दो युग्मित सरल आवर्ती दोलकों की गति (Motion of Two Coupled SH. Oscillators in hindi)
दो युग्मित सरल आवर्ती दोलकों की गति (Motion of Two Coupled SH. Oscilllators)
(a) गति का समीकरण (Equation of Motion)
माना द्रव्यमान m तथा लम्बार्द / के दो समान सरल आवर्त्ती दोलक हैं। इन दोलकों के द्रव्यमानों को किसी स्प्रिंग से जोड़ा गया है जिसका बल नियतांक k है। साम्यावस्था में स्प्रिंग की लम्बाई दोनों द्रव्यमानों के बीच की दूरी के बराबर है। ये दोनों दोलक मिलकर एक युग्मित दोलक (coupled oscillator) बनाते हैं। इस व्यवस्था को (चित्र 8) में प्रदर्शित किया है। इस निकाय को साम्यावस्था से घोड़ा विस्थापित करके छोड़ा जाये, जैसा कि (चित्र 9) में प्रदर्शित किया गया है, तो दोनों दोलक कम्पन गति करना प्रारम्भ कर देगें।
माना दोलक P1 तथा P2 के साम्यावस्था से विस्थापन क्रमशः x1 तथा x2 हैं। दोलक P1 के गति का समीकरण होगा
M d2x1/dt2 = – mg (x1/l) – k (x1 – x2)
या d2x1/dt2 = – g (x1/l) – k/m (x1 – x2) ……………………..(1)
तथा दोलक P2 के गति का समीकरण
M d2x2/dt2 = – mg (x2/l) – k (x2 – x1)
D2x2/dt2 = – g (x2/l) + k/m (x1 – x2)……………………………(2)
उपरोक्त समीकरण (1) तथा (2) में सामान्य सरल आवर्त गति के पद के अतिरिक्त पद k (x1 – x2) उपस्थित है यह पद स्प्रिंग के द्वारा दोलकों (द्रव्यमानों) को युग्मित करने के कारण प्राप्त होता है। इसे युग्मन पद (coupling term) कहते हैं। इन समीकरणों के स्वरूप से यह ज्ञात होता है कि प्रत्येक दोलक का त्वरण दूसरे दोलक की स्थिति पर निर्भर करता है अर्थात् वे एक-दूसरे से स्वतंत्र होकर गति नहीं कर सकते हैं। यदि x1 >x2 हो तो स्प्रिंग में प्रसार होगा तथा यह प्रसार दोलक P1, के त्वरण के विपरीत दिशा में तथा दोलक P2, के त्वरण की दिशा में होगा।
माना ω02 = g/l है जहाँ ω0 प्रत्येक दोलक की प्राकृतिक दोलन आवृत्ति (natural vibrational frequency) है। ω0 के पद में समीकरण (1) तथा (2) होंगे
D2x1/dt2 + ω02x1 = – k/m (x1 – x2) ………………………………………..(3)
तथा d2x2/dt2 + ω02x2 = – k/m (x2 – x1) ………………………………(4)
प्रत्येक दोलक पर युग्मन के प्रभाव को जानने के लिए उपरोक्त समीकरण (3) तथा (4) को x1 तथा x2, के लिए हल करते हैं। समीकरण (3) तथा (4) को सीधे हल करने के बजाय हम नये निर्देशांकों का चयन करते हैं।
माना X = x1 + x2 ……………………….(5)
Y = x1 – x2 ………………………………(6)
D2X/dt2 = d2x1/dt2 + d2x2/dt2 ………………………….(7)
D2Y/dt2 = d2x1/dt2 – d2x2/dt2 …………………………………(8)
समीकरण (3) तथा (4) को जोड़ने पर
d2x1/ dt2 + ω02x1 + d2x2/dt2 + ω02x2 = 0
या d2 (x1 + x2)/dt2 + ω02 (x1 + x2) = 0
D2X/dt2 + ω02X = 0 ……………………………..(9)
समीकरण (3) में से समीकरण (4) को घटाने पर
D2x1/dt2 + ω02x1 – d2x2/dt2 – ω02x2 = – k/m (x1 – x2) + k/m (x2 – x1)
D2(x1 – x2)/dt2 + ω02 (x1 – x2) + 2k/m (x1 – x2) = 0
D2Y/dt2 + (ω02 + 2k/m) Y = 0 ………………………………….(10)
