख अनुपस्थित होते हैं।

उपवर्ग (Sub class) : टेटीगोटा (Pterygota)

वयस्कों में पंख पाये जाते हैं। कायान्तरण पूर्ण या अपूर्ण होता है।

प्रभाग (Division) : एण्डोप्टेरीगोटा (endopterygota)

पंख प्यूपा के अन्दर विकसित होते हैं। कायान्तरण पूर्ण होता है।

गण (Order) : हाइमेनोप्टेरा (Hymenoptera)

दो जोड़ी समान आकार के झिल्लि समान पंख पाये जाते हैं। मुखांग चूषक व चर्वणक प्रकार के। मादा का अण्ड निक्षेपक प्रायः छेदक दंश बनाता है। वंश (Genus) : एपिस (Apis) या मधुमक्खी (Honey bee)

आवास एवं स्वभाव (Habit and habitat).

मधुमक्खी एक सामाजिक कीट है जिसमें सुविकसित सामाजिक जीवन पाया जाता है। प्राकृतिक रूप से ये जंगलों में वृक्षों पर, इमारतों पर, गुफाओं में, चट्टानों पर छत्ता (hive or comb) बना कर रहती है। इन सतहों पर छत्ते ऊर्ध्वाधर रूप से लटके रहते हैं। एक छत्ते में हजारों मधुमक्खियाँ एक साथ रहती है। मधुमक्खियाँ फूलों से पराग व मधु एत्रित कर छत्ते में संग्रहित करती है। एक छत्ते में मधमक्खियों की तीन ज्ञातियाँ (caste) रहती है- (i) श्रमिक (Worker) (ii) रानी (Queen) (iii) पुमक्षिका या नर (Drone)। ये सभी अपना-अपना विशिष्ट कार्य करती है (जिसके वर्णन आगे किया गया है।)

मधमक्खियाँ मनुष्य से काफी नजदीकी रूप से सम्बन्धित है तथा इन्हें पालतू कीट के रूप में जाना जाता है।

मधुमक्खियाँ अपने स्वयं के उपयोग हेतु शहद का निर्माण कर अपने छत्ते में संचित करती है परन्तु मनुष्य शहद का उपयोग पुरातन काल से करता आ रहा है। प्राकृतिक छत्तों को ढूँढकर उनसे शहद प्राप्त करना एक दुष्कर एवं श्रम साध्य कार्य है। अतः शोधकर्ताओं ने मधुमक्खियों की प्रकृति चर्या का अध्ययन कर यह जाना की मधुमक्खियों को पालतु बनाया जा सकता है और उनसे शहद प्राप्त किया जा सकता है। मधुमक्खियों को कृत्रिम छत्तों में पालना एवं उनसे शहद प्राप्त करने को मधुमक्खी पालन या एपिकल्चर (Apiculture) कहते हैं ।

मधुमक्खी का प्राकृतिक आवास या छत्ता (Hive or comb)

जैसा कि पूर्व में बताया जा चुका है कि मधुमक्खियाँ वृक्षों की डालियों, इमारतों, चट्टानों आदि पर छत्ते बनाती है जो ऊर्ध्वाधर रूप से (vertically) लटके रहते हैं। मधुमक्खी का छत्ता श्रमिक मक्षिका के उदर से स्रावित मोभ से बनाया जाता है। छत्ता दोहरे स्तर का षटकोणिय प्रकोष्ठों का बना होता है। इन प्रकोष्ठों की भित्तियाँ एक दम पतली व भंगुर होती है। छत्ते में कई कक्ष या प्रकोष्ठ पाये जाते हैं जो निम्न प्रकार है- (i) संग्रह कक्ष (storage cell) ये वे कक्ष होते हैं जिनमें शहद का संग्रह किया जाता है। ये कक्ष छत्ते के किनारों व ऊपरी भाग में स्थित होते हैं। शहद भरने के बाद इन कक्षों को मोम से बन्द कर दिया जाता है। (ii) अण्ड़ कक्ष (brood cells) : ये कक्ष छत्ते के मध्य व निचले भाग में स्थित होते हैं। इन कक्षों में अण्डे व विकसित होने वाली शिशु मक्खियाँ रहती है। एपिस डार्सेटा (Apis dorseta) नामक जाति की मधुमक्खियों में सभी कक्ष समान आकार के होते हैं। परन्तु अन्य जातियों में ये तीन प्रकार के होते हैं। (a) श्रमिक कक्ष ( worker cells) : ये कक्ष सबसे छोटे होते हैं। इनमें श्रमिक मक्षिकाएँ पाली जाती है । (b) नर कक्ष (drone cells) : ये थोड़े बड़े कक्ष होते हैं व इनमें नर मक्षिकाएँ पाली जाती है। (c) रानी कक्ष ( queen cells) : यह सबसे बड़ा, अनियमित आकार का बेलनाकार या फूलदान के आकार का कक्ष होता है जो छसे की सबसे निचली सतह पर पाया जाता है। इसे रानी मक्षिका निवास करती है।