समीकरण (9) तथा (10) दो समान सरल आवर्ती दोलकों के गति के समीकरण को प्रदर्शित करते है
समीकरण (9) तथा (10) को निम्न रूप से लिखा जा सकता है
D2X/dt2 = – ω12X …………………………………..(11)
तथा d2y/dt2 = – ω22Y …………………………………….(12)
जहाँ ω1 = ω0 तथा ω2 = √(ω02 + 2k/m)
समीकरण (11) तथा (12) सरल आवर्त गति के समीकरण है। इससे यह ज्ञात होता है। कि युग्मित दोलको (निकाय) की गति को ऐसे दो नये निर्देशांकों x तथा Y के रूप में व्यक्त किया जा सकता है जिनकी गति, सरल आवर्त गति के रूप में प्रदर्शित होती है। ।
यदि सदैव Y= 0 अर्थात् x1 = x2 हो तो गति निम्न समीकरण से प्रदर्शित होगी
d2x/dt2 + ω02X = 0
इस स्थिति में प्रत्येक दोलक की दोलन आवृत्ति ω1 = ω0 अयुग्मित अवस्था के समान होगी तथा युग्मन का कोई प्रभाव नहीं होता है क्योंकि दोनों दोलक एक ही कला में होगें। इस प्रकार की गति में स्प्रिंग की लम्बाई में कोई परिवर्तन नहीं होगा अर्थात् स्प्रिंग सदैव अपनी प्राकृतिक लम्बाई की अवस्था में ही रहेगी, जैसा कि चित्र (10) में प्रदर्शित किया गया है।
यदि x = 0 अर्थात् x1 =-X2 हो तो गति निम्न समीकरण द्वारा प्रदर्शित होगी।
D2y/dt2 + (ω02 + 2k/m) Y = 0
अब टोलकों की आवृत्ति ω2 = √(ω02 + 2k/m) पूर्व स्थिति से अधिक होगी क्योंकि दोनों दोलक एक-दूसरे के विपरीत कला में होंगे जिससे स्प्रिंग प्रसारित (extended) या संकुचित (compressed) होती है इस स्थिति युग्मन प्रभावी होता है। इसे चित्र (11) में प्रदर्शित किया गया है।
(b) सामान्य कम्पन विधायें तथा उनकी आवृत्तियाँ
(Normal modes of vibration and its frequencies)
उपरोक्त भाग (a) में युग्मित दोलक की गति को प्रदर्शित करने के लिए निर्देशांक X तथा Y का चयन करते हैं इनको सामान्य निर्देशांक (normal coordinates) कहते हैं। साधारणतया किसी युग्मित निकाय के सामान्य निर्देशांक वे प्राचल (parameters) होते हैं जिनके रूप में निकाय के गति के समीकरणों को ऐसे नियत गुणांक वाले रेखीय अवकल समीकरणों के सेट के द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है जिसके प्रत्येक समीकरण में केवल एक ही परतंत्र चर होता है। (The normal coordinates of a coupled system are the parameters in terms of which the equations of motion of the system can be written as a set of linear differentias equationl with constant coefficients in which each equation contains only one dependent variable). उदाहरण के लिए X = x1 + x2 तथा Y = x1 – x2 सामान्य निर्देशांक होते हैं तथा समीकरण (11) और (12) जो कि सामान्य निर्देशांको के रूप में युग्मित दोलक की गति को प्रदर्शित करते हैं उनमें केवल एक ही परतंत्र घर होता है।
किसी युग्मित निकाय के प्रत्येक सामान्य निर्देशांक से सम्बंधित सरल आवर्त गति को उस निकाय की सामान्य कम्पन विधा (normal mode of vibration) या सामान्य विधा (normal mode) कहते हैं। प्रत्येक सामान्य कम्पन विधा की अपनी विशिष्ट आवृत्ति (characteristic frequency) होती है जिसे सामान्य विधा आवृत्ति (normal mode frequency) कहते हैं।
दो युग्मित सरल आवृत्ती दोलकों की दो कम्पन विधायें होती है- एक कम्पन विधा, सामान्य निर्देशांक X तथा दूसरी सामान्य निर्देशांक Y से सम्बद्ध होती है जब दोनों दोलकों को उनकी साम्य स्थिति से एक ही दिशा में विस्थापित करके छोड़ा जाय (जैसा कि चित्र (3.2-3) में प्रदर्शित है) तो प्रत्येक दोलक अपनी प्राकृतिक आवृत्ति के समान आवृत्ति से सरल आवृर्त गति करेंगे तथा वे हमेशा एक ही कला में रहेंगे। यह स्थिति युग्मित दोलक की प्रथम सामान्य विधा होती है तथा इससे सम्बन्धित आवृत्ति प्रथम सामान्य विधा आवृत्ति कहलाती है।
प्रथम सामान्य विधा आवृत्ति के लिये
ω12 = ω0 2 = g/l
या ω1 = ω0 = √g/l ………………………….(13)
जब दोनों दोलकों को उनकी साम्य स्थिति से एक-दूसरे के विपरीत दिशा में विस्थापित करके छोड़ा जाय (जैसा कि चित्र (3.2-4) में प्रदर्शित किया गया है) तो प्रत्येक दोलक सरल आवर्त गति करेगा वे एक-दूसरे के विपरीत कला में होंगे तथा उनकी आवृत्ति पहले की स्थिति से भिन्न होगी। यह युग्मित दोलक की द्वितीय कम्पन विधा होती है तथा इससे सम्बधित आवृत्ति द्वितीय सामान्य विधा आवृत्ति कहलाती है। इसका मान होता है
ω2 = (g/l + 2k/m)1/2 = (ω02 + 2ωc2)1/2 ……………………………….(14)
जहाँ ω02 = g/l ωc2 = k/m
(c) मिश्रित विधाओं में गति तथा क्षणिक व्यवहार (ऊर्जा विनिमय)
[(Motion in mixed modes and transient behaviour (Energy exchange) ]
चूंकि किसी भी निकाय (युग्मित) को विभिन्न प्रकार से गतिमान किया जा सकता है इसलिये उस युग्मित निकाय की सामान्य गति को उसके सभी सम्भावित विधाओं के अध्यारोपण के रूप में हमेशा प्रदर्शित किया जाता है। उपरोक्त युग्मित दो समान सरल आवर्ती दोलकों की सामान्य गति को उनके दो सामान्य विधाओं के अध्यारोपण के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है।
माना समीकरण (11) तथा (12) के हल निम्न हैं :
X = X0 cos (ω1t + φ1) …………………………………(15)
तथा Y = Y0 cos (ω2t + φ2) ……………………………………..(16)
जहां X0 तथा Y0 क्रमशः दोनों सामान्य विधाओं के आयाम तथा φ1 और φ2 उनके कला नियतांक है।
चूँकि समीकरण (5) तथा (6) से X = x1 + x2, तथा Y=x1– x2 है।
X1 = 1/2 (x + Y)………………………………..(17)
तथा x2 = 1/2 (x – y) …………………………..(18)
समीकरण (17) तथा (18) में समीकरण (15) तथा (16) का मान रखने पर,
X1 = 1/2 [X0 cos (ω1t + φ1 ) + Y0 cos (ω2t + φ2)] …………………………(19)
तथा x2 = 1/2 [X0 cos (ω1t + φ1) – y0 cos (ω2t + φ2) ……………………………..(20)
उपर्युक्त समीकरण (19) तथा (20) से यह ज्ञात होता है कि x1 तथा x2 का मान दो सामान्य विधाओं या सामान्य निर्देशांकों के रेखीय संयोजन (linear combination) या अध्यारोपण (superposition) के द्वारा प्राप्त होता है।
सरलता के लिए माना X0 = Y0 = 2a तथा प्रारम्भिक कलायें φ1 = φ2 = 0 हैं तो समीकरण (19) तथा (20) को लिखा जा सकता है।
X1 = a cos ω1t + a cos ω2t ……………………………….(21)
तथा x2 = a cos ω1t – a cos ω2t ………………………(22)
समीकरण (21) तथा (22) को सरल करने पर
X1 = a[cos ω1t + cos ω2t]
= 2a cos 1/2(ω2 – ω1 )t cos 1/2(ω1 + ω2)t ……………………………(23)
तथा x2 = a [cos ω1t – cos ω2t]
=-2a sin 1/2 (ω1 – ω2 )t sin 1/2 (ω1 + ω2) ……………………..(24)
उपरोक्त समीकरण (23) तथा (24) यह प्रदर्शित करते हैं कि प्रत्येक दोलक की गति ज्यावक्रीय (sinusoidal) होती है जिसकी दोलन आवृत्ति 1/2 (ω1 + ω2 ) होती है। लेकिन x1 का माडुलित आयाम 2a cos 1/2 (ω1 – ω2)t तथा x2, का माडुलित आयाम – 2a sin 1/2 (ω1 – ω2)t = 2a cos [1/2 (ω1 – ω2 )t – π/2 होता है। अतः दोनों माडुलित आयामों के बीच कलान्तर π/2 या माडुलन काल (modulating period) का एक चौथाई होगा। निम्न चित्र (12) में x1 तथा x2 का समय फलन के रूप में वक्र को प्रदर्शित किया गया है।
माडुलित आयामों के बीच कलान्तर होने के कारण दोलकों के बीच में ऊर्जा के आदान-प्रदान का प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया में माडुलन काल के एक चौथाई अन्तराल में जब एक दोलक का मदुलित आयाम कम होता है तो दूसरे दोलक का माडुलित आयाम बढ़ता है इस प्रकार एक दोलक से ऊर्जा का विनिमय होता है। अगले एक-चौथाई आवर्तकाल अन्तराल में परिस्थिति पहले से बिल्कुल विपरीत हो जाती है तथा ऊर्जा का संचरण पहले से विपरीत दिशा में होने लगता है। यह प्रक्रिया अपने आप लगातार दोहराई जाती है। ऊर्जा का पूर्णतः आदान-प्रदान तभी संभव होता है जबकि दोनों । दोलकों के द्रव्यमान बिल्कुल समान हों तथा (ω1 + ω2)/( ω2 – ω1) का अनुपात एक पूर्ण संख्याहो | जब ऊर्जा का विनिमय एक दोलक (P1) से दसरे दोलक (P2) को होता है तथा पुनः ऊजा दोलक P2 से P1 में जाती है तो इस पूर्ण चक्र (trip) को एक विस्पन्द (beat) कहते हैं। विस्पन्द काल (beat period) का व्युत्क्रम विस्पन्द की आवृत्ति (beat frequency) कहलाती है।
(d) कुल ऊर्जा (Total energy)
उपर्युक्त युग्मित दोलकों की कुल ऊर्जा उनकी गतिज तथा स्थितिज ऊर्जाओं के योग के बराबर होगी अर्थात्
युग्मित दोलक की कुल ऊर्जा = दोलकों की कुल गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा
Eकुल = Eगतिज + Eस्थितिज
आवर्ती दोलकों की कुल गतिज ऊर्जा Eगतिज = 1/2 mv1 2 + 1/2 mv2 2
जहां V1 तथा V2 क्रमशः दोलक P1 तथा P2 के वेग हैं।
स्थितिज ऊर्जा = स्प्रिंग की स्थितिज ऊर्जा = 1/2 k (x1 – x2 )
अतः युग्मित दोलक की कुल ऊर्जा
Eकुल = 1/2 mv12 + 1/2 mv22 + 1/2 k (x1 – x2)2
= 1/2 mv12 + 1/2 mv22 + 1/2 k(x12 + x22 – 2x1x2)
= [1/2 mv12 + 1/2 kx22] + [1/2 mv22 + 1/2 kx22] – kx1x2 …………………………..(25)
समीकरण (25) में प्रथम पद केवल x1 पद द्वितीय पद केवल x2 तथा अन्तिम पद x1 तथा x2 दोनों पर निर्भर करता है। यह पद युग्मित (coupling) या अन्योन्य क्रिया ऊर्जा (interaction energy) कहलाता है यही दोनों दोलकों के बीच ऊर्जा के आदान-प्रदान (exchange ofenergy) को प्रदर्शित करता है इस पद की अनुपस्थिति में प्रत्येक दोलक की ऊर्जा नियत होती है। जब दोलकों के बीच या तो निकाय की कुल ऊजो नियत होगी अर्थात् ऊर्जा का संरक्षण होगा।
उपरोक्त विश्लेषण से यह ज्ञात होता है कि जब दो निकाय एक-दूसरे के साथ अन्योन्य क्रिया (interact) करते है तथा उनके बीच ऊजों का आदान-प्रदान (exchange of energy) होता है तो निकाय की कुल ऊर्जा को निम्न प्रकार से प्रदर्शित किया जाता है
Eकुल = (EK + Ep)1 + (EK + Ep)2 + (Ep)12
(c) उदाहरण किसी अणु में परमाणुओं का कम्पन
(The Vibration of atoms in a molecule)
अनेक भौतिक परिस्थितियों में युग्मित दोलकों के उदाहरण मिलते हैं। विशेष रूप से किसी में परमाणुओं का कम्पन युग्मित दोलक के तुल्य होता है क्योंकि एक अणु की संरचना एक दढ संरचना (rigid structure) नहीं होती है। किसी अणु में परमाणु अपनी साम्य स्थिति (equilibrium position) के इधर-उधर कम्पन गति करते हैं तथा प्रत्येक परमाणु का कम्पन, दूसरे परमाणु से अन्योन्य क्रिया के कारण प्रभावित होता है। इस प्रकार सभी परमाणु मिलकर एक युग्मित निकाय बनाते हैं तथा निकाय (अणु) एक युग्मित दोलक की तरह व्यवहार करता है।
उदाहरण के लिए यदि रेखीय त्रिक परमाणुक अणु जैसे CO2 को लें तो इसकी ज्यामितीय व्यूह रचना (array)O=C=O होती है, चित्र (13)। इस अणु के तीनों परमाणुओं की आपेक्षिक गति को सामान्य कम्पनों (normal oscillations) के रूप में वर्णित किया जा सकता है। चित्र (13) में ऑक्सीजन के परमाणु, निकाय के द्रव्यमान केन्द्र की स्थिति को संरक्षित रखने के लिए समान कला में कम्पन करते हैं परन्तु कार्बन परमाणु विपरीत दिशा में गति करता है, यह विधा कोणीय कम्पन आवृत्ति ω1 (दो युग्मित समान दोलकों में) के समान होती है। चित्र (13 b) में जब कार्बन का परमाणु द्रव्यमान केन्द्र पर स्थिर (fixed at the centre of mass) हो तथा उसके सापेक्ष ऑक्सीजन के परमाणु विपरीत दिशा में गतिमान हों तो यह विधा कोणीय कम्पन आवृत्ति, ω2 के समान होती है। चित्र (13c) में जब परमाणुओं की गति उनको मिलाने वाली रेखा के लम्बवत् दिशा में हो तो अणु में बंकन (bending) उत्पन्न होता है यह विधा भिन्न कोणीय कम्पन आवृत्ति ω3 की होती है। CO2 अणु की विभिन्न कोणीय कम्पन्न आवृत्तियों का मान होता है।
ω1 = 4.443 x 1014 + Hz ω2 = 2.529 x 1014 Hz
तथा ω3 = 1.261 x 1014 + Hz
यदि अण की बनावट सरल रेखीय नही हो तो उसमें परमाणुओं की संख्या तीन से अधिक हा ता। सामान्य कम्पन का विश्लेषण कठिन हो जाता है। उदाहरण के लिए H2 O अणु में O परमाणु 1050 शीर्ष (vertex) पर होता है तथा H परमाणु प्रत्येक भुजा पर होते हैं। इस परमाण के सामान्य कम्पनों तथा सम्बन्धित कोणीय आवृत्तियों को निम्न चित्र (14) में प्रदर्शित किया गया है.
ω1 = 3.017 x 1014 Hz,
ω2 = 6.908 x 1014 Hz ω3 = 7.104 x 1014 +Hz
